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-   -   हमारी शेर "ओ" शायरी (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=1040)

arvind 06-11-2010 03:54 PM

ख़ामोश रहने दो ग़मज़दों को, कुरेद कर हाले-दिल न पूछो।
तुम्हारी ही सब इनायतें हैं, मगर तुम्हें कुछ खबर नहीं है।

उन्हीं की चौखट सही, यह माना, रवा नहीं बेबुलाए जाना।
फ़क़ीर उज़लतगुज़ीं ‘सफ़ी’ है, गदाये-दरवाज़ागर नहीं है॥

उज़लतगुज़ीं - एकांतवासी
गदाये-दरवाज़ागर - दर का भिखारी

Hamsafar+ 06-11-2010 06:44 PM

मचल के जब भी आँखों से छलक जाते हैं दो आँसू
सुना है आबशारों को बड़ी तक़लीफ़ होती है

खुदारा अब तो बुझ जाने दो इस जलती हुई लौ को
चरागों से मज़ारों को बड़ी तक़लीफ़ होती है, मचल ...

कहूँ क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे हैं
क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तक़लीफ़ होती है
मचल ...

तुम्हारा क्या तुम्हें तो राह दे देते हैं काँटे भी
मगर हम ख़ाकज़ारों को बड़ी तक़लीफ़ होती है
मचल ...

Hamsafar+ 07-11-2010 04:47 PM

आसमान कहता है रब से तूने चाँद दो क्यूँ बनाए
एक में रखा है दाग दूसरा है साफ़ साफ़
सबकी नज़र उसपे जाए हाय
वही तो है मेरी है वही तो
के जिसको देख देख देख चाँद जलता है
रब ने कहा ऐ आसमां उसे भेज के ज़मीं पे
हम भी पछताए हाय
वही तो है मेरी ...

उसको देख फूलों को होती है जलन
क्यूं कि उसकी खुश्बू में हैं सभी मगन
वो गुज़रे दूर से हवा के शोर से
उसके आने का पता चले यहां सभी ये जानें
आसमान कहता है ...

सात रंग दुनिया में होते हैं मगर
आठवां कहां है किसे है क्या खबर
जो उसको देख ले वो पल में जान ले
रंग क्यूं करे है कोशिशें रंग इक बनाने
आसमान कहता है ...

munneraja 11-11-2010 12:20 PM

बिना पलक झपकाए तुम्हारी राह तकते हैं
एकटक देखना शायद इसी को कहते हैं

हरपल जिनकी याद आती है
वो शायद हमारे दिल में रहते हैं

arvind 11-11-2010 01:12 PM

वो आँख बड़ी प्यारी थी,
जो हमने उसे मरी थी,
वो संदले बड़ी भारी थी,
जो उसने हमे मरी थी,
मुफ्त में ही पिट गए यार,
हमें तो आँख की बीमारी थी.
:gm:

arvind 11-11-2010 01:14 PM

सोच समझ के ना की शादी जिसने,
उसने जीवन बिगाड़ लिया..
और चतुराई से की जिसने शादी,
उसने भी क्या उखाड़ लिया..

munneraja 15-11-2010 02:50 PM

Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
 
नजर इधर उधर ढूंढती है किसी को
इंतजार हमेशा ही है किसी का रहता
दिल हमेशा कसकता है रहता
बार बार यही सोचने पर दिल मजबूर है होता
कि क्या प्यार कभी पूरा नहीं होता

kamesh 15-11-2010 03:01 PM

Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
 
जबसे गए हो आप किसी अजनबी के साथ

कई रोग लग गएँ है मेरी जिन्दगी के साथ

kamesh 15-11-2010 03:06 PM

Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
 
आप तो मुस्कराते हुवे दुसरे जन्हा में चले गए

और हमें ये सजा सुना गए

"न रोना कभी मेरी याद में जनम

वरना चेन मुझे वहा भी नहीं होगा नसीब "


Hamsafar+ 15-11-2010 08:36 PM

Re: हमारी शेर "ओ" शायरी
 
रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह
अटका कहीं जो आपका दिल भी मेरी तरह

ना ताब हिज्र में है न आराम वस्ल में
कम-बख़्त दिल को चैन नहीं है किसी तरह

मर चुक कहीं के तू ग़म-ए-हिज्राँ से छूट जाये
कहते तो हैं भले की वो लेकिन बुरी तरह

ना जाये वाँ बनी है ना बिन जाये चैन है
क्या कीजिये हमें तो है मुश्किल सभी तरह

लगती हैं गालियाँ भी तेरे मुँह से क्या भली
क़ुर्बान तेरे फिर मुझे कह ले इसी तरह

हूँ जाँ-ब-लब बुतान-ए-सितमगर के हाथ से
क्या सब जहाँ में जीते हैं ':bang-head:' इसी तरह


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