Re: > चीयर लीडर्स <
बिकनी जिसे हमारा समाज सहज तौर पर स्वीकार नहीँ करता उसे पहनकर क्रिकेट के मैदान मेँ नाच गाना
कुछ नैतिकता के तथाकथित ठेकेदार नेताओँ के मुताबिक यह मुंबई के डाँस बारोँ मेँ होने वाले नाच से दसगुना ज्यादा अश्लील था |
Re: > चीयर लीडर्स <
इसलिए आईपीएल मैनेजमेँट ने इसके बाद फ्रेचाइजी को कुछ गाईड लाइन्स दी
और उनका पालन करने की सलाह दी हालाकि इस सलाह मानना हैँ या नहीँ ये पुरी तरह फ्रैँचाइजी के हाथ मेँ हैँ लिहाजा साड़ी और सुट मेँ पुरी तरह ढके तन वाली चीयरलीडर्स शायद इन फ्रेँचाइजीज की मजबुरी न हो |
Re: > चीयर लीडर्स <
अगर चाहे इसे भी बना सकते हैँ प्रोफेशन
--- इंटर काँलेज स्पोट्स और प्रतियोगिताए खुद को साबित करने और निखारने का अच्छा मौका हैँ कँरियर काउंसलर कहते हैँ कि इस क्षेत्र मेँ ग्लैमर के साथ पैसा भी काफी हैँ और हाँ सबसे ज्यादा बाहर घुमने का मौका शाहरुख खान की कोलकाता नाइटराइडर्स की चीयरलीडर रुपाली कहती हैँ कि यह एक तरह का खेल हैँ इसको बतौर कँरियर विकल्प अपनाने के लिए लोगोँ को बढावा देना चाहिए |
Re: > चीयर लीडर्स <
उसी टीम की एक सदस्य सुनंदा कहती हैँ
कि इस पेशे मेँ आने वाले लोगोँ को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि इस क्षेत्र मेँ बेहतरलोग आ सके उसी टीम की एक सदस्य रीतीका कहती हैँ कि मुझे जब ये मौका मिला तो मैँने इसे शानदार अवसर के तौर पर लिया |
Re: > चीयर लीडर्स <
कँरियर काउंसलर कहते हैँ कि टी वी फिल्म और माँडलिँग की तरह ये भी एक बेहतर कँरियर विकल्प हैँ जिमनास्टिक डाँस और माँडलिँग के गुर आते होँ तो भले फिल्मोँ माँडलिँग की दुनिया के बड़े एसाइनमेँट न मिले पर चियरलीडर्स के तौर पर नाम और दाम दोनोँ कमा सकते हैँ
|
Re: > चीयर लीडर्स <
सामाजिक संदर्भ मेँ देखेँ तो चियरलीडर्स अमेरिका के लिए पुरानी बात हो गई हैँ यह वहाँ के खेलोँ का एक अहम हिस्सा हैँ
विकसित समाज हैँ इसलिए वहाँ की संस्कृति भी विकसित हैँ जहाँ समाज और संस्कृति दोनो विकसित हो वहाँ की इकाँनमी भी विकसित होती हैँ चीयरलीडर्स बनना अमेरिका मेँ एक प्रोफेसन हैँ और यह पेशा वहाँ सभी को स्वीकार्य हैँ इसे लेकर कोई बहस वहाँ नहीँ होती लेकिन चीयरलीडर्स का आइडिया भारत के लिए नया हैँ हमारी संस्कृति के लिए भी नई बात हैँ मिडिल क्लास भारत अमेरिका की तरह विकसित देश बनना चाहता हैँ इसलिए अमेरिका लाइफ स्टाइल इकाँनमी ञान विञान यहाँ पाँपुलर हो रहे हैँ |
Re: > चीयर लीडर्स <
जो लोग चीयर लीडर्स के कपड़ो पर सवाल उठा रहे हैँ वे भुल रहे हैँ कि अंग्रेजो के आने से पहले तक कई इलाकोँ मेँ दलित महिलाओँ को अपने वक्ष ढकने का अधिकार नहीँ था
आज भी अच्छे कपड़े पहनने पर दलितोँ पर हमले होते हैँ राजस्थान हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश से अक्सर खबरेँ आती हैँ कि दलित दुल्हेँ को घोडी पर नहीँ चढने दिया गया यह भी हमारे भारतीय कल्चर की मिसाल हैँ जिसपर हमारे सामाजिक और राजनीतिक संगठन शोर मचाना पसंद नहीँ करते अबतक के अनुभव से समझना चाहिए की चीयरलीडर्स को चीयर करना चाहिए क्योँ कि वे भारत कुंठित संस्कृति पर हमला कर रही हैँ |
Re: > चीयर लीडर्स <
खालिद भाई अपने आप से ही बातें कर रहे हो! :lol:
वैसे, अगर टॉपिक पर बात करें तो इसमें कुछ गलत नहीं है! अगर खेल में कुछ मजेदार नहीं हो रहा तो लोगो को उनका पैसा बर्बाद हुआ लगता है. ऐसे में अगर कुछ उनका मनोरंजन करने के लिए हो, तो लोग अगली बार वापिस आना पसंद करेंगे. फिर खिलाडिओं का भी मनोबल बढ़ता है! अगर लोग कम आयेंगे तो खेलने वालो को लगेगा कि उनके खेल कि कोई मान्यता ही नहीं है! और हाँ, दरअसल ये सूत्र खोलते वक़्त में उम्मीद कर रहा था कि आप सब यहाँ चित्र पोस्ट कर रहे है. चर्चा हो रही है, ऐसी उम्मीद कम ही थी. :cry::censored: |
Re: > चीयर लीडर्स <
[QUOTE=jitendragarg;30098]खालिद भाई अपने आप से ही बातें कर रहे हो! :lol:
हा हा हा जितेन्द्र भाई बहुत मजे की बात कहीँ आपने अकेले अकेले बात कर रहा हुँ मुछे लगा सभी दोस्तोँ के साथ जानकारी बाँटना चाहिए तो बाँट लिया बाकी और दोस्त को पसंद नहीँ तो कोई बात नहीँ अगले बार और कुछ |
Re: > चीयर लीडर्स <
भई अकेले अकेले तो दो ही प्रकार के इन्सान बात कर सकते है
पहला जो पागल हो और दूसरा जो बहुत ही ज्ञानी पुरुष हो .... और खालिद भाई तो मुझे कही से भी पागल नही लगते , तो बचा क्या ...................? आप समझ ही गए होंगे खालिद भाई आप जारी रखे आपका एक एक पोस्ट पढ़ा और समझा जा रहा है ...........धन्यवाद |
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