Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
मेरे विचार में तो परिवार टूटने का एक कारन आजकल कि स्त्रियों में बढ़ी जागरूकता और शिक्षा भी है. पहले स्त्रियों का पालन पोषण इस हिसाब से होता था कि उसे अपने ससुराल जाना है एक दिन और परिवार के लिए अपनी व्यक्तिगत खुशियों का बलिदान देना सर्वोपरि होता था. आजकल के समाज में जहाँ स्त्रियों में आर्थिक निर्भरता पहले के मुकाबले बढ़ी है वही उनकी खुद को लेकर सोच में भी एक अलग दृष्टिकोण आया है..जिसमें आत्म त्याग ही सबकुछ नहीं और व्यक्तिगत हित उतना ही महत्त्व रखते है. जहाँ तक में देखती हूँ हमारा भारतीय समाज अभी एक ट्रांजिशन फेज में है.
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आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
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अब लड़कों में ये बात है कहां.....................!!! शादी होने के कुछ समय तक तो रोमांस रहता है, फिर सारी समझदारी काफूर हो जाती है| और वो रोमांस भी किस तरह का होता है, ये भी आप जानते हैं, सिर्फ बेडरूम की भावनाएं| प्यार से समझाना बुझाना अपनों को साथ लेकर चलना, ये बात कैसे और कौन समझाएगा? और जहाँ तक मैं मानता हूं, हम लोग भी (विशेषकर लड़के) इस तरह के विचार सिर्फ किताबों, ब्लॉग्स, फोरम्स तक सीमित रखते हैं| जब सामने आकर पड़ती है तो सब भूल जाते हैं| वही पुराना रवैय्या| :bang-head: |
Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
कई बार मित्रो ,पति और पत्नी के बीच सम्बन्ध खराव धन की कमी से भी होते है ..पैसा कमाना १ अच्छी बात है परन्तु उस पैसे की वजह से शान्ति भंग हो ये ठीक नहीं है
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Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
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ऐसे संस्कार जो ये नहीं समझाते कि बड़ों की इज्जत कैसे की जाती है? बड़ों की सलाह पर एक बार जरूरू अमल करो? आपस में सहयोग की भावना रखो? अब जब बचपन से माँ बाप अपने लड़के को ये सिखाएंगे कि बेटा घर का काम तो लड़कियों को ही करना है....तू रहने दे ये काम तेरी बहन कर लेगी तो क्या वो शादी के बाद ख़ाक अपनी पत्नी के साथ सहयोग करेगा? उसे तो आदत है घर में निठ्ठल्ले बैठने की...... ऐसे में कहाँ कोई परिवार सही ढंग से चल पायेगा? आज जहाँ लड़कियां ऑफिस या अपनी नौकरी पार जाती हैं और घर आके उसे ही सब कुछ करना पड़े...तो भला किस परिवार में झगडा नहीं होगा? वो भी चाहेगी कि जब दोनों काम करने वाले हैं तो उसका पति भी घर के कामों में उसका साथ दे... लेकिन पति तो ऐसा मिला हुआ है कि जिसे बचपन से काम ना करने की ट्रेनिंग मिली हुई है जाहिर है ऐसी स्थिति में बिखराव के परसेंट बड जायेंगे |
Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
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मित्र ..आप से मै सहमत हु ,...जब इंसान ,नमक तेल लकड़ी के जंजाल में फसता है ...तभी तो उस की समझदारी का पता चलता है की वो घर -परिवार और बाहर की दुनिया में कैसे ताल मेल बनाए ...रोमांस अपनी जगह अलग है वास्तविकता की दुनिया से दो चार हो कर समजदारी से अपने परिवार को सँभालते हुए आगे बढना ही तो जिंदगी है मित्र |
Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
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आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
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Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
मित्र , मै आप की बात से सहमत हु ,,,मेरी जानकारी में एक ऐसा परिवार है ..जिस में पति और पत्नी दोनो ही काम काजी है .,,,,......पति के पास टाइम नहीं है , परन्तु पति चाहता है की काम नौकरानी करे , पत्नी नहीं .....परन्तु पत्नी को नौकरानी का काम ही पसंद नहीं ...वो सारा काम स्वयं करती है ...अब ऐसी परिथिति में आप क्या कहेंगी ??????????
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Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
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Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
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