Re: वास्तु के कुछ महत्वपूर्ण.........................
१८)..अकस्मात धन हानि, खर्चों की अधिकता, धन का संचय न हो पाना इत्यादि परेशानियों से बचने के लिए घर के अन्दर अल्मारी एवं तिजोरी इस स्थिति में रखनी चाहिए कि उसके कपाट उत्तर अथवा पूर्व दिशा की तरफ खुलें..........................
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१९)..भवन का मुख्यद्वार यथासंभव लाल, गुलाबी अथवा सफेद रंग का रखें...............
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२०)..दक्षिण-पश्चिम दिशा में अधिक भार, या सामान रखें. इस कोण की भार वहन क्षमता अधिक होती है.........................
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२१)..जिस घर की स्त्रियाँ अधिक बीमार रहती हों, तो उस घर के मुख्य द्वार के पास ऊपर चढती हुई बेल लगानी चाहिए. इससे परिवार के स्त्री वर्ग को शारीरिक-मानसिक व्याधियों से छुटकारा मिलता है............................
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२२)..रसोई यदि गलत दिशा में बनी है, और उसे आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) में बनाना संभव न हो तो, गैस सिलेंडर अवश्य रसोई के दक्षिण पूर्व में रखें. रसोई को कभी भी स्टोर न बनाए, अन्यथा गृ्हस्वामिनी को तनाव, परिवार में किसी न किसी सद्स्य को रक्तचाप,मधुमेह, नेत्र पीडा अथवा पेट में गैस इत्यादि की कोई न कोई समस्या लगी रहेंगीं..........................
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२३)..ध्यान रहे कि कभी भी अध्ययन स्थल के पीछे दरवाजा या खिडकी आदि नहीं होनी चाहिए; यदि है, तो मन अशांत रहता है, क्रोध एवं आक्रोश का सृ्जन होता है,जिससे कि सफलता पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है. जब कि भवन की उत्तर-पूर्व दिशा अथवा संभव न हो तो अध्ययन स्थल के उत्तर-पूर्व में बैठकर पढने से सफलता अनुगामी बन पीछे पीछे चलने लगती है................................
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२४)..एक बात बताना चाहूँगा, जो कि योग शास्त्र से संबंध रखती है, लेकिन किसी भी अध्ययनकर्ता के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है. वो ये कि अध्ययन करते सदैव आपकी इडा नाडी अर्थात बायाँ स्वर चल रहा होना चाहिए. इससे मस्तिष्क की एकाग्रता बनी रहकर किया गया अध्ययन मस्तिष्क में बहुत देर काल तक संचित रहता है. स्मरणशक्ति में वृ्द्धि होती है. अन्यथा यदि कहीं पिंगला नाडी अर्थात दाहिना स्वर चलता हो तो फिर वही होगा कि "आगा दौड पीछा छोड". इधर आपने याद किया और उधर दिमाग से निकल गया. यानि मन की एकाग्रता और स्मरणशक्ति की हानि.........................
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२५)..इन उपरोक्त उपायों को आप अपनी दृ्ड इच्छा शक्ति व सकारात्मक सोच एवं दैव कृ्पा का विलय कर करें, तो यह नितांत सत्य है कि इनसे आप अपने भवन से अधिकांश वास्तुजन्य दोषों को दूर कर कईं प्रकार की समस्याओं से मुक्ति प्राप्त कर सकेंगें.....................................
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बहुत ही काम की जानकारी प्रदान करने के लिए धन्यवाद डा. सा. ! ....और भी जानकारी इस सम्बन्ध में उपलब्ध हो तो अवश्य प्रदान करें !
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Quote:
अपना अमूल्य अभिप्राय देने के लिए हार्दिक धन्यवाद............ |
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