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jai_bhardwaj 19-08-2014 01:16 PM

Re: छींटे और बौछार
 
किस किस का दिल न शाद किया तूने ए फ़लक़!
इक मैं ही ग़मज़दा हूँ कि नाशाद रह गया:cry:

jai_bhardwaj 19-08-2014 01:18 PM

Re: छींटे और बौछार
 
न गुल अपना, न ख़ार अपना, न ज़ालिम बागवां अपना
बनाया आह! किस गुलशन में, हमने आशियां अपना

jai_bhardwaj 19-08-2014 01:19 PM

Re: छींटे और बौछार
 
बरसों सवाँरते रहे किरदार हम मगर
कुछ लोग बाजी ले गए सूरत सवाँर के

rafik 19-08-2014 01:41 PM

Re: छींटे और बौछार
 
Quote:

Originally Posted by jai_bhardwaj (Post 523879)
बरसों सवाँरते रहे किरदार हम मगर
कुछ लोग बाजी ले गए सूरत सवाँर के

बहुत अच्छे मित्र

हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली;
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली;
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ;
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली।

rafik 19-08-2014 01:50 PM

Re: छींटे और बौछार
 
सो सुख पा कर भी सुखी न हो;
पर एक ग़म का दुःख मनाता है;
तभी तो कैसी करामात है कुदरत की;
लाश तो तैर जाती है पानी में;
पर ज़िंदा आदमी डूब जाता है!

ndhebar 19-08-2014 05:40 PM

Re: छींटे और बौछार
 
Quote:

Originally Posted by jai_bhardwaj (Post 523879)
बरसों सवाँरते रहे किरदार हम मगर
कुछ लोग बाजी ले गए सूरत सवाँर के

क्या बात क्या बात :bravo:
जमा दिया जय भैया:hello:
कबसे इस सूत्र पर आपका इन्तजार कर रहा था, अब जा के सकूँ मिला है...

ndhebar 19-08-2014 05:52 PM

Re: छींटे और बौछार
 
ऐसी होती गई वारदात सारी
खुशियों की सरकती गई रात सारी

चांदनी खोयी हुई थी चांद संग
तारों की चल पड़ी बारात सारी

मिल गया जो साथ तेरा तब लगा
आ गई झोली में अब सौगात सारी

rajnish manga 19-08-2014 09:19 PM

Re: छींटे और बौछार
 
ग़ज़ल
राहत इंदौरी

रिश्तों की धूप छांव से आज़ाद हो गये
अब तो हमें भी सारे सबक याद हो गये

आबादियों में होते हैं बरबाद कितने लोग
हम देखने गये थे तो बरबाद हो गये

मैं पर्बतों से लड़ता रहा और चंद लोग
गीली ज़मीन खोद के फरहाद हो गये

बैठे हुये हैं कीमती ... सोफों पे भेड़िये
जंगल के लोग शहर में आबाद हो गये

लफ़्ज़ों के हेर फेर का धंधा भी खूब है
जाहिल हमारे शहर के उस्ताद हो गये


rajnish manga 19-08-2014 09:32 PM

Re: छींटे और बौछार
 
आपको पुनः इस मंच पर देख कर हार्दिक प्रसन्नता हो रही है, जय भरद्वाज जी. आपके बिना यह मंच अधूरा हो गया था. रिश्तों की धूप-छांव हमें कब किस तरफ ले जाती है, मालूम ही नहीं चलता. हमें विश्वास है कि इस मंच पर आप अपना स्थान ग्रहण कर के हम सब को अनुग्रहीत करेंगे.

Dr.Shree Vijay 19-08-2014 10:41 PM

Re: छींटे और बौछार
 

ये आँखें हर घड़ी रहती हैं सिर्फ यार तुझ पर,
तुझे चलता है मगर पता इत्तेफाकन कभी - कभी.......

प्रिय जय जी अब तो नियमित दर्शन दिया करों....


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