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-   -   अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें........... (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=9601)

Dr.Shree Vijay 13-05-2014 10:45 AM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by rajnish manga (Post 501344)
हाथ दिया उसने जब मेरे हाथ में
मैं तो वली बन गया एक ही रात में
(कतील शिफ़ाई)



मुझ को जिन्होने क़त्ल किया है कोई उन्हें बतलाए भी
मेरी लाश के पहलू में वो अपना खंजर भूल गये........


rajnish manga 13-05-2014 01:22 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by dr.shree vijay (Post 501539)

मुझ को जिन्होने क़त्ल किया है कोई उन्हें बतलाए भी
मेरी लाश के पहलू में वो अपना खंजर भूल गये........


ये मंसबे-बुलंद मिला जिसको मिल गया
हर मुद्दई के वास्ते दार-ओ-रसन कहाँ

(मंसबे-बुलंद = ऊँचा ओहदा / दार-ओ-रसन = फाँसी और रस्सी)
(शायर: रशकी दहलवी)

Dr.Shree Vijay 13-05-2014 05:57 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by rajnish manga (Post 501606)
ये मंसबे-बुलंद मिला जिसको मिल गया
हर मुद्दई के वास्ते दार-ओ-रसन कहाँ

(मंसबे-बुलंद = ऊँचा ओहदा / दार-ओ-रसन = फाँसी और रस्सी)
(शायर: रशकी दहलवी)



हम उन से मिले तो, कुछ कह ना सके "दोस्तो",
खुशी इतनी थी के, मुलाक़ात आँसू पोंछते ही गुज़र गई.......


rajnish manga 13-05-2014 10:44 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by dr.shree vijay (Post 501706)

हम उन से मिले तो, कुछ कह ना सके "दोस्तो",
खुशी इतनी थी के, मुलाक़ात आँसू पोंछते ही गुज़र गई.......


इसी उम्मीद पे ख्वाबों से सजा ली नींदें
कभी मुमकिन है कोई ख्वाब हकीकत निकले

Dr.Shree Vijay 13-05-2014 11:08 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by rajnish manga (Post 501795)
इसी उम्मीद पे ख्वाबों से सजा ली नींदें
कभी मुमकिन है कोई ख्वाब हकीकत निकले



लोग कहते है कि, तुम ने मुझ को बर्बाद कर दिया,
मुझे तो होश नही, तुमको खबर हो शायद ,



Dr.Shree Vijay 13-05-2014 11:08 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by rajnish manga (Post 501795)
इसी उम्मीद पे ख्वाबों से सजा ली नींदें
कभी मुमकिन है कोई ख्वाब हकीकत निकले



लोग कहते है कि, तुम ने मुझ को बर्बाद कर दिया,
मुझे तो होश नही, तुमको खबर हो शायद.....


bindujain 14-05-2014 07:06 AM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by dr.shree vijay (Post 501797)

लोग कहते है कि, तुम ने मुझ को बर्बाद कर दिया,
मुझे तो होश नही, तुमको खबर हो शायद.....


दिल की तसल्ली के लिए, झूठी चमक झूठा निखार
जीवन तो सूना ही रहा, सब समझे आयी हैं बहार

Dr.Shree Vijay 14-05-2014 11:31 AM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by bindujain (Post 501804)
दिल की तसल्ली के लिए, झूठी चमक झूठा निखार
जीवन तो सूना ही रहा, सब समझे आयी हैं बहार



रहे सलामत दुनियाँ उनकी !
जो मेरी ख़ुशी की फरियाद करते हैं !!
खुदा उन्हें खुशियाँ जिंदगी भर देना !
जो हमें याद करने में एक पल बर्बाद करते हैं !!


bindujain 15-05-2014 08:36 AM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by dr.shree vijay (Post 501895)

रहे सलामत दुनियाँ उनकी !
जो मेरी ख़ुशी की फरियाद करते हैं !!
खुदा उन्हें खुशियाँ जिंदगी भर देना !
जो हमें याद करने में एक पल बर्बाद करते हैं !!


होंटों को सी के देखिए पछताइयेगा आप
हंगामे जाग उठते हैं अकसर घुटन के बाद ।


Dr.Shree Vijay 15-05-2014 07:23 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by bindujain (Post 502289)
होंटों को सी के देखिए, पछताइयेगा आप
हंगामे जाग उठते हैं अकसर घुटन के बाद ।


दिल असीरी में भी आज़ाद है आज़ादों का,
वलवलों के लिए मुमकिन नहीं ज़िंदा होना.........


- ब्रिज नारायण चकबस्त



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