Re: ज़िन्दगी ... .
|
Re: ज़िन्दगी ... .
नाराज़ नहीं मै तुमसे ख़ुदा से खफा हूँ
करना होता है जुदा तो मिलाते क्यों हो ? सुना है हर मंजिल मिल जाती है ढूँढने से मगर मंजिल ही नहीं जिसकी वो रास्ता दिखाते क्यों हो ? बने नहीं रिश्ते इतने जितने टूट गए दूर करना ही था सबसे तो पास लाते क्यों हो ? नहीं जाती उन रिश्तों की याद दिल से भूलना ही था तो उन्हें याद दिलाते क्यों हो ? गर जख्न्म ही देना है तुम्हे बार-बार फिर इतना नाजुक दिल बनाते ही क्यों हो ? जानते हो सर झुकेगा नहीं मेरा भी तेरे दर पर फिर हर बार मुझे अजमाते क्यूँ हो ? |
All times are GMT +5. The time now is 01:24 AM. |
Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.