Re: गधा माँगे इन्साफ़
शीतला देवी ने घबड़ाकर कहा- ’यह.. यह फ़ोटो आपको कहाँ से मिली? यह फ़ोटो तो मैंने एक साल पहले तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं के एकमात्र सोशल नेटवर्किंग साइट देवबुक में लगाई थी और बाद में डरकर हटा भी दिया था।’ ’देव न्यूज’ के चीफ़ रिपोर्टर ने कहा- ’देवबुक से ही फ़ोटो निकाली थी हमने। हम प्रेस वालों की निगाहों से कोई नहीं बच सकता। और यह देखिए- इस फ़ोटोग्राफ़ में आप देवलोक ट्रांसपोर्ट आॅफ़ीसर को घूँस दे रही हैं।’
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तीनों देवियों ने सिर झुका लिया। देवराज इन्द्र ने क्रोधपूर्वक कहा- ’गधे पर अत्याचार का मामला प्रेस की नज़रों में आ चुका है। किसी तरह प्रेस का मुँह बन्द करिए। मामले को दबाइए। धरतीलोक और पाताललोक में पता चल गया तो देवी-देवताओं की कितनी बदनामी होगी!’
शीतला देवी ने ’देव न्यूज़’ के चीफ़ रिपोर्टर से मामले को दबाने के लिए कहा। |
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’देव न्यूज़’ के चीफ़ रिपोर्टर ने दाँत निकालते हुए कहा- ’यह बहुत बड़ा मामला है। देव वाहन पर एक साल तक अत्याचार हुआ है। इस अत्याचार में एक नहीं, तीन-तीन देवियाँ इन्वाल्व हैं। रेट कुछ ज़्यादा ही लगेगा। बस आप तीनों देवियाँ मिलकर पैंतालीस करोड़ स्वर्ण मुद्राएँ दे दीजिए। मामले को दबा दिया जाएगा। गधे को दुलत्ती मारने के आरोप में जेल भेज दिया जाएगा।’
गधे ने रोते हुए कहा- ’यह अन्याय है। मामले को मेरी आँखों के सामने लीपा-पोता जा रहा है।’ |
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देवराज इन्द्र ने ठहाका लगाते हुए गधे से कहा- ’देवी-देवताओं से उलझोगे तो इसी तरह मुँह की खाओगे, गधे। क्या तुम्हें पता नहीं- बड़े लोगों से नहीं उलझना चाहिए?’
उसी समय देवलोक कमिश्नर आॅफ़ पुलिस ने अपने दल-बल के साथ देवराज इन्द्र के दरबार में प्रवेश किया और गधे को चारों ओर से घेर लिया। शीतला देवी ने खुश होकर देवलोक कमिश्नर आॅफ़ पुलिस से कहा- ’अच्छा हुआ- डी॰एल॰सी॰पी॰ जी आप आ गए। गधे के कारण बहुत प्राॅब्लम क्रिएट हो रही है। आप गधे का एन्काउण्टर कर दीजिए। सारी प्राॅब्लम साॅल्व हो जाएगी।’ |
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गधा थर-थर काँपते हुए चिल्लाया- ’बचाओ-बचाओ, देवलोक की पुलिस मेरा एन्काउण्टर करना चाहती है।’
देवलोक कमिश्नर आॅफ़ पुलिस ने शीतला देवी से कहा- ’माफ़ कीजिए, शीतला देवी। मैं गधे का एन्काउण्टर करने नहीं आया। मैं कोर्ट के आर्डर से गधे को ’गदहा-प्लस’ सिक्योरिटी देने आया हूँ।’ |
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देवराज इन्द्र ने आश्चर्य से पूछा- ’एक गधे को गदहा-प्लस सिक्योरिटी? देवलोक की सबसे बड़ी सिक्योरिटी एक गधे को देने की क्या आवश्यकता है? गदहा-प्लस सिक्योरिटी जिसे मिलती है वह गधा समान बन जाता है। वह अपनी मर्ज़ी से हिल-डुल तक नहीं सकता। उसे हर काम गदहा-प्लस सिक्योरिटी के प्रोटोकाॅल के मुताबिक करना पड़ता है। आज तक किसी देवी या देवता को ’गदहा-प्लस’ सिक्योरिटी नहीं मिली! एक गधे को और गधा बनाने की क्या ज़रूरत है? मैं स्वयं सभी देवी-देवताओं का राजा हूँ किन्तु मेरे पास सिर्फ़ ’उल्लू-प्लस’ सिक्योरिटी है। तीनों लोकों को धन बाँटने वाली देवी लक्ष्मी के पास भी सिर्फ़ ’चींटी-प्लस’ सिक्योरिटी है!’
********************************** मच्छर को देखते ही गधा थर-थर काँपते हुए चिल्लाया- ’बचाओ-बचाओ, मुझे मच्छर से बचाओ। शीतला देवी ने चिकनगुनिया और डेंगू के वाइरस से लैस करके मच्छर को मुझे काटने के लिए भेजा है!’ शीतला देवी ने दौड़कर अपनी झाडू़ से गधे की नाक पर बैठे मच्छर को भगाना चाहा तो देवलोक कमिश्नर आॅफ़ पुलिस ने शीतला देवी को रोकते हुए कहा- ’माफ़ कीजिए। मुझे अपनी झाडू़ चेक करने दीजिए। हो सकता है- आपने अपनी झाडू़ में कोई भयानक हथियार छिपा रखा हो। गधे को अगर कुछ हो गया तो मेरी नौकरी चली जाएगी। आपसे मेरी अच्छी जान-पहचान है, मिली-भगत है, साँठ-गाँठ है तो इसका मतलब यह नहीं- मैं आपके लिए अपनी नौकरी दे दूँगा। पता है आपको- मेरा डेली की ऊपरी कमाई क्या है? एक करोड़ स्वर्ण मुद्राएँ!’ |
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शीतला देवी ने मुँह बनाकर देवलोक कमिश्नर आॅफ़ पुलिस को अपनी झाडू़ चेक करने के लिए दे दिया। झाडू़ की अच्छी तरह से जाँच-पड़ताल करने के बाद शीतला देवी को वापस करते हुए देवलोक कमिश्नर आॅफ़ पुलिस ने कहा- ’ठीक है। अब आप इस झाडू़ से मच्छर भगा सकती हैं। जल्दी कीजिए। नहीं तो अगर मच्छर ने गधे को काट लिया तो आप बेवजह फँस जाएँगी।’
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शीतला देवी ने जल्दी से दौड़कर अपनी झाडू़ से गधे की नाक पर बैठे मच्छर को भगाकर राहत की साँस लिया ही था कि गधे के सिर पर एक मक्खी आकर बैठ गई। गधे ने अपनी पूँछ से मक्खी को उड़ाना चाहा किन्तु देवलोक कमिश्नर आॅफ़ पुलिस ने अत्यधिक चुस्ती और फुर्ती दिखाकर गधे को ऐसा करने से रोक दिया और चीखते हुए कहा- ’सभी देवी-देवता ज़मीन पर लेट जाएँ। गधे के सिर पर एक मक्खी आकर बैठ गई है और हमें शक है कि यह मक्खी नहीं, मक्खी-बम है। चिन्ता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। देवलोक का बम-स्क्वाड दो मिनट में मक्खी-बम को डिफ्यूज़ कर देगा।’
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बम का नाम सुनते ही देवराज इन्द्र के दरबार में खलबली मच गई। देवराज इन्द्र घबड़ाकर अपने सिंहासन के पीछे जाकर छिप गए। अपनी जान बचाने के लिए ब्रह्मा ने छोटा रूप धारण लिया और सरस्वती की वीणा में घुसने की कोशिश करने लगे। सरस्वती ने गुस्से में आकर वीणा को गदे की तरह घुमाकर ब्रह्मा की पीठ पर जड़ते हुए कहा- ’शर्म नहीं आती वीणा में घुसते? तार-वार टूट गई तो क्या होगा?’ वीणा की ज़ोरदार मार खाकर ब्रह्मा फुटबाल की तरह उछल गए और इन्द्र-दरबार के रोशनदान से होते हुए धरतीलोक में बने अपने इकलौते मन्दिर की छत को तोड़ते हुए अपनी ही मूर्ति के सिर पर जाकर अटक गए। छोटे रूप में ब्रह्मा के साक्षात् दर्शन करके उनके भक्त जय-जयकार करने लगे। भगवान विष्णु सुरा के एक मटके में जाकर छिप गए। जिसको जहाँ जगह मिली वहाँ जाकर छिप गया।
******************* शीतला देवी दाँत पीसते हुए अन्य दोनों देवियों के साथ ज़मीन पर लेट गईं। देवलोक के बम-स्क्वाड ने अत्यन्त सावधानी के साथ थर-थर काँपते हुए गधे के सिर पर बैठी मक्खी की जाँच करने की कोशिश की तो मक्खी उड़कर शीतला देवी की नाक पर जाकर बैठ गई। बम-स्क्वाड ने घोषित करते हुए कहा- ’डरने की कोई बात नहीं है। यह मक्खी-बम नहीं, साधारण मक्खी है!’ |
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यह सुनकर सभी देवी-देवता चैन की साँस लेकर बाहर आ गए और अपने-अपने स्थान पर जाकर बैठ गए। नशे में धुत भगवान् विष्णु को गधे का मामला कुछ-कुछ समझ में आने लगा था। उन्हें ऐसा लगा जैसे देवराज इन्द्र का सिंहासन हिलने लगा है। भगवान् विष्णु ने मन ही मन में सोचा कि देवराज इन्द्र के सिंहासन पर अपना कब्ज़ा जमाने के लिए इससे अच्छा और बेहतर मौका अब नहीं मिलेगा। करोड़ों साल से उनकी वक्र दृष्टि देवराज इन्द्र के सिंहासन पर जमी हुई थी। लक्ष्मी की राय लेने के लिए भगवान् विष्णु ने प्रश्नवाचक दृष्टि से लक्ष्मी की ओर देखा। लक्ष्मी ने एक आँख मारकर और धीरे से सिर हिलाकर अपनी स्वीकृति प्रदान की। फिर क्या था? लक्ष्मी का इशारा मिलते ही हाथ आए मौक़े का फ़ायदा उठाने के लिए बीच में कूदते हुए भगवान् विष्णु ने सुरा के नशे में झूमते हुए कहा- ’धिक्कार है मुझ पर। पापियों का विनाश करने के लिए धरती पर जन्म लेता हूँ और देवलोक में इतना बड़ा घपला चल रहा है? इसे कहते हैं- चिराग़ तले अँधेरा। आज गधे के साथ इन्साफ़ होना चाहिए। नहीं तो.. आगे मैं कहूँगा नहीं, करके दिखाऊँगा।’
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