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ABHAY 08-12-2010 07:49 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
न लम्हों को कैसे ज़िन्दा करूं..
सांसें मैं लूं फ़िर भी पल-पल मरूं..

यादें.. यादें.. यादें.. तेरी यादें.. यादें.. यादें..
बातें.. बातें.. बातें.. तेरी.. बातें.. बातें.. बातें..

हल्की सी आहट हो तो लगे तुम आगये..
क्यूं तन्हा छोडकर मुझको रुला गये..

महफ़ूज़ है तू मेरी हर एक याद मैं..
बिखरा हुआ.. हुआ हूं बरबाद मैं..

यादें.. यादें.. यादें.. तेरी यादें.. यादें.. यादें..
बातें.. बातें.. बातें.. तेरी.. बातें.. बातें.. बातें..

मेहरूम हूं मैं तेरी हर एक बात से..
ना कोई नाता.. अब दिन और रात से..

हर लम्हा तड्प, हर लम्हा तेरी प्यास है..
जब से मैं हूं जुदा तेरे साथ से..

यादें.. यादें.. यादें.. तेरी यादें.. यादें.. यादें..
बातें.. बातें.. बातें.. तेरी.. बातें.. बातें.. बातें..

उन लम्हों को कैसे ज़िन्दा करूं..
सांसें मैं लूं फ़िर भी पल-पल मरूं..

ABHAY 08-12-2010 07:49 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
दिल कि हर धड़कन में बसती है तुम्हारी पिपाशा
है चंद्रमुखी ,है रूपवती ऐसी है मेरी "अभिलाषा"
जिनके सुर कोयल के सुर थे चंचलता हिरनों कि ,
जिनके अठ्ठासो में भरी हो झुर्मुता परियो कि
जिनके बोल पड़े जब श्रवनो को वन्प्रिया कि बोल फीकी पड़े
है चंद्रमुखी ,है रूपवती ऐसी है मेरी "अभिलाषा"

ABHAY 08-12-2010 07:50 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
तुम्हारी नज़रों से दूर, ना जाने ये वक्त कैसे गुजरता है।
आँखें बेरहम हो गयी मेरी, बस दिल तुझे याद करता है।
तुम्हारी नज़रों से दूर.......................................... .....
तेरी जज्बातों को अपने पलकों पे रखना चाहता हें, मगर दूर हें मैं।
तेरे संग बिताये लम्हों की कसम, तेरे संग रहना चाहता हें।
मगर मजबूर हें मैं।
मेरी पलकों पे तेरी याद बन के आंसू ना जाने कब टपकता है।
तुम्हारी नज़रों से दूर, ना जाने ये वक्त कैसे गुजरता है।

ABHAY 08-12-2010 07:51 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
तुम आखिर क्यूँ इतने गुरुर में होते हो ,
जब हम जागते हैं तुम चैन से सोते हो ,
पर ये जान लो की कुछ लोग हैं जो हमे पाने के लिए अपनी नींद तक खोते हैं ,
हमारी एक झलक पाने के लिए वे घुट घुट के रोते हैं ,
कही वक़्त ऐसा न हो कि
हम कभी अब चैन से सो जाएँ और आप सारी उम्र के लिए ही बेचैन से हो जाएँ.

ABHAY 08-12-2010 08:09 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
बीते हुए समय को आज फिर से याद कर रहा हूँ, आज फिर पुराने ख़यालों मे खो रहा हूँ, वही रोज दफ़्तर जाना, बोस की फाइलों से डरना, रोज यूँही सत्य को पिसते
हुए देखना, बाजार से हरी सब्जी लाना. और रत को सोते वक़्त तकिये पर सर रख कर सिगरेट सुलगते समय यही सोचना की अपनी चीता मे आग लगा रहा हूँ, और फिर शुबह नींबू वाली चाय भी तो पीनी है..............

ABHAY 08-12-2010 08:10 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
हमको यूं दिल से जुदा न करना॥
ये दिल मेरा टूट जाएगा॥
उड़ जायेगी खुशबू हमारी॥
गुलशन सूख जाएगा॥
जी ना पायेगे बिन तुम्हारे॥
बीता कल हमें रुलाएगा॥
बीती बातें सपने मेरे ॥
आके मुझे चिद्हायेगा ॥

ABHAY 08-12-2010 08:11 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
मेरी ग़ज़लों में ढल गया होगा
जाने कितना बदल गया होगा

धूप सर पर उतर गयी होगी
चाँद चेहरे का ढल गया होगा

बेसबब अश्क़ बह नहीं सकते
कोई पत्थर पिघल गया होगा

रास्तों को वो जानता कब था
पाँव ही था फिसल गया होगा

मंज़िलें दूर क्यूँ हुई हैं निज़ाम
रस्ता रस्ता बदल गया होगा

ABHAY 08-12-2010 08:12 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
तू वक्त का अपना शुक्र माना इससे भी बुरा हो सकता था
दुःख और बडे हो सकते थे गम और घना हो सकता था

वो दिन भी क्या दिन थे जब हम हक़ रखते थे इक दूजे पर
तू मुझसे खफा हो सकता था मैं तुझसे खफा हो सकता था

ये मौत ही है जिसने अब तक इन्सान को इंसा रक्खा है
गर मौत भी बस में आ जाती इंसान खुदा हो सकता था

तुने थोड़ी-सी जल्दी की ढल जाने दिया जो अश्कों में
गर ढलती अपनी गजलों में ये दर्द दावा हो सकता था

अच्छा ही हुआ कल महफ़िल में मुझ पर न पड़ी उसकी नजरें
वरना उसका भी भूला-सा कोई जख्म हरा हो सकता था

वो तो मैने हुशियारी से सच को न जुबाँ पर आने दिया
वरना ये जुबाँ कट सकती थी सर तन से जुदा हो सकता था

ABHAY 08-12-2010 08:12 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
सारे ही यकीं अपने तो वहमो-गुमाँ निकले
था दोस्त जिन्हे जाना वो दुश्मने-जाँ निकले

अंदाज इबादत का ऐसा हो तो कैसे हो
मस्जिद में भजन गूँजें मंदिर से अजाँ निकले

खोदो तो कहीं दिल की वीरान जमीनों को
मुमकिन है कहीं कोई बस्ती का निशाँ निकले

डाले ही रही डेरा हसरत मेरे सीने में
ता उम्र मेरे दिल के अरमाँ भी कहाँ निकले

उस दर्द के क्या कहने जिस दर्द को सहने में
आँखों से लहू टपके सीने से धुआँ निकले

कुछ कहते हुए अब तो रहता है यही खतरा
छीन जाये जुबाँ किस पर किस बात पे जाँ निकले

ABHAY 08-12-2010 08:13 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
बातें तो हजारों हैं मिलूं भी तो कहूँ क्या
ये सोच रहा हूँ कि उसे खत में लिखूँ क्या

आवारगी-ए-शौक़ से सड़कों पे नहीं हूँ
हालात से मजबूर हूँ मैं और करूं क्या

करते थे बोहत साज़ और आवाज़ की बातें
अब इल्म हुआ हमको कि है सोज़-ए-दुरूं क्या

मरना है तो सुकरात की मानिंद पियूं ज़हर
इन रंग बदलते हुए चेहरों पे मरूं क्या

फितरत भी है बेबाक सदाकत का नशा भी
हर बात पे खामोश रहूं, कुछ न कहूँ क्या

जिस घर में न हो ताजा हवाओं का गुज़र भी
उस घर की फसीलों में भला क़ैद रहूं क्या

मुरझा ही गया दिल का कँवल धूप में आरिफ
खुश्बू की तरह इस के ख्यालों में बसूँ क्या

ABHAY 08-12-2010 08:14 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
आज की रात भी गुज़री है मेरी, कल की तरह
हाथ आए न सितारे तेरे, आँचल की तरह

रात जलती हुई इक ऐसी चिता है जिस पर
तेरी यादें हैं सुलगते हुए, संदल की तरह

तू इक दरिया है मगर मेरी तरह पयसा है
मैं तेरे पास चला आऊँगा, बादल की तरह

मैं हूँ इक खवाब मगर जागती आंखों का 'आमिर'
आज भी लोग गँवा दें न मुझे, कल की तरह

हाथ आए न सितारे तेरे, आँचल की तरह
आज की रात भी गुज़री है मेरी, कल की तरह.........

ABHAY 08-12-2010 08:15 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे

तुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ हमें
तुम्हें भूलने में शायद मुझे ज़माना लगे

हमारे प्यार से जलाने लगी है ये दुनिया
दुआ करो किसी दुश्मन की बद_दुआ न लगे

नाजाने क्या है उसकी बेबाक आंखों में
वो मुँह छुपा के जाये भी तो बेवफा न लगे

जो डूबना है तो इतने सुकून से डूबो
के आस पास की लहरों को भी पता न लगे

हो जिस अदा से मेरे साथ बेवफाई कर
के तेरे बाद मुझे कोई बेवफा न लगे

वो फूल जो मेरे दामन से हो गए मंसूब
खुदा करे उन्हें बाज़ार की हवा न लगे

तुम आँख मूंद के पी जाओ जिंदगी 'कैसर'
के एक घूँट में शायद ये बद_मज़ा न लगे.....

ABHAY 08-12-2010 08:16 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये
कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिये

यहाँ दरख़्तों के साये में धूप लगती है
चलो यहाँ से चले और उम्र भर के लिये

न हो क़मीज़ तो घुटनों से पेट ढक लेंगे
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिये

ख़ुदा नहीं न सही आदमी का ख़्वाब सही
कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिये

वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता
मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिये

जियें तो अपने बग़ीचे में गुलमोहर के तले
मरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिये

ABHAY 08-12-2010 08:17 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
तेरी यादों के चिरागों को दिल में हम जलाएं है
मरकर भी ना भूलेंगें हम इतने जो जख्म खाए है
अफ़सोस तो इस बात का है साथी तू बिछड़ गया
अपने किये वादों से 'मितवा' तू मुकर गया
भूल गए सारे ओ त्याग, जो तुम्हें पाने में किये
ना पता ना ठिकाना ऐसे ही निकल गये
मील गयी साथी जो मंजिल, तो हँसते हुए चल दिए
मरकर भी ना भूलेंगें हम इतने जो जख्म दिए है
एक दिन तुम यूं छोड़ जाओगे, मैंने कभी सोचा नहीं
मेरे प्यार को तुम फर्ज समझोगे ऐ कभी सोचा नहीं
एक पल की भी देरी ना की मेरे दिल को जलाने में
सायद मुझे वक्त लग जाए मुझे तुम्हें भुलाने में
मरकर भी ना भूलेंगें हम इतने जो जख्म खाए है
मेरे होठो की हंसी छिन पलकों पर आँसूं दिए
किसी और की कुशियों में, अपनी पलके बिछा दिए
तेरे होठो की गर्म साँसे जो थी सिर्फ मेरे लिए
आज ओ साँसें किसी और की सरगम बनी
मेरी रातों की नीद गयी दिल की तडपन बठी
सीने से लगा तू आज किसी को चैन से सुला रही
मरकर भी ना भूलेंगें हम इतने जख्म जो तुम दिए

ABHAY 08-12-2010 08:33 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
बशीर बद्र को आम आदमी का शायर कहा जाए कि ख़ास ? या फिर आम-ओ-ख़ास का ख़ास शायर?.....

मुहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता, तो हाथ भी न मिला

घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया, कोई आदमी न मिला

तमाम रिश्तों को मैं घर में छोड़ आया था
फिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी न मिला

ख़ुदा की इतनी बड़ी क़ायनात में मैं ने
बस एक शख्स को माँगा, वही मुझे न मिला

बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी
वो मेरे साथ रहा, और मुझे कभी न मिला

ABHAY 08-12-2010 08:34 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
निकाह आ जनाज़ा

तेरी डोली उठी ,मेरी मैयत उठी ,
फूल तुझ पर भी बरसे ,फूल मुझ पर भी बरसे ,
फर्क इतना सा था ,
तूं सज गयी ,
मैं सजाया गया ..

तूं भी घर को चली , मैं भी घर को चला
फर्क इतना सा था...
तूं उठ के चली,
मैं उठाया गया ..

महफ़िल वहां भी थी, लोग वहां भी थे ,
फर्क इतना सा था ,
उनको हँसाना वहां, इनको रोना यहाँ

काजी उधर भी था , मौलवी इधर भी था,
दो बोल तेरे पढ़े , दो बोल मेरे पढ़े ,
फर्क इतना सा था ,
तुझे अपनाया गया , मुझे दफनाया गया

Kumar Anil 13-12-2010 10:39 AM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
हुस्न पर हिजाब जो ओढ़ा तुमने ,
यूँ लगा चाँद बादल मेँ सिमट गया ।
मेरी हथेली पर जो तेरे अश्क का कतरा लुढ़का ,
यूँ लगा दर्द तेरा खुद आकर
मुझसे लिपट गया ।।

Kumar Anil 13-12-2010 10:48 AM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
न फिर कहना कि हम बेवफा निकले ।
न फिर कहना कि वादे से हम फिसले ।
इंतहा - ए - इंतजार है अब तो ।
तू आये तो दम निकले ।।

lalit1234 15-12-2010 09:20 AM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
मत कुरेदो, न कुरेदो मेरी यादों का अलाव
क्या खबर फिर वो सुलगता हुआ लम्हा निकले

हमने रोका तो बहुत फिर भी यूँ निकले आँसू
जैसे पत्थर का जिगर चीर के झरना निकले

malethia 16-12-2010 05:30 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
जबसे वो हमसे और हम उनसे हैं मिलने लगे
जिन्दगी के सारे मायने ही बदलने लगे

ता उम्र तो अकेले तय किया सारा सफर
हुआ खत्म होने को सफर तो हमसफर मिलने लगे


बेवजह ही दिल धड़कता है कहाँ यूँ जोर से
लगता है इस दिल की गली से वो होके गुजरने लगे

यकीनन ही दिन बहारों के कुछ दूर अब नहीं रहे
उनके इधर आने से सारे मौसम बदलने लगे

बेशक कोई नायाब तोहफा खुदा ने है बख्शा हमे
गैर सब गुमसुम से हैं जो अपने थे जलने लगे

इतना हसीन हम सफर मिला भी तो किस मोड़ पर
जब खत्म सफर हो चला , दुनिया से हम चलने लगे

kamesh 02-01-2011 05:00 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
Quote:

Originally Posted by Kumar Anil (Post 30117)
हुस्न पर हिजाब जो ओढ़ा तुमने ,
यूँ लगा चाँद बादल मेँ सिमट गया ।
मेरी हथेली पर जो तेरे अश्क का कतरा लुढ़का ,
यूँ लगा दर्द तेरा खुद आकर
मुझसे लिपट गया ।।

wah kya bat kahi aap ne lagta hai chot gahri khayi hai

kamesh 02-01-2011 05:02 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
acha kiya dil na diya ham jese diwane ko
ham to use kho dete us anmol khajane ko

kamesh 02-01-2011 05:56 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
koyi hota jis ko apna ham apna kah lete yaron
pas nahi to door hi hota
lekin koyi mera apna

kamesh 02-01-2011 06:08 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
kuch to log kahenge logo ka kam hai kahna
chodo bekar ki baton men kahi bit na jaye rena

ABHAY 03-01-2011 03:29 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
अच्छी शायरी है भाई लगे रहो !

Kumar Anil 10-01-2011 09:29 AM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
वो तो पानी है जो आँखोँ से बह जाये ।
आँसू तो वो है जो तड़प के आँख मेँ रह जाये ।
वो दर्द क्या जो लफ्जोँ मेँ बयाँ हो ।
दर्द वो है जो आँख मेँ नजर आये । ।:think:

YUVRAJ 10-01-2011 10:18 AM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
बहुत ही सुन्दर लिखा है कुमार भाई जी :clap:...:clap:...:clap:...:bravo:
Quote:

Originally Posted by Kumar Anil (Post 38520)
......
............
वो दर्द क्या जो लफ्जोँ मेँ बयाँ हो ।
दर्द वो है जो आँख मेँ नजर आये । ।:think:


YUVRAJ 10-01-2011 10:19 AM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
तेरी मोहब्बत का निशान अभी बाकी है,
नाम लाबो पर है और जान अभी बाकी है,
क्या हुआ अगर देख कर मुह फेर लेते हो,
तस्सली है कि, शक्ल की पहचान
अभी बाकी है...

Sikandar_Khan 22-01-2011 06:10 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
कब से ये काँटों में हैं और ज़ख्म खाए हैं गुलाब?
अपने खूँ के लाल रंगों में नहाये हैं गुलाब।


फर्क इतना है हमारी और उसकी सोच में,
उसने थामी हैं बंदूकें, हम उठाये हैं गुलाब।


होश अब कैसे रहे, अब लड़खड़ाएँ क्यों न हम,
घोल कर उसने निगाहों में, पिलाये हैं गुलाब।


अब असर होता नहीं गर पाँव में काँटा चुभे,
ज़िन्दगी तूने हमें ऐसे चुभाये हैं गुलाब।


कुछ पसीने की महक, कुछ लाल मेरे खूँ का रंग,
तब कहीं जाकर ज़मीं ने ये उगाये हैं गुलाब।


खार होंगे, संग होंगे, और होगा क्या वहां?
इश्क की गलियों में साहिल किसने पाए हैं गुलाब?

Sikandar_Khan 07-02-2011 07:42 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
जी भर के रोये तो करार पाया,
इस ज़माने में किसने प्यार पाया,
ज़िन्दगी गुज़र रही है इम्तिहानो के दौर से,
इक ज़ख़्म भरा नहीं के दूसरा तैयार पाया...!!!

Sikandar_Khan 07-02-2011 07:45 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
रोने से जो करार मिलता तो हम भी रोते,
दुनिया के सितम य़ू हस के नहीं सहते,
हमारा ये हाल तो अपनों की मेहरबानी है,
वर्ना गेरो के दम पे इतना बर्बाद न होते...!!!

Sikandar_Khan 07-02-2011 07:46 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
क्या रखा ज़िन्दगी के अफसाने में,
कुछ गुजरी यार बनाने में,
कुछ गुजरी यार भुलाने में...!!!

Sikandar_Khan 07-02-2011 07:47 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
दगा दागने वाला भी कभी बेदाग़ नहीं होता,
यूँ तो दामन उसका भी साफ़ नहीं होता...!!!

Sikandar_Khan 07-02-2011 07:47 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
ज़िन्दगी बेतकलुफ़ हमें आज़माती रही,
हम भी खुले आम इसे आज़माते रहे,
अजीब सी इक कशमकश थी यह,
चोट खाते रहे मुस्कुराते रहे...!!!

sagar - 16-02-2011 09:16 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
Quote:

Originally Posted by kamesh (Post 20342)
सभी मित्रो को मेरा नमस्कार आज दिल में अक हुक सी उठी तो मेने यह सूत्र बनाया जिसमें आप सभी का सहयोग आशीर्वाद और प्यार चाहिए , मेरी सोच है की बिना दर्द के प्यार परवाना नहीं चढ़ता है और बिना चोट खाए प्यार की गहराई समझ में नहीं आती,तभी तो कहतें है "जब दर्द नहीं था सिने में तो खाक मजा था जीने में,अब के सावन हम भी रोयें सावन के महीने में" आप सभी आमंत्रित है अपने अनुबव ,गीत गजल और शायरी के साथ जो आप के दिल की गहराई से निकली हो

धन्यवाद

जब दर्द नही था सिने में तब खाक मजा था जीने में
अब के सायद हम भी रोये सावन के महीने में !

बहुत अच्छा प्रयास हे कामेश जी

sagar - 16-02-2011 09:21 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
Quote:

Originally Posted by sikandar (Post 47180)
जी भर के रोये तो करार पाया,
इस ज़माने में किसने प्यार पाया,
ज़िन्दगी गुज़र रही है इम्तिहानो के दौर से,
इक ज़ख़्म भरा नहीं के दूसरा तैयार पाया...!!!

लाजवाब सायरी हे सिकन्दर भाई !

Sikandar_Khan 27-02-2011 02:00 AM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
Quote:

Originally Posted by sagar - (Post 50600)
लाजवाब सायरी हे सिकन्दर भाई !

सागर भाई जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Sikandar_Khan 27-02-2011 02:01 AM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
अपने ही आप से लड़ता है दिल
एक सवाल बार बार करता है दिल

रोकते - रोकते रोक न सके
ऐसे मोड़ पर फिसलता है दिल

ख्वाहिशें अब और न रहीं
उसे ही पाने को तडपता है दिल

छोड़ दी परवाह ज़माने की
उसके लिए ही धड़कता है दिल

फूल ने हंसकर कहा
ऐसे क्यों मचलता है दिल

ABHAY 05-03-2011 07:09 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
फूंक दी जब से दिल में बसी बस्तियां
हर तरफ हैं मेरे मस्तियाँ - मस्तियाँ ..
अब रहे न रहे मुझको कोई डर नहीं
शौक से फूंक दे घर मेरा बिजलियाँ ..
गम न कर मान ले इसमें उसकी रज़ा
तट पे आके जो डूबें तेरी कश्तियाँ
आएँगी अब यकीनन नयी कोपलें
पेड़ से झर गयी हैं सभी पत्तियाँ
जो भी दीखता है सब कुछ है फानी यहाँ
देखते -देखते मिट गयीं हस्तियाँ .

ABHAY 05-03-2011 07:12 PM

Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
 
जीवन नाम हुआ करता है...

जीवन नाम हुआ करता है
मर्यादित प्रतिबंधों का ..
जिनकी केवल सुधियाँ करती
मन मरुथल को भी चन्दन वन
जग के हस्ताक्षर से वंचित
पर जिन से अनुप्राणित तन मन

जीवन नाम हुआ करता है
कुछ ऐसे संबंधों का ..
माना श्रम उद्यम रंग लाते
फिर भी रेखा खिची कहीं पर
जहाँ आकडे असफल होते
हारे सभी अनेक जतन कर

जीवन नाम हुआ करता है
विधि के लिखे निबंधों का ..
पिंजरा तो पिंजरा होता है
चाहें रत्नजटित हो जाए
मस्ती में स्वछन्द घूमता
राह राह बंजारा गए
जीवन नाम हुआ करता है
उड़ते हुए परिंदों का ...


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