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सिक्खों ने मुस्लिमों के लिए मस्ज़िद बनवाई
आज कल सोशल मीडिया पर ये तस्वीर वायरल हो गई है. अपने ट्विटर अकाउंट से इस तस्वीर को शेयर करने वाले व्यक्ति तस्वीर के साथ ये लिख रहे हैं कि एक सिक्ख व्यक्ति ने अपने पुराने मुस्लिम दोस्त के लिए मस्ज़िद बनावई है, जहां जाकर वह इबादत कर सके. |
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सिक्खों ने मुस्लिमों के लिए मस्ज़िद बनवाई
जानकारों के अनुसार 1947 में पार्टिशन के दौरान ध्वस्त हुई सरवरपुर की इस मस्जिद को वहां के सिक्खों ने मिल कर 11 मुस्लिम परिवारों और पाकिस्तान से आए प्रवासियों के लिए फ़िर से बनवाया था. सज्जन सिंह गुमन जो इंगलैंड के एक बिजनसमैन हैं, उन्होंने ही इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए आर्थिक सहायता दी है. उनका कहना है कि, “गांव के अधिकतर लोग सिक्ख हैं और उनके लिए गांव में गुरुद्वारा स्थित है. लेकिन गांव के मुस्लिमों को ईद और जुम्मे की नमाज़ के लिए 10 किलोमीटर दूर समराला शहर जाना पड़ता था.” “हम जानते थे कि उन्हें गांव में एक मस्ज़िद की ज़रूरत है,” ये कहना है गुमन के भाई जोगा सिंह का जो सरवरपुर के धनी किसान हैं. गावं के 300 सिक्ख व्यक्तियों और 11 मुस्लिम परिवारों ने मजदूरों के साथ मिलकर 63 साल पहले ध्वस्त हो चुकी मस्ज़िद के स्थान पर एक नई मस्ज़िद को बनाया जो सही में दोनों धर्मों के बीच प्रेम और भाईचारे का प्रमाण है. |
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ग्रम्पी कैट की मोटी कमाई
Grumpy Cat अमरीका की 28 वर्षीया टेबाथा बंडसन ने इंटरनेट की बदौलत मशहूर हुए “ग्रम्पी कैट” या नकचढ़ी बिल्ली के नाम के अपने बिल्ले की छवि से पिछले दो वर्षों में लगभग दस करोड़ डालर कमा लिए हैं, ‘डेली एक्सप्रेस’ अख़बार ने खबर दी है| सदा गुस्सैल नज़र आते इस बिल्ले का फोटो अनेक बिकाऊ वस्तुओं (टीशर्टों, मगों, आदि) पर छपा है और अनेक वस्तुओं के विज्ञापनों के लिए भी इसके फोटो खींचे गए हैं| अखबार ने लिखा है कि इस बिल्ली की मालकिन ने अपने बिल्ले के इस क्रोधमय स्वरूप से अनेक हॉलीवुड सितारों से भी अधिक कमाई कर ली है| मैडम तसोद म्यूज़ियम के सान फ्रांसिस्को केन्द्र में अब इसी बिल्ली की मोम की मूर्ति बनाई जा रही हैजिसे वर्ष के अंत तक प्रदर्शित कर दिया जायेगा. |
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पेरिस में किसान आन्दोलन व प्रदर्शन
http://economictimes.indiatimes.com/...or-protest.jpg मित्रो, पिछले कुछ सालों में हमने अपनी राजधानी दिल्ली में किसानों की समस्याओं पर ध्यान आकर्षित कराने वाले बहुत से आन्दोलन व विरोध प्रदर्शन देखे हैं. आज फ्रांस की खबर. अभी हाल ही में फ्रांस की राजधानी पेरिस के केन्द्रीय भाग में सैंकड़ों किसानो ने लगभग 1300 ट्रेक्टरों के साथ विरोध प्रदर्शन किया. ये किसान फ्रांस के सभी भागों से आये थे और खेती तथा अन्य स्रोतों से होने वाली आय के गिरते स्तर के विरोध में अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे थे. इन प्रदर्शनकारियों में अधिकतर लोग मवेशियों व दूध आधारित उत्पादों से जुड़े कारोबार करते हैं जिनकी कीमतें अन्तराष्ट्रीय बाजारों में लगातार गिरती जा रही हैं. |
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आज के जातिवाद और हिंदुत्व या इस्लाम के लिए लड़ने वालों को इस छोटे से गाँव के लोगों से सिख लेनी चाहिए गाँव छोटा पर कितनी एकता और अपनापन और सबसे बड़ी बात है समझ की , कि इनकी सोच कितनी ऊँची है और कितनी बड़ी है ... बहुत बहुत धन्यवाद भाई इतनी अछि जनहित की बातें यहाँ देने के लिए .
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चाय वाले ने लिखी है 25 से ज़्यादा किताबें
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हिंदी भवन, विष्णु दिगम्बर मार्ग, नई दिल्ली यह मात्र एक पता नहीं है बल्कि यहां से एक ऐसी गाथा शुरू होती है, जिसमें प्रेरणा भी है, पूंजीवाद से लड़ने की ताकत भी है और साहित्य के प्रति श्रद्धा भी है. चाय की दुकान चलाने वाले लक्ष्मण राव के पास लोग सिर्फ़ चाय पीने नहीं आते, बल्कि उनके द्वारा लिखी 25 से अधिक किताबों को पढ़ने और खरीदने भी आते है. 20 साल पहले लेखक बनने का सपना ले कर दिल्ली आये लक्ष्मण राव जब प्रकाशकों के पास अपनी रचना ले कर गये तो उन्हें दर-दर की ठोकरों के अलावा कुछ नहीं मिला. |
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फाइनली राव ने खुद अपनी किताबें निकालने का फ़ैसला लिया. 1992 में आई उनकी किताब 'रामदास' गुरु-शिष्य रिश्ते पर आधारित एक ऐसी किताब थी, जिसने बहुत वाह-वाही लूटी. इसके अलावा उनके द्वारा लिखित 'नर्मदा' का अंग्रेजी में भी अनुवाद हो चुका है.
हिंदी में मास्टर की डिग्री रखने वाले राव इन्टरनेट के प्रति खासी जानकारी नहीं रखते, पर अपने बड़े बेटे की सहायता से अपनी पहचान सोशल मीडिया पर बनाने में कामयाब हुए हैं. उनकी किताबें आज फ्लिप्कार्ट जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म के ज़रिये लोगों तक पहुंच रही हैं. |
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चाय बेचने वाले लक्ष्मण राव को बहुत से NGOs की तरफ़ से कई पुरस्कार मिले हैं. इसके अलावा उनकी रचनाओं को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रिरा गांधी और पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल भी उनसे मिल चुके हैं.
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अद़भुत मंदिर जहाँ बरसात की सूचना पहले ही मिल जाती है
http://24city.news/wp-content/upload...ir-110x110.jpg मंदिर का एक अन्य चित्र आगे दिया गया है भारत देश एक ऐसा देश है जो आश्चर्यो से भरा हुआ है। इस देश के हर राज्य के हर शहर के कोने-कोने में कोई न कोई अदुभुत जगह मौजूद है। ऐसी ही एक जगह है उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर जो की अपनी एक अनोखी विशेषता के कारण प्रसिद्ध है। इस मंदिर की विशेषता यह है की यह मंदिर बारिश होने की सुचना 7 दिन पहले ही दे देता है। आप शायद यकीन न करे पर यह हकीकत है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ का मंदिर है। यह मंदिर कानपुर जनपद के भीतरगांव विकासखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर पर बेंहटा गांव में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की खासियत यह है कि बरसात से 7 दिन पहले इसकी छत से बारिश की कुछ बूंदे अपने आप ही टपकने लगती हैं। हालांकि इस रहस्य को जानने के लिए कई बार प्रयास हो चुके हैं पर तमाम सर्वेक्षणों के बाद भी मंदिर के निर्माण तथा रहस्य का सही समय पुरातत्व वैज्ञानिक पता नहीं लगा सके। बस इतना ही पता लग पाया कि मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 11वीं सदी में हुआ था। उसके पहले कब और कितने जीर्णोद्धार हुए या इसका निर्माण किसने कराया जैसी जानकारियां आज भी अबूझ पहेली बनी हुई हैं, लेकिन बारिश की जानकारी पहले से लग जाने से किसानों को जरूर सहायता मिलती है। >>> |
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इस मन्दिर में भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और बहन सुभद्रा की काले चिकने पत्थर की मूर्तियां स्थापित हैं। वहीं सूर्य और पदमनाभम भगवान की भी मूर्तियां हैं। मंदिर की दीवारें 14 फीट मोटी हैं। वर्तमान में मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है। मंदिर से वैसी ही रथ यात्रा निकलती है जैसी पुरी उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर से निकलती है।
मौसमी बारिश के समय मानसून आने के एक सप्ताह पूर्व ही मंदिर के गर्भगृह के छत में लगे मानसूनी पत्थर से उसी घनत्वाकार की बूंदें टपकने लगती हैं, जिस तरह की बरसात होने वाली होती है। जैसे ही बारिश शुरू होती है वैसे ही पत्थर सूख जाता है। मंदिर के पुजारी दिनेश शुक्ल ने बताया कि कई बार पुरातत्व विभाग और आईआईटी के वैज्ञानिक आए और जांच की। न तो मंदिर के वास्तविक निर्माण का समय जान पाए और न ही बारिश से पहले पानी टपकने की पहेली सुलझा पाए हैं। हालांकि मंदिर का आकार बौद्ध मठ जैसा है। जिसके कारण कुछ लोगों कीमान्यता है कि इसको सम्राट अशोक ने बनवाया होगा, परन्तु मंदिर के बाहर बनेमोर और चक्र की आकृति से कुछ लोग इसको सम्राट हर्षबर्धन से जोड़ कर भी देखते हैं. |
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