Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
घर से हम निकले थे मस्जिद की तरफ़ जाने को
रिंद बहका के हमें ले गये मैख़ाने को ये ज़बां चलती है नासेह के छुरी चलती है ज़ेबा करने मुझे आय है के समझाने को आज कुछ और भी पी लूं के सुना है मैने आते हैं हज़रत-ए-वाइज़ मेरे समझाने को हट गई आरिज़-ए-रोशन से तुम्हारे जो नक़ाब रात भर शम्मा से नफ़रत रही दीवाने को Singer: Jagjit Singh |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
एक दीवाने को ये आये हैं समझाने कई
पहले मै दीवाना था और अब हैं दीवाने कई मुझको चुप रहना पड़ा बस आप का मुंह देखकर वरना महफ़िल में थे मेरे जाने पहचाने कई एक ही पत्थर लगे है हर इबादतगाह में गढ़ लिये हैं एक ही बुत के सबने अफ़साने कई मै वो काशी का मुसलमां हूं के जिसको ऐ ‘नज़ीर’ अपने घेरे में लिये रहते हैं बुतख़ाने कई Lyrics:Nazeer Banarasi Singer: Jagjit Singh |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
खुमारी चढ़ के उतर गई
ज़िंदगी यूं ही गुजर गई – 2 कभी सोते सोते कभी जागते ख़्वाबों के पीछे यू ही भागते अपनी तोः सारी उमर गई- 2 खुमारी चढ़ के उतर गई ज़िंदगी यूं ही गुजर गई रंगीन बहारों की ख्वाहिश रही हाथ मगर कुत्च आया नही- 2 कहने को अपने थे साथी कई साथ किसीने निभाया नही – 2 कोई भी हमसफ़र नही खो गई हर डगर कही कभी सोते सोते कभी जागते ख़्वाबों के पीछे यू ही भागते अपनी तोह सारी उमर गई – 2 खुमारी चढ़ के उतर गई ज़िंदगी यूं ही गुजर गई लोगों को अक्सर देखा है घर के लिए रोते हुए – 2 हम तोः मगर बेघर ही रहे घरवालों के होते हुए – 2 आया अपना नज़र नही – 2 अपनी जहाँ तक नज़र गई कभी सोते सोते कभी जागते ख़्वाबों के पीछे यू ही भागते अपनी तोः सारी उमर गई- 2 खुमारी चढ़ के उतर गई ज़िंदगी यूं ही गुजर गई पहले तोः हम सुन लेते थे शोर में भी शेह्नैया- 2 अब तोः हमको लगती है भीड़ में भी तन्हैया जीने की हसरत किधर गई – 2 दिल की कली बिखर गई कभी सोते सोते कभी जागते ख़्वाबों के पीछे यू ही भागते अपनी तोः सारी उमर गई- 2 खुमारी चढ़ के उतर गई ज़िंदगी यूं ही गुजर गई Lyrics: Shaily Shailender Singer: Jagjit Singh |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम,
एक दूसरे की याद में रोया करेंगे हम, आंसू छलक छलक के सतायेंगे रात भर, मोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हम, जब दूरियों की याद दिलों को जलायेगी, जिस्मों को चांदनी में भिगोया करेंगे हम, गर दे गया दगा हमें तूफ़ान भी ‘क़तील’, साहिल पे कश्तियों को डुबोया करेंगे हम, Singer: Jagjit Singh, Chitra Singh |
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तेरे खुशबु मे बसे ख़त मैं जलाता कैसे,
जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाये रखा, जिनको इक उम्र कलेजे से लगाए रखा, जिनका हर लफ्ज़ मुझे याद था पानी की तरह, याद थे मुझको जो पैगाम-ऐ-जुबानी की तरह, मुझ को प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह, तूने दुनिया की निगाहों से जो बचाकर लिखे, सालाहा-साल मेरे नाम बराबर लिखे, कभी दिन में तो कभी रात में उठकर लिखे, तेरे खुशबु मे बसे ख़त मैं जलाता कैसे, प्यार मे डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे, तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे, तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ, आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ, Singer: Jagjit Singh |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
ऐसी आंखें नही देखी, ऐसा काजल नही देखा,
ऐसा जलवा नही देखा, ऐसा चेहरा नही देखा, जब ये दामन की हवा ने, आग जंगल में लगा दे, जब ये शहरो में जाए, रेत में फूल खिलाये, ऐसी दुनिया नही देखी, ऐसा मंजर नही देखा, ऐसा आलम नही देखा, ऐसा दिलबर नही देखा, उस के कंगन का खड़कना, जैसा बुल-बुल का चहकना, उस की पाजेब की छम-छम, जैसे बरसात का मौसम, ऐसा सावन नही देखा, ऐसी बारिश नही देखी, ऐसी रिम-झिम नही देखी, ऐसी खवाइश नही देखी, उस की बेवक्त की बाते, जैसे सर्दी की हो राते, उफ़ ये तन्हाई, ये मस्ती, जैसे तूफान में कश्ती, मीठी कोयल सी है बोली, जैसे गीतों की रंगोली, सुर्ख गालों पर पसीना, जैसे फागुन का महीना, Singer: Jagjit Singh |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
उडो न कागा कारे, उडो न कागा कारे,
देह मिली जहे, अपने राम प्यारे, उडो न कागा कारे, उडो न कागा कारे, पंथ निहारे कामनी, लोचन परीर उसासा, पूर्ण की जाए पगना की सये, हर दरसन की आसा, उडो न कागा कारे, उडो न कागा कारे, कह कबीर जीवन पद्कारण, हर की पगत करी जये, एक अधार नाम नारायण, रसना राम रवि जये, उडो न कागा कारे, उडो न कागा कारे, Singer: Jagjit Singh |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
मुझसे मिलने के वो करता था बहाने कितने,
अब गुजारेगा मेरे साथ ज़माने कितने, मैं गिरा था तो बहुत लोग रुके थे लेकिन, सोचता हूँ मुझे आए थे उठाने कितने, जिस तरह मैंने तुझे अपना बना रखा है, सोचते होंगे यही बात न जाने कितने, तुम नया ज़ख्म लगाओ तुम्हे इससे क्या है, भरने वाले है अभी ज़ख्म पुराने कितने, Singer: Chitra Singh |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
हम तो हैं परदेस में देश में निकला होगा चाँद,
अपनी रात की छत पर कितना तन्हा होगा चाँद, जिन आंखों में काजल बनकर तैरी काली रात, उन आंखों में आंसू का इक कतरा होगा चाँद, रात ने ऐसा पेच लगाया टूटी हाथ से डोर, आँगन वाले नीम में जाकर अटका होगा चाँद, चाँद बिना हर दिन यूँ बीता जैसे युग बीते, मेरे बिना किस हाल में होगा कैसा होगा चाँद, |
Re: कुछ पल जगजीत सिंह के नाम :देवराज के साथ
दिल के उजले कागज़ पर हम कैसा गीत लिखें,
बोलो तुमको गैर लिखें या अपना मीत लिखें, नीले अम्बर की अंगनाई में तारों के फूल, मेरे प्यासे होटों पर है अंगारों के फूल, इन फूलों को आख़िर अपनी हार या जीत लिखें, कोई पुराना सपना दे दो और कुछ मीठे बोल, लेकर हम निकले है अपनी आखों के कश खोल, हम बंजारे प्रीत के मारे क्या संगीत लिखें, शाम खड़ी है एक चमेली के प्याले में शबनम, जमुना जी के ऊंगली पकड़े खेल रहा है मधुबन, ऐसे में गंगा जल से राधा की प्रीत लिखें |
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