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-   -   आधुनिक समाज में बिखरते परिवार (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=2542)

Nitikesh 18-04-2011 06:27 PM

Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
 
Quote:

Originally Posted by bhoomi ji (Post 76597)
पर एक बच्चे को अच्छा संस्कार देने की जिम्मेदारी किसकी बनती है?
क्या माँ बाप कि नहीं?
आपने ये तो सुना ही होगा कि माँ बच्चे की प्रथम पाठशाला होती है
उसके मुह से निकला हर एक शब्द उसके लिए पत्थर की लकीर बन जाता है जो जीवन पर्यंत उसे याद रहता है
ऐसे में अगर कोई बच्चा बिगड़ता है तो किसका दोष है?
एक वाकिया सुने
हमारे घर में एक महिला अपने ५ वर्षीय बच्चे के साथ आई थी
जब उस बच्चे से परिचय जानना चाहा तो हमने प्यार से उसे पुचकार कर उसका नाम पूछा....हम उसका जवाब सुनकर तो हतप्रभ रह गए///////
आप विश्वाश कीजिए वो ऐसे ऐसे शब्द कह रहा था जिसे कि कोई भी इस उम्र का बच्चा नहीं कहता होगा...और ऐसी ऐसी गालियाँ कि पूछो मत....सुनके तो रोंगटे खड़े हो गए
उसने हमें इतना बुरा भला कहा कि हमें तो ऐसा लगा कि हमने इसका नाम पूछ कर इतनी भारी गलती कर दी जैसे कि अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिरा दिया हो

उस समय तो मन किया कि इसे ऐसा सबक सिखा दें...फिर जैसे ही हमने उसे उसकी गलती के लिए कहाँ शुरू किया उसकी माँ बीच में पड़ गयी और अपने बेटे का पक्ष लेने लग गयी..........
हमें तो ये जानकार और भी आश्चर्य हुआ कि यह कैसी माँ है? जो अपने बेटे के प्यार में इतनी अंधी हैं कि इसे अब भले बुरे का ज्ञान भी जाता रहा...

अब आप बताइए वो बच्चा क्या सुखी जीवन जी पायेगा
और अब ये सुनिए आज उस बेटे ने अपनी माँ पर इतने अत्याचार कर दिए हैं कि माँ अब दर दर की ठोकरें खा रही है...बच्चा आज इतना बिगड चुका है कि अब वो जिन्दा भी है तो यही बहुत है..ऐसा कोई नशा नहीं है जो वो नहीं कर रहा है


ऐसे में भी आप कहेंगे कि माँ बाप को दोषी मत ठहराओ?
हम तो मानते हैं कि १०० प्रतिशत माँ बाप का हाथ होता है बच्चे का भविष्य बनाने और बिगाड़ने में

मैंने यह नहीं कहा की माता पिता का बच्चे के बिगरने कोई कोई हाथ नहीं है/
मैंने यही बात थोड़े सोम्य तरीके से कहने के लिए कहा था/
धन्यवाद

dev b 18-04-2011 06:27 PM

Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
 
Quote:

Originally Posted by draculla (Post 76605)
यहाँ मैं यह कहना चाहता हूँ की परिवार में कोई भी झगड़ा एक छोटी सी बात को लेकर होता है/
इगो तो होता ही है/चाहे कोई भी इस बात को माने या नहीं लेकिन कोई भी व्यक्ति अपने इगो को एक दो बार ही छोड़ सकता है/हर बार नहीं/
मैं यह नहीं कहता की एक ही बार में झगड़ा होता है/
लेकिन एक ही घटना बार बार होती है तो झगड़ा का रूप ले लेती है/

अगर दोनो ही पक्ष ईगो छोड़ दे तो झगडा ही ना हो मित्र

Nitikesh 18-04-2011 06:32 PM

Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
 
Quote:

Originally Posted by dev b (Post 76608)
अगर दोनो ही पक्ष ईगो छोड़ दे तो झगडा ही ना हो मित्र

यही तो समस्या है की घर में हर कोई अपने आप को बड़ा समझता है/
यदि औरत कमाती है तो वह अपना रौब जमाना चाहती है/
मर्द का जेनेटिक ढांचा ही ऐसा होता है की वह अपने आपको घर का सुप्रीम समझता है/
:think:

bhoomi ji 18-04-2011 06:32 PM

Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
 
Quote:

Originally Posted by dev b (Post 76594)
प्रिय मित्र ..ये सूत्र तो मैंने आज कल के समाज में टूटते परिवारों के बारे में बनाया है ....हां चर्चा जरुर की है सूत्र में उस परिवार की सचाई की एक उदाहरण के रूप में ...क्रप्या आप सूत्र के मूल को देखे मित्र
तभी आप इतने चिंतित दिखाई दे रहे हैं

चलो जानकार खुशी हुई कि आज के जमाने में भी कोई अपने दोस्तों के लिए इतना सोचता है और उसकी परेशानी पर सीदे एक सूत्र ही बना डाला
धन्य है आपकी दोस्ती
:hi::hi::bravo:



[/QUOTE]
दोस्त हम तो मजाक कर रहे थे
और खुश थे कि आज भी सच्ची दोस्ती कायम है :bravo::bravo:

MissK 18-04-2011 06:34 PM

Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
 
Quote:

Originally Posted by dev b (Post 76608)
अगर दोनो ही पक्ष ईगो छोड़ दे तो झगडा ही ना हो मित्र

आजकल इगो का युग है. उसमें बिना इगो के आप शायद ही सर्वाइव कर पाए..

dev b 18-04-2011 06:37 PM

Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
 
Quote:

Originally Posted by draculla (Post 76610)
यही तो समस्या है की घर में हर कोई अपने आप को बड़ा समझता है/
यदि औरत कमाती है तो वह अपना रौब जमाना चाहती है/
मर्द का जेनेटिक ढांचा ही ऐसा होता है की वह अपने आपको घर का सुप्रीम समझता है/
:think:

हा हा हा ...बिलकुल ठीक कहा मित्र

MissK 18-04-2011 06:37 PM

Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
 
Quote:

Originally Posted by draculla (Post 76610)
यही तो समस्या है की घर में हर कोई अपने आप को बड़ा समझता है/
यदि औरत कमाती है तो वह अपना रौब जमाना चाहती है/
मर्द का जेनेटिक ढांचा ही ऐसा होता है की वह अपने आपको घर का सुप्रीम समझता है/
:think:

औरत तो रौब ये सोच के जमाती है कि उसी काम के लिए पति महोदय पहले रौब जमाया करते थे.. अब या तो वे उसके लिए रौब जमाना छोड़े या फिर पत्नी का रौब भी सहन करे जैसे पत्नी करती थी. पक्ष ये है कि चाहे जेनेटिक ढांचा जैसा भी हो उससे ऊपर उठने के लिए ही तो बुद्धि विवेक नाम की चीजें होती हैं इंसान के पास...

bhoomi ji 18-04-2011 06:38 PM

Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
 
Quote:

Originally Posted by draculla (Post 76607)
मैंने यह नहीं कहा की माता पिता का बच्चे के बिगरने कोई कोई हाथ नहीं है/
मैंने यही बात थोड़े सोम्य तरीके से कहने के लिए कहा था/
धन्यवाद

पर हमें इसमे सोम्यता से ही तो कहा है
बस अपने अपने पशेप्सन हैं
देखने का अलग अलग नजरिया :cheers:

dev b 18-04-2011 06:38 PM

Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
 
Quote:

Originally Posted by bhoomi ji (Post 76612)



दोस्त हम तो मजाक कर रहे थे
और खुश थे कि आज भी सच्ची दोस्ती कायम है :bravo::bravo:[/QUOTE]

आप का बहुत धन्यवाद मित्र

dev b 18-04-2011 06:41 PM

Re: आधुनिक समाज में बिखरते परिवार
 
Quote:

Originally Posted by missk (Post 76616)
औरत तो रौब ये सोच के जमाती है कि उसी काम के लिए पति महोदय पहले रौब जमाया करते थे.. अब या तो वे उसके लिए रौब जमाना छोड़े या फिर पत्नी का रौब भी सहन करे जैसे पत्नी करती थी. पक्ष ये है कि चाहे जेनेटिक ढांचा जैसा भी हो उससे ऊपर उठने के लिए ही तो बुद्धि विवेक नाम की चीजें होती हैं इंसान के पास...

आप ने ठीक कहा काम्या जी ...परन्तु मेरा मानना ये है की अगर स्त्री काम काजी है तो उस को घर का काम नौकरानी से करवाना चाहिए


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