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-   -   अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें........... (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=9601)

bindujain 26-10-2014 07:36 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by rajnish manga (Post 535306)
हमारी दोस्ती कैसे निभेगी
कि हम इक दूसरे को जानते हैं

हमने चारो ओर की है ख़ाक छानी
दूर तक खोटे-खरे को जानते हैं

हों मुबारक तुम्हें दुनिया के खज़ाने लोगों
हमको मेहनत की ये थोड़ी कमाई है बहुत

मेराज फैज़ाबादी

rajnish manga 27-10-2014 06:48 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by bindujain (Post 535320)
हों मुबारक तुम्हें दुनिया के खज़ाने लोगों
हमको मेहनत की ये थोड़ी कमाई है बहुत

मेराज फैज़ाबादी


तू मिरे साथ नहीं है ये तो सच है लेकिन
मैं अगर झूठ न बोलूं तो अकेला हो जाऊं

(अहमद कमाल परवाज़ी)

bindujain 28-10-2014 05:13 AM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by rajnish manga (Post 535467)
तू मिरे साथ नहीं है ये तो सच है लेकिन
मैं अगर झूठ न बोलूं तो अकेला हो जाऊं

(अहमद कमाल परवाज़ी)


उधर से तुम इधर से कुछ कदम हम भी बढ़ायें
यूँही चलने से सच है फासले कम होते जाते हैं


नीरज गोस्वामी

rajnish manga 28-10-2014 11:06 AM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by bindujain (Post 535484)
उधर से तुम इधर से कुछ कदम हम भी बढ़ायें
यूँही चलने से सच है फासले कम होते जाते हैं


नीरज गोस्वामी

हाय, कल तक न थी प्यार में रस्मों की दरार
आज उस प्यार को छल ही गए, छलने वाले
घोल कर ज़हर अदावत का.....तुम्हारे दिल में
चाल अपनी यहाँ चल ही गए.......चलने वाले

(अल्हड़ बीकानेरी)

Dr.Shree Vijay 28-10-2014 05:51 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by rajnish manga (Post 535547)
हाय, कल तक न थी प्यार में रस्मों की दरार
आज उस प्यार को छल ही गए, छलने वाले
घोल कर ज़हर अदावत का.....तुम्हारे दिल में
चाल अपनी यहाँ चल ही गए.......चलने वाले

(अल्हड़ बीकानेरी)



लहरों पर कूदो उतर कर समंदरों में,
कोई कश्ती ख़ुद कभी किसी का साहिल नहीं होती ॥



rajnish manga 28-10-2014 09:15 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by dr.shree vijay (Post 535692)
लहरों पर कूदो उतर कर समंदरों में,
कोई कश्ती ख़ुद कभी किसी का साहिल नहीं होती ॥


तुझसे मैं दूर रहूँ बात अलग है लेकिन
कितना मुश्किल है तुझे दिल से भुलाया जाये

जो भी गुजरेगा मुसाफ़िर वो दुआएं देगा
आओ हर मोड़ पे इक दीप जलाया जाये

(सर्वत परवेज़ सहसवानी)

Dr.Shree Vijay 28-10-2014 09:37 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by rajnish manga (Post 535701)
तुझसे मैं दूर रहूँ बात अलग है लेकिन
कितना मुश्किल है तुझे दिल से भुलाया जाये

जो भी गुजरेगा मुसाफ़िर वो दुआएं देगा
आओ हर मोड़ पे इक दीप जलाया जाये

(सर्वत परवेज़ सहसवानी)




यह दिल असीरी में भी आज़ाद है आज़ादों का,
वलवलों के लिए मुमकिन नहीं ज़िंदा होना.......


(ब्रिज नारायण चकबस्त)


rajnish manga 28-10-2014 10:18 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by dr.shree vijay (Post 535706)
यह दिल असीरी में भी आज़ाद है आज़ादों का,
वलवलों के लिए मुमकिन नहीं ज़िंदा होना.......


(ब्रिज नारायण चकबस्त)

नहीं तुम पे इसका असर कोई, मुझे आज भी ये मलाल है
जो खिज़ां में हमने बदल दिये, वो ही चार दिन थे बहार के

(स्व. अख्तर नज़मी)

bindujain 29-10-2014 08:15 AM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
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Originally Posted by rajnish manga (Post 535708)
नहीं तुम पे इसका असर कोई, मुझे आज भी ये मलाल है
जो खिज़ां में हमने बदल दिये, वो ही चार दिन थे बहार के

(स्व. अख्तर नज़मी)


कमाल लोग वो लगते हैं मुझ को दुनिया में
जो बात बात पे बस कहकहे लगाते हैं


rajnish manga 29-10-2014 12:07 PM

Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
 
Quote:

Originally Posted by bindujain (Post 535767)
कमाल लोग वो लगते हैं मुझ को दुनिया में
जो बात बात पे बस कहकहे लगाते हैं


हिनाई हाथ दरवाजे से बाहर (मेहँदी वाले)
और उसमें चूड़ियां अच्छी लगी हैं

बिछुड़ते वक़्त ऐसा भी हुआ है
किसी की सिसकियाँ अच्छी लगी हैं

(मुहम्मद अलवी)


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