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Madhu 15-07-2010 08:44 PM

Ghazals of Jagjit Singh
 
Jagjit Singh with his better half, is single handedly responsible for changing the course of this genre of music known as Ghazals making it more ear friendly, melodic and mass oriented without poaching on the purity, which he has remarkably maintained. An Aquarian, he was born on the eighth day of February in the year 1941 at SriGanganagar in Rajasthan. His father Sardar Amar Singh Dhiman, a Government servant, originally hailed from Dalla village in Ropar district and his mother Sardarni Bachchan Kaur came from deeply religious Sokhi family of Ottallan village near Samralla. His siblings include four sisters and two brothers and he is fondly called Jeet by his family.

Madhu 15-07-2010 08:46 PM

Ye daulat bhi le lo
 

Madhu 15-07-2010 08:48 PM


Madhu 15-07-2010 08:49 PM


Madhu 15-07-2010 08:53 PM


Madhu 15-07-2010 08:55 PM


Madhu 15-07-2010 08:57 PM


Madhu 15-07-2010 08:58 PM


Madhu 15-07-2010 09:01 PM


Madhu 15-07-2010 09:04 PM


Madhu 15-07-2010 09:05 PM


Madhu 15-07-2010 09:07 PM


Madhu 15-07-2010 09:08 PM


Madhu 15-07-2010 09:13 PM


Madhu 15-07-2010 09:13 PM


Madhu 15-07-2010 09:21 PM


Madhu 15-07-2010 09:22 PM


Sameer 15-07-2010 09:27 PM

I like his voice a lot... he is the ghazal samrat of Bollywood....

Sameer 15-07-2010 09:27 PM


Sameer 15-07-2010 09:28 PM


Sameer 15-07-2010 09:29 PM


Sameer 15-07-2010 09:31 PM


Sameer 15-07-2010 09:32 PM


Sameer 15-07-2010 09:33 PM


Sameer 15-07-2010 09:34 PM


Sameer 15-07-2010 09:35 PM


Sameer 15-07-2010 09:37 PM


Sameer 15-07-2010 09:38 PM


Sameer 15-07-2010 09:40 PM


sony 28-10-2010 08:23 AM

great ghazals.. thanks for sharing.

kamesh 16-11-2010 01:48 PM

Re: Ghazals of Jagjit Singh
 
मधु जी
अति सराहनीय प्रयास
आप के इस सूत्र से हम कला रसिको को अमृत की धरा मिल गयी है
खूब पियेंगे आ आ के इस सूत्र में
बधाई आप को फिर से आचे सूत्र के लिए
तेरे आने की जब खबर महके तेरी खुसबू से सारा घर महके
को पोस्ट करें

jitendragarg 16-11-2010 05:54 PM

Re: Ghazals of Jagjit Singh
 


कामेश जी मधु जी न सही, हम तो आपकी पुकार सुन ही लेंगे! :)

omkumar 01-11-2012 09:21 AM

Re: Ghazals of Jagjit Singh
 
दोस्तों अब इस सूत्र में मैं जगजीत सिंह के गीतों के बोल पेश करूंगा :ind:

omkumar 01-11-2012 09:21 AM

Re: Ghazals of Jagjit Singh
 
किसका चेहरा अब मैं देखूं - Kiska Chehra Ab Main Dekhun (Jagjit Singh, Alka Yagnik)
Movie/Album: तरकीब (2000)
Music By: आदेश श्रीवास्तव
Lyrics By: निदा फाज़ली
Performed By: जगजीत सिंह, अलका याग्निक


चाँद भी देखा, फूल भी देखा
बादल, बिजली, तितली, जुगनू
कोई नहीं है ऐसा, तेरा हुसन है जैसा

मेरी निगाह ने ये कैसा ख्वाब देखा है
ज़मीं पे चलता हुआ महताब देखा है
मेरी आँखों ने चुना है तुझको, दुनिया देखकर
किसका चेहरा, अब मैं देखूं, तेरा चेहरा देखकर

नींद भी देखी, ख्वाब भी देखा
चूड़ी, बिंदिया, दर्पण, खुशबू
कोई नहीं है ऐसा, तेरा प्यार है जैसा
मेरी आँखों ने चुना है...

रंग भी देखा, रूप भी देखा
रस्ता, मंजिल, साहिल, महफ़िल
कोई नहीं है ऐसा, तेरा साथ है जैसा
मेरी आँखों ने चुना है...

बहुत खूबसूरत है आँखें तुम्हारी
बना दीजिये इनको, किस्मत हमारी
उसे और क्या चाहिए ज़िन्दगी में
जिसे मिल गयी है मोहब्बत तुम्हारी
मेरी आँखों ने चुना है...

omkumar 01-11-2012 09:22 AM

Re: Ghazals of Jagjit Singh
 
एक पुराना मौसम लौटा - Ek Purana Mausam Lauta (Jagjit Singh)
Movie/Album: मरासिम (1999)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: जगजीत सिंह


एक पुराना मौसम लौटा
याद भरी पुरवाई भी
ऐसा तो कम ही होता है
वो भी हो तनहाई भी

यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं
कितनी सौंधी लगती है तब माज़ी की रुसवाई भी
ऐसा तो कम...

दो-दो शक़्लें दिखती हैं इस बहके से आईने में
मेरे साथ चला आया है आप का इक सौदाई भी
ऐसा तो कम...

ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी है
उनकी बात सुनी भी हमने अपनी बात सुनाई भी
ऐसा तो कम...

omkumar 01-11-2012 09:22 AM

Re: Ghazals of Jagjit Singh
 
सलाम करता चलूँ - Salaam Karta Chaloon (Jagjit Singh)
Movie/Album: ईकोज़ (1985)
Music By: जगजीत सिंह
Performed By: जगजीत सिंह


हुजूर आपका भी एहतराम करता चलूँ
इधर से गुज़रा था, सोचा सलाम करता चलूँ

निगाह-ओ-दिल की यही आखरी तमन्ना है
तुम्हारी ज़ुल्फ़ के साये में शाम करता चलूँ

उन्हें ये जिद के मुझे देख कर किसी को न देख
मेरा ये शौक के सबसे कलाम करता चलूँ

ये मेरे ख़्वाबों की दुनिया नहीं सही लेकिन
अब आ गया हूँ तो दो दिन कयाम करता चलूँ

omkumar 01-11-2012 09:22 AM

Re: Ghazals of Jagjit Singh
 
मैं नशे में हूँ - Main Nashe Mein Hoon (Jagjit Singh)
Movie/Album: अ जर्नी (1999)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: शहीद कबीर
Performed By: जगजीत सिंह


ठुकराओ या अब के प्यार करो
मैं नशे में हूँ
जो चाहो मेरे यार करो
मैं नशे में हूँ

अब भी दिला रहा हूँ यकीन-ऐ-वफ़ा मगर
मेरा ना एतबार करो
मैं नशे में हूँ...

गिरने दो तुम मुझे, मेरा साग़र संभाल लो
इतना तो मेरे यार करो
मैं नशे में हूँ...

मुझको कदम-कदम पे भटकने दो वाइज़ों
तुम अपना कारोबार करो
मैं नशे में हूँ...

फ़िर बेखुदी में हद से गुज़रने लगा हूँ मैं
इतना ना मुझसे प्यार करो
मैं नशे में हूँ...

omkumar 01-11-2012 09:23 AM

Re: Ghazals of Jagjit Singh
 
तुम नहीं गम नहीं - Tum Nahin Gham Nahin (Jagjit Singh)
Movie/Album : अ जर्नी
Music By : जगजीत सिंह
Lyrics By : सईद राही
Performed By : जगजीत सिंह


तुम नहीं, गम नहीं, शराब नहीं
ऐसी तन्हाई का जवाब नहीं

गाहे-गाहे इसे पढ़ा कीजिये,
दिल से बेहतर कोई किताब नहीं
ऐसी तन्हाई...

जाने किस-किस की मौत आई है
आज रुख पे कोई नकाब नहीं
ऐसी तन्हाई...

वो करम उँगलियों पे गिनते हैं
ज़ुल्म का जिनके कुछ हिसाब नहीं
ऐसी तन्हाई...

omkumar 01-11-2012 09:23 AM

Re: Ghazals of Jagjit Singh
 
तुमको देखा तो ये ख़याल आया - Tumko Dekha To Ye Khayal Aaya (Jagjit Singh)
Movie/Album :साथ साथ (1982)
Music By :कुलदीप सिंह
Lyrics By :जावेद अख्तर
Performed By :जगजीत सिंह


तुमको देखा तो ये ख़याल आया
ज़िंदगी धूप तुम घना साया

आज फिर दिल ने इक तमन्ना की
आज फिर दिल को हमने समझाया

तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
हमने क्या खोया हमने क्या पाया

हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक़्त ने ऐसा गीत क्यों गाया

omkumar 01-11-2012 09:23 AM

Re: Ghazals of Jagjit Singh
 
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो - Tum Itna Jo Muskura Rahe Ho (Jagjit Singh)
Album/Movie : अर्थ (1983)
Music By : जगजीत सिंह, चित्रा सिंह
Lyrics By : कैफ़ी आज़मी
Performed By : जगजीत सिंह


तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या गम है जिसको छुपा रहे हो

आँखों में नमी, हंसी लबों पर
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो

बन जायेंगे ज़हर पीते पीते
ये अश्क जो पिए जा रहे हो

जिन ज़ख्मों को वक़्त भर चला है
तुम क्यों उन्हें छेड़े जा रहे हो

रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं से मात खा रहे हो


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