My Hindi Forum

My Hindi Forum (http://myhindiforum.com/index.php)
-   Hindi Literature (http://myhindiforum.com/forumdisplay.php?f=2)
-   -   श्री अटल जी की कविताएँ :......... (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=12289)

Dr.Shree Vijay 12-03-2014 07:07 PM

श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........



Dr.Shree Vijay 12-03-2014 07:14 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 


श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........


http://upload.wikimedia.org/wikipedi...b_vajpayee.jpg

लघु परिचय :
श्री अटल बिहारी वाजपेयी (जन्म दिसंबर २५, १९२४) १९९६ तथा १९९८ से मई २००४ तक भारत के प्रधान मंत्री थे । उनकाजन्म मध्य प्रदेश में ग्वालियर में हुआ था और वह जीवनभर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहते हुये भी रचनात्मकता के लिये पहचाने जाते रहे । वह भारतीय जन संघ की स्थापना करने वालों में से एक है और १९६८ से १९७३ तक वह उसके अध्यक्ष भी रह चुके हैं । १९५७ में वह पहली बार भारतीय संसद में चुने गये और १९७७ में जनता पार्टी की स्थापना तक वह उसके नेता रहे । मोरारजी देसाई की सरकार में वह १९७७ से १९७९ तक विदेश मंत्री रहे । १९८० में जनता पार्टी से असंतुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की। १९८० में बनी भारतीय जनता पार्टी के वे पहले अध्यक्ष भी रहे । वे राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी हैं । मेरी इक्यावन कविताएँ / अटल बिहारी वाजपेयी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह है ।

पत्रकारिता :
एक स्कूल टीचर के घर में पैदा हुए वाजपेयी के लिए शुरुआती सफ़र ज़रा भी आसान न था. 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर के एक निम्न मध्यमवर्ग परिवार में जन्मे वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर के ही विक्टोरिया ( अब लक्ष्मीबाई ) कॉलेज और कानपुर के डीएवी कॉलेज में हुई. उन्होंने राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर किया और पत्रकारिता में अपना करियर शुरु किया. उन्होंने राष्ट्र धर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन का संपादन किया.




Dr.Shree Vijay 12-03-2014 07:19 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 


श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........


http://4.bp.blogspot.com/-7dd15E9MIT...1600/atal1.jpg

मैंने जन्म नहीं मांगा था! :

मैंने जन्म नहीं मांगा था,
किन्तु मरण की मांग करुँगा।

जाने कितनी बार जिया हूँ,
जाने कितनी बार मरा हूँ।
जन्म मरण के फेरे से मैं,
इतना पहले नहीं डरा हूँ।

अन्तहीन अंधियार ज्योति की,
कब तक और तलाश करूँगा।
मैंने जन्म नहीं माँगा था,
किन्तु मरण की मांग करूँगा।

बचपन, यौवन और बुढ़ापा,
कुछ दशकों में ख़त्म कहानी।
फिर-फिर जीना, फिर-फिर मरना,
यह मजबूरी या मनमानी?

पूर्व जन्म के पूर्व बसी—
दुनिया का द्वारचार करूँगा।
मैंने जन्म नहीं मांगा था,
किन्तु मरण की मांग करूँगा।



Dr.Shree Vijay 12-03-2014 07:24 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 


श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........


http://amitology.files.wordpress.com...i-vajpayee.jpg

आओ फिर से दिया जलाएँ! :

आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अंधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।

आओ फिर से दिया जलाएँ

हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल
वतर्मान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।

आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियां गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ :.........



rajnish manga 13-03-2014 08:16 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 
अति सुन्दर आयोजन.



Dr.Shree Vijay 04-04-2014 04:02 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 470956)
अति सुन्दर आयोजन.





अभिप्राय व्यक्त करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.........



Dr.Shree Vijay 04-04-2014 04:07 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 


श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........


http://3.bp.blogspot.com/-1jhsVKwWXQ...1600/atal5.jpg

न दैन्यं न पलायनम् :

कर्तव्य के पुनीत पथ को
हमने स्वेद से सींचा है,
कभी-कभी अपने अश्रु और—
प्राणों का अर्ध्य भी दिया है।

किंतु, अपनी ध्येय-यात्रा में—
हम कभी रुके नहीं हैं।
किसी चुनौती के सम्मुख
कभी झुके नहीं हैं।

आज,
जब कि राष्ट्र-जीवन की
समस्त निधियाँ,
दाँव पर लगी हैं,
और,
एक घनीभूत अंधेरा—
हमारे जीवन के
सारे आलोक को
निगल लेना चाहता है;

हमें ध्येय के लिए
जीने, जूझने और
आवश्यकता पड़ने पर—
मरने के संकल्प को दोहराना है।

आग्नेय परीक्षा की
इस घड़ी में—
आइए, अर्जुन की तरह
उद्घोष करें :
‘‘न दैन्यं न पलायनम्।’’ :.........



Dr.Shree Vijay 04-04-2014 04:09 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 


श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........


http://2.bp.blogspot.com/-R1hHCemQ7W...1600/atal2.jpg

कौरव कौन, कौन पांडव :

कौरव कौन
कौन पांडव,
टेढ़ा सवाल है|
दोनों ओर शकुनि
का फैला
कूटजाल है|
धर्मराज ने छोड़ी नहीं
जुए की लत है|
हर पंचायत में
पांचाली
अपमानित है|
बिना कृष्ण के
आज
महाभारत होना है,
कोई राजा बने,
रंक को तो रोना है :.........



Dr.Shree Vijay 14-04-2014 05:27 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 


श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........


http://www.lkadvani.in/hin/images/stories/Atalji_02.jpg

क़दम मिला कर चलना होगा :

बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढ़लना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

कुछ काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा :.........



Dr.Shree Vijay 25-04-2014 06:52 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 


श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........


http://patriotsforum.org/wp-content/...0%E0%A5%80.jpg

हरी हरी दूब पर :

हरी हरी दूब पर
ओस की बूंदे
अभी थी,
अभी नहीं हैं|
ऐसी खुशियाँ
जो हमेशा हमारा साथ दें
कभी नहीं थी,
कहीं नहीं हैं|

क्काँयर की कोख से
फूटा बाल सूर्य,
जब पूरब की गोद में
पाँव फैलाने लगा,
तो मेरी बगीची का
पत्ता-पत्ता जगमगाने लगा,
मैं उगते सूर्य को नमस्कार करूँ
या उसके ताप से भाप बनी,
ओस की बुँदों को ढूंढूँ?

सूर्य एक सत्य है
जिसे झुठलाया नहीं जा सकता
मगर ओस भी तो एक सच्चाई है
यह बात अलग है कि ओस क्षणिक है
क्यों न मैं क्षण क्षण को जिऊँ?
कण-कण मेँ बिखरे सौन्दर्य को पिऊँ?

सूर्य तो फिर भी उगेगा,
धूप तो फिर भी खिलेगी,
लेकिन मेरी बगीची की
हरी-हरी दूब पर,
ओस की बूंद
हर मौसम में नहीं मिलेगी :.........



rajnish manga 08-05-2014 08:11 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 
मैं सोचता हूँ कि यहाँ अटल जी के जीवन से जुड़े कुछ प्रसंग देना अप्रासंगिक न होगा. जैसा कि हम सब जानते हैं कि अटलजी की वक्तृता के कायल बड़े बड़े लोग थे. लोग दूर दूर से उनका भाषण सुनने के लिये सभाओं में जाया करते थे. इसी सन्दर्भ में हम आपको कुछ महत्वपूर्ण बातें बताना चाहते हैं.

अटल जी के अनुसार उन्होने अपना पहला भांषण पाँचवी कक्षा में आयोजित एक वाद-विवाद प्रतियोगिता में दिया था। जहाँ अटक-अटक कर बोलने की वजह से उनकी बहुत हँसाई हुई थी। दरअसल तब वे अपना भाषंण रट कर गये थे। दृणसंक्लप अटल जी ने तभी ये निश्चय किया कि अब कभी भी रटकर भांषण नही बोलेगें। उनकी दृणसंक्लपता का ही परिणाम है कि उनके भाषणों को सुनने दूर-दूर से लोग आते हैं।

एक बार इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन था। अटल जी एवं रघुनाथ सिंह इस प्रतियोगिता में भाग लेने जा रहे थे। परन्तु ट्रेन लेट हो जाने की वजह से वो लोग, प्रतियोगिता समाप्त होने पर वहाँ पहुँचे। उस समय निर्णायक मंडल निर्णय तैयार कर रहे थे। परेशान हुए बिना अटल जी ने ट्रेन लेट होने की बात अध्यक्ष महोदय को बताई, महोदय ने उन्हे बोलने की इजाजत दे दी। अटल जी ने अपनी परिमार्जित और काव्यात्मक शैली में ऐसा उत्कृष्ट भाषण दिया कि उन्हे सर्वप्रथम वक्ता होने का पुरस्कार प्राप्त हुआ। उस निर्णायक मंडल में डॉ. हरिवंश बच्चन जी भी थे।

अटल जी की वाकपटुता का एक और प्रसंग है। एक बार वाद-विवाद का विषय था,हिन्दी राष्ट्रभाषा होनी चाहिए। अटल जी पक्ष के वक्ता थे और उनका जोङीदार विपक्ष का जिसे हिन्दी की जगह हिन्दुस्तानी का पक्ष लेना था। परन्तु ऐन वक्त पर उनके जोङीदार ने कहा कि, अटल में तो पक्ष में बोलने की तैयारी करके आया हुँ। विचलित हुए बिना अटल जी ने कहा कोई बात नही, आप पक्ष में बोल दीजीए। अटल जी बिना किसी तैयारी के प्रतिपक्ष के विषय पर बोले। उनके आत्मविश्वास का आलम ये था कि वे उस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान से पुरस्कृत हुए।

Dr.Shree Vijay 08-05-2014 09:47 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 499704)
मैं सोचता हूँ कि यहाँ अटल जी के जीवन से जुड़े कुछ प्रसंग देना अप्रासंगिक न होगा. जैसा कि हम सब जानते हैं कि अटलजी की वक्तृता के कायल बड़े बड़े लोग थे. लोग दूर दूर से उनका भाषण सुनने के लिये सभाओं में जाया करते थे. इसी सन्दर्भ में हम आपको कुछ महत्वपूर्ण बातें बताना चाहते हैं.

अटल जी के अनुसार उन्होने अपना पहला भांषण पाँचवी कक्षा में आयोजित एक वाद-विवाद प्रतियोगिता में दिया था। जहाँ अटक-अटक कर बोलने की वजह से उनकी बहुत हँसाई हुई थी। दरअसल तब वे अपना भाषंण रट कर गये थे। दृणसंक्लप अटल जी ने तभी ये निश्चय किया कि अब कभी भी रटकर भांषण नही बोलेगें। उनकी दृणसंक्लपता का ही परिणाम है कि उनके भाषणों को सुनने दूर-दूर से लोग आते हैं।


इस बेहतरीन प्रसंग को यहा अंकित कर इस सूत्र में आपने चार चाँद लगायें,
इसके लिए आपको हार्दिक साधुवाद, आगे भी ऐसें प्रसंगो को आप यहाँ अवश्य
अंकित करेंगे यही अभिलाषा करता हूँ.........



Dr.Shree Vijay 12-05-2014 07:07 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 


श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........


http://images.jagran.com/inext/Inext..._atal_bday.jpg

दूध में दरार पड़ गई :

ख़ून क्यों सफ़ेद हो गया?
भेद में अभेद खो गया।
बँट गये शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में कटार दड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई।

खेतों में बारूदी गंध,
टूट गये नानक के छंद
सतलुज सहम उठी,
व्यथित सी बितस्ता है।
वसंत से बहार झड़ गई
दूध में दरार पड़ गई।

अपनी ही छाया से बैर,
गले लगने लगे हैं ग़ैर,
ख़ुदकुशी का रास्ता,
तुम्हें वतन का वास्ता।
बात बनाएँ, बिगड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई :.........



Dr.Shree Vijay 04-06-2014 07:13 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........


http://www.bbc.co.uk/worldservice/ic...p_nocredit.jpg

क़दम मिला कर चलना होगा :


बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढ़लना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

कुछ काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा :.........



rafik 05-06-2014 09:32 AM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 
Quote:

Originally Posted by dr.shree vijay (Post 508162)

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :........

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ भी उनकी तरह ही अटल रहेगी

Dr.Shree Vijay 14-06-2014 06:41 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 
Quote:

Originally Posted by rafik (Post 508177)
श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ भी उनकी तरह ही अटल रहेगी

:iagree::iagree::iagree:

Dr.Shree Vijay 14-06-2014 06:52 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........


http://2.bp.blogspot.com/-UxzUfS9LFT...600/atal+g.jpg

मनाली मत जइयो :


मनाली मत जइयो, गोरी
राजा के राज में।

जइयो तो जइयो,
उड़िके मत जइयो,
अधर में लटकीहौ,
वायुदूत के जहाज़ में।

जइयो तो जइयो,
सन्देसा न पइयो,
टेलिफोन बिगड़े हैं,
मिर्धा महाराज में।

जइयो तो जइयो,
मशाल ले के जइयो,
बिजुरी भइ बैरिन
अंधेरिया रात में।

जइयो तो जइयो,
त्रिशूल बांध जइयो,
मिलेंगे ख़ालिस्तानी,
राजीव के राज में।

मनाली तो जइहो।
सुरग सुख पइहों।
दुख नीको लागे, मोहे
राजा के राज में :.........



Dr.Shree Vijay 10-07-2014 10:20 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........



Dr.Shree Vijay 08-08-2014 09:29 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........



Dr.Shree Vijay 08-09-2014 10:30 AM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........


http://amitology.files.wordpress.com...i-vajpayee.jpg
क्षमा याचना :


क्षमा करो बापू! तुम हमको,
बचन भंग के हम अपराधी,
राजघाट को किया अपावन,
मंज़िल भूले, यात्रा आधी।

जयप्रकाश जी! रखो भरोसा,
टूटे सपनों को जोड़ेंगे।
चिताभस्म की चिंगारी से,
अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे :.........



rafik 08-09-2014 03:39 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 
Quote:

Originally Posted by dr.shree vijay (Post 527500)

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........



क्षमा याचना :


क्षमा करो बापू! तुम हमको,
बचन भंग के हम अपराधी,
राजघाट को किया अपावन,
मंज़िल भूले, यात्रा आधी।

जयप्रकाश जी! रखो भरोसा,
टूटे सपनों को जोड़ेंगे।
चिताभस्म की चिंगारी से,
अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे :.........



सुंदर कविताए

rajnish manga 17-08-2018 11:14 AM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 
कल यानि 16 अगस्त 2018 को अटल जी अपनी इहलीला समाप्त कर स्वर्गारोहण कर गए. आज हम उन्हें श्रद्धापूर्वक याद करते हैं और उनकी कविता में उन्हें ढूंढने का प्रयास करते हैं.

rajnish manga 20-08-2018 06:24 PM

Re: श्री अटल जी की कविताएँ :.........
 
Quote:

Originally Posted by dr.shree vijay (Post 478698)


श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ :.........


http://2.bp.blogspot.com/-r1hhcemq7w...1600/atal2.jpg

कौरव कौन, कौन पांडव :

कौरव कौन
कौन पांडव,
टेढ़ा सवाल है|
दोनों ओर शकुनि
का फैला
कूटजाल है|
धर्मराज ने छोड़ी नहीं
जुए की लत है|
हर पंचायत में
पांचाली
अपमानित है|
बिना कृष्ण के
आज
महाभारत होना है,
कोई राजा बने,
रंक को तो रोना है :.........




आज के युग को रेखांकित करती एक सुंदर कविता.


All times are GMT +5. The time now is 09:16 PM.

Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.