शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
1 Attachment(s)
जन्मदिन (11 अक्टूबर) पर विशेष |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
यह सर्वविदित है कि अमिताभ बच्चन की पीढ़ी के किसी कलाकार को भारतवासियों का उतना प्यार और सम्मान नहीं मिला जितना स्वयं अमिताभ बच्चन को मिला है. यह उनके चाहने वालों का प्यार ही था जिसने बीबीसी द्वारा प्रायोजित ऑन-लाइन चुनाव में उन्हें पिछली शताब्दी के थियेटर या सिनेमा की महानतम शख्सियत या पिछली शताब्दी का “महानायक” का खिताब दिलवाया. इस पोल में अमिताभ ने लॉरेन्स ओलिवियर, चार्ली चेपलिन और मार्लोन ब्रेनडो जैसे दिग्गज कलाकारों को भी पीछे छोड़ दिया. |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
बिग बी के नाम से जाने जाने वाले अमिताभ बॉलीवुड के शहेंशाह भी कहे जाते है| 40 साल से अधिक गुज़ारने के बाद भी आज बॉलीवुड में उनके कद के सामने कोई नहीं है और की उम्र में भी आज वे बॉलीवुड के सबसे व्यस्त अभिनेताओं में गिने जाते है| शुरू में जिस बाहरी आवाज़ के कारणनिर्देशकों ने अमिताभ को अपनी फिल्मों से लेने को मना कर दिया था, वही आवाज़ आगे चलकर उनकी विशिष्टता बनी| 40 साल से अधिक के करियर में उन्हें दर्शकों ने अनेको नाम दिए: बिग बी, शहेंशाह, एंग्री यंग मेन आदि| अमिताभ ने न सिर्फ बड़े परदे पर खुद को साबित किया पर छोटे परदे पर भी नए आयाम स्थापित किये| धारावाहिक 'कौन बनेगा करोडपति' से उन्होंने अपनी जिंदगी की नयी पारी की शुरुआत की थी और एक के बाद एक नया उच्चमान हासिल करते गए| एक अभिनेता के आलावा, अभिताभ एक गायक, निर्माता और सांसद की भूमिका भी निभा चुके है|
अमिताभ की फ़िल्में 1. 1975 में उन्होंने कई तरह की फिल्मों में काम किया जिनमे 'चुपके चुपके' बेहद लोकप्रिय रही| 1975 में उन्होंने यश चोपड़ा की फिल्म ’दीवार’ में काम किया और ये अब तक की उनकी सबसे सफल फिल्म रही| इस फिल्म के संवाद, जैसे "मेरा बाप चोर है", "मेरे पास माँ है", आज भी दर्शकों के ज़हन में बैठे है| उनकी अगली फिल्म आई ‘शोले’ जिसने बॉलीवुड के सारे उच्चमान तोड़ दिए और अमिताभ को बॉलीवुड के शीर्ष अभिनेताओं में ला खड़ा किया| बच्चन ने फिल्म जगत के कुछ शीर्ष के कलाकारों जैसे धर्मेन्द्र, हेमा मालिनी, संजीव कुमार, जया बच्चन और अमजद खान के साथ जयदेव की भूमिका अदा की थी। 2. 1978 में उन्होंने उस साल की 4 सबसे बड़ी फिल्मों में काम किया - 'कसमे वादे', ‘डॉन’, ‘त्रिशूल’ और ' मुक़द्दर का सिकंदर' | ‘डॉन’ में उन्होंने एक कुख्यात सरगना का किरदार निभाया और उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला| फिल्म ‘त्रिशूल’ और 'मुक़द्दर का सिकंदर' से उन्होंने माँ-बेटे के प्रेम पर बनने वाली थीम को आगे बढाया जो दर्शकों को बेहद पसंद आई और इन फिल्मों के संवादों ने इतिहास में अपनी जगह बना ली| उनकी अगली फिल्में, 'नटवरलाल', 'काला पत्थर', 'दोस्ताना', ‘सिलसिला’ उनकी सफल फिल्मों की सूची को बड़ा करती गयी| 3. 1999 में बीबीसी ने ‘शोले’को इस शताब्दी की सबसे बेहतरीन फिल्म बताया और दीवार की तरह इसे इंडियाटाइम्स मूवियों में बालीवुड की शीर्ष 25 फिल्मों में शामिल किया। उसी साल 50 वें वार्षिक फिल्म फेयर पुरस्कार के निर्णायकों ने एक विशेष पुरस्कार दिया जिसका नाम 50 सालों की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म फिल्मफेयर पुरूस्कार था। बॉक्स ऑफिस पर शोले जैसी फिल्मों की जबरदस्त सफलता के बाद बच्चन ने अब तक अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया था और 1976 से 1984 तक उन्हें अनेक सर्वश्रेष्ठ कलाकार वाले फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार और अन्य पुरस्कार एवं ख्याति मिली। उनका सुनहरा दौर आगे बढा और उन्होंने 'कभी कभी' और ‘अमर अकबर एंथनी’ जैसी सफल फिल्में दी| ‘अमर अकबर एंथनी’ के लिय उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी मिला| 4. उसके बाद तो ना जाने कितनी ही फिल्मों ने अमिताभ के शानदार अभिनय की बदौलत सफलता की बुलंदियों को छुआ. नब्बे के दशक में एक बार फिर बिग बी के कॅरियर में बुरा वक़्त आया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आगे बढ़ते रहे. वर्ष 2000 में आई फिल्म 'मोहब्बतें' ने बिग बी को एक बार फिर सफलता के शिखर पर पहुंचा दिया. उसके बाद तो वो छोटे पर्दे पर भी 'कौन बनेगा करोड़पति' और 'बिग बॉस' जैसे शो लेकर आए जो बेहद सफल रहे. |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
अमिताभ बच्चन
(साभार: पुण्य प्रसून बाजपेयी द्वारा लिया गया एक इंटरव्यू) हरिवंशराय बच्चन के बेटे हैं, नेहरू परिवार के क़रीबी, उस दशक को देखा, उस दौर को देखा जिस दौर में इमरजेंसी, उस दौर को देखा जब राजनीति हाशिए पर, जनता के बीच एक कुलबुलाहट... तमाम चरित्रों को जीने के बाद अब लगता है कि समाज में एक जिन्न की जरूरत आन पड़ी है? काश कि ऐसा हो सकता, तो मैं अवश्य जिन्न बनता और बहुत सारे सुधार लाने का प्रयत्न करता। लेकिन हूँ नहीं ऐसा। इस फ़िल्म के जरिए लगता नहीं है कि वो तमाम मिथ टूटेंगे, जो नॉस्टालजिआ है आपको लेकर? नहीं, ऐसा तो नहीं है। मैं नहीं मानता हूँ कि... ये जीवन है, ये संसार है, इसमें मुलाक़ातें होती रहती हैं, लोग बिछड़ जाते हैं, नए मित्र मिलते हैं, सब जीवन है, इसके साथ हम... ये नॉस्टेलजिआ हमने देखा कि हाल में जब छोटे पर्दे पर आप दुबारा आए बिग बी के जरिए, तो शुरुआत में उन तमाम चरित्रों के उन बेहतरीन डायलॉग्स को दुबारा दिखाया गया, जिसके जरिए आपकी पहचान है और लोगों की कहें तो आप शिराओं में दौड़ते थे। उसको उभारने की जरूरत क्यों पड़ी? क्योंकि मेरे ख्याल से आपकी छवि उसी में दिखाई देती है। ये जो प्रोड्यूसर हैं टेलिविज़न चैनल के, उनकी ऐसी धारणा थी कि इस तरह का कुछ एक प्रज़ेंटेशन करना चाहिए.ये उनका क्रियेटिव डिसीज़न था। मेरी उसमें कोई भूमिका नहीं है। ये केवल किरदार हैं और यदि लोग उन किरदारों से मेरा संबंध बनाना चाहते हैं, तो मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ। |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
अमिताभ बच्चन महज एक किरदार हैं?
सिनेमा के लिए... और व्यक्तिगत जीवन में एक अलग किरदार है। निजी जीवन का निर्णय था या सिनेमाई जीवन की तर्ज पर निर्णय था कि कभी राजनीति में आ गए थे आप? हाँ, उसमें व्यक्तिगत निर्णय था ये। हमारे मित्र थे राजीवजी और लगा कि उस समय जो दुर्घटना हुई देश में, उस समय एक नौजवान देश की बागडोर को सम्हालने के लिए खड़ा हो रहा है। तो ऐसा मन हुआ कि हमें उसके साथ रहना चाहिए, उसके पीछे रहना चाहिए, उसका हाथ बँटाना चाहिए, तो हमने अपने आप को समर्पित किया और उन्होंने हमसे कहा कि आप चुनाव लड़िए, तो हम इलाहाबाद से चुनाव लड़ गए और भाग्यवश उसे जीत गए बहुत ही दिग्गज हेमवती नन्दन बहुगणा जी के सामने। और फिर जब पार्लियामेंट में आए और धीरे-धीरे जब राजनीति को बहुत निकट से देखने का अवसर मिला, तो लगा कि हम इस लायक नहीं है कि हम राजनीति कर सकें, हमें राजनीति आती नहीं थी और हमने अपने आप को असमर्थ समझा राजनीति में रहने के क़ाबिल और इसलिए हमने वहाँ से त्यागपत्र दे दिया। आपकी हम एक किताब देख रहे थे, सुदीप बंधोपाध्याय ने लिखी है, उस पीरियड में आपने कहा है कि पिताजी कहते थे कि जिन्दगी में मन का हो तो अच्छा और न हो तो बहुत अच्छा... ज़्यादा अच्छा। ...तो ज्यादा अच्छा, तो आपको क्या लगता है कि ज्यादा अच्छा हुआ कि कम अच्छा हुआ? ज़्यादा अच्छा हुआ। |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
और व्यक्तिगत तौर पर आपके जीवन में सब कुछ ज्यादा ही अच्छा होता रहा है?
जब कभी ऐसा लगा कि मन का नहीं हो रहा है या मन के अन्दर ऐसी भावना पैदा हुई कि अरे! यदि ये ऐसा क्यों नहीं हुआ, ये तो ग़लत हो गया... लेकिन फिर थोड़ी-सी सांत्वना हम लेते हैं जो बाबूजी की सिखाई बातें हैं, कि अगर हमारे मन का नहीं हो रहा है तो फिर ईश्वर के मन का हो रहा है। और फिर वो तो हमारे लिए अच्छा ही चाहेगा। कुछ पीड़ा नहीं होती है कि एक दौर में अमिताभ बच्चन सिल्वर स्क्रीन के जरिए लोगों के अन्दर समाया हुआ था... वो कह सकते हैं कि वो टीम-वर्क था, सलीम-जावेद की अपनी जोड़ी थी, किशोर कुमार का गीत था, लेकिन धीरे-धीरे जो सारी चीजें खत्म होती गयीं, तो अमिताभ भी खत्म होता गया। कलाकार के जीवन में होगा ऐसा। एक बार शुरुआत में अगर आप चरम सीमा छू लेंगे तो वहाँ से फिर आपको नीचे ही उतरना है। ये जीवन है। नहीं-नहीं, चरम पर तो अब भी आप ही हैं... नहीं-नहीं, ऐसा कहना ग़लत है। न... कोई और लगता है? और क्या, बहुत सारे। जितनी नौजवान पीढ़ी है, वो सब है। नहीं, नौजवान पीढ़ी उम्र के लिहाज से है। हम एक्टिंग के लिहाज से कह रहे हैं। नहीं-नहीं, वो तो जनता बताएगी न। जनता तो बताती है। तभी तो आपको एक्सेप्ट करती है। तो ये मेरा भाग्य है कि कुछ फ़िल्में जो हैं देख लेती है, कुछ नहीं देखती है, कुछ उसकी आलोचना करती है। पर ये उम्र के साथ होगा... अब धीरे-धीरे हमारा जो है शान्ति हो जाएगी, हमारी जो लौ है वो धीमी पड़ जाएगी और एक दिन बुझ जाएगी। |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
अक्सर कहते थे... कि उस दौर में आपसे पूछा जाता था कि ये आक्रोश आपके भीतर कहाँ से आता है? आप कहते मैंने वो पीड़ा देखी है, पीड़ा भोगी है, पिता के संघर्ष को देखा है। नहीं, मैंने ये कहा था कि मैं मानता हूँ कि प्रत्येक इंसान के अन्दर कहीं-न-कहीं क्रोध होता है, और वो सबके अन्दर होता है और यदि उसके साथ अन्याय होगा तो वो क्रोध निकलता है। मेरे अन्दर से इस प्रकार से निकला जिस प्रकार लेखकों ने जो पटकथा थी, उसे लिखा और जिस प्रकार जनता ने जो देखा, उसे पसंद आया, तो वो एक व्यवसाय बन गया। लेकिन मैं ऐसा मानता हूँ कि आपके अन्दर भी उतना ही क्रोध है जितना मेरे अन्दर है और यदि आपके साथ भी वही अन्याय होगा जो आम आदमी के साथ होता है, तो आपके अन्दर से भी वही क्रोध निकलेगा। उसमें कोई ऐसी बड़ी बात नहीं है। अब नहीं आता है किसी बात पर क्रोध? नहीं, अब आता है और उसे हम व्यक्त भी करते हैं। मसलन? कई ऐसी बातें होती हैं, निजी बातें होती हैं, व्यक्तिगत बातें होती हैं। |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
3 Attachment(s)
|
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
1 Attachment(s)
|
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
|
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
कोई पीड़ा नहीं होती है कि जिस मित्र की वजह से आप उस चीज को छोड़ के आ गए जो आपके जीवन का एक बड़ा हिस्सा था, एक सपना था? आप राजनीति में आ गए और उसी परिवार की वजह से आपको कहना पड़ता है “वो राजा हैं, हम रंक हैं”। ये सब भाव कहीं आता है?
मैंने उस बात से कभी अपने आप को दूर नहीं किया है। मैं तब भी मानता था और अब भी मानता हूँ। आप छवि देखते हैं अपने मित्र की राहुल के भीतर? हो सकता है... नहीं, आप देखते हैं? वो हमारे सामने पैदा हुए हैं और वो होनहार हैं, शिक्षित हैं और उनके हृदय में, मैं ऐदा मानता हूँ, दिल है। नहीं, अकस्मात राजीव गांधी को देश सम्हालना पड़ा था। अकस्मात आपका आगमन हो गया था। शायद कहा गया बाद में कि आपने भावावेश में एक निर्णय ले लिया था? हो सकता है। मैंने स्वयं माना है इस बात को कि ये एक भावनात्मक निर्णय था और मैं ऐसा मानता हूँ कि राजनीति में भावना जो है, उसका कोई दर्जा नहीं होता है। भावनाएँ मायने नहीं रखती हैं? नहीं। ईमानदारी? हो सकता है। मैं ऐसा मानाता हूँ कि बहुत से लोग हैं जो ईमानदारी से राजनीति करते हैं। वो चलती है, नहीं चलती – इसका मैं विवरण नहीं कर सकता। वो लायक हैं, समझदार हैं, पढ़े-लिखे हैं... जी, सभी हैं। |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
एक सवाल बताइएगा। आखिरी सवाल आपसे जानना चाहेंगे कि ये आपका कमाल है या आपको लगता है कि हर चीज़ सिनेमाई हो गयी है। क्योंकि जब सिलसिला आयी थी तब ये कहा गया था कि अमिताभ बच्चन ही वह शख्स है जो पत्नी को भी ले आया और रेखा जी को भी ले आया...
वो दो कलाकार की हैसियत से लाए हम... हम उसको आगे बढ़ा रहे हैं, उसको आगे बढ़ा रहे हैं... और एक वो दौर आता है जहाँ बेटा भी है, बहू भी है। सभी करेक्टर्स एक साथ स्क्रीन पर हैं। अगर निर्देशक की नज़रों में कोई ऐसा कलाकार है, जो उनको लगता है कि ये सही है, ये जो सक्षम है इस रोल को निभाने के लिए, तो उसमें हम कभी भी रुकाव नहीं डालेंगे। मैंने आजतक कभी भी किसी निर्देशक से ये नहीं कहा, किभी निर्माता से नहीं कहा कि फ़लाँ को लो या फ़लाँ को न लो। ये उनके ऊपर निर्भर है। हाँ, वो मुझसे पूछते हैं कि हम फ़लाँ को ले रहे हैं, ये करेक्टर सूट करता है? मैं कहता हूँ ठीक है भैया। ये तुम्हारी ज़िम्मेदारी है। मेरी ज़िम्मेदारी थोड़े ही न है। जो मेरी ज़िम्मेदारी है... निजीपन स्क्रीन पर आ गया है? कहाँ आया निजीपन? नहीं आया? नहीं, कैसे आ सकता है? नहीं, वो केरेक्टर्स में तब्दील हो गए और वो परिवार के हिस्से भी हैं। जिन्दगी के हिस्से भी हैं। नहीं, वो तो केवल एक इत्तेफ़ाक था। लेकिन वो केरेक्टर जो था, वो उसके अनुसार उन्होंने उन किरदारों को लिया। अब चाहे वो हमारी बहू हो, चाहे बेटा हो, चाहे पत्नी हो। |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
अलादीन की तीन इच्छाएँ हैं जिसे जिन्न पूरी करेगा, जो जीनियस है। आपकी भी कोई इच्छा है?
इक्यावनवाँ प्रश्न है जिसका अभी तक मैं उत्तर नहीं दे पाया। (हँसते हैं) चलिए सर, बहुत-बहुत शुक्रिया। तो ये हैं अमिताभ बच्चन। इक्कसवीं सदी में पा की भूमिका के बाद जीनियस यानी अब जिन्न। और वो दौर भूल जाइए... भूल जाएँ न हम लोग... आक्रोश, विद्रोह, बगावत, शहंशाह...? क्या पता कल फिर से जीवित हो जाए! कोई भरोसा नहीं है। (फिर हँसते हैं) ये है मन का हो तो ठीक, न हो तो और ठीक। बहुत-बहुत शुक्रिया अमिताभ जी, बहुत-बहुत शुक्रिया। धन्यवाद सर, धन्यवाद। |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
5 Attachment(s)
|
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
|
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
|
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
Some of the awards won by Amitabh Bachchan includes: Filmfare Awards: Filmfare Best Supporting Actor Award for Anand (1971) Filmfare Best Supporting Actor Award for Namak Haraam (1973) Filmfare Best Actor Award for Amar Akbar Anthony (1977) Filmfare Best Actor Award for Don (1978) Filmfare Lifetime Achievement Award (First Recipient 1990) Filmfare Best Actor Award for Hum (1991) Filmfare Best Actor Award for Black(2005) Filmfare Best Actor Award for Paa (2010) Superstar of the Millennium 2000 |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
National Awards:
National Film Award for Best Newcomer for Saat Hindustani in 1970 National Film Award for Best Actor for Agneepath (1991) National Film Award for Best Actor for Paa (2010) Other Awards & Honors: •Padma Shri (1984) •Padma Bhushan (2001) •Actor of the Century (2001) •Honorary Citizenship Deauville (2003) •The Knight of the Legion of Honour (2007) •Honorary Doctorate (Jhansi University, Delhi University, De Montfort University) •Lifetime Achievement Award (Asian Film Award 2010) |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
महानायक अमिताभ बच्चन
(साभार: खबर ndtv.com) हिन्दी फिल्म जगत, यानि बॉलीवुड के मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने कहा है कि उन्होंने कभी अपनी लोकप्रियता पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन उनका यह भी मानना है कि ज़िन्दगी के प्रति किसी का नज़रिया बहुत मायने रखता है। प्यार से 'बिग बी' कहकर पुकारे जाने वाले अमिताभ बच्चन ने एक साक्षात्कार में बताया, "हर इंसान को उतार-चढ़ाव से गुज़रना होता है... जो भी ऊपर आता है, उसे नीचे जाना ही होता है... मुझे नहीं लगता कि मैं किसी से अलग हूं... हम सबके जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं..." उन्होंने कहा, "अगर आप सफल होते हैं तो आपको ध्यान रखना चाहिए कि यह ज़्यादा देर तक नहीं टिकने वाली... अगर आप असफल हो रहे हैं तो आपको लड़ना चाहिए और वापसी करनी चाहिए..." चार दशक से भी लम्बे समय से जारी अपने शानदार करियर में करीब 180 फिल्मों में काम कर चुके महानायक अमिताभ बच्चन ने कहा कि उनके समकालीन अभिनेता भी अच्छा काम कर रहे हैं। बच्चन ने कहा, "मैं अपने बारे में (लोकप्रिय होने के बारे में) कभी निर्णय नहीं लेता... मेरे समकालीन अभिनेता मुझसे पीछे रह गए... ऐसा कहना गलत होगा... मैंने कभी अपनी लोकप्रियता पर ध्यान नहीं दिया... लोग जो चाहें, लिख सकते हैं, लेकिन मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता..." उन्होंने अपने पुराने साथियों का नाम लेते हुए कहा कि शत्रुघ्न सिन्हा, विनोद खन्ना, धर्मेन्द्र और ऋषि कपूर अब भी फिल्मों में सक्रिय हैं, और दुर्भाग्यवश शशि कपूर बीमार हैं, वरना वह भी सक्रिय होते। |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
उन्होंने कहा, "आज विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा राजनीति में पहुंच चुके हैं और अच्छा कर रहे हैं... मुझे तो ऐसा लगता है कि मैं उनसे पीछे छूट गया हूं..." अमिताभ बच्चन ने बताया कि दिलीप कुमार और वहीदा रहमान उनके पसंदीदा कलाकार भी हैं, और यही दोनों कलाकार उनके आदर्श भी हैं। उन्होंने कहा, "जब आप भारतीय सिनेमा के इतिहास की बात करते हैं तो यह दो हिस्सों में बांटा जा सकता है... एक दिलीप कुमार से पहले, और दूसरा उनके आने के बाद का..."
फिल्म 'शक्ति' की शूटिंग को दिनों को याद करते हुए बच्चन ने कहा, "जब आप अपने प्रिय कलाकार के साथ काम करते हैं तो आपके मन में बहुत सारे भाव आते हैं... वह (दिलीप कुमार) ऐसे हैं, जिन्हें मैंने बचपन से देखा है... जब हम दोनों शूटिंग के लिए साथ आए तो मुझे थोड़ा अजीब लगा... यह मेरे लिए पचा पाना बहुत मुश्किल था कि मैं दिलीप साहब के साथ स्क्रीन पर दिखूंगा... मैं खुशनसीब हूं कि मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला... मैं उनसे अब भी संपर्क में हूं..." अमिताभ बच्चन ने अपने निर्देशकों के बारे में बात करते हुए कहा कि उन्हें कई निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिला, लेकिन वह ऋषिकेश मुखर्जी को अपना 'गॉडफादर' मानते हैं। उन्होंने ख्वाजा अहमद अब्बास का भी शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने उन्हें उनकी पहली फिल्म 'सात हिन्दुस्तानी' में काम दिया था। उन्होंने कहा, "मैं ऋषिकेश मुखर्जी को अपना 'गॉडफादर' मानता हूं... सबको लगता है कि मैंने प्रकाश मेहरा और मनमोहन देसाई के साथ ज़्यादा फिल्में की हैं, लेकिन यह सच नहीं है... मैंने ऋषि दा के साथ ज़्यादा फिल्में की हैं..." उन्होंने कहा, "मनमोहन देसाई में एक तरह का पागलपन था... वह दर्शकों की नब्ज़ को पहचानते थे... यश चोपड़ा ने मेरे करियर की सबसे बड़ी फिल्में दीं... उसी समय मैंने मुकुल आनंद और टीनू आनंद के साथ भी काम किया..." अमिताभ बच्चन ने करण जौहर, प्रकाश झा, संजय लीला भंसाली और शुजित सरकार जैसे मौजूदा और कदरन नए निर्देशकों की भी तारीफ की। उन्होंने बताया कि वह आर बाल्की, शुजित सरकार और प्रकाश झा के साथ फिर काम कर रहे हैं। बच्चन ने 'पान सिंह तोमर', 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', 'विकी डोनर', 'कहानी' जैसी फिल्मों की प्रशंसा भी की। उन्होंने कहा कि यह फिल्में बेहतरीन थीं और सबने इन्हें पसंद किया। उल्लेखनीय है कि अमिताभ बच्चन ने वर्ष 1984 में राजनीति में प्रवेश करने के साथ ही फिल्मों से ब्रेक लिया था। वह इलाहाबाद सीट से कांग्रेस के सांसद बने थे, हालांकि तीन साल बाद ही उन्होंने राजनीति से तौबा कर ली। अमिताभ बच्चन फिलहाल छोटे पर्दे पर अपने सफलतम टीवी रियलिटी शो 'कौन बनेगा करोड़पति' के सातवें संस्करण का संचालन कर रहे हैं। ** |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
एक और इंटरव्यू
यह इंटरव्यू श्री रघुवेन्द्र सिंह के ब्लॉग से लिया गया है (+ चवन्नी छाप) अमिताभ बच्चनने दिल में अपने बाबूजीहरिवंशराय बच्चनकी स्मृतियां संजोकर रखी हैं. बाबूजी के साथ रिश्ते की मधुरता और गहराई को अमिताभ बच्चन से विशेष भेंट मेंरघुवेन्द्र सिंहने समझने का प्रयास किया. लगता है कि अमिताभ बच्चन के समक्ष उम्र ने हार मान ली है. हर वर्ष जीवन काएक नया बसंत आता है और अडिग, मज़बूत और हिम्मत के साथ डंटकर खड़े अमिताभ को बस छूकर गुज़र जाता है. वे सत्तर वर्ष के हो चुके हैं, लेकिन उन्हेंबुज़ुर्ग कहते हुए हम सबको झिझक होती है. प्रतीत होता है कि यह शब्द उनकेलिए ईज़ाद ही नहीं हुआ है. उनका कद, गरिमा, प्रतिष्ठा, लोकप्रियता समय के साथ एक नई ऊंचाई छूती जारही है. वह साहस और आत्मविश्वास के साथ अथक चलते, और बस चलते ही जा रहेहैं. वह अंजाने में एक ऐसी रेखा खींचते जा रहे हैं, जिससे लंबी रेखा खींचना आने वाली कई पीढिय़ों के लिए चुनौती होगी. वह नौजवान पीढ़ी के साथ कदम सेकदम मिलाकर चलते हैं और अपनी सक्रियता एवं ऊर्जा से मॉडर्न जेनरेशन कोहैरान करते हैं. अपने बाबूजी हरिवंशराय बच्चन के लेखन को वह सबसे बड़ी धरोहर मानते हैं. आजभी विशेष अवसरों पर उन्हें बाबूजी की याद आती है. पिछले महीने 11 अक्टूबर 2012 को अमिताभ बच्चन का जन्मदिन बहुत धूमधाम से अनोखे अंदाज़ में सेलीब्रेटकिया गया. इस माह की 27 तारीख को उनके बाबूजी का जन्मदिन है. प्रस्तुत है अमिताभ बच्चन से उनके जन्मदिन एवं उनके बाबूजी के बारे में विस्तृतबातचीत. प्र. पिछले दिनों आपके सत्तरवें जन्मदिन को लेकर आपके शुभचिंतकों, प्रशंसकों और मीडिया में बहुत उत्साह रहा. आपकी मन:स्थिति क्या है? उ. मन:स्थिति यह है कि एक और साल बीत गया है और मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि क्यों इतना उत्साह है सबके मन में? प्रत्येक प्राणी के जीवन का एक साल बीत जाता है, मेरा भी एक और साल निकल गया. |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. दुनिया की नज़र में आपके पास सब कुछ है, मगर जीवन के इस पड़ाव पर अब आपको किन चीज़ों की आकांक्षा है?
उ. हमने कभी इस दृष्टि से न अपने आप को, न अपने जीवन को और न अपने व्यवसाय कोदेखा है. मैंने हमेशा माना है कि जैसे-जैसे, जो भी हमारे साथ होता जा रहाहै, वह होता रहे. ईश्वर की कृपा बनी रहे. परिवार स्वस्थ रहे. मैंने कभीनहीं सोचा कि कल क्या करना है, ऐसा करने से क्या होगा या ऐसा न करने सेक्या होगा. जीवन चलता जाता है, हम भी उसमें बहते जाते हैं. प्र. एक सत्तर वर्षीय पुरुष को बुजुर्ग कहा जाता है, लेकिन आपके व्यक्तित्व पर यह शब्द उपयुक्त प्रतीत नहीं होता. उ. अब क्या बताऊं मैं इसके बारे में? बहुत बड़ी गलतफहमी लोगों को. लेकिन हूंतो मैं सत्तर वर्ष का. आजकल की जो नौजवान पीढ़ी है, उसके साथ हिलमिल जानेका मन करता है. क्या उनकी सोच है, क्या वो कर रहे हैं, उसे देखकर अच्छालगता है. खासकर के हमारी फिल्म इंडस्ट्री की जो नई पीढ़ी है, जो नए कलाकारहैं, उन सबका जो एक आत्मबल है, एक ऐसी भावना है कि उनको सफल होना है औरउनको मालूम है कि उसके लिए क्या-क्या करना चाहिए. इतना कॉन्फिडेंस हम लोगों में नहीं था. अभी भी नहीं है. अभी भी हम लोग बहुत डरते हैं. लेकिन आज कीपीढ़ी जो है, वो हमसे ज्यादा ताकतवर है और बहुत ही सक्षम तरीके से अपनेकरियर को, अपने जीवन को नापा-तौला है और फिर आगे बढ़े हैं. इतनी नाप-तौलहमको तो नहीं आती. लेकिन आकांक्षाएं जो हैं, वो मैं दूसरों पर छोड़ता हूं.आप यदि कोई चीज़ लाएं कि आपने ये नहीं किया है, आपको ऐसे करना चाहिए, तोमैं उस पर विचार करूंगा. आप कहें कि अपने आपके लिए सोचकर बताइए, तो वो मैंनहीं करता. इतनी क्षमता मुझमें नहीं है कि मैं देख सकूं कि मुझे क्या करनाहै. |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. आप जिस तरीके से नौजवान पीढ़ी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हैं, वह देखकर लोगों को ताज्जुब होता है कि आप कैसे कर लेते हैं?
उ. ये सब कहने वाली बातें हैं. कष्ट तो होता है, शारीरिक कष्ट होता है. अबजितना हो सकता है, उतना करते हैं, जब नहीं होता है तो बैठ जाते हैं. लेकिनऐसा कहना कि न जाने कहां से एनर्जी आ रही है, तो क्या कहूं मैं? मैं ऐसामानता हूं कि जब ये निश्चित हो जाए कि ये काम करना है, तो उसके बाद पूरीदृढ़ता और लगन के साथ उसे करना चाहिए. परिणाम क्या होता है, यह बाद मेंदेखना चाहिए. एक बार जो तय हो गया, उसे हम करते हैं. प्र. क्या आप मानते हैं कि आप शब्दों, विशेषणों आदि से ऊपर उठ चुके हैं? इसबारे में सोचना पड़ता है कि आपके नाम के साथ क्या विशेषण लगाएं? मैं अपने बारे में कैसे मान सकता हूं? और ये जो तकलीफ है, वह आपकी है. मुझपर क्यों थोप रहे हैं आप? मैंने तो कभी ऐसा माना नहीं है. आप लोग तो बहुतअच्छी-अच्छी बातें लिखते हैं, अच्छे-अच्छे खिताब देते हैं मुझे. मैंने कभीनहीं माना है उनको, तो मेरे लिए वह ठीक है. अब आप को कष्ट हो रहा हो, तो अब आप जानिए. प्र. बचपन में अम्मा और बाबूजी आपका जन्मदिन किस प्रकार सेलीब्रेट करते थे? उ. जैसे आम घरों में मनाया जाता था. हम छोटे थे, तो हमारी उम्र के बच्चों केलिए पार्टी-वार्टी दी जाती थी, केक कटता था, कैंडल लगता है. हालांकि येप्रथा अभी तक चल रही है. अंग्रेज़ चले गए, अपनी प्रथाएं छोड़ गए. पता नहींक्यों अभी तक केक काटने की प्रथा बनी हुई है! मैं तो धीरे-धीरे उससे दूरहटता जा रहा हूं. बड़ा अजीब लगता है मुझे कि फूंक मारो, कैंडल बुझ जाए.जितनी उम्र है, उतने कैंडल लगाओ. बाबूजी भी इसको कुछ ज़्यादा पसंद नहींकरते थे. इसलिए उन्होंने एक छोटी-सी कविता लिखी थी, जिसे जन्मदिन के दिन वो गाया करते थे. हर्ष नव, वर्ष नव... |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. अभिषेक बच्चन ने हालिया भेंट में बताया कि घर के किसी सदस्य के जन्मदिनपर दादाजी उपहार स्वरूप कविता लिखकर देते थे. क्या आपने उन्हें सहेजकर रखाहै?
उ. जी, वह एक छोटी-सी कविता लिखकर लाते थे. ज़्यादातर तो हर्ष नव, वर्ष नव...ही हम सुनते थे. उसके बाद बाबूजी-अम्माजी कई जगह गाते थे इसको. प्र. क्या बचपन में आपने बाबूजी से किसी गिफ्ट की मांग की थी? क्या आपकीमांगों को वो पूरा करते थे? उन दिनों इतने समृद्ध नहीं थे आप लोग. उ. कई बार हमने ऐसी मांग की, लेकिन मां-बाबूजी की परिस्थितियां ऐसी नहीं थींकि वह हमें मिल सके तो हम निराश हो जाते थे. और अभी यह सुनकर शायद अजीबलगे, लेकिन मेरे स्कूल में एक क्रिकेट क्लब बना और उसमें भर्ती होने के लिए मेंबरशिप फीस थी दो रुपए. मैं मां से मांगने गया, तो उन्होंने कहा कि दोरुपए नहीं हैं हमारे पास. एक बार मैंने कहा कि मुझे कैमरा चाहिए. पुरानेजमाने में एक बॉक्स कैमरा होता था, वो एक-एक आने इकट्ठा करके मां जी ने अंत में मुझे कैमरा दिया. प्र. कैमरे का शौक आपको कब लगा? पहला कैमरा आपने कब लिया? उ. शायद मैं दस या ग्यारह वर्ष का रहा होऊंगा. कुछ ऐसे ही सडक़ पर पेड़-वेड़दिखता था, तो लगता था कि यह बहुत खूबसूरत है, उसकी छवि उतारनी चाहिए औरइसलिए हमने मां जी से कहा कि हमको एक बॉक्स कैमरा लाकर दो. अभी भी बहुतसारे कैमरे हैं. ये हैं परेश (इंटरव्यू के दौरान हमारी तस्वीरें क्लिक कररहे शख्स), यही देखभाल करते हैं. कैमरे का जो भी लेटेस्ट मॉडल निकलता है, उसे प्राप्त करना और उसे चलाना अच्छा लगता है मुझे. मैं घर में ही तस्वीरें लेता हूं, बच्चों की, परिवार की. |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र.आपमें और अजिताभ में बाबूजी का लाडला कौन था? कौन उनके सानिध्य में ज़्यादा रहता था?
उ. बराबरी का हिस्सा था और हमेशा बाबूजी ने कहा कि जो भी होगा, आधा-आधा कर लो उसको. प्र. क्या बाबूजी आपके स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में आया करते थे? क्या वे सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए आपका उत्साहवर्द्धनकिया करते थे? उ. अब पता नहीं कि फाउंडर डे पर जो स्कूल प्ले होता है, उसको एक सांस्कृतिकओहदा दिया जाए या... लेकिन जब भी हमारा फाउंडर डे होता था, तो मां-बाबूजीआते थे. हम नैनीताल में पढ़ रहे थे. वो लोग आते थे और हफ्ता-दस दिन हमारेसाथ गुज़ारते थे. हमारा नाटक देखते थे. हमेशा उन्होंने हमारा साथ दिया. मां जी ने स्पोर्ट्स में प्रोत्साहित किया. प्र. क्या आप बचपन में उनके संग कवि सम्मेलनों में जाते थे? उ. जी. प्रत्येक कवि सम्मेलन में बाबूजी ले जाते थे और मैं भी साथ जाता था.रात-बिरात दिल्ली के पास या इलाहाबाद के पास मैं उनके साथ जाता था. प्र. बाबूजी के कद, उनकी गरिमा और प्रतिष्ठा का ज्ञान आपको कब हुआ? उ. सारी ज़िन्दगी. मैं तो जब पैदा हुआ, तभी से बच्चन जी, बच्चन जी थे. और हमेशा मैं था हरिवंश राय बच्चन का पुत्र अमिताभ. कहीं भी हम जाएं, तो लोग कहेंकि ये बच्चन जी के बेटे हैं. उनकी प्रतिष्ठा जग ज़ाहिर थी. |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. निजी जीवन पर अपने बाबूजी का सबसे गहरा असर क्या मानते हैं? क्या हिंदीभाषा पर आपकी इतनी ज़बरदस्त पकड़ का श्रेय हम उन्हें दे सकते हैं?
उ. हां, क्यों नहीं. मैंने सबसे अधिक उन्हीं को पढ़ा है. उनकी जो कविताएं हैं, जो लेखन है, जो भी छोटा-मोटा ज्ञान मिला है, उन्हीं से मिला है. लेकिनहिंदी को समझना और उसका उच्चारण करना, दो अलग-अलग बातें हैं. मैं नहींमानता हूं कि मेरी जिज्ञासा या मेरा ज्ञान हिंदी के प्रति बहुत ज्यादाअच्छा है. लेकिन मैं ऐसा समझता हूं कि किसी भाषा का उच्चारण सही होनाचाहिए. उसमें त्रुटियां नहीं होनी चाहिए. हिंदी बोलें या गुजराती या तमिलया कन्नड़ बोलें, तो उसे सही ढंग से बोलने का हमारे मन मेंहमेशा एक रहताहै. और बिना बाबूजी के असर के मैं मानता हूं कि मेरा जीवन बड़ा नीरस होता.स्वयं को भागयशाली समझता हूं कि मैं मां-बाबूजी जैसे माता-पिता की संतानहूं. माता जी सिक्ख परिवार से थीं और बहुत ही अमीर घर की थीं. उनके फादरबार एटलॉ थे उस जमाने में. वह रेवेन्यू मिनिस्टर थे पंजाब सरकार के पटियाला में. अंग्रेजी, विलायती नैनीज़ होती थीं उनकी देखभाल के लिए. उस वातावरणसे माता जी आईं और उन्होंने बाबूजी के साथ ब्याह किया. जो कि लोअर मीडिलक्लास से थे, उनके पास व्यवस्था ज़्यादा नहीं थी. ज़मीन पर बैठकरपढ़ाई-लिखाई करते थे, मिट्टी के तेल की लालटेन जलाकर काम करते थे, लाइटनहीं होती थी उन दिनों. मुझे लगता है कि कहीं न कहीं मां जी का जो वातावरणथा, जो उनके खयाल थे, वह बहुत ही पश्चिमी था और बाबूजी का बहुत ही उत्तरीथा. इन दोनों का इस्टर्न और वेस्टर्न मिश्रण जो है, वो मुझे प्राप्त हुआ.मैं अपने आप को बहुत भागयशाली समझता हूं कि इस तरह का वातावरण हमारे घर केअंदर हमेशा फलता रहा. कई बातें थीं, जो बाबूजी को शायद नहीं पसंद आतीहोंगी, लेकिन कई बातें थीं, जिसमें मां जी की रुचि थी- जैसे सिनेमा जाना, थिएटर देखना. इसमें बाबूजी की ज़्यादा रुचि नहीं होती थी. वह कहते थे कि यह वेस्ट ऑफ टाइम है, घर बैठकर पढ़ो. मां जी सोचती थीं कि हमारे चरित्र को और उजागर करने के लिए ज़रूरी है कि पढ़ाई के साथ-साथ थोड़ा-सा खेलकूद भी किया जाए. मां जी खुद हमें रेस्टोरेंट ले जाती थीं, बाबूजी न भी जाते हों. तोये तालमेल था उनका जीवन के प्रति और वो संगम हमको मिल गया. |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. दोनों अलग-अलग विचारधारा के लोग थे. आप किससे अधिक जुड़ाव महसूस करते थे?
उ. दोनों से ही. उत्तरी-पश्चिमी दोनों सभ्यताएं हमें उनसे प्राप्त हुईं. औरउनमें अंतर कब और कहां लाना है, यह हमारे ऊपर निर्भर करता है. वो सारा जोमिश्रण है, वह हमको सोचकर करना पड़ता है. प्र. जया बच्चन के फिल्मफेयर को दिए गए एक पुराने साक्षात्कार मेंहमने पाया कि आपको लिखने का बहुत शौक है. उन्होंने बताया है कि जब आप कामज़्यादा नहीं कर रहे थे, तो अपने कमरे में एकांत में लिखते रहते हैं. क्याआप लिखते थे, वो उन्होंने नहीं बताया है. उ. अच्छा हुआ कि वो उन्होंने नहीं बताया है, क्योंकि मुझसे भी आपको नहीं पताचलने वाला है कि मैंने क्या लिखा उन दिनों. बैठकर कुछ पढ़ते-लिखते रहना, फिर सितार उठाकर बजा दिया, गिटार उठाकर बजा लिया. ये सब हमको आता नहीं है, लेकिन ऐसे ही करते रहते थे. प्र. क्या बाबूजी की तरह आप भी कविताएं लिखते हैं? उ. कविता हमने नहीं लिखी. अस्पताल में जब था मैं 1982 में, कुली के एक्सीडेंटके बाद, उस समय एक दिन ऐसे ही भावुक होकर हमने अंग्रेज़ी में एक कविता लिखदी. वो हमने बाबूजी को सुनाई, जब वो हमसे मिलने आए. वो चुपचाप उसे ले गए और अगले दिन आकर कहा उसका हिंदी अनुवाद करके हमको दिखाया. उन्होंने कहा कि ये कविता बहुत अच्छी लिखी है, हमने इसका हिंदी अनुवाद किया है. ज़ाहिर है किउनका जो हिंदी अनुवाद था, वह हमारी अंग्रेज़ी से बेहतर था. वो कविता शायदधर्मयुग वगैरह में छपी थी. |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. जीवन में किन-किन पड़ावों पर आपको बाबूजी और अम्मा की कमी बहुत अखरती है?
उ. प्रतिदिन कुछ न कुछ जीवन में ऐसा बीतता है, जब लगता है कि उनसे सलाह लेनीचाहिए, लेकिन वो हैं नहीं. लेकिन ये जीवन है, एक न एक दिन सबके साथ ऐसा हीहोगा. माता-पिता का साया जो है, ईश्वर न करें, लेकिन खो जाता है. लेकिन जोबीती हुई बातें हैं, उनको सोचकर कि यदि मां-बाबूजी जीवित होते, तो वो क्याकरते इन परिस्थितियों में? और फिर अपनी जो सोच रहती है उस विषय पर कि हां, मुझे लगता है कि उनका व्यवहार ऐसा होता, तो हम उसको करते हैं. प्र. अपने अभिनय के बारे में बाबूजी की कोई टिप्पणी आपको याद है? वह आपके प्रशंसक थे या आलोचक? उ. नहीं, वो बाद के दिनों में फ़िल्में वगैरह देखते थे और जो फिल्म उनको पसंदनहीं आती थी, वो कहते थे कि बेटा, ये फिल्म हमको समझ में नहीं आई कि क्याहै. हालांकि वो कुछ फिल्मों को पसंद भी करते थे और देखते थे. जब वो अस्वस्थ थे, तो प्रतिदिन शाम को हमारी एक फिल्म देखते थे. प्र. कभी ऐसा पल आया, जब उन्होंने इच्छा ज़ाहिर की हो कि आप फलां किस्म का रोल करें? उ. ऐसा कभी उन्होंने व्यक्त नहीं किया. मैंने कभी पूछा भी नहीं. उनके लिए भी समस्या हो जाती और हमारे लिए भी. प्र. क्या बाबूजी को अपना हीरो मानते हैं? उनकी कोई बात, जो आज भी आपको प्रेरणा और हिम्मत देती है? उ. हां, बिल्कुल. साधारण व्यक्ति थे, मनोबल बहुत था उनमें, एक आत्मशक्ति थीउनमें. लेकिन खास तौर पर उनका आत्मबल. कई उदाहरण हैं उनके. एक बार वो कोईचीज़ ठान लेते थे, फिर वो जब तक खत्म न हो जाए, तब तक उसे छोड़ते नहीं थे.बाबूजी को पंडित जी (जवाहर लाल नेहरू) ने बुलाया और कहा कि ये आत्मकथालिखी है माइकल पिशर्ड ने. हम चाहते हैं कि इसका हिंदी अनुवाद हो, लेकिन येहमारे जन्मदिन के दिन छपकर निकल जानी चाहिए. अब केवल तीन महीने रह गए थे.तीन महीने में एक बॉयोग्राफी का पूरा अनुवाद करना और उसे छापना बड़ामुश्किल काम था, लेकिन बाबूजी दिन-रात उस काम में लगे रहे. जो उनकी स्टडीहोती थी, उसके बाहर वो एक पेंटिंग लगा देते थे. उसका मतलब होता था कि अंदरकोई नहीं जा सकता, अभी व्यस्त हूं. बैठे-बैठे जब वो थक जाएं, तो खड़े होकरलिखें, जब खड़े-खड़े थक जाएं, तो ज़मीन पर बैठकर लिखें. विलायत में भी वोऐसा ही करते थे. जब वो विलायत में अपनी पीएचडी कर रहे थे, तो उन्होंने अपने लिए एक खास मेज़ खुद ही बनाया. उनके पास इतना पैसा नहीं था कि मेज़ खरीदसकें. |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. अभिषेक और आपके बीच पिता-पुत्र के साथ-साथ दोस्त का रिश्ता नज़र आता है. क्या ऐसा ही संबंध आपके और आपके बाबूजी के बीच था?
उ. हां, बाद के दिनों में. शुरुआत के सालों में हम सब उन्हें अकेला छोड़ देतेथे, क्योंकि वो अपने काम में, अपने लेखन में व्यस्त रहते थे. मां जी थींहमारे साथ, तो घूमना-फिरना होता था, जो बाबूजी को शायद उतना पसंद नहीं था.बाद में जब हमारे साथ यहां आए तो हमारा उनके साथ अलग तरह का दोस्ताना बना.कई बातें जो केवल दो पुरुषों के बीच हो जाती हैं, कई बार ऐसा अवसर आता था, जब हमकरते थे. अभिषेक के पैदा होने के पहले ही मैंने सोच लिया था कि अगरमुझे पुत्र हुआ, तो वह मेरा मित्र होगा, वो बेटा नहीं होगा. मैंने ऐसा हीव्यवहार किया अभिषेक के साथ और अभी तक तो हमारी मित्रता बनी हुई है. |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. क्या आप चाहते हैं कि अभिषेक और आपकी आने वाली पीढिय़ां बच्चनजी कीरचनाओं, विचार और दर्शन को उसी तरह अपनाएं और अपनी पीढ़ी के साथ आगेबढ़ाएं, जैसे आपने बढ़ाया है?
उ. ये अधिकार मैं उन पर छोड़ता हूं. यदि उनके मन में आया कि इस तरह से कुछ काम करना चाहिए, तो वो करें. मैं उन पर किसी तरह का दबाव नहीं डालना चाहता हूं कि देखो, ये हमारे परिवार की परंपरा रही है, हमारे लिए एक धरोहर है, जिसेआगे बढ़ाना है. न ही बाबूजी ने कभी हमसे ये कहा कि ये धरोहर है. क्योंकिउनकी जो वास्तविकता थी, उसे कभी उन्होंने हमारे सामने ऐसे नहीं रखा किमैंने बहुत बड़ा काम कर दिया है. उसके पीछे छुपी हुई जो बात थी, वो हमेशापता चलती थी. जैसे विलायत पीएचडी करने गए, पैसा नहीं था. कुछ फेलोशिप मिली, फिर बीच में वो भी बंद हो गई. मां जी ने गहने बेचकर पैसा इकट्ठा किया, क्योंकि वो चाहती थीं कि वो पीएचडी करें. चार साल जिस पीएचडी में लगता है, वो उन्होंने दो वर्षों में ही पूरी कर ली और काफी मुश्किल परिस्थितियोंमें रहे वहां. जब वो वापस आए, तो उस ज़माने में तो विलायत जाना और वापस आना बहुत बड़ी बात होती थी और खासकर इलाहाबाद जैसी जगह पर. सब लोग बहुत खुश कि भाई, विलायत से लौटकर के आ रहे हैं और हम बच्चे ये सोचते थे कि हमारे लिएक्या तोहफा लाए होंगे. सबसे पहला सवाल हमने बाबूजी से यही किया कि क्यालाएं हैं आप हमारे लिए? उन्होंने मुझे सात कॉपी, जो उनके हाथ से लिखी हुईपीएचडी है, वो उन्होंने मुझे दी. कहा कि ये मेरा तोहफा है तुम्हारे लिए. ये मेरी मेहनत है, जो मैंने दो साल वहां की. उसे मैंने रखा हुआ है. उससे बड़ा उपहार क्या हो सकता है मेरे लिए. |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. बाबूजी की कौन सी रचना आपको बहुत प्रिय है और क्यों?
उ. सभी अच्छी हैं. अलग-अलग मानसिक स्थितियों से जब बाबूजी गुज़रे, तो उनपरिस्थितियों में उन्होंने अलग-अलग कविताएं लिखीं. बाबूजी के शुरुआत के दिन बहुत गंभीर थे. बाबूजी की पहली पत्नी का देहांत साल भर के अंदर हो गया था.वो बीमार थीं, उनकी चिकित्सा के लिए पैसे नहीं थे बाबूजी के पास, तो वोदुखदायी दिन थे. उनके ऊपर उनका वर्णन है. फिर मां जी से मिलने के बाद उनकेजीवन में जो एक नया रंग, उल्लास आया, उसको लेकर उनकी कविताएं आईं. फिरआधुनिक ज़माने में आकर बहुत से जो ट्रेंड थे कविता लिखने के, खास तौर सेहिंदी जगत में, वो बदलते जा रहे थे, हास्य रस बहुत प्रचलित हो गया था. कविसम्मेलनों में हास्य कवियों को ज़्यादा तालियां मिलने लगीं. इन सारे दौर से गुज़रते हुए उन्होंने लेखन किया. किसी एक रचना पर उंगली रखना बड़ा मुश्किल होगा. प्र. आपकी उनकी चीज़ों की आर्कइविंग करने की योजना थी? उ. प्रयत्न जारी है. समय नहीं मिल रहा है. दूसरी बड़ी बात ये है कि जो लोगबाबूजी के साथ उस ज़माने में थे, वो वृद्ध हो गए हैं. लेकिन मैं ये चाहूंगा कि जो उनके साथ उस ज़माने में थे, उन्हें ढूंढें. क्योंकि कई ऐसी बातेंहैं, जो हमको नहीं पता हैं. बाबूजी पत्र बहुत लिखते थे और वो अपने हाथ सेलिखते थे. प्रतिदिन वो पचास-सौ पोस्ट कार्ड लिखते थे जवाब में, जो उनके पास चिट्ठियां आती थीं और उसे $खुद ले जाकर पोस्ट बॉक्स में डालते थे.उन्होंने बहुत सी चिट्ठियां जो लोगों को लिखी हैं, उन चिट्ठियों को एकत्रित करके लोगों ने किताब के रूप में छाप दिया है. अब ये पता नहीं कि कानूननठीक है या नहीं, लेकिन उन्होंने कहा कि साहब, ये पत्र तो उन्होंने हमेंलिखा है, आपका इसके ऊपर कोई अधिकार नहीं है. तो मैं ऐसा सोच रहा था कि कभीअगर मुझे जानकारी हासिल करनी होगी तो मैं इश्तहार दूंगा मैं या पूछूंगा किजिन लोगों के पास बाबूजी की लिखी चिट्ठियां हैं या याददाश्त हैं, वो हमेंबताएं ताकि हम उनका एक आर्काइव बना सकें. |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. अब आप स्वयं दादाजी बन चुके हैं. इस संबोधन से आपको अपने दादाजी (प्रताप नारायण श्रीवास्तव) एवं दादीजी (सरस्वती देवी) की याद आती है. उनके बारेमें हमें बहुत कम सामग्री मिलती है.
उ. जी, दादाजी की स्मृतियां हैं नहीं, क्योंकि जब मैं पैदा हुआ, तो उनकादेहांत हो गया था. दादी थीं, लेकिन उनका भी मेरे पैदा होने के साल-डेढ़ साल बाद स्वर्गवास हो गया. मां जी की तरफ से, उनकी माता जी का देहांत उनकेजन्म पर ही हो गया था. जो नाना जी थे, मुझे ऐसा बताया गया है कि अब तो वोपाकिस्तान हो गया है, मां जी का जन्म लायलपुर में हुआ था, जो अब फैसलाबादहो गया है और उनकी शिक्षा-दीक्षा सब गर्वमेंट कॉलेज लाहौर में हुई. वो वहां पढ़ाने भी लगीं. मुझे बताया गया है कि जब मैं दो साल का था, तो मां जीउनसे मिलवाने कराची ले गई थीं. ऐसा मां जी बताती हैं कि एक बार मैं नाना के पास गया, तो चूंकि वो सरदार थे, तो उनकी दाढ़ी बड़ी थी, तो मैंने आश्चर्यसे उनसे पूछा कि आप कौन हैं? तो मेरे नानाजी ने कहा कि अपनी मां से जाकरपूछो कि मैं कौन हूं. प्र. अभिषेक चाहते हैं कि आप अब काम कम और आराम ज़्यादा करें, अपनेनाती-पोतों को वह सारे संस्कार और गुर सिखाएं, जो आपने उन्हें और श्वेता को सिखाए हैं. आपकी इस बारे में क्या राय है? उ. मैं ज़रूर नाती-पोतों को सिखाऊंगा और मैं काम भी करूंगा. यदि शरीर चलता रहा और सांस आती रहेगी, तो मैं चाहूंगा कि मैं काम करूं और जिस दिन मेरा शरीरकाम नहीं करेगा, जैसा कि मैंने आपसे कई बार कहा है कि हमारे शरीर के ऊपरनिर्भर है, चेहरा सही है, टांग-वांग चल रही है, तो काम है, वरना हम बोलदेंगे कि अब हम घर बैठते हैं. प्र. फिल्मों को लेकर आपकी ओर से कब घोषणा होगी? उ. एक तो अभी हुई है प्रकाश झा की सत्याग्रह और दूसरी है सुधीर मिश्रा कीमेहरुन्निसा. उसमें चिंटू (ऋषि) कपूर हैं, शायद चित्रांगदा हैं और मैं हूं.दो-एक और फिल्में हैं, महीने भर के अंदर उनकी भी घोषणा की जाएगी. ** |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
3 Attachment(s)
|
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
1 Attachment(s)
|
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
|
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
एक और साक्षात्कार
उनसे लिये गये साक्षात्कार के दौरान पूछे गये कुछ चुने हुये प्रश्न तथा उत्तर प्रस्तुत हैं: (साभार: प्रख्यात फिल्म पत्रकार खालिद मोहम्मद) प्र. आपको कब मालूम हुआ कि आप अभिनय कर सकते हैं? उ. जब मैं किंडरगार्टन में था तभी से. बचपन में घर में मैं कुछ न कुछ मजाकिया नाटक करता रहता था. कोई चादर टांग कर उसके सामने एक्टिंग करता था. मुश्किल घड़ी में मैं गत्ते की तलवार हवा में चलाता, जोकर बन जाता या अपने द्वारा बनाये गये आश्चर्य-लोक में शरारतें किया करता. स्कूल या कॉलेज में कोई ऐसा वर्ष नहीं गया जब मैंने किसी नाटक में भाग न लिया हो. प्र. आपका पहला रोल क्या था ? उ. किंडरगार्टन में मुझे याद है कि मुझे एक मुर्गे के का अभिनय करना था और उसकी तरह जोर जोर से पंख फड़फड़ाते हुये बांग देनी थी. |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. आपने बताया कि आपको सलाह देने वाला कोई नहीं था. आपके पिता भी तो थे?
उ. बाबूजी चाहते थे कि मैं भी उनकी तरह एक अध्यापक बनूँ. लेकिन नहीं, मैं तो वैज्ञानिक बनना चाहता था. लेकिन मैं BSc परीक्षा में फिज़िक्स में पास न हो सका. छः महीने बाद मैंने वह पेपर दोबारा दिया तो मैं सैकेण्ड डिवीज़न में पास हो सका. उस समय मैंने डीसीएम, मेटल बॉक्स और आईसीआई में नौकरी के लिये एप्लाई किया लेकिन कहीं काम न बना. मेरा बायो-डेटा भी अधिक प्रभावशाली नहीं था. इस प्रकार कोई बढ़िया नौकरी मेरे हाथ न लगी. उसके बाद जहां नौकरी मिली, वहीँ करनी पड़ी. कोलकाता में बर्ड एंड कं. के कोयला विभाग में दो साल काम किया. उसके बाद सामान की ढुलाई वाली कम्पनी ब्लेकर एण्ड कं. में चला गया. यह एक छोटा संस्थान था लेकिन वेतन डबल था. साथ में काले रंग की मोरिस माइनर कार भी मिल गयी जो बाद में स्टैण्डर्ड हेराल्ड में बदल दी गयी. प्र. बर्ड एण्ड कं. में आपका वेतन क्या था? और रहन सहन कैसा था? उ. टैक्स के बाद 480 रूपए मिलते थे जिसमे से 300 रूपए तो कमरे के किराये में ही चले जाते थे. हम आठ आदमी इकट्ठे रहते थे. उस कम्पनी में लंच फ्री दिया जाता था. इस प्रकार हमारा जीवन बहुत साधारण, ज़मीनी और सामान्य जन की तरह था. |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. आपके थियेटर के दिनों में क्या आपको सिनेमा का आकर्षण भी प्रभावित करता था?
उ. जितना संभव हो पाता मैं सिनेमा देखा करता था. लेकिन फिल्मों में काम करने का विचार मेरा नहीं बल्कि मेरे छोटे भाई अजिताभ का था. उसी ने कोलकाता स्थित विक्टोरिया मेमोरियल के सामने मेरी कुछ तस्वीरें खींच कर फिल्मफेयर-माधुरी व फिल्म निर्माताओं द्वारा आयोजित टैलेंट कॉन्टेस्ट में भिजवायी थीं, लेकिन कुछ न हुआ. मैंने आल इंडिया रेडिओ पर समाचार-वाचक की पोस्ट के लिए भी आवेदन किया जिसमें मुझे इंगलिश और हिंदी के टैस्ट दिये गये थे किन्तु मैं दोनों में फेल हो गया. प्र. कॉन्टेस्ट में क्या हुआ था? उ. राजेश खन्ना, समीर खान और रतन चोपड़ा चुन लिए गये. मैं राजेश खन्ना की तस्वीर को देख कर कहता कि मैं उसकी तरह न दिखाई देता हूँ न एक्टिंग कर सकता हूँ. मेरे पास वैसा आकर्षक चेहरा ही नहीं था. उस वक़्त मुझे 1000 रूपए मासिक मिलता था जबकि कॉन्टेस्ट के विजेताओं को 2500 रुपये मासिक देने का वचन दिया गया था. तीन माह बाद इसे 5000 रूपए कर दिया जाना था. शायद यही बात मुझे फिल्मों में काम करने की प्रेरणा बनी. मैं मुंबई में रह कर फिल्मों में काम करना चाहता था. सच तो यह है कि उस समय नायक बनने का विचार भी मेरे मन में नहीं आता था. |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. फिल्म ‘दीवार’ मेंआपको एक काल-गर्ल के साथ मुब्तिला दिखाया गया था. इसी प्रकार फिल्म ‘शक्ति’ में आप गर्ल-फ्रेंड से लिव-इन रिलेशनशिप में दिखाई दिये. लेकिन इन सम्बन्धों में असहज रहे.
उ. मैं एक प्रोफेशनल एक्टर हूँ. मैं वही करता हूँ जो मुझे कहा जाता है. किन्तु, मैं पुराने ख़यालात का भी हूँ. शरीर के अनावश्यक प्रदर्शन से मुझे कोफ़्त होती है. मैंने स्क्रीन पर कभी किस नहीं किया या किसी भी रूप में नग्नता की इजाज़त नहीं दी है .... जब तक कि ऐसा करना आवश्यक न हो जैसा कि फिल्म ‘ज़ंजीर’ तथा ‘शक्ति’ में हुआ. और फिर मेरा शरीर भी ऐसा नहीं है कि मैं उसका प्रदर्शन करूँ. प्र. अभिनेत्री रेखा और आपके बीच एक विशेष केमिस्ट्री थी. इस बारे में क्या कहेंगे? उ. रेखा एक प्रतिभासंपन्न अभिनेत्री हैं. कई फिल्मों में हम दोनों की जोड़ी को दर्शकों ने पसंद किया. |
Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
badiya prastuti
|
All times are GMT +5. The time now is 02:31 AM. |
Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.