मुझे मत मारो :.........
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क्या आप इन्सान हों ? अगर आपका उत्तर हा हैं, तो बेटियाँ बचाओं, इंसानियत बचाओं, कन्या भ्रूण-हत्या एक जघन्य अपराध हैं : http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1394973173 |
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प्रत्येक शुभ कार्य में हम कन्या पूजन करते हैं, लेकिन बड़ा सवाल है कि उसी कन्या को हम जन्म से पहले ही मारने का पाप क्यों करते हैं? आज समाज के बहुत से लोग शिक्षित होने के बावजूद कन्या भूर्ण हत्या जैसे घृणित कार्य को अंजाम दे रहे हैं। जो आंचल बच्चों को सुरक्षा देता है, वही आंचल कन्याओं की गर्भ में हत्या का पर्याय बन रहा है।हमारे देश की यह एक अजीब विडंबना है कि सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद समाज में कन्या-भ्रूण हत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। समाज में लड़कियों की इतनी अवहेलना, इतना तिरस्कार चिंताजनक और अमानवीय है। जिस देश में स्त्री के त्याग और ममता की दुहाई दी जाती हो, उसी देश में कन्या के आगमन पर पूरे परिवार में मायूसी और शोक छा जाना बहुत बड़ी विडंबना है।आज भी शहरों के मुकाबले गांव में दकियानूसी विचारधारा वाले लोग बेटों को ही सबसे ज्यादा तव्वजो देते हैं, लेकिन करुणामयी मां का भी यह कर्तव्य है कि वह समाज के दबाव में आकर लड़की और लड़के में फर्क न करे। दोनों को समान स्नेह और प्यार दे। दोनों के विकास में बराबर दिलचस्पी ले। बालक-बालिका दोनों प्यार के बराबर अधिकारी हैं। इनके साथ किसी भी तरह का भेद करना सृष्टि के साथ खिलवाड़ होगा : साभार :......... |
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साइंस व टेक्नॉलोजी ने कन्या-वध की सीमित समस्या को, अल्ट्रासाउंड तकनीक द्वारा भ्रूण-लिंग की जानकारी देकर, समाज में कन्या भ्रूण-हत्या को व्यापक बना दिया है। दुख की बात है कि शिक्षित तथा आर्थिक स्तर पर सुखी-सम्पन्न वर्ग में यह अतिनिन्दनीय काम अपनी जड़ें तेज़ी से फैलाता जा रहा है। 1995 में बने जन्म पूर्व नैदानिक अधिनियम नेटल डायग्नोस्टिक एक्ट 1995 के मुताबिक बच्चे के लिंग का पता लगाना गैर कानूनी है। इसके बावजूद इसका उल्लंघन सबसे अधिक होता है.अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी मशीन या अन्य तकनीक से गर्भधारण पूर्व या बाद लिंग चयन और जन्म से पहले कन्या भ्रूण हत्या के लिए लिंग परीक्षण करना, करवाना, सहयोग देना, विज्ञापन करना कानूनी अपराध है :......... साभार :......... |
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लेकिन यह स्त्री-विरोधी नज़रिया किसी भी रूप में गरीब परिवारों तक ही सीमित नहीं है. भेदभाव के पीछे सांस्कृतिक मान्यताओं एवं सामाजिक नियमों का अधिक हाथ होता है. यदि इस प्रथा को बन्द करनी है तो इन नियमों को ही चुनौती देनी होगी. कन्या भ्रूण हत्या में पिता और समाज की भागीदारी से ज्यादा चिंता का विषय है इसमें मां की भी भागीदारी. एक मां जो खुद पहले कभी स्त्री होती है, वह कैसे अपने ही अस्तितव को नष्ट कर सकती है और यह भी तब जब वह जानती हो कि वह लड़की भी उसी का अंश है. औरत ही औरत के ऊपर होने वाले अत्याचार की जड़ होती है यह कथन पूरी तरह से गलत भी नहीं है. घर में सास द्वारा बहू पर अत्याचार, गर्भ में मां द्वारा बेटी की हत्या और ऐसे ही कई चरण हैं जहां महिलाओं की स्थिति ही शक के घेरे में आ जाती है.औरतों पर पारिवारिक दबाव को भी इन्कार नहीं किया जा सकता :......... साभार :......... |
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खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो आने दो रे आ ने दो, उन्हें इस जीवन में आने दो भ्रूणहत्या का पाप हटे, अब ऐसा जाल बिछाने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो मन के इस संकीर्ण भाव को, रे मानव मिट जाने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो (भाउक जी कुछ पंक्तियाँ) (आइये एक संकल्प लेते हैं ,कन्या भ्रूण -हत्या एक जघन्य अपराध है ,हम सभी को मिलकर साँझा प्रयत्नों एवं जन जाग्रती द्वारा इस कु -कृत्य को जड़ से उखाड़ने के समस्त प्रयत्न करेंगें !यही समय की मांग है !!) :......... साभार :......... |
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http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1394973173 मत मारो माँ : माँ ,माँ,ओ मेरी माँ तुम सुन रही हो मुझे मैं तो अभी तेरी कोख में हूँ जानती हूँ एहसास है तुझे आज मैंने सुना पापा की बातें उन्हें बेटी नही बेटा चाहिए मैं बेटी हूँ,इसमें मेरा क्या दोष मईया मैं तो तेरा ही अंश तेरे ही जिगर का टुकड़ा तेरे ही दिल की धडकन क्या तुम भी मुझे मरना चाहती हो मुझे मत मरो माँ मुझे जग में आने दो न मैं तेरी बगिया की कली तेरा जीवन महका दूँगीं तेरे सपने सच कर दूँगी जीवन के हर पग पर तेरा साथ न छोडूंगी तेरा दुःख मेरा दुःख होगा माँ समझाना पापा को मैं पापा पर न बनूँगी बोझ पढ़ लिख कर छूऊँगी जीवन के उच्च शिखर को एक दिन करेंगे फक्र मुझपर बनूँगी लक्ष्मी घर की तेरी माँ ओ मेरी प्यारी माँ अजन्मी बेटी तुझे पुकार रही मत करना मुझे मशीनों के हवाले मत मारना मुझे। :......... साभार :......... |
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बेटियाँ बहुत चंचल, बहुत खुशनुमा होती हैं बेटियां |
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अतिसुन्दर भावभीव्यक्ति के लिए हार्दिक आभार......... |
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कलियों को मुसकाने दो : खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो आने दो रे आने दो, उन्हें इस जीवन में आने दो जाने किस-किस प्रतिभा को तुम गर्भपात मे मार रहे हो जिनका कोई दोष नहीं, तुम उन पर धर तलवार रहे हो बंद करो कुकृत्य - पाप यह, नयी सृष्टि रच जाने दो आने दो रे आने दो, उन्हें इस जीवन में आने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो जिस दहेज-दानव के डर से करते हो ये जुल्मो-सितम क्यों नहीं उसी दुष्ट-दानव को कर देते तुम जड़ से खतम भ्रूणहत्या का पाप हटे, अब ऐसा जाल बिछाने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो बेटा आया, खुशियां आईं सोहर-मांगर छम-छम-छम बेटी आयी, जैसे आया कोई मातम का मौसम मन के इस संकीर्ण भाव को, रे मानव मिट जाने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो चौखट से सरहद तक नारी फिर भी अबला हाय बेचारी? मर्दों के इस पूर्वाग्रह मे नारी जीत-जीत के हारी बंद करो खाना हक उनका, ऋनका हक उन्हें पाने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो चीरहरण का तांडव अब भी चुप बैठे हैं पांडव अब भी नारी अब भी दहशत में है खेल रहे हैं कौरव अब भी हे केशव! नारी को ही अब चंडी बनकर आने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो मरे हुए इक रावण को हर साल जलाते हैं हम लोग जिन्दा रावण-कंसों से तो आंख चुराते हैं हम लोग खून हुआ है अपना पानी, उसमें आग लगाने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो नारी शक्ति, नारी भक्ति नारी सृष्टि, नारी दृष्टि आंगन की तुलसी है नारी पूजा की कलसी है नारी नेह-प्यार, श्रद्धा है नारी बेटी, पत्नी, मां है नारी नारी के इस विविध रूप को आंगन में खिल जाने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो.......... (अंतरजाल से :) |
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माँ - बाप की आँखों का नूर है तू, हर अपने के दिल का गुरुर है तू, जाने क्यों तरस आता है मुझे, इस ज़माने के कमीनेपन पे, की सब होके भी, कितनी मजबूर है तू, जाने ये दुनिया क्यों, तुझसे इतना जलती है, माँ -बीवी सब को चाहिये, पर बेटी से डरती है, हर वक्त ये दुनिया तुझसे , दुश्मनी निभाती है, खिलने से पहले तुझे, मसल देना चाहती है, क्यों नहीं समझते ये पागल की, तुझसे ही दुनिया गुलज़ार, किसी मासूम की मासूमियत में तू, किसी दीवाने का खुमार है, शायद ये ज़माना, एक दिन समझ जायेगा, कितने बेटों की माँ, कितने आशिकों की आशिकी, न जाने तब तक ये , क्या - क्या गंवायेगा, ऐ - खुदा कर रहम इनपे, देख इनकी बेरुखी, क्यों न समझे ये पागल, एक मासूम की बेबसी, क्यों छीने ये हक उसका, जो तुने उसे बख्सा है, उसका ये अनमोल जीवन, क्या इतना ही सस्ता है ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? कन्या भ्रूण हत्या रोकिये ! |
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ये बेटियाँ वरदान हैं प्रकृति का पुरुष को ये सबसे बड़ा दान हैं , धैर्य की गंगा हैंस्नेह की प्रतिमूर्ति हैं ये कुलों का अभिमान हैं , जननी मातृशक्ति हैंप्रेम का प्रकाश हैं ये हैं तो खानदान हैं , बेटियाँ हैं तो हम हैंसमर्पण हैं त्याग हैं ये हमारी प्राण हैं , सृष्टि का आधार हैं |
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वरदान हैं ये बेटियाँ |
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माँ मुझको मत मारो ना : माँ मुझको मत मारो ना अजन्मी ही सही , पर तेरी बेटी हूँ , भूल मुझसे क्या हुई ? बतला दो ना , माँ मुझको मत मारो ना. आने दो मुझको धरा पर , तेरी गोद में खेलूंगी , कभी न सताऊँगी, ये वादा ले लो ना . अवसर जो दिया प्रभु ने , उसको मत छीनो ना , माँ मुझको मत मारो ना. घर के आँगन में ऊधम मचाऊंगी, तेरा खूब दिल बहलाऊँगी , तेरे अनुशासन में रह कर हौले से बढ़ जाऊंगी . बनकर तेरी सहेली माँ मै , तेरा हाथ बटाऊँगी . तुम दिखी उदास अगर तो , मै रो पडूँगी . दुःख तेरे सारे हर लूंगी . मै निर्दोष निहत्थी , तुम ममता की मूरत हो, मै अपूर्ण अरुपा , तुम खिली खिली सी सूरत हो , पुकार मेरी सुन लो ना. माँ मुझको मत मारो ना. पढ़ा लिखा कर मुझको , जीवन के उच्च शिखर पर , तुम पहुंचा देना , गलत करूँ मै तो , मुझको समझा देना . पाकर तेरा स्पर्श माँ मै , ख़ुशबू बन महकूँगी , घर को सुरभित कर दूँगी. भैया के हाथों में राखी बांधूंगी , बहू बनी जिस घर की, घर उसका भी खुशियों से भर दूँगी. माँ बनकर मै कल्पना चावला सी , नाम तेरा जग भर में कर दूँगी. मेरा यकीं कर लो ना , माँ मुझको मत मारो ना. माँ ,लगता है , तुम मुझ पर होने वाले खर्चों से डरती हो , मेरी शादी में तुम खर्च जरा भी ना करना और दहेज़ लोभियों से तुम मेरा ब्याह भी मत करना . मै खुश रहूँगी, मुझको इस जग को समझाना है , इस दहेज़ के दानव ने छीना, हम बेटिओं का आशियाना है , इस कुप्रथा को हर हाल में अब मिटाना है , तुम समझ गयी बोलो ना , मौन अब तोड़ भी दो ना , माँ मुझको मत मारो ना. रचनाकार : राजेश जैन राही साभार :......... |
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वर्तमान के सबसे गंभीर और विचारणीय मुद्दे पर सुत्र बनाने के लिए धन्यवाद !
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
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बड़ा ही मार्मिक सूत्र |
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http://thumb10.shutterstock.com/disp...-131069267.jpgमुझे मत मारो :उडने दो |
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