My Hindi Forum

My Hindi Forum (http://myhindiforum.com/index.php)
-   Blogs (http://myhindiforum.com/forumdisplay.php?f=13)
-   -   ज़िन्दगी गुलज़ार है (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=13861)

Pavitra 22-09-2014 04:04 PM

ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
~ज़िन्दगी गुलज़ार है~

Pavitra 22-09-2014 04:05 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है। ये हम सब जानते हैं। ज़िन्दगी हमें कितना कुछ देती है , सुख , अनुभव , सीख। ज़िन्दगी सबसे अच्छी शिक्षक होती है। इंसान जितना अपनी ज़िन्दगी से सीखता है उतना शायद कोई और उसे नहीं सीखा सकता।

पर फिर भी हमारी ज़िन्दगी में कभी कभी ऐसे पल आते हैं जब हमें लगता है कि अब सब ख़त्म हो गया। अब ज़िन्दगी जीने का कोई फायदा नहीं। जब हम ज़िन्दगी से निराश हो जाते हैं। जब हमें लगने लगता है कि हमने ज़िन्दगी से कुछ नहीं पाया।

पर क्या सच में ऐसा हो सकता है कि ज़िन्दगी ने हमें कुछ न दिया हो?

ज़िन्दगी के ऐसे ही अच्छे - और कम अच्छे पहलुओं (कम अच्छे इसलिए क्यूंकि मुझे लगता है कि ज़िन्दगी बुरा किसी के साथ नहीं करती ) की चर्चा करने के लिए ये सूत्र शुरू किया गया है।

Pavitra 22-09-2014 04:08 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
ऐसा क्या करें कि हमारी ज़िन्दगी बहुत बहुत खूबसूरत हो जाये?

रिश्ते , प्रेम , शोहरत , संतुष्टि , सब कुछ मिले हमें।

Pavitra 22-09-2014 04:13 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
My Hindi Forum पर अब तक का मेरा अनुभव कहता है कि यहाँ पर बुद्धिजीवी लोग हैं जो हमारा मार्गदर्शन कर सकते हैं , हमारी समस्याओं का समाधान ढूंढने में हमारी मदद कर सकते हैं।

इस सूत्र में मैं अपनी समझ के हिसाब से तो पोस्ट करुँगी ही , पर अगर जीवन से जुडी आपकी कोई समस्या हो तो आप यहाँ सभी के साथ बाँट सकते हैं , क्या पता आपकी समस्या का समाधान मिल जाये , और बाकि सदस्यों को उस समस्या और समाधान के माध्यम से कुछ सीख मिल जाये।

Pavitra 22-09-2014 04:19 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
हमारी ज़िन्दगी में जो चीज़ हमें सबसे ज़्यादा प्रभावित करती है वो हैं "रिश्ते".

तो सबसे पहले मैं ज़िन्दगी के इस पहलू से ही चर्चा शुरू करती हूँ।

Pavitra 22-09-2014 04:22 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
रिश्ते कभी कच्ची डोर की तरह कमज़ोर होते हैं तो कभी ज़ंज़ीर की तरह मजबूत कि अगर तोड़ने का प्रयास किया भी जाये तो भी तोडना असंभव होता है।

ये सब हमारी आपसी समझ पर निर्भर करता है , रिश्ते में मौजूद प्रेम पर , और एक दूसरे पर जो विश्वास होता है हमें उस पर निर्भर करता है।

Pavitra 22-09-2014 04:25 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
पर जो चीज़ सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है किसी भी रिश्ते में वो होती है - रिश्ता बनाये रखने की इच्छा

अगर रिश्ता बनाये रखने की इच्छा है आपमें तो फिर परिस्थितियां चाहें कितनी भी विपरीत क्यों न हों , रिश्ता कायम रहता ही है। 100 खामियों के बावजूद रिश्ता बना ही रहता है।

और अगर ये इच्छा ख़त्म हो गयी तो चाहे 100 बहाने क्यों न हों साथ रहने के, रिश्ता निभ ही नहीं सकता।

rajnish manga 22-09-2014 10:58 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
एक विलक्षण चर्चा का आरम्भ करने के लिये आपको बधाई देना चाहता हूँ, पवित्रा जी. इसका शीर्षक भी विशेष रूप से आकर्षक है जो हमें याद दिलाता है की जीवन एक वरदान है, एक कभी न खत्म होने वाला वसंतोत्सव है. मानव जीवन है तो समाज भी है. समाज है तो आपसी रिश्ते भी हैं, रिश्ते हैं तो उन्हें समाज की बेहतरी के किये बनाए रखने की ज़रूरत भी है. इसके लिए चाहिए परस्पर विश्वास और एक-दूसरे के लिए आदर व स्नेह की भावना. 'जीओ और जीने दो' का महामंत्र जन-जीवन में गुंजायमान हो. हम अपनी उन्नति के लिए किसी अन्य व्यक्ति का मार्ग न अवरुद्ध करें बल्कि सबको आगे बढ़ने ने का बराबर अवसर मिले अर्थात् सामूहिक विकास का मार्ग अपनाया जाये. परिवार तथा समाज, व्यवसाय अथवा उद्योग सब जगह इसी विचारधारा का बोलबाला हो तो कोई कारण नहीं की 'गुलज़ार ज़िन्दगी' का हमारा सपना पूरा न हो.

bindujain 23-09-2014 05:01 AM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by pavitra (Post 528788)
ऐसा क्या करें कि हमारी ज़िन्दगी बहुत बहुत खूबसूरत हो जाये?

रिश्ते , प्रेम , शोहरत , संतुष्टि , सब कुछ मिले हमें।


आपको क्या मिले इस पर ध्यान देंगे तो आपको कुछ नहीं मिलेगा
आप ये सब देना शुरू कीजिये
आप पाएंगे ये सारी चीजे आपको मिलाने लगी है
किसी ने कहा है
भागती फिरती थी दुनियां जब तालाब करते थे हम
जबसे हमने इसको छोड़ा आने को बेकरार है




Pavitra 23-09-2014 11:08 AM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by bindujain (Post 528835)

आपको क्या मिले इस पर ध्यान देंगे तो आपको कुछ नहीं मिलेगा
आप ये सब देना शुरू कीजिये
आप पाएंगे ये सारी चीजे आपको मिलाने लगी है
किसी ने कहा है
भागती फिरती थी दुनियां जब तालाब करते थे हम
जबसे हमने इसको छोड़ा आने को बेकरार है




आपसे सहमत हूँ मैं, जो पाने की अभिलाषा हो वो देना शुरू करें तो अपने आप हमें वो ही चीज़ मिलना शुरू हो जाएगी।

पर इस स्वार्थी दुनिया में आज सभी पाने की ही अभिलाषा रखते हैं इसलिए मैंने लिखा था कि - ऐसा क्या करें जो ये सब हमें मिले।

Pavitra 23-09-2014 11:26 AM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
हम अक्सर दूसरों से उम्मीद करते हैं कि वो हमें समझे , पर ये नहीं देखते कि हम भी तो उसको समझने का प्रयास नहीं कर रहे , जब हम उसे नहीं समझना चाहते तो उससे क्यों उम्मीद करें कि वो हमें समझे।

इसलिए अगर हम चाहते हैं कि दूसरे लोग हमें समझें तो हमें भी उन्हें समझने का प्रयास करना चाहिए।

soni pushpa 23-09-2014 05:36 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by Pavitra (Post 528924)
हम अक्सर दूसरों से उम्मीद करते हैं कि वो हमें समझे , पर ये नहीं देखते कि हम भी तो उसको समझने का प्रयास नहीं कर रहे , जब हम उसे नहीं समझना चाहते तो उससे क्यों उम्मीद करें कि वो हमें समझे।

इसलिए अगर हम चाहते हैं कि दूसरे लोग हमें समझें तो हमें भी उन्हें समझने का प्रयास करना चाहिए।

Quote:

Originally Posted by Pavitra (Post 528923)
आपसे सहमत हूँ मैं, जो पाने की अभिलाषा हो वो देना शुरू करें तो अपने आप हमें वो ही चीज़ मिलना शुरू हो जाएगी।

पर इस स्वार्थी दुनिया में आज सभी पाने की ही अभिलाषा रखते हैं इसलिए मैंने लिखा था कि - ऐसा क्या करें जो ये सब हमें मिले।

पवित्रा जी आपने अपने नाम की तरह बहुत पवित्र बात कही है , और इन रिश्तों की वजह से जो हमे मिले , प्रेम शोहरत और संतुष्टि उसको रिश्तों से जोड़ा है आपने. कुछ हद तक सही है की रिश्तों की वजह से येसब मिलता है लोगो को, पर मेरा मानना है की , रिश्ते तो रिश्ते हैं जो निभाने पड़ते है कई बार, और कई बार हम जीते है इन रिश्तों को वो इतने गहरे हो जाते हैं .... और कई बार देखने के लिए हम अलग होते है किन्तु हमेशा जाने अनजाने भी वो रिश्ते हमसे जुड़े रहते हैं जीवन भर ...

आपने सबसे पहले रिश्तोको लेकर कुछ कहने को कहा है ना , तो मै कहूँगी की कई बार खून के रिश्ते , दिल के रिश्तो से छोटे हो जाते हैं क्यूंकि हम देखते हैं, सुनते हैं की समाज में मकान को लेकरऔर धन को लेकर bhai _bhai कोर्ट तक जाते हैं तब खून के रिश्तों का खून हो जाता है ,और कहीं--- एक अनजान परायो के लिए इतना कुछ करते देखे गए हैं जो की अपनो से बढ़कर बन जाते हैं . और दिल में बस जाते है और साथ ही लोग उसके लिए बहुत आदर सम्मान की भावना रखते है और अपनों से ज्यदा उन्हें मानते हैं क्यूंकि, दुःख के समय में एइसे भले इन्सान ने उनका साथ दिया होता है ...इसलिए ही कहीं रिश्ते लोहे की जंजीर जितने मजबूत होते है तो कही मोमबत्ती की तरह पिघल जाते हैं .
दूसरी वजह ये भी है की दिल के रिश्ते हम खुद बनाते हैं जबकि दुसरे रिश्ते हमे वंशानुगत मिलते हैं या फिर किसी के द्वारा हमे दिए जाते हैं ,जेइसे की वर कन्या----- वर कन्या का विवाह पहले के ज़माने में और आज भी कहीं कहीं माँ बाप की मरजी से होता है औरहोता था तब ये रिश्ता निभाया जाता था न की इसे दिल से अपनाया जाता था ये न कहूँगी की हरेक के लिए ये बात लागु होती है पर हर जगह हर दिल नही मिल पाते .
अब करें बात समाज की तो चूँकि हम एक सामाजिक प्राणी हैं इन्सान हैं समाज के बिना तो हमारा वजूद ही नही जन्म से लेकर मृत्यु तक हमें समाज का साथ चहिये होता है एकेले इन्सान खुद को तनहा पाकर जी नही सकता वो कही न कही से कोई तो रिश्ता बना ही लेता है भले वो दुनिया में अकेला ही क्यों न हो कोई दोस्त बना लिए कोई bhai या बहन बना लेते हैं एइसे रिश्तो के बिना जी नही सकते हम और रिश्तो से हम अपने आप बंधे चले जाते हैं ... सबसे बड़ा उदहारण हम सब ही हैं -- हैं की नही? अब हम सबके बिच एक अनोखा सा रिश्ता बन ही गया है न क्यूँ की सब इंतजार करते हैं की हैं कि हमारे ये दोस्त आये क्यों नही... फिर आये और लिखा तो उसके रिप्लाई में लिखना और बहस करना ये सब अब और कुछ नही तो वाचक और लेखक का रिश्ता बन ही गया न ? ये जस्ट मेने एक उदाहरण ही दिया बाकि इससे हम समझ सकते है की भले जो भी हो कच्चे या मजबूत पर बिन रिश्तों के इन्सान नही जी सकता फिर भले उन रिश्तो से हमे कुछ मिले या न मिले ...
अगला शब्द होगा " शोहरत " तब आगे और लिखूंगी पवित्रा जी . अब अगले वाचक की लेखनी का इंतज़ार रहेगा ...

Rajat Vynar 23-09-2014 07:55 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by pavitra (Post 528792)
पर जो चीज़ सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है किसी भी रिश्ते में वो होती है - रिश्ता बनाये रखने की इच्छा

अगर रिश्ता बनाये रखने की इच्छा है आपमें तो फिर परिस्थितियां चाहें कितनी भी विपरीत क्यों न हों , रिश्ता कायम रहता ही है। 100 खामियों के बावजूद रिश्ता बना ही रहता है।

और अगर ये इच्छा ख़त्म हो गयी तो चाहे 100 बहाने क्यों न हों साथ रहने के, रिश्ता निभ ही नहीं सकता।

रिश्तों के सम्बन्ध में पहले से एक विद्वान लेखिका ने बहुत अच्छी बात कही है. इसलिए उसका एक अंश यहाँ पर उद्घृत करना ही पर्याप्त होगा-
‘‘हम में से बहुत से लोग अपना पहला सम्बन्ध जो समुचित रूप से हमारे लिए ठीक प्रतीत होता है, उससे बँध जाते हैं और उसे सच्चा प्यार के ढाँचे में दबा-दबा कर बैठाने का प्रयत्न करते हैं. वस्तुतः यह एक गलत बात नहीं है- यह मानना कि रिश्ते का व्यापक उद्देश्य स्वीकार करना और अनुकूल बनाना हैं. लेकिन किसी भी चीज़ को जब आप बहुत अधिक दबाते हैं तो कुछ देर बार वह फट जाती है. विज्ञान का कुछ फण्डा होता है. इसलिए मुझसे मत पूछिए- क्यों?’’
क्या इसके आगे भी इस विषय पर कोई चर्चा आवश्यक है?

Rajat Vynar 23-09-2014 07:58 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by pavitra (Post 528923)
आपसे सहमत हूँ मैं, जो पाने की अभिलाषा हो वो देना शुरू करें तो अपने आप हमें वो ही चीज़ मिलना शुरू हो जाएगी।

पर इस स्वार्थी दुनिया में आज सभी पाने की ही अभिलाषा रखते हैं इसलिए मैंने लिखा था कि - ऐसा क्या करें जो ये सब हमें मिले।

लावण्या जी, सबसे पहले आपके नए उपनाम पवित्रा जी के रूप में आपका स्वागत है. ध्वनि-ज्योतिष के अनुसार आपके नए नाम में पे, रे, अव् जैसे कई धनात्मक और सकारात्मक कंपन है. इस टिप्पणी के बारे में मेरा कथन यह है कि यह एक असम्भव नियम है. ‘कुछ पाने’ के बदले उसके समतुल्य ‘कुछ और’ देने का प्रस्ताव भी मान्य होना चाहिए. अतः अपवाद नियमों को भी साथ में लागू किया जाना चाहिए. हमें विस्मृत नहीं करना चाहिए कि देश में पहले से ही धारा 37 लागू है!

Rajat Vynar 23-09-2014 08:05 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by pavitra (Post 528924)
हम अक्सर दूसरों से उम्मीद करते हैं कि वो हमें समझे , पर ये नहीं देखते कि हम भी तो उसको समझने का प्रयास नहीं कर रहे , जब हम उसे नहीं समझना चाहते तो उससे क्यों उम्मीद करें कि वो हमें समझे।

इसलिए अगर हम चाहते हैं कि दूसरे लोग हमें समझें तो हमें भी उन्हें समझने का प्रयास करना चाहिए।

मझें या न समझें कोई बात नहीं लेकिन इज्ज़त तो उसी तरह पूर्ववत ‘कायदे से’ करना चाहिए न?

Pavitra 23-09-2014 10:33 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by soni pushpa (Post 528946)
पवित्रा जी आपने अपने नाम की तरह बहुत पवित्र बात कही है , और इन रिश्तों की वजह से जो हमे मिले , प्रेम शोहरत और संतुष्टि उसको रिश्तों से जोड़ा है आपने. कुछ हद तक सही है की रिश्तों की वजह से येसब मिलता है लोगो को, पर मेरा मानना है की , रिश्ते तो रिश्ते हैं जो निभाने पड़ते है कई बार, और कई बार हम जीते है इन रिश्तों को वो इतने गहरे हो जाते हैं .... और कई बार देखने के लिए हम अलग होते है किन्तु हमेशा जाने अनजाने भी वो रिश्ते हमसे जुड़े रहते हैं जीवन भर ...

आपने सबसे पहले रिश्तोको लेकर कुछ कहने को कहा है ना , तो मै कहूँगी की कई बार खून के रिश्ते , दिल के रिश्तो से छोटे हो जाते हैं क्यूंकि हम देखते हैं, सुनते हैं की समाज में मकान को लेकरऔर धन को लेकर bhai _bhai कोर्ट तक जाते हैं तब खून के रिश्तों का खून हो जाता है ,और कहीं--- एक अनजान परायो के लिए इतना कुछ करते देखे गए हैं जो की अपनो से बढ़कर बन जाते हैं . और दिल में बस जाते है और साथ ही लोग उसके लिए बहुत आदर सम्मान की भावना रखते है और अपनों से ज्यदा उन्हें मानते हैं क्यूंकि, दुःख के समय में एइसे भले इन्सान ने उनका साथ दिया होता है ...इसलिए ही कहीं रिश्ते लोहे की जंजीर जितने मजबूत होते है तो कही मोमबत्ती की तरह पिघल जाते हैं .
दूसरी वजह ये भी है की दिल के रिश्ते हम खुद बनाते हैं जबकि दुसरे रिश्ते हमे वंशानुगत मिलते हैं या फिर किसी के द्वारा हमे दिए जाते हैं ,जेइसे की वर कन्या----- वर कन्या का विवाह पहले के ज़माने में और आज भी कहीं कहीं माँ बाप की मरजी से होता है औरहोता था तब ये रिश्ता निभाया जाता था न की इसे दिल से अपनाया जाता था ये न कहूँगी की हरेक के लिए ये बात लागु होती है पर हर जगह हर दिल नही मिल पाते .
अब करें बात समाज की तो चूँकि हम एक सामाजिक प्राणी हैं इन्सान हैं समाज के बिना तो हमारा वजूद ही नही जन्म से लेकर मृत्यु तक हमें समाज का साथ चहिये होता है एकेले इन्सान खुद को तनहा पाकर जी नही सकता वो कही न कही से कोई तो रिश्ता बना ही लेता है भले वो दुनिया में अकेला ही क्यों न हो कोई दोस्त बना लिए कोई bhai या बहन बना लेते हैं एइसे रिश्तो के बिना जी नही सकते हम और रिश्तो से हम अपने आप बंधे चले जाते हैं ... सबसे बड़ा उदहारण हम सब ही हैं -- हैं की नही? अब हम सबके बिच एक अनोखा सा रिश्ता बन ही गया है न क्यूँ की सब इंतजार करते हैं की हैं कि हमारे ये दोस्त आये क्यों नही... फिर आये और लिखा तो उसके रिप्लाई में लिखना और बहस करना ये सब अब और कुछ नही तो वाचक और लेखक का रिश्ता बन ही गया न ? ये जस्ट मेने एक उदाहरण ही दिया बाकि इससे हम समझ सकते है की भले जो भी हो कच्चे या मजबूत पर बिन रिश्तों के इन्सान नही जी सकता फिर भले उन रिश्तो से हमे कुछ मिले या न मिले ...
अगला शब्द होगा " शोहरत " तब आगे और लिखूंगी पवित्रा जी . अब अगले वाचक की लेखनी का इंतज़ार रहेगा ...


soni pushpa जी , आपने बिलकुल वही बातें लिखी हैं जो मैं सोचती हूँ , और जिनके विषय में मैं आगे के पोस्ट्स में लिखने वाली थी। मैं भी यही मानती हूँ कि रिश्ते खून के ही नहीं होते , अपितु जो कुछ रिश्ते जो हम स्वयं बनाते हैं वो हमारे लिए कभी कभी रक्त-संबंधों से बढ़कर हो जाते हैं।
असल में रिश्तों में जो चीज़ सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है , वो है "प्रेम" ……जहां हमें प्रेम मिलता है , हम वहीँ चले जाते हैं , जिससे प्रेम मिलता है उसके ही हो जाते हैं।
बहुत बार हमारे सगे भाई-बहनों से ज़्यादा प्रिय हमें हमारे दोस्त हो जाते हैं।

तो रिश्तों में प्रेम ही सबसे महत्वपूर्ण है। बिना प्रेम के रिश्ते निभाए तो जा सकते हैं परन्तु रिश्तों को जीया नहीं जा सकता।

Pavitra 23-09-2014 10:46 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by Rajat Vynar (Post 528949)
लावण्या जी, सबसे पहले आपके नए उपनाम पवित्रा जी के रूप में आपका स्वागत है. ध्वनि-ज्योतिष के अनुसार आपके नए नाम में पे, रे, अव् जैसे कई धनात्मक और सकारात्मक कंपन है. इस टिप्पणी के बारे में मेरा कथन यह है कि यह एक असम्भव नियम है. ‘कुछ पाने’ के बदले उसके समतुल्य ‘कुछ और’ देने का प्रस्ताव भी मान्य होना चाहिए. अतः अपवाद नियमों को भी साथ में लागू किया जाना चाहिए. हमें विस्मृत नहीं करना चाहिए कि देश में पहले से ही धारा 37 लागू है!


रजत जी , एक बार फिर से मुझे आपकी बात समझने में परेशानी हो रही है। कुछ पाने के बदले में कुछ और देना ??? धारा 37 ???
मेरा IQ level अभी average के आंकड़े को भी नहीं छू पाया है और आप above average level की बातें लिख रहे हैं। थोड़ा detail में लिखा कीजिये जिससे मेरे छोटे से दिमाग पर ज़्यादा ज़ोर न पड़े। :P

Pavitra 23-09-2014 11:08 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by rajat vynar (Post 528948)
रिश्तों के सम्बन्ध में पहले से एक विद्वान लेखिका ने बहुत अच्छी बात कही है. इसलिए उसका एक अंश यहाँ पर उद्घृत करना ही पर्याप्त होगा-
‘‘हम में से बहुत से लोग अपना पहला सम्बन्ध जो समुचित रूप से हमारे लिए ठीक प्रतीत होता है, उससे बँध जाते हैं और उसे सच्चा प्यार के ढाँचे में दबा-दबा कर बैठाने का प्रयत्न करते हैं. वस्तुतः यह एक गलत बात नहीं है- यह मानना कि रिश्ते का व्यापक उद्देश्य स्वीकार करना और अनुकूल बनाना हैं. लेकिन किसी भी चीज़ को जब आप बहुत अधिक दबाते हैं तो कुछ देर बार वह फट जाती है. विज्ञान का कुछ फण्डा होता है. इसलिए मुझसे मत पूछिए- क्यों?’’
क्या इसके आगे भी इस विषय पर कोई चर्चा आवश्यक है?

Quote:

Originally Posted by rajat vynar (Post 528950)
मझें या न समझें कोई बात नहीं लेकिन इज्ज़त तो उसी तरह पूर्ववत ‘कायदे से’ करना चाहिए न?



1- बहुत ही अच्छी बात कही है उन लेखिका ने , हम अक्सर ऐसे लोगों के साथ रिश्ते निभाने का प्रयास करते हैं जो असल में हमारे लिए बने ही नहीं होते। हमें जो भी मिलता है उसे ही भाग्य समझकर अपना लेते हैं , स्वीकार कर लेते हैं , उसके अनुरूप खुद को और अपने अनुरूप उसको बदलने का प्रयास करते हैं , ज़बरदस्ती उस रिश्ते को सच्चा प्यार का टैग भी लगा देते हैं। एक अभिनय सा करने लगते हैं , उसके सामने , दुनिया के सामने और अपने सामने भी कि हम बहुत खुश हैं। पर झूठ की नींव पर टिकी इमारत ज़्यादा समय तक नहीं टिक सकती। तो ज़बरदस्ती झूठी सांत्वना पर चलने वाला रिश्ता कैसे लम्बे समय तक टिक सकता है ? ज़बरदस्ती के रिश्ते एक दिन ताश के पत्तों के महल की भाँती बिखर जाते हैं।


2- इज़्ज़त एक ऐसी चीज़ है जिसे कमाना पड़ता है। इस काबिल बनना पड़ता है कि लोग आपकी इज़्ज़त करें। इज़्ज़त मांगी नहीं जा सकती , ज़बरदस्ती हासिल भी नहीं की जा सकती। इज़्ज़त पाने के लिए तो वास्तव में इज़्ज़त पाने के काबिल बनना पड़ता है।

Pavitra 23-09-2014 11:26 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
ये सूत्र सिर्फ ज़िन्दगी के विषय में बात करने के लिए ही नहीं अपितु ज़िन्दगी से जुडी हमारी समस्याओं और जिज्ञासाओं के निदान के लिए भी शुरू किया गया है।

तो इसलिए मैं ही अपनी एक जिज्ञासा के साथ इसे प्रारम्भ करती हूँ। आशा है कि आप सभी इस सूत्र में हिस्सा लेंगे और अपने विचारों के माध्यम से समस्याओं - जिज्ञासाओं का समाधान करेंगे।

Pavitra 23-09-2014 11:26 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
हम सभी जीवन जी रहे हैं , पर वास्तव में इस जीवन का उद्देश्य क्या है ?
हम क्या प्राप्त करना चाहते हैं ?
जीवन में सबसे आवश्यक क्या है ?

Deep_ 24-09-2014 07:55 AM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by Pavitra (Post 528971)
हम सभी जीवन जी रहे हैं , पर वास्तव में इस जीवन का उद्देश्य क्या है ? हम क्या प्राप्त करना चाहते हैं ? जीवन में सबसे आवश्यक क्या है ?

पवित्रा जी।
अगर में कहुं, आपने आते ही फोरम पर धुम मचा दी है तो अतिशयोक्ति नही होगी. आपके नए सुत्र और पुराने सुत्रो पर आपका योगदान भी प्रशंसा-पात्र है। में समझता हुं, मेरे बाकी मित्र भी ईस बात से सहमत होंगे।

मेरे मतानुसार जीवन क्या है, जीवन का उद्देश्य क्या होना चाहीए ईस के बारे में वेद-ग्रंथ में जो लिखा है वही सत्य होगा। चाहे हम जिस धर्म के हो, हमारे लिए धर्मग्रंथ बने हुए है जहां विद्वानो ने मंथन कर के जीवन का पुरा नीचोड लिखा है।

समय, काल के परिवर्तन के साथ हम भी बदल जातें है। आज ईस अत्याधुनीक युग में यह सब सोचने का समयभी नही मिलता। हमारी प्रायोरीटी बदल जाती है। हमे उलझन में डालने वाली बहुत सी चीजें यहां उपलब्ध है। हमारे पास ईतने सारे ओप्शन है, ईतने सारे मार्ग, जानकारीयां, उदाहरण, ट्युटोरीयल उपलब्ध है कि हम समझ ही नही पाते के सही-गलत क्या है! वास्तव में सही-गलत की परिभाषा भी बदल गई है!

फिर बी कोई फर्क नहि पडना चाहीए अगर समय बदल गया है, क्यों की वेद-उपनिषद लिखनेवालों को यह भी सोचा ही होगा। समय भी क्या चीज़ है। ईश्वर न करे लेकिन अगर फिर से कीसी कारणवश यह सब समाप्त हो जाए....शुरुआत तो शुरु से ही होगी! वही...आदिमानवो से एन्ड्रोईड तक :giggle:

में आपके प्रश्नो से भटक नही रहा....लेकिन में यही सोचता हुं। ग्रंथो में जो लिखा है, जीवन माया है, उसका उदेश्य सबका भला करना है, हमे सिर्फ पुण्य एवं ज्ञान प्राप्त करना चाहीए और आखरी प्रश्न का उत्तर है..सबसे आवश्यक ईन सब प्रश्नोको मनमें जगाए रखना है!

:think:

Rajat Vynar 24-09-2014 08:40 AM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by Deep_ (Post 529070)
पवित्रा जी।
अगर में कहुं, आपने आते ही फोरम पर धुम मचा दी है तो अतिशयोक्ति नही होगी.

धूम क्यों नहीं मचेगी? Our foursome is kind of inevitable! क्यों, पवित्रा जी? :egyptian:

Rajat Vynar 24-09-2014 08:58 AM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by Pavitra (Post 528963)
रजत जी , एक बार फिर से मुझे आपकी बात समझने में परेशानी हो रही है। कुछ पाने के बदले में कुछ और देना ??? धारा 37 ???
मेरा IQ level अभी average के आंकड़े को भी नहीं छू पाया है और आप above average level की बातें लिख रहे हैं। थोड़ा detail में लिखा कीजिये जिससे मेरे छोटे से दिमाग पर ज़्यादा ज़ोर न पड़े। :P

वित्रा जी, आप कहतीं हैं- ‘जो पाने की अभिलाषा हो वो देना शुरू करें’. यह हमारे देश की प्राचीनतम वस्तु-विनिमय व्यवस्था (barter system) के विरुद्ध है क्योंकि यदि किसी के पास कोई चीज़ पहले से है तो वह चीज़ वह दूसरे से लेना क्यों पसंद करेगा? उदाहरण के लिए यह कल्पना कीजिए कि आप, मैं और सोनी जी किसान हैं. सोनी जी के पास तरबूज का खेत है, आपके पास केले का और मेरे पास खरबूजे का. अब यह स्पष्ट है कि जिसके पास तरबूज का खेत है वह तरबूज के बदले तरबूज तो लेगा नहीं. तरबूज के बदले केला या खरबूजा लेना चाहेगा. इसीलिए तो मैंने कहा कि कुछ पानेके बदले उसके समतुल्य कुछ औरदेने का प्रस्ताव भी मान्य होना चाहिए.

Pavitra 24-09-2014 02:24 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by Deep_ (Post 529070)
पवित्रा जी।
अगर में कहुं, आपने आते ही फोरम पर धुम मचा दी है तो अतिशयोक्ति नही होगी. आपके नए सुत्र और पुराने सुत्रो पर आपका योगदान भी प्रशंसा-पात्र है। में समझता हुं, मेरे बाकी मित्र भी ईस बात से सहमत होंगे।

मेरे मतानुसार जीवन क्या है, जीवन का उद्देश्य क्या होना चाहीए ईस के बारे में वेद-ग्रंथ में जो लिखा है वही सत्य होगा। चाहे हम जिस धर्म के हो, हमारे लिए धर्मग्रंथ बने हुए है जहां विद्वानो ने मंथन कर के जीवन का पुरा नीचोड लिखा है।

समय, काल के परिवर्तन के साथ हम भी बदल जातें है। आज ईस अत्याधुनीक युग में यह सब सोचने का समयभी नही मिलता। हमारी प्रायोरीटी बदल जाती है। हमे उलझन में डालने वाली बहुत सी चीजें यहां उपलब्ध है। हमारे पास ईतने सारे ओप्शन है, ईतने सारे मार्ग, जानकारीयां, उदाहरण, ट्युटोरीयल उपलब्ध है कि हम समझ ही नही पाते के सही-गलत क्या है! वास्तव में सही-गलत की परिभाषा भी बदल गई है!

फिर बी कोई फर्क नहि पडना चाहीए अगर समय बदल गया है, क्यों की वेद-उपनिषद लिखनेवालों को यह भी सोचा ही होगा। समय भी क्या चीज़ है। ईश्वर न करे लेकिन अगर फिर से कीसी कारणवश यह सब समाप्त हो जाए....शुरुआत तो शुरु से ही होगी! वही...आदिमानवो से एन्ड्रोईड तक :giggle:

में आपके प्रश्नो से भटक नही रहा....लेकिन में यही सोचता हुं। ग्रंथो में जो लिखा है, जीवन माया है, उसका उदेश्य सबका भला करना है, हमे सिर्फ पुण्य एवं ज्ञान प्राप्त करना चाहीए और आखरी प्रश्न का उत्तर है..सबसे आवश्यक ईन सब प्रश्नोको मनमें जगाए रखना है!

:think:

:hello: :thanks:
ये आप सभी का प्रोत्साहन , सहयोग और आप सब से मिली प्रेरणा है जिसकी वजह से मैं फोरम पर थोड़ा बहुत योगदान दे पा रही हूँ। आप सभी आगे भी इसी तरह प्रेरित करते रहे यही अभिलाषा है।

मेरी जिज्ञासा के विषय में अपने विचार प्रकट करने के लिए हार्दिक धन्यवाद , मेरा मानना भी यही है कि जीवन का उद्देश्य तो मानव-कल्याण ही होना चाहिए।

Pavitra 24-09-2014 02:31 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by rajat vynar (Post 529079)
धूम क्यों नहीं मचेगी? our foursome is kind of inevitable! क्यों, पवित्रा जी? :egyptian:




जी बिलकुल। …। वैसे ये तो पक्की बात है कि जब तक कोई कमेंट न करे तो लिखने में मज़ा ही नहीं आता। … इसलिए ऐसे ही एक्टिविटी जारी रखिये।

Pavitra 24-09-2014 02:38 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by Rajat Vynar (Post 529080)
वित्रा जी, आप कहतीं हैं- ‘जो पाने की अभिलाषा हो वो देना शुरू करें’. यह हमारे देश की प्राचीनतम वस्तु-विनिमय व्यवस्था (barter system) के विरुद्ध है क्योंकि यदि किसी के पास कोई चीज़ पहले से है तो वह चीज़ वह दूसरे से लेना क्यों पसंद करेगा? उदाहरण के लिए यह कल्पना कीजिए कि आप, मैं और सोनी जी किसान हैं. सोनी जी के पास तरबूज का खेत है, आपके पास केले का और मेरे पास खरबूजे का. अब यह स्पष्ट है कि जिसके पास तरबूज का खेत है वह तरबूज के बदले तरबूज तो लेगा नहीं. तरबूज के बदले केला या खरबूजा लेना चाहेगा. इसीलिए तो मैंने कहा कि कुछ पानेके बदले उसके समतुल्य कुछ औरदेने का प्रस्ताव भी मान्य होना चाहिए.


रजत जी मैं Economis की ही student हूँ तो Barter system(वस्तु विनिमय) समझती हूँ। पर आपको नहीं लगता कि हर जगह ये बात लागू नहीं हो सकती। अब देखिये लोग कहते हैं कि अगर आप चाहते हो कि दूसरे लोग आपको सम्मान दें तो पहले आप को उन्हें सम्मान देना होगा , अगर आप चाहते हैं कि लोग आपसे प्यार से बात करें तो आपको भी दूसरे से प्यार से ही बात करनी होगी। …।ऐस थोड़े ही होता है कि - जैसे मेरा स्वभाव क्रोधी हो और मैं आपसे गुस्से से बात करूँ और बदले में आप मुझे सम्मान दें।

kuki 24-09-2014 04:11 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
पवित्रा,मैं काफी हद तक तुमसे सहमत हूँ पर पूरी तरह से नहीं। मैं मानती हूँ की अगर हम किसी को सम्मान और प्यार देंगे तो ही बदले में हमें सम्मान और प्यार मिलेगा ,लेकिन हर बार ऐसा हो ये ज़रूरी नहीं होता। कई बार लोग आपकी अच्छाई को ,आपकी विनम्रता को आपकी कमज़ोरी मान लेते हैं और आपको हलके में लेने लगते हैं। इसलिए हमें देखना चाहिए की सामने वाला कौन है और कैसा है वैसा ही व्यव्हार करना चाहिए ,क्यूंकि अगर सामने वाले के पास तरबूज़ है तो वो आपको तरबूज़ ही देगा न केला नहीं।

Rajat Vynar 24-09-2014 09:31 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by kuki (Post 529097)
पवित्रा,मैं काफी हद तक तुमसे सहमत हूँ पर पूरी तरह से नहीं। मैं मानती हूँ की अगर हम किसी को सम्मान और प्यार देंगे तो ही बदले में हमें सम्मान और प्यार मिलेगा ,लेकिन हर बार ऐसा हो ये ज़रूरी नहीं होता। कई बार लोग आपकी अच्छाई को ,आपकी विनम्रता को आपकी कमज़ोरी मान लेते हैं और आपको हलके में लेने लगते हैं। इसलिए हमें देखना चाहिए की सामने वाला कौन है और कैसा है वैसा ही व्यव्हार करना चाहिए ,क्यूंकि अगर सामने वाले के पास तरबूज़ है तो वो आपको तरबूज़ ही देगा न केला नहीं।

वाह, क्या बात कही आपने, कुकी जी- ‘जिसके पास तरबूज है तो वह तरबूज ही देगा, केला नहीं’. आपने एक बार फिर अपनी बुद्धिमानी से सिद्ध कर दिया कि आपमें विलक्षण प्रतिभा है और आप विषय में व्याप्त गहराई को समझती हैं. एक मेरी बहन है जो ज्योतिषी है, उसकी एक बात मुझे पसंद नहीं- जबरदस्ती अपना ‘दैवीय’ ज्ञान अपने दोस्तों में बाँटती रहती है. कुकी जी की विलक्षण प्रतिभा के लिए एक बार फिर १०१ पॉइंट नगद और ५१ पॉइंट उधार इनाम (उधार इनाम पर भुगतान होने तक १० प्रतिशत का ब्याज) मेरी ओर से. पहली बार इनाम में उधार और उधार इनाम पर ब्याज की परंपरा चलाकर हमने एक नया कीर्तिमान बनाया है.

Pavitra 24-09-2014 09:47 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by kuki (Post 529097)
पवित्रा,मैं काफी हद तक तुमसे सहमत हूँ पर पूरी तरह से नहीं। मैं मानती हूँ की अगर हम किसी को सम्मान और प्यार देंगे तो ही बदले में हमें सम्मान और प्यार मिलेगा ,लेकिन हर बार ऐसा हो ये ज़रूरी नहीं होता। कई बार लोग आपकी अच्छाई को ,आपकी विनम्रता को आपकी कमज़ोरी मान लेते हैं और आपको हलके में लेने लगते हैं। इसलिए हमें देखना चाहिए की सामने वाला कौन है और कैसा है वैसा ही व्यव्हार करना चाहिए ,क्यूंकि अगर सामने वाले के पास तरबूज़ है तो वो आपको तरबूज़ ही देगा न केला नहीं।

kuki ji , Exceptions are always there .....अपनी छोटी सी ज़िन्दगी से मैंने ये सीखा है , कि हर चीज़ हर बार हर परिस्थिति या हर व्यक्ति पर लागू नहीं हो सकती है।
कभी कभी हम दूसरों को सम्मान देते हैं तब हमें सम्मान मिलता है , तो कभी कभी किसी के लिए कितना भी कर लो पर बदले में सिर्फ तिरस्कार ही मिलता है।

इसलिए मुझे लगता है कि कोई Universal Formula नहीं हो सकता रिश्ते जीने का , हाँ ये जो कुछ बातें मैंने कही हैं ऊपर उसके माध्यम से रिश्ते निभाने का प्रयास अवश्य हो सकता है। पर पुनः दुहराना चाहूंगी कि रिश्ते व्यक्तियों पर निर्भर करते हैं , तो हमें रिश्ते निभाने का तरीका हमेशा बदलते रहना होता है , व्यक्ति के हिसाब से।

Pavitra 24-09-2014 09:54 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by kuki (Post 529097)
पवित्रा,मैं काफी हद तक तुमसे सहमत हूँ पर पूरी तरह से नहीं। मैं मानती हूँ की अगर हम किसी को सम्मान और प्यार देंगे तो ही बदले में हमें सम्मान और प्यार मिलेगा ,लेकिन हर बार ऐसा हो ये ज़रूरी नहीं होता। कई बार लोग आपकी अच्छाई को ,आपकी विनम्रता को आपकी कमज़ोरी मान लेते हैं और आपको हलके में लेने लगते हैं। इसलिए हमें देखना चाहिए की सामने वाला कौन है और कैसा है वैसा ही व्यव्हार करना चाहिए ,क्यूंकि अगर सामने वाले के पास तरबूज़ है तो वो आपको तरबूज़ ही देगा न केला नहीं।

Quote:

Originally Posted by Rajat Vynar (Post 529107)
वाह, क्या बात कही आपने, कुकी जी- ‘जिसके पास तरबूज है तो वह तरबूज ही देगा, केला नहीं’. आपने एक बार फिर अपनी बुद्धिमानी से सिद्ध कर दिया कि आपमें विलक्षण प्रतिभा है और आप विषय में व्याप्त गहराई को समझती हैं. एक मेरी बहन है जो ज्योतिषी है, उसकी एक बात मुझे पसंद नहीं- जबरदस्ती अपना ‘दैवीय’ ज्ञान अपने दोस्तों में बाँटती रहती है. कुकी जी की विलक्षण प्रतिभा के लिए एक बार फिर १०१ पॉइंट नगद और ५१ पॉइंट उधार इनाम (उधार इनाम पर भुगतान होने तक १० प्रतिशत का ब्याज) मेरी ओर से. पहली बार इनाम में उधार और उधार इनाम पर ब्याज की परंपरा चलाकर हमने एक नया कीर्तिमान बनाया है.


Kuki ji आपके पोस्ट्स सच में ज्ञान वर्धक और व्यवहारिक होते हैं। उनमें समाज की सच्चाई होती है। इसलिए ऐसे ही आगे भी अपने विचार हमसे बांटती रहिएगा।

रजत जी , जिस तरह से आजकल kuki ji पोस्ट कर रही हैं मुझे लगता है बहुत जल्दी ही आप तो Zero पॉइंट्स पर आजायेंगे। क्यूंकि उनका हर एक पोस्ट इनाम के काबिल होगा और आप इसी तरह points इनाम में देते रहे तो आपके पास तो कुछ बचेगा भी कि नहीं , कह नहीं सकते। ......LOL :laughing:

emptymind 24-09-2014 11:41 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by pavitra (Post 528971)
हम सभी जीवन जी रहे हैं , पर वास्तव में इस जीवन का उद्देश्य क्या है ?

पाइसा
Quote:

Originally Posted by pavitra (Post 528971)
हम क्या प्राप्त करना चाहते हैं ?

पाइसा
Quote:

Originally Posted by pavitra (Post 528971)
जीवन में सबसे आवश्यक क्या है ?

पाइसा

पता नहीं किसने कहा था, पर क्या खूब कहा था - वाह-वाह।
आप भी सुनिये-

पैसा खुदा तो नहीं है....
मगर खुदा से कम भी नहीं है।

अगर मेरी बात समझ मे ना आए तो दिमाग पर ज़ोर ना दे, क्योंकि मेरा तो ......
हीहीही, समझ गए ना?

Rajat Vynar 25-09-2014 01:49 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by emptymind (Post 529176)
पाइसा

पाइसा

पाइसा

पता नहीं किसने कहा था, पर क्या खूब कहा था - वाह-वाह।
आप भी सुनिये-

पैसा खुदा तो नहीं है....
मगर खुदा से कम भी नहीं है।

अगर मेरी बात समझ मे ना आए तो दिमाग पर ज़ोर ना दे, क्योंकि मेरा तो ......
हीहीही, समझ गए ना?

वाह-वाह, अपने खाली दिमाग से क्या ऊँची बात कही आपने. आपका उत्तर पढ़कर लावारिस फिल्म का एक पुराना गीत याद आ गया-
हे हे चार पैसे क्या मिले
..

क्या मिले भई क्या मिले
..
वो ख़ुद को समझ बैठे ख़ुदा..
वो ख़ुदा ही जाने अब होगा तेरा अंजाम क्या
..

काहे पैसे पे
..
काहे पैसे पे इतना
ग़ुरूर करे है..
ग़ुरूर करे है
यही पैसा तो..
यही पैसा तो अपनों से..
दूर करे है..
दूर करे है
..

काहे पैसे पे
..

सोने
-चाँदी के ऊँचे महलों में..
दर्द ज़्यादा है चैन थोड़ा है..
दर्द ज़्यादा है चैन थोड़ा है..
इस ज़माने में पैसे वालों ने
प्यार छीना है..
दिल को तोड़ा है
..

प्यार छीना है दिल को तोड़ा है
..

पैसे की अहमियत से तो इन्कार नहीं है
..
पैसा ही मगर सब कुछ सरकार नहीं है..
इन्साँ
-इन्साँ है, पैसा-पैसा है
..
दिल हमारा भी तेरे जैसा है
..
भला पैसा तो बुरा भी है..
ये ज़हर भी है ये नशा भी है
..

ये ज़हर भी है ये नशा भी है
..

ये नशा कोई
..
ये नशा कोई धोखा ज़रूर करे है..
यही पैसा तो अपनों से
..
दूर करे है.. दूर करे है..
अरे चले कहाँ
..

ऐ पैसे से क्या
-क्या तुम यहाँ ख़रीदोगे..
हे दिल ख़रीदोगे या के जाँ ख़रीदोगे..
बाज़ारों में प्यार कहाँ बिकता है..
दुकानों पे यार कहाँ बिकता है
..
फूल बिक जाते हैं ख़ुश्बू बिकती नहीं..
जिस्म बिक जाते हैं रूह बिकती नहीं..
चैन बिकता नहीं ख़्वाब बिकते नहीं
..

दिल के अरमान बेताब बिकते नहीं
..

अरे पैसे से क्या
-क्या..

हे दिल ख़रीदोगे या के जाँ ख़रीदोगे
..
हे इन हवाओं का मोल क्या दोगे..
इन घटाओं का मोल क्या दोगे..
अरे इन ज़मीनों का मोल हो शायद
..

आसमानों का मोल क्या दोगे
..

आसमानों का मोल क्या दोगे
..

पास पैसा है तो है ये
..
दुनिया हसीं.. दुनिया हसीं..
हो ज़रूरत से ज़्यादा तो
..
मानों यक़ीं..
मानों यक़ीं
..
ये दिमाग़ों में..
ये दिमाग़ों में
..
पैदा फ़ितूर करे है..
यही पैसा तो अपनों से
..
दूर करे है.. दूर करे है..

आपने अपने खाली दिमाग से ज्ञान का सिक्का जमा दिया और हम सब अपने भरे दिमाग से सोचते ही रह गए! आपके ज्ञान भरे उत्तर के लिए
11 पॉइंट नगद इनाम मेरी ओर से. अब यह कहकर हड़ताल न करियेगा कि ‘सभी को आप बड़ा-बड़ा इनाम बाँटते है और मुझे इतना कम?’ बहुधा यही होता है हमारे देश में. बड़ा-बड़ा फंड जान-पहचान, खास लोगों और रिश्तेदारों में बंट जाता है!

Rajat Vynar 25-09-2014 03:54 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by pavitra (Post 529093)
रजत जी मैं economis की ही student हूँ तो barter system(वस्तु विनिमय) समझती हूँ। पर आपको नहीं लगता कि हर जगह ये बात लागू नहीं हो सकती। अब देखिये लोग कहते हैं कि अगर आप चाहते हो कि दूसरे लोग आपको सम्मान दें तो पहले आप को उन्हें सम्मान देना होगा , अगर आप चाहते हैं कि लोग आपसे प्यार से बात करें तो आपको भी दूसरे से प्यार से ही बात करनी होगी। …।ऐस थोड़े ही होता है कि - जैसे मेरा स्वभाव क्रोधी हो और मैं आपसे गुस्से से बात करूँ और बदले में आप मुझे सम्मान दें।

वित्रा जी, कहीं आपका आशय यह तो नहीं सामने वाले के गुण-दोषों के आधार पर ही यह निर्णय लेना चाहिए कि उसका सम्मान किया जाए या नहीं? और जहाँ तक सम्मान की बात है आप किस प्रकार के सम्मान की बात कर रही हैं? Respect, Regard, Revere or Venerate? थोडा स्पष्ट कीजिये?

Rajat Vynar 25-09-2014 05:10 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by pavitra (Post 529116)
kuki ji आपके पोस्ट्स सच में ज्ञान वर्धक और व्यवहारिक होते हैं। उनमें समाज की सच्चाई होती है। इसलिए ऐसे ही आगे भी अपने विचार हमसे बांटती रहिएगा।

रजत जी , जिस तरह से आजकल kuki ji पोस्ट कर रही हैं मुझे लगता है बहुत जल्दी ही आप तो zero पॉइंट्स पर आजायेंगे। क्यूंकि उनका हर एक पोस्ट इनाम के काबिल होगा और आप इसी तरह points इनाम में देते रहे तो आपके पास तो कुछ बचेगा भी कि नहीं , कह नहीं सकते। ......lol :laughing:

क्या फर्क पड़ता है अगर जीरो पॉइंट हो जाए? यहाँ का जमा करके दूसरे बैंक में तो जमा नहीं कर पाऊँगा. यहीं का कमाया, यहीं गवांया. आप ये देखिए कि कुकी जी ने कितनी ऊँची बात कही है! मैं यह मानता हूँ कि यहाँ पर कुकी जी का कद छोटा है, लेकिन सही बात तो ये है कि उनका कद बहुत मोटा है! आप तो ये बात खुद जानती होंगी.. और फिर पॉइंट कहीं बाहर थोड़े ही बांटे जा रहे है. अपने ही लोगों में ही तो बांटे जा रहे है. तरबूज के गुणों को कुकी जी ने काफी गहराई से समझा है-
--------------------------------------------
आजकल तरबूज की पूरे अमेरीका में धूम मची है। सभी बड़े होटलों में ब्रेकफास्ट के समय इसका उपलब्ध रहना लगभग अनिवार्य माना जा रहा है। इसका बड़ा कारण पिछले पांच वर्षो में कुछ नये शोधों द्वारा तरबूज के नये फायदों का खुलासा होना है। डा भीमू पटेल, टेक्सास के फ्रूट एवं वेजिटेबल विभाग के डायरेक्टर हैं। उनका कहना है कि बेजोड़ चीज है तरबूज।
नये शोध नेदिखाया है कि तरबूज में वियाग्रा दवा जैसा गुणहै
अगर यौन शक्ति में कमी है, इरेक्शन की समस्या है या यौन इच्छा का अभाव है, तो रोज पांच बार तरबूज खाने की सलाह दी गयी है। न्यूट्रीशन मेडिकल जरनल एवं साइंस डेली पत्रिका में छपे शोध के अनुसार तरबूज में सिटूलीन नामक जैव रसायन होता है, जो शरीर में जाकर अरजीनीन नामक एमीनो एसिड में परिवर्तित हो जाता है। अरजीनीन की सही मात्रा शरीर में रहे, तो नाइट्रिक आक्साइड प्रचुर मात्रा में बनता है। नाइट्रिक आक्साइड को 1992 में मालिक्यूल आफ डिकेड कहा गया था। यह पाया गया था कि हमारी रक्त वाहिनियों की आंतरिक सतह इंडोथेलियम से यह साबित होता है। यदि यह सही मात्रा में शरीर में रहे, तो हार्ट की बीमारी न हो, रक्तचाप ठीक रहे, अर्थराइटिस से निजात मिले और कई तरह के कैंसरों से बचाव हो। तरबूज खाने से नाइट्रिक एसिड की मात्रा संतुलित हो जाती है। यौन अंगों में नाइट्रिक एसिड बनने से वहां रक्त प्रवाह सही हो जाता है, यही है वियाग्रा जैसा प्रभाव। सिटूलीन की अधिकता से शरीर की प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ती है और शरीर का जहर बाहर निकल जाता है।
---------------
गर्मी के दिनों में तरबूज का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है।

यह मोटापे और मधुमेह को भी रोकने का काम करता है। अर्जीनाइन नाइट्रिकऑक्साइड को बढावा देता है, जिससे रक्त धमनियों को आराम मिलता है। तरबूज काबीज देसी वियाग्रा का काम करता है।गर्मियों में शरीर को ठंडा रखने के वालातरबूज खाने से सेक्स क्षमता किसी वियाग्रा से कम नहीं होती। शोधकर्ताओं केमुताबिक तरबूज में वह सभी गुण मौजूद हैं जो सेक्स क्षमता बढ़ाने के लिएशरीर पर असर डालते हैं।यह फल गुणो की खान है और शरीर के लिए वरदान स्वरूपहै।
पानी से भरपूर तरबूज गर्मी के लिए सबसे फायदेमंद है। इसमें 92 प्रतिशतपानी होता है।यह हमारे शरीर को गर्म मौसम से लड़ने की ताकत भी देता है।मीठे स्वाद के अलावा भी इसमें बहुत सारे गुण होते हैं जो हमारे लिएफायदेमंद हैं।
तरबूज़ में सिट्रुलिन नामक न्यूट्रिन होता है जो शरीर में जाने के बादअर्जीनाइन में बदल जाता है। अर्जीनाइन एक एम्यूनो इसिड होता है जो शरीर कीरोग प्रतिरोधक क्षमता बढाता है और खून का का संचलन सही करता है।
---------------------------------------
*जिन व्यक्तियों को कब्ज की शिकायत रहती है, उनके लिए तरबूज का सेवन करना अच्छा रहता है, क्योंकि इसके खाने से आँतों को एक प्रकार की चिकनाई मिलती है।
* इसका सेवन उक्त रक्तचाप को बढ़ने से भी रोकता है।
* खाना खाने के उपरांत तरबूज का रस पीने से भोजन शीघ्र पच जाता है। इससे नींद भी अच्छी आती है। इसके रस से लू लगने का अंदेशा भी नहीं रहता।
* मोटापा कम करने वालों के लिए यह उत्तम आहार है।
* पोलियो रोगियों को तरबूज का सेवन करना बहुत लाभकारी रहता है, क्योंकि यह खून को बढ़ाता है और उसे साफ भी करता है। त्वचा रोगों में भी यह फायदेमंद है।
* तपती गर्मी में जब सिरदर्द होने लगे तो तरबूज के आधा गिलास रस को मिश्री मिलाकर पीना चाहिए।
* पेशाब में जलन हो तो ओस या बर्फ में रखे हुए तरबूज का रस निकालकर सुबह शकर मिलाकर पीने से लाभ होता है।
* गर्मी में नित्य तरबूज का ठंडा-ठंडा शरबत पीने से शरीर को शीतलता तो मिलती ही है, चेहरे पर गुलाबी-गुलाबी आभा भी दमकने लगती है। इसके लाल गूदेदार छिल्कों को हाथ-पैर, गर्दन व चेहरे पर रगड़ने से सौंदर्य निखरता है।
* सूखी खाँसी में तरबूज खाने से खाँसी का बार-बार चलना बंद होता है।
* तरबूज की फाँकों पर कालीमिर्च पावडर, सेंधा व काला नमक बुरककर खाने से खट्टी डकारें आना बंद होती हैं।
* धूप में चलने से ज्वर आया तो फ्रिज का ठंडा-ठंडा तरबूज खाने से फायदा होता है।
* तरबूज का गूदा लें और इसे "ब्लैक हैडस" के प्रभावित एरिया पर आहिस्ता-आहिस्ता रगड़ें। १० मिनट उपरांत चेहरे को गुनगुने पानी से साफ कर लें।
* अपचन, भूख बढ़ाने तथा खून की कमी में यह प्रयोग काम में लाएँ। एक बड़े तरबूज में थोड़ा-सा छेद करके २०० ग्राम चीनी भर दें। ४-५ दिन तक उस तरबूज को दिन में धूप में तथा रात में चन्द्रमा की रोशनी में रखें। उसके बाद अंदर से पानी निचोड़ लें और छानकर काँच की साफ बोतल में भर लें। यह तरल पदार्थ चौथाई कप की मात्रा में दिन में दो से तीन मर्तबा पीने से उपरोक्त तकलीफों में अत्यंत लाभ होता है।
* पागलपन, दिमागी गर्मी, हिस्टीरिया, अनिद्रा रोगों में तरबूज का गूदा ४० मिनट के लिए सिर पर रखना फायदेमंद होता है।
* तरबूज में विटामिन ए, बी, सी तथा लौहा भी प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिससे रक्त सुर्ख व शुद्ध होता है।

-----------------------
गर्मी का आकर्षक और आवश्*यक फल तरबूज शरीर में पानी की कमी को पूरा
करता है। इसमें एंटी ऑक्*सीडेंट भी होता है और यही नहीं रिसर्च के अनुसार तरबूज पेट के कैंसर, हृदय रोग और मधुमेह से बचाता है। तरबूज में 92% पानी और 6% शक्*कर होती है, यह विटामिन ए, सी और बी6 का सबसे बडा़ स्*त्रोत है। इसमें बीटा कैरोटीन होता है जो कि हृदय रोग के रिस्*क को कम कर के सेल रिपेयर करता है। तरबूज के फायदे- 1. तरबूज में लाइकोपिन पाया जाता है, लाइकोपिन हमारी त्वचा को जवान बनाए रखता है। ये हमारे शरीर में कैंसर को होने से भी रोकता है। 2. तरबूज में विटामिन ए और सी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। विटामिन सी हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तन्त्र को मजबूत बनाता है और विटामिन ए हमारे आँखों के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है। 3. तरबूज और उसके बीजों की गिरी शरीर को पुष्ट बनाती है। तरबूज खाने के बाद उसके बीजों को धो सुखा कर रख लें जिन्हें बाद में भी खाया जा सकता है। 4. अपचन, भूख बढ़ाने तथा खून की कमी होने पर भी तरबूज बहुत लाभदायक सिद्ध होता है । एक बड़े तरबूज में थोड़ा-सा छेद करके उसमें एक ग्राम चीनी भर दें। फिर दिन तक उस तरबूज को धूप में तथा रात में चंद्रमा की रोशनी में रखें। उसके बाद अंदर से पानी निचोड़ लें और छानकर काँच की साफ बोतल में भर लें। यह तरल पदार्थ चौथाई कप की मात्रा में दिन में दो से तीन मर्तबा पीने से उपरोक्त तकलीफों में अत्यंत लाभकारी होता है। 5. तरबूज की फाँकों पर काली मिर्च पाउडर, सेंधा व काला नमक बुरककर खाने से खट्टी डकारें आना बंद होती हैं। 6. तरबूज का गूदा लें और इसे "ब्लैकहेड्स" के प्रभावित जगह पर आहिस्ता-आहिस्ता रगड़ें। एक ही मिनट उपरांत चेहरे को गुनगुने पानी से साफ कर लें। 7. तरबूज खाते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसे खाने के बाद 1 घंटे तक पानी न पियें अन्यथा लाभ के स्*थान पर शरीर को हानि पहुंच सकती है। तरबूज ताजा काट कर खायें। बहुत पहले का कटा तरबूज भी नुकसान पहुंचाता है।

--------------------------------
तरबूज के उपर्युक्त गुणों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि तरबूज के बड़े और आकर्षक आकार पर न जाकर तरबूज के गुणों को ही प्राथमिकता देनी चाहिए. यह सब तो तरबूज का सकारात्मक पहलू है, लेकिन इसका नकारात्मक पहलू भी है और यह बात बहुत कम लोग जानते हैं. एक कॉफी शॉप में दो लोग आपस में बात कर रहे थे कि तरबूज की खेती से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती है और गर्मी के महीने में मात्र कुछ धनवान लोगों को ठंडा करने के लिए ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देना कहाँ का न्याय है? कुछ लोग ठन्डे हो जाएँ और बाकी सभी गर्म? तरबूज के भारी दाम को देखते हुए जो लोग तरबूज खरीदने में सक्षम हैं वही तो गर्मी के महीने में ठन्डे-ठन्डे तरबूज का आनंद ले सकते हैं. वैसे तो सरकार को चाहिए कि गरीबों के लिए ‘तरबूज फंड’ बनाए जिससे गरीब भी तरबूज खरीद सकें, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग घटाने के लिए मैंने तरबूज की खेती के खिलाफ प्रचार करना शुरू किया और यह बड़ी खुशी कि बात है कि कुछ किसानों ने हमारी बात की गहराई को समझा और तरबूज की खेती कम कर दी.
---------------------------------------
टिप्पणी- लाल रंग से लिखा हुआ सभी कॉपी-पेस्ट है.

Rajat Vynar 25-09-2014 08:23 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by pavitra (Post 528967)

1- बहुत ही अच्छी बात कही है उन लेखिका ने , हम अक्सर ऐसे लोगों के साथ रिश्ते निभाने का प्रयास करते हैं जो असल में हमारे लिए बने ही नहीं होते। हमें जो भी मिलता है उसे ही भाग्य समझकर अपना लेते हैं , स्वीकार कर लेते हैं , उसके अनुरूप खुद को और अपने अनुरूप उसको बदलने का प्रयास करते हैं , ज़बरदस्ती उस रिश्ते को सच्चा प्यार का टैग भी लगा देते हैं। एक अभिनय सा करने लगते हैं , उसके सामने , दुनिया के सामने और अपने सामने भी कि हम बहुत खुश हैं। पर झूठ की नींव पर टिकी इमारत ज़्यादा समय तक नहीं टिक सकती। तो ज़बरदस्ती झूठी सांत्वना पर चलने वाला रिश्ता कैसे लम्बे समय तक टिक सकता है ? ज़बरदस्ती के रिश्ते एक दिन ताश के पत्तों के महल की भाँती बिखर जाते हैं।

देखिए, पवित्रा जी.. लेखिका की बात तो ठीक ही प्रतीत होती है, क्योंकि यदि दूसरा पक्ष आपकी भावनाओं को स्वीकार न करे और किसी भी हालत में सच्चा प्यार के ढाँचे में ढलने के लिए तैयार न हो तो? ...इसके आगे अपडेट के लिए प्रतीक्षा करें.

emptymind 25-09-2014 08:57 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by Rajat Vynar (Post 529233)
वाह-वाह, अपने खाली दिमाग से क्या ऊँची बात कही आपने. आपका उत्तर पढ़कर लावारिस फिल्म का एक पुराना गीत याद आ गया-
..............

आपने अपने खाली दिमाग से ज्ञान का सिक्का जमा दिया और हम सब अपने भरे दिमाग से सोचते ही रह गए! आपके ज्ञान भरे उत्तर के लिए
11 पॉइंट नगद इनाम मेरी ओर से. अब यह कहकर हड़ताल न करियेगा कि ‘सभी को आप बड़ा-बड़ा इनाम बाँटते है और मुझे इतना कम?’ बहुधा यही होता है हमारे देश में. बड़ा-बड़ा फंड जान-पहचान, खास लोगों और रिश्तेदारों में बंट जाता है!

रजत जी, मुझे अभी-अभी हंसने के लिए नाइट्र्स ऑक्साइड का डोज़ लेना पड़ा।
लगता है आप भी मेरी तरह ही होते जा रहे है। जब मैंने तीन बार पाइसा, पाइसा, पाइसा बोला, तो कम से से 11 रुपये तो दे देते। फोकटिया 11 पॉइंट्स का क्या करूंगा।

कोई बात नहीं, हमे कोई फोकट मे जहर भी दे तो, हम वो भी नहीं छोड़ते।
11 पॉइंट्स accepted।
:gm::gm:

Pavitra 25-09-2014 11:21 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
जिज्ञासा - दोस्ती क्या है ?
किन लोगों को दोस्त की श्रेणी में रखना चाहिए। आपके हिसाब से कौन सी खूबियां एक व्यक्ति में होनी चाहिए एक दोस्त बनने के लिए ?

Pavitra 25-09-2014 11:28 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by emptymind (Post 529176)
पाइसा

पाइसा

पाइसा

पता नहीं किसने कहा था, पर क्या खूब कहा था - वाह-वाह।
आप भी सुनिये-

पैसा खुदा तो नहीं है....
मगर खुदा से कम भी नहीं है।

अगर मेरी बात समझ मे ना आए तो दिमाग पर ज़ोर ना दे, क्योंकि मेरा तो ......
हीहीही, समझ गए ना?


उच्च विचार …।अब कहने को बचा ही क्या , आपने एक ही बार शब्द में सारे प्रश्नों का उत्तर दे दिया। .
:p :p :p

Pavitra 25-09-2014 11:35 PM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by rajat vynar (Post 529325)
वित्रा जी, कहीं आपका आशय यह तो नहीं सामने वाले के गुण-दोषों के आधार पर ही यह निर्णय लेना चाहिए कि उसका सम्मान किया जाए या नहीं? और जहाँ तक सम्मान की बात है आप किस प्रकार के सम्मान की बात कर रही हैं? respect, regard, revere or venerate? थोडा स्पष्ट कीजिये?

रजत जी , मैं सोचती हूँ कि अगर सामने वाला व्यक्ति बुरा है तो हमें उसके साथ बुरा नहीं बनना चाहिए , बल्कि उसके साथ और भी अच्छा व्यवहार करना चाहिए जिससे उसको समझ आये कि उसमें और हम में क्या फर्क है ? किसी बुरे के लिए अपनी अच्छाई छोड़ना समझदारी नहीं है।

हाँ कुछ लोग बहुत ही बुरे होते हैं तो उनके साथ तो चाहे कितना अच्छा कर लो उन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ता , उल्टा वो आपकी अच्छाई को आपकी कमज़ोरी ही समझते हैं।

और मैं रेस्पेक्ट वाले सम्मान की ही बात कर रही थी।

Deep_ 26-09-2014 11:37 AM

Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
 
Quote:

Originally Posted by Pavitra (Post 529443)
जिज्ञासा - दोस्ती क्या है ?
किन लोगों को दोस्त की श्रेणी में रखना चाहिए। आपके हिसाब से कौन सी खूबियां एक व्यक्ति में होनी चाहिए एक दोस्त बनने के लिए ?

बाप रे! ईतना सोच के कोई अगर दोस्ती करता तो हो चुका बंटाधार! :giggle:
पवित्राजी, जैसे शादी का जोड़ा बनना उपर से तय है, मेरे विचार से दोस्त भी 'उपर वाला' ही बनाता है। एसा नही हो सकताकी एक बौध्धिक विचारशील व्यक्ति का मित्र कोई पगला सा व्यक्ति हो? आप ही देख ही लो उदाहरण....ईस फोरम पर लेखकों के साथ मेरी और मेरे ही जैसे 'एम्प्टी माईन्ड' की दोस्ती आपके सामने मौजुद है :laughing:

वैसे आपका प्रश्न बहुत अच्छा लगा...काश एक दोस्त एसा हो जिसकी सारी खुबी-खामी हमें अच्छी लगे।


All times are GMT +5. The time now is 07:26 AM.

Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.