कसाब को फांसी से मनी दूसरी दिवाली
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देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई में 26/11 को कहर बरपाने वाले खूंखार आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को आज सुबह पुणे की यरवदा जेल में फांसी पर लटका दिया गया। भारत सरकार के इस कदम से न सिर्फ संसारभर में भारत की न्याय प्रणाली का परचम फहरा, बल्कि देशभर में खुशी की लहर इस कदर दौड़ी कि लोगों ने दिन में ही दूसरी दीपावली मना डाली। मैं इस सूत्र में घटनाक्रम से सम्बंधित समस्त तथ्य प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूं। उम्मीद है, यह सूत्र आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा।
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353521443 |
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आइए सबसे पहले जानते हैं कुछ कसाब के जीवन के बारे में।
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353521748 |
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मुंबई आतंकी हमले का काला चेहरा ‘कसाब’
बेपरवाह सी कार्गो पैंट, ढीला-ढाला नीला स्वेटशर्ट, पीठ पर बैग और हाथों में असाल्ट राइफल। यही था अजमल आमिर कसाब, मुंबई पर खौफनाक आतंकी हमले का काला चेहरा, जिसने पाकिस्तान में रची गई नापाक साजिश को अमली जामा पहनाने में अहम किरदार निभाया। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर लगे कैमरों ने 26 नवंबर, 2008 की जानलेवा रात में कसाब की जो तस्वीरें खींची हैं, उनमें वह कंधों पर झोला लटकाए ए के 47 असाल्ट राइफल को लापरवाही से इधर-उधर झुलाता दिख रहा है, जो उसके बेरहम कृत्य की गवाही दे रही हैं, जिसकी वजह से उसे फांसी के फंदे पर झूलना पड़ा। कसाब उस समय 21 वर्ष का था। वह देश की वाणिज्यिक राजधानी को 60 घंटे तक बंधक बनाए रखने वाले 10 आतंकवादियों का हिस्सा था, जो 26 नवंबर को पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के इशारे पर मुंबई में कहर मचाने आए थे। पाकिस्तान के पंजाब सूबे में ओकारा जिले के फरीदकोट गांव में रहने वाले कसाब ने कानूनी कार्यवाही के दौरान कई बार खुद को देशभक्त पाकिस्तानी बताया। उसे भारत के खिलाफ जंग छेड़ने का कोई मलाल नहीं था। उसके हवाले से कई बार कहा गया, मैंने ठीक किया, मुझे कोई अफसोस नहीं है। कसाब ने हालांकि सजा में नरमी की गुहार की थी। उसका कहना था कि लश्कर-ए-तैयबा ने उसका बे्रन वाश किया और उसने उसके इशारे पर रोबोट की तरह काम किया। |
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कसाब बेरोजगारी के दिनों में इस आतंकी संगठन के संपर्क में आया और उसे पाकिस्तान के कई सुदूरवर्ती प्रशिक्षण शिविरों में से एक में प्रशिक्षित करने के बाद मुंबई आतंकी हमले के लिए चुना गया। मुंबई पर हमले की सोची-समझी साजिश के तहत कसाब 26 नवंबर, 2008 को अपने नौ अन्य साथियों के साथ पाकिस्तान से समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचा। यह समूह जोड़ों में बंट गया और आलीशान होटलों-ताज महल और ओबेराय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, यहूदियों के धार्मिक केन्द्र और दक्षिण मुंबई में लिओपोल्ड कैफे को निशाना बनाया। आतंकवादियों की अंधाधुंध गोलीबारी में 18 विदेशियों सहित कुल 166 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए। ऐसी खबर थी कि पुलिस के हाथों पकड़े जाने पर कसाब ने कहा था कि उसे अंतिम सांस तक मारने का प्रशिक्षण दिया गया है, बाद में वह मेडिकल स्टाफ से यह गुहार लगाते देखा गया कि मैं मरना नहीं चाहता। पुलिस ने अस्पताल में जब कसाब से पूछताछ की तो उसने कहा कि मैं अब जीना नहीं चाहता। उसने जांचकर्ताओं से कहा कि उसे पाकिस्तान में रहने वाले उसके परिवार की हिफाजत के लिए मार दिया जाए, क्योंकि भारतीय पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने पर उसके परिवार को यातना दी जाएगी अथवा मौत के घाट उतार दिया जाएगा। ऐसी खबर है कि कसाब ने पुलिस को बताया था कि उसने और उसके साथी इस्माइल खान ने आतंकवाद निरोधी दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे, मुठभेड़ विशेषज्ञ विजय सालस्कर और अतिरिक्त आयुक्त अशोक काम्टे को गोली मारी।
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मुंबई हमले से जुड़े मामले के न्यायाधीश एम. एल. ताहिलियानी ने कहा कि उसे गर्दन से तब तक लटकाया जाए, जब तक उसकी मौत न हो जाए। उसने ‘मानवीय व्यवहार’ का अधिकार खो दिया है। कसाब ने 2005 में पिता के साथ झगड़े के बाद अपना घर छोड़ दिया था। उसने ईद पर नए कपड़े मांगे थे, लेकिन उसके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह उसे नए कपड़े दिला पाते, लिहाजा उन्होंने मना कर दिया, जिससे कसाब नाराज हो गया और घर से चला गया। उसके बाद इसने अपने दोस्त मुजफ्फरलाल खान के साथ मिलकर छोटे-मोटे अपराध करने शुरू किए और फिर सशस्त्र लूटपाट तक पहुंच गया। 21 दिसंबर, 2007 को वह ईद के दिन रावलपिंडी में था और हथियार खरीदने की कोशिश कर रहा था, जहां उसकी मुलाकात लश्कर-ए-तैयबा की राजनीतिक शाखा जमात-उद-दावा के सदस्यों से हुई, जो पर्चे बांट रहे थे। कुछ देर की बातचीत के बाद उनमें लश्कर-ए-तैयबा के आधार शिविर मरकज तैयबा में प्रशिक्षण लेने के बारे में सहमति बनी। कसाब उन 24 लोगों के समूह का हिस्सा था, जिन्हें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के पर्वतीय इलाके में लड़ाका प्रशिक्षण दिया गया। इसी समूह में से बाद में कसाब सहित उन 10 आतंकवादियों का चयन किया गया, जिन्होंने मुंबई को निशाना बनाया। ऐसी खबर मिली थी कि लश्कर-ए-तैयबा के वरिष्ठ कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी ने हमले में उसके शामिल होने पर उसके परिवार को डेढ़ लाख रुपए देने की पेशकश की थी।
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ओकारा के ग्रामीणों ने कैमरे के सामने दावा किया कि मुंबई पर हमले के छह महीने पहले तक कसाब उनके गांव में था। उन्होंने बताया कि कसाब ने अपनी मां से कहा था कि वह जिहाद के लिए जा रहा है, इसलिए वह उसे आशीर्वाद दे। उन्होंने दावा किया कि कसाब ने उस दिन गांव के कुछ लड़कों के सामने अपनी पहलवानी के जौहर दिखाए थे। शुरुआती खबरों में कसाब के अंग्रेजी ज्ञान और मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि पर परस्पर विरोधाभासी बातें कही गई थीं। हालांकि मुंबई पुलिस के उपायुक्त और जांचकर्ता ने बताया कि वह टूटी-फूटी हिंदी बोल पाता था, अंग्रेजी तो न के बराबर। कसाब को 80 अपराधों में दोषी पाया गया। इनमें भारत के खिलाफ जंग छेड़ने का आरोप भी शामिल था, जिसके लिए मौत की सजा का प्रावधान है। उसकी मौत की सजा को बम्बई उच्च न्यायालय ने 21 फरवरी, 2011 को बरकरार रखा। उच्चतम न्यायालय ने इसी साल 29 अगस्त को उसकी मौत की सजा पर अपनी मुहर लगाई।
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मुंबई हमले से लेकर कसाब को फांसी दिए जाने तक का घटनाक्रम
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353522820 -26 नवंबर 2008 : कसाब और नौ आतंकवादियों ने मुंबई में विभिन्न स्थानों पर हमला किया। -27 नवंबर 2008 : कसाब को तड़के एक बजकर तीस मिनट पर पकड़ा गया और गिरफ्तार कर नायर अस्पताल में भर्ती कराया। -29 नवंबर 2008 : आतंकवादियों के कब्जे वाले सभी स्थानों को मुक्त कराया गया और नौ आतंकवादी मारे गए। -30 नवंबर 2008 : कसाब ने पुलिस के समक्ष अपना अपराध स्वीकार किया। -13 जनवरी 2009 : एम. एल. ताहिलियानी मुंबई हमला मामले की सुनवाई के लिए न्यायाधीश नियुक्त किए गए। -26 जनवरी 2009 : कसाब के खिलाफ सुनवाई के लिए आर्थर रोड जेल का चयन। |
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-5 फरवरी 2009 : कसाब के डीएनए के नमूने कुबेर नौका में पाए गए, सामान में मिले डीएनए से मिल गए। कुबेर नौका से ही दसों आतंकवादी पाकिस्तान के कराची से समुद्र मार्ग से मुंबई पहुंचे थे।
-20-21 फरवरी 2009 : कसाब ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना अपराध स्वीकार किया। -22 फरवरी 2009 : उज्ज्वल निकम सरकारी वकील नियुक्त। -25 फरवरी 2009 : कसाब तथा दो अन्य के खिलाफ आरोपपत्र अदालत में दाखिल। -एक अप्रेल 2009 : अंजलि वाघमरे कसाब की वकील नियुक्त। -15 अप्रेल 2009 : बतौर कसाब की वकील, अंजलि वाघमरे हटाई गईं। -16 अप्रेल 2009 : अब्बास काजमी कसाब के वकील नियुक्त। -17 अप्रेल 2009 : कसाब का इकबालिया बयान अदालत में खोला गया, लेकिन कसाब बयान से मुकर गया। -20 अप्रेल 2009 : अभियोजन पक्ष ने कसाब पर 312 आरोप लगाए। |
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-29 अप्रेल 2009 : विशेषज्ञों ने कहा, कसाब नाबालिग नहीं।
-6 मई 2009 : आरोप तय किए गए। कसाब पर 86 आरोप लगाए। -8 मई 2009 : पहले प्रत्यक्षदर्शी ने गवाही दी, कसाब को पहचाना। - 23 जून 2009 : हाफिज सईद, जकी उर रहमान लखवी सहित 22 लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी। -30 नवंबर 2009 : बतौर कसाब के वकील, अब्बास काजमी हटाए गए। -एक दिसंबर 2009 : के. पी. पवार कसाब के वकील नियुक्त। -16 दिसंबर 2009 : अभियोजन पक्ष ने अपनी गवाही पूरी की। -18 दिसंबर 2009 : कसाब ने सभी आरोपों का खंडन किया। -31 मार्च 2010 : मामले में जिरह समाप्त। विशेष न्यायाधीश एम. एल. ताहिलियानी ने फैसला तीन मई 2010 तक के लिए सुरक्षित रखा। |
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-3 मई 2010 : कसाब को दोषी ठहराया गया। सबाउद्दीन अहमद और फहीम अंसारी सभी आरोपों से बरी।
-6 मई 2010 : निचली अदालत ने कसाब को मौत की सजा सुनाई। 21 फरवरी 2011 : बंबई उच्च न्यायालय ने कसाब को मौत की सजा बरकरार रखी। - मार्च 2011 : कसाब ने उच्चतम न्यायालय को पत्र लिख कर उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी। -10 अक्टूबर 2011 : उच्चतम न्यायालय ने कसाब को सुनाई गई मौत की सजा की तामील पर रोक लगाई। 10 अक्टूबर 2011 : कसाब ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि हमले के लिए उसके दिमाग में ‘रोबोट’ की तरह बातें भरी गईं और वह कम उम्र होने की वजह से मौत की सजा पाने का हकदार नहीं है। -18 अक्टूबर 2011 : उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार की अपील विचारार्थ स्वीकार की, जिसमें कसाब के सह आरोपियों फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती दी गई थी। -31 जनवरी 2012 : कसाब ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि उसके खिलाफ मामले में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सुनवाई नहीं हुई। |
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-23 फरवरी 2012 : उच्चतम न्यायालय में मुंबई हमले के षड़यंत्रकारियों और उनके पाकिस्तानी आकाओं के बीच हुई बातचीत के अंश सुनवाए गए और नरसंहार के सीसीटीवी फुटेज दिखाए गए।
-25 अप्रेल 2012 : उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा। -29 अगस्त 2012 : उच्चतम न्यायालय ने कसाब की मौत की सजा तथा मामले में दो कथित भारतीय सह आरोपियों को बरी किए जाने का फैसला बरकरार रखा। :16 अक्टूबर 2012 : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से कसाब की दया याचिका खारिज करने की सिफारिश की। -5 नवंबर 2012 : राष्ट्रपति ने कसाब की दया याचिका ठुकराई। -आठ नवंबर 2012 : महाराष्ट्र सरकार को राष्ट्रपति के फैसले की सूचना मिली। -21 नवंबर 2012 : कसाब को पुणे स्थित यरवदा जेल में फांसी दी गई। http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353523261 |
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मुंबई हमले के अपराधी अजमल कसाब को फांसी
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353524434 http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353524434 मुंबई पर आतंकी हमले के करीब चार साल बाद अजमल कसाब को आज सुबह पुणे के यरवदा केन्द्रीय कारागार में फांसी पर लटका दिया गया। महाराष्ट्र के गृह मंत्री आर. आर. पाटिल ने कसाब को फांसी दिए जाने के फौरन बाद मुंबई में बताया कि 25 वर्ष के कसाब को सुबह साढे सात बजे फांसी दे दी गई। पाकिस्तान को कसाब की फांसी के बारे में सूचित कर दिया गया था। मुंबई हमले की कानूनी प्रक्रिया समाप्त होने से इस हादसे से जुड़े लोगों को राहत मिली। चार बरस पहले पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने देश की वाणिज्यिक राजधानी पर वहशियाना हमला कर 166 लोगों की जान ले ली थी। 26 नवंबर 2008 को हुए इस हमले की गिरफ्त से मुंबई को मुक्त कराने में 60 घंटे का समय लगा और इस दौरान नौ उग्रवादियों को मार गिराया गया। दसवां हमलावर अजमल कसाब जीवित पकड़ लिया गया। जेल के अधिकारियों ने कसाब को फांसी देने के अभियान के विवरण के बारे में चुप्पी साधे रखी और पूरे अभियान को बड़ी गोपनीयता से अंजाम दिया गया। पता चला है कि फांसी से पहले कसाब ने कोई आखरी ख्वाहिश नहीं बताई। कसाब की सजा से बचने की तमाम कोशिशें असफल होने के बाद उसे फांसी पर लटकाया गया। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय के परामर्श पर कसाब की दया याचिका ठुकरा दी थी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान ने बताया कि कसाब को मुंबई की आर्थर रोड जेल से 19 नवंबर को पुणे की यरवदा जेल ले जाया गया था। महाराष्ट्र में कारागार महानिरीक्षक मीरन बोरवंकर ने कसाब की फांसी पर मीडिया के सवालों का जवाब देने से इंकार कर दिया। कसाब की फांसी का समाचार फैलते ही जेल के सामने तमाशबीनों की भीड़ लग गई। कसाब के अंतिम संस्कार के बारे में जेल अधिकारियों की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई और आधिकारिक तौर पर भी इस संबंध को कोई सूचना नहीं दी गई है। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बताया कि पाकिस्तान को कसाब की फांसी के संबंध में सूचित कर दिया गया था। शिंदे ने दिल्ली में कहा, ‘कसाब की फांसी से 26:11 मामले की कानूनी प्रक्रिया पूरी हो गई।’ इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग ने पाकिस्तान सरकार को एक पत्र के जरिए कसाब की फांसी के संबंध में सूचित किया, लेकिन पाकस्तिान ने वह पत्र लेने से इंकार कर दिया, लिहाजा उसे फैक्स भेजा गया। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि फांसी के बारे में पाकिस्तान को सूचित करने का दायित्व निभाया गया। विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने कसाब को फांसी दिए जाने को देश की ‘जीत’ बताया। मामले में निकम पुलिस की तरफ से पेश हुए थे। पाटिल ने कहा, ‘कानून की स्थापित प्रक्रिया का पालन किया गया।’ उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा 8 नवंबर को कसाब की दया याचिका नामंजूर किए जाने के बाद उसे फांसी दी गई। उन्होंने बताया कि कसाब ने कोई आखरी ख्वाहिश जाहिर नहीं की। उन्होंने कहा, ‘यह बेगुनाह पीड़ितों, जिनमें पुलिसकर्मी और सुरक्षा अधिकारी शामिल थे, को सच्ची श्रद्धांजलि थी, जिन्होंने अपनी जान गंवा दी।’ पाटिल ने कहा, ‘मुंबई पर हमला पूरे देश पर हमला था।’ शिंदे ने कहा कि अब तक किसी ने कसाब के पार्थिव शरीर के लिए दावा नहीं किया है और अगर पाकिस्तान चाहेगा तो भारत कसाब के पार्थिव शरीर को पड़ोसी देश के हवाले कर देगा। गृह मंत्री ने कहा कि अगर कसाब को भारत में दफनाया जाता है तो कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि कोई समस्या होगी (अगर कसाब को भारत में दफनाया गया तो) क्योंकि भारत ने बहुत कुछ झेला है और सबने ... और इस देश ने त्रासदी को देखा है। मानवता के खिलाफ तीन दिन तक चले संघर्ष में 166 लोग मारे गए।’ खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान ने कसाब का पार्थिव शरीर सौंपे जाने के बारे में भारत से कोई अनुरोध नहीं किया है। निकम ने कहा कि कसाब को फांसी देकर देश ने उन तमाम पुलिसकर्मियों और बेगुनाह लोगों को श्रद्धांजलि दी है, जिन्होंने इस हमले में अपने प्राण गंवाए। निकम ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा, ‘कसाब को दोषी ठहराकर और फांसी देकर हमने यह साबित कर दिया कि पूरी साजिश को किस तरह से पाकिस्तान में रचा गया। हमने यह नजीर कायम की है कि भारत इस तरह के हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा और आरोपियों को कानून के दायरे में लाया जाएगा।’ निकम ने सत्र अदालत और उच्च न्यायालय में मामले की पैरवी की और उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमणियम के सहायक रहे। शिव सेना के कार्यकर्ताओं के एक समूह ने कसाब को फांसी दिए जाने का स्वागत करते हुए यरवदा जेल के बाहर ‘वन्दे मातरम’ के नारे लगाए और संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरू का इंसाफ भी जल्द किए जाने की मांग की। कसाब को मुंबई पर 2008 में हुए हमले में गिरफ्तार किए जाने के बाद से मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा गया था। उसे निचली अदालत ने छह मई 2010 को फांसी की सजा सुनाई, जिसे 21 फरवरी 2011 को बम्बई उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा। उच्चतम न्यायालय ने इस वर्ष 29 अगस्त को सजा को बहाल रखा। कसाब और अन्य हमलावरों ने 26 नवंबर 2008 को नौका से मुंबई में प्रवेश किया। उनके पास मोबाइल फोन, हथगोले और अत्याधुनिक हथियार थे। वह मुंबई में चारों तरफ फैल गए और आलीशान होटलों ताज महल और ओबेरॉय ट्राइडेंट, यहूदी केन्द्र चबाड हाउस और शहर के मुख्य रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस को निशाना बनाया। |
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उम्मीद है कि मुंबई हमला मामले में पाकिस्तान कानून का पालन करेगा : खुर्शीद
भारत ने आज उम्मीद जताई कि पाकिस्तान में मुंबई हमला मामले की सुनवाई में कानून का पालन किया जाएगा जैसा यहां अजमल कसाब के मामले में किया गया । विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने यहां संवाददाताओं से कहा ‘साफ कहूं तो, हमने (अजमल कसाब के मामले में) कानून को अपना काम करने दिया । इसी तरह हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान में भी कानून का पालन किया जाएगा । भारत और पाकिस्तान में आपराधिक प्रक्रियाओं के बीच अधिक अंतर नहीं है ।’ खुर्शीद, मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमले में जीवित पकड़े गए एकमात्र आतंकवादी कसाब को फांसी दिए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे । पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब को पुणे की यरवदा जेल में आज सुबह फांसी दे दी गई । खुर्शीद ने कहा कि ‘अत्यंत दुखद घटना’ में बड़ी संख्या में लोगों की जान गई थी और पाकिस्तान में इस हमले के षड्यंत्रकारियों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है । उन्होंने कहा कि कसाब के मामले में भारत ने कानून का पालन किया और यहां तक कि, उसे (कसाब को) राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल करने का मौका भी दिया गया । विदेश मंत्री ने कहा ‘इससे पता चलता है कि हम सबको बराबर समझते हैं । कानून सब पर लागू होता है और यह सबके लिए बराबर होता है ।’ खुर्शीद ने कहा कि कानूनी जरूरतों के मुताबिक भारत ने पाकिस्तान सरकार और कसाब के परिवार को उसे फांसी दिए जाने के बारे में सूचित किया है । उन्होंने कहा ‘हमने पाकिस्तान विदेश मंत्रालय को एक फैक्स संदेश भेजा है । :इस घटनाक्रम पर: संवाद का और दूसरा तरीका नहीं है। हालांकि संदेश स्वीकार नहीं किया गया लेकिन हमने अपना दायित्व पूरा किया ।’ खुर्शीद ने कहा कि कसाब ने अपने अपराध की स्वीकारोक्ति के दौरान जो पता बताया था, उस पते पर उसकी फांसी की सूचना देते हुए एक कूरियर भी भेजा गया है । उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान सरकार या कसाब के परिवार ने उसका पार्थिव शरीर सौंपे जाने के लिए भारत से कोई अनुरोध किया है ? इस पर खुर्शीद ने कहा कि ऐसा कोई अनुरोध नहीं मिला है । एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अपने नागरिक के बारे में पूछना पाकिस्तान की जिम्मेदारी है । उन्होंने कहा ‘हमने इस अपरिहार्य घटनाक्रम के बारे में पाकिस्तान में एक पते पर सूचना दी है ।’ विदेश मंत्री ने इन अटकलों को खारिज कर दिया कि पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक की भारत यात्रा कसाब को फांसी की वजह से टाल दी गई । उन्होंने कहा ‘मैं नहीं सोचता कि इन बातों में कोई संबंध है । यात्रा का फैसला जरूरत के आधार पर किया जाता है । गृह मंत्रालय ने आकलन किया है । इस बात पर सहमति बनी है कि संसद का सत्र चालू रहने की वजह से यह अनुकूल समय नहीं होगा । बाद में अनुकूल समय पर फैसला किया जाएगा।’ |
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पाकिस्तान ने कसाब की फांसी के फैसले पर भेजा पत्र नहीं लिया : शिंदे
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353526467 भारत ने 2008 के मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब को फांसी दिए जाने के फैसले के बारे में पाकिस्तान सरकार और कसाब के परिवार के सदस्यों को पहले ही सूचना दे दी थी, लेकिन पाकिस्तान सरकार ने इस संबंध में भेजे गए पत्र को लेने से इंकार कर दिया। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने यह जानकारी दी। शिंदे ने मुंबई हमले के एकमात्र जीवित अपराधी अजमल कसाब को फांसी दिए जाने के कुछ घंटों बाद यहां संवाददाताओं को बताया, ‘विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के जरिए पाकिस्तान सरकार को कसाब को फांसी दिए जाने के बारे में सूचित किया था। जब उन्होंने संबंधित पत्र को स्वीकार नहीं किया तो उन्हें फैक्स के जरिए सूचित किया गया।’ केन्द्रीय गृह सचिव आर के सिंह ने बताया कि पाकिस्तान में रहने वाले कसाब के परिवार के सदस्यों को इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग ने इस बारे में सूचित किया। सिंह ने कहा, ‘उसके परिवार के सदस्यों को हमारे उच्चायोग ने कूरियर भेजकर सूचित किया। हमारे पास उस कूरियर की रसीद है, जिसे महाराष्ट्र सरकार को सौंप दिया गया है।’ शिंदे ने कहा कि अब तक किसी ने 25 वर्षीय कसाब का पार्थिव शरीर लेने के लिए संपर्क नहीं किया है और अगर पाकिस्तान इसे लेने के लिए दावा करता है तो भारत उसे पड़ोसी देश के हवाले कर देगा। गृह मंत्री ने कहा कि अगर कसाब को भारत में भी दफनाया जाता है तो कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि कोई समस्या होगी (अगर कसाब को भारत में दफनाया गया तो) क्योंकि भारत ने बहुत कुछ झेला है और सबने ... और इस देश ने त्रासदी को देखा है। मानवता के खिलाफ तीन दिन तक चले संघर्ष में 166 लोग मारे गए।’ कसाब को फांसी पर लटकाए जाने के पहले के घटनाक्रम के बारे में जानकारी देते हुए शिंदे ने कहा कि गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से सिफारिश की थी कि वह कसाब की दया याचिका को ठुकरा दें और उन्होंने ऐसा ही किया। कसाब की दया याचिका को राष्ट्रपति ने पांच नवंबर को नामंजूर किया। शिंदे ने फांसी के पूरे घटनाक्रम को गोपनीय रखे जाने को महत्वपूर्ण करार देते हुए बताया, ‘राष्ट्रपति ने पांच नवंबर को दया याचिका ठुकराई। मैंने सात नवंबर को उसपर दस्तखत किए और आठ नवंबर को महाराष्ट्र सरकार से कार्रवाई करने को कहा गया । यह फैसला किया गया कि कसाब को 21 नवंबर को सवेरे साढे सात बजे फांसी दी जाएगी और उसी के अनुसार आज सुबह यह प्रक्रिया समाप्त हुई।’ गृह मंत्रालय ने एक संक्षिप्त आधिकारिक बयान में कहा कि मौत की सजा पाए आरोपी मोहम्मद अजमल मोहम्मद आमिर कसाब की दया याचिका राष्ट्रपति ने पांच नवंबर को ठुकरा दी। आज सुबह साढे सात बजे पुणे के यरवदा केन्द्रीय कारागार में सजा की तामील की गई। शिंदे को फांसी पर लटकाने के लिए आज के दिन का चुनाव क्यों किया गया, इस बारे में पूछे जाने पर शिंदे ने कहा कि अदालत ने पहले इस बारे में फैसला किया था और कसाब की फाइल में भी यह दर्ज है और गृह मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की। यह पूछे जाने पर कि क्या संप्रग सरकार कसाब की फांसी के जरिए राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रही है, शिंदे ने कहा, ‘फायदा उठाने का कोई सवाल ही नहीं है। यह फैसला पहले ही हो चुका था।’ गृह मंत्री ने इस बारे में कुछ कहने से इंकार कर दिया कि संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरू के मामले में फैसला कब किया जाएगा, क्योंकि उसकी दया याचिका भी राष्ट्रपति के विचारार्थ है। |
Re: कसाब को फांसी से मनी दूसरी दिवाली
भारत ने की जल्दबाजी, सरबजीत पर होगा असर -पाक
मुंबई आतंकवादी हमले के सजायाफ्ता आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को फांसी पर पाकिस्तान ने कहा है कि भारत के राष्टñपति ने कसाब की दया याचिका खारिज करने में जल्दबाजी की तथा पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत की दया याचिका पर भी इसका असर पड़ने से इन्कार नहीं किया जा सकता है। हालांकि पाकिस्तान ने यह भी कहा है कि वह भारत की न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करता है। पाकिस्तान की मीडिया में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि इस्लामाबाद में भारतीय दूतावास ने पाकिस्तान सरकार को कसाब की फांसी के बारे में सूचना पत्र से दी गई, लेकिन पाकिस्तान ने इसे लेने से इन्कार कर दिया। पाकिस्तान ने कहा कि कसाब से पहले अन्य लोगों की दया याचिका लंबित थी, लेकिन भारत के राष्टñपति ने कसाब की याचिका उनसे पहले ही खारिज कर दी। इस बीच 26/।। के इस हमले की जांच कर रहे पाकिस्तानी पैनल के एक वकील ने कहा कि यदि कसाब जीवित होता तो उससे अहम जानकारियां हासिल की जा सकतीं थीं। वकील ने सवाल किया कि यह संदेह उठता है कि उसे फांसी पर चढ़ाए जाने के राजनीतिक आयाम तो नहीं हैं। यदि कसाब को पाकिस्तान की अदालत में पेश किया गया होता या पैनल को उससे पूछताछ करने दिया गया होता तो वह अहम सबूत साबित हो सकता था, लेकिन उसे फांसी पर चढ़ाद जाने का कुछ राजनीतिक मकसद होने का संदेह होता है। पाकिस्तान में स्वतंत्र न्यायपालिका है। पाकिस्तान प्रशासन ने अगस्त में भारत से आग्रह किया था कि वह उसके वकीलों को कसाब समेत प्रमुख चश्मदीद गवाहों से पूछताछ की अनुमति दी। |
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पाली की मासूम देविका ने भी दी थी गवाही
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353532888 आतंकवादी अजमल कसाब को फांसी के तख्ते तक पहुंचाने में पाली की एक 11 वर्षीय बालिका देविका की भी अहम भूमिका रही। आतंकी वारदात की चश्मदीद गवाह देविका ने कसाब के खिलाफ मुंबई अदालत में बयान दिए थे। पाली के व्यवसायी नटवरलाल रोटावर की बेटी मुंबई में आतंकी हमले के वक्त सीएसटी पर खड़ी थी, तभी कसाब और उसके दो साथियों ने अंधाधुध गोलीबारी की, जिसमें 72 लोगों की जान चली गई थी। अपने पिता की अंगुली पकड़ कर वहां स्टेशन के बाहर खड़ी देविका के पैर में गोली लगी थी। गोली लगने से देविका विकलांग हो गए है और उसे बैसाखी का सहारा लेकर चलना पड़ रहा है। जून 2011 को देविका ने मुंबई की भरी अदालत में हमलावर अजमल कसाब को पहचान लिया था। देविका के पिता नटवरलाल ने भी तब अदालत में गवाही दी थी। |
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आपरेशन-एक्स से हुआ द एंड
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353533502 कसाब को फांसी पर लटकाने के पूरे प्लान को नाम दिया गया आपरेशन-एक्स, जबकि महाराष्ट्र में इसे ‘आपरेशन बुद्धा स्माइल’ नाम दिया गया। इस आपरेशन को पूरी तरह से गुप्त रखा गया था। इसे अंजाम देने के लिए 17 अधिकारियों की स्पेशल टीम बनाई गई थी, जिनमें से 15 अधिकारी मुंबई पुलिस से ही थे। जिस वक्त आपरेशन-एक्स को अंजाम दिया जा रहा था, उस दौरान 17 में से 15 अधिकारियों के फोन बंद थे। इनमें से सिर्फ ऐंटिटेरर सेल के चीफ राकेश मारिया और जॉइंट कमिश्नर आफ पुलिस देवेन भारती के सेलफोन आन थे। |
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5 नवंबर को लगी थी मौत पर मुहर
अजमल कसाब की फांसी 5 नवंबर को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा दया याचिका खारिज करने के बाद ही तय हो गई थी। 5 नवंबर को राष्ट्रपति ने पत्र को हस्ताक्षर करके गृह मंत्रालय के पास भेज दिया था, जिसके बाद 7 नवंबर को गृह मंत्री ने भी इसपर हस्ताक्षर कर दिए। 8 नवंबर को महाराष्ट्र सरकार को बताने के बाद 21 नवंबर को कसाब की फांसी तय हो गई थी। |
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दोबारा ऐसी गलती नहीं करूंगा
फांसी पर लटकाए जाने से पहले कसाब को काफी पछतावा था। यह पछतावा उसके अंतिम बोल में दिखा। पुणे के जेल में सुबह साढ़े सात बजे फांसी पर लटकाए जाने से कुछ देर पहले कसाब से उसकी अंतिम इच्छा पूछी गई, इस पर कसाब ने कथित तौर पर यरवदा जेल के जेलर से कहा कि उसकी कोई अंतिम इच्छा नहीं है। साथ ही वसीयत के बारे में भी उसने कहा कि उसकी कोई वसीयत नहीं है। कसाब ने कहा कि अल्लाह की कसम, दोबारा ऐसी गलती नहीं करूंगा। उसने कहा कि मैरी मौत की खबर अम्मी को दे देना। जेल अधिकारी ने बताया कि उसके हावभाव से हमने यह अंदाजा लगाया कि वह बहुत घबराया हुआ था। हालांकि जब उसे फांसी पर चढ़ाने के लिए उसकी कोठरी से बाहर लाया गया तो वह शांत बना रहा। कसाब ने नमाज पढ़ी और सवाल किया कि क्या उसके परिवार को उसकी फांसी के बारे में सूचना दी गई है, जिस पर जेल अधिकारियों ने सकारात्मक जवाब दिया। डेथ वारंट पर किए हस्ताक्षर कसाब को पता था कि उसे 21 नवंबर की सुबह फांसी पर लटकाया जाएगा। कसाब को मुंबई की आर्थर रोड जेल से 19 नवंबर को पुणे की यरवदा जेल ले जाए जाने से पहले उससे उसके डेथ वारंट (मौत का वारंट) पर हस्ताक्षर कराए गए थे। यरवडा जेल में फांसी और दफन कसाब को पुणे की यरवडा जेल में बुधवार सुबह फांसी दिए जाने के बाद उसे वहीं जेल परिसर में दफना दिया गया। कसाब को मुम्बई की आॅर्थर रोड जेल से पुणे की यरवडा जेल में स्थानांतरित किया गया था। डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित किए जाने के बाद उसे जेल परिसर में ही सुबह करीब साढेþ नौ बजे दफना दिया गया। फांसी चढ़ाए जाने से पहले अधिकारियों ने जेल मैन्युअल का पूरा पालन किया। कसाब के मामले में वही नियम अपनाए गए, जो आम कैदियों को फांसी चढ़ाते वक्त अपनाए जाते हैं। सुबह फांसी पर लटकाने से पहले डॉक्टरों ने कसाब का चेकअप किया। |
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यह देश के लिए एक जीत : निकम
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353533777 मुंबई हमला मामले में सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से पेश होने वाले विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने कहा कि कसाब को फांसी पर लटका कर 26 नवंबर 2008 को हुए हमले में जान गंवाने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि दी गई है। यह देश के लिए जीत है। निकम ने कहा कि कसाब को फांसी पर लटका कर हमने उन सभी पुलिस कर्मियों और बेकसूर लोगों को श्रद्धांजलि दी है जिन्होंने मुंबई हमलों में अपनी जान गंवाई थी। निकम ने कहा कि कसाब को दोषी ठहरा कर और मौत की सजा दे कर हमने साबित कर दिया है कि पूरा षड्यंत्र किस तरह पाकिस्तान में रचा गया था। हमने एक उदाहरण पेश किया है कि भारत ऐसे हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा और आरोपियों को न्याय के दायरे में लाया जाएगा। मुंबई हमला मामले की सुनवाई के दौरान निकम निचली अदालत और उच्च न्यायालय में सरकारी वकील के तौर पर पेश हुए और उच्चतम न्यायालय में उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम की सहायता की थी। |
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कसाब के वकीलों ने फांसी को ठहराया सही
बरती गई गोपनीयता पर सवाल उठाए http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353534164 http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353534164 http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353534164 कसाब की ओर से यहां सत्र अदालत एवं बंबई उच्च न्यायालय में पेश हुए वकीलों ने उसकी फांसी को सही ठहराया और कहा कि बिना बारी के उसके मामले को लेकर सरकार ने 26/11 आतंकी हमले के पीड़ितों को थोड़ी शांति प्रदान की है। बहरहाल, बचाव पक्ष के वकीलों अमीन सोल्कर, फरहाना शाह और अब्बास काजमी ने फांसी को लेकर बरती गई गोपनीयता पर सवाल उठाए। सोल्कर ने कहा कि यह अच्छी बात है कि सरकार ने इस मामले में तत्परता दिखाई, क्योंकि समाज और पीड़ितों के हित में ऐसा करना जरूरी है। हो सकता है कि इतने समय तक उसकी रक्षा करना सरकारी खजाने के लिए बोझ बन गया हो, लेकिन गोपनीयता क्यों बरती गयी। सोल्कर के मत का समर्थन करते हुए फरहाना शाह ने कहा कि मुझे सदमा लगा। यह सब अचानक हुआ। इतनी गोपनीयता के साथ फांसी क्यों दी गई। |
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संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के विरोध के एक दिन बाद फांसी
पुणे जेल में मुंबई आतंकी हमले के दोषी आतंकवादी अजमल कसाब को ऐसे समय फांसी पर लटकाया गया है, जबकि एक दिन पहले भारत ने मृत्युदंड खत्म करने की मांग करने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के मसौदा प्रस्ताव का विरोध किया था। भारत ने दलील दी कि भारत में सजा-ए-मौत ऐसे अतिजघन्य अपराध के मामले में दी जाती है जो समाज की अंतरात्मा को ‘झकझोर’ देता है। भारत सहित 39 देशों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था, जबकि 110 देशों ने इसका समर्थन किया, जिसके बाद इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया। प्रस्ताव का विरोध करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन के काउंसलर अमित कुमार ने कहा कि हर राष्ट्र को अपनी कानूनी प्रणाली तय करने और कानून के मुताबिक अपराधियों को सजा देने का अधिकार है। |
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यरवदा जेल के पास कड़ी सुरक्षा
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353534535 मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए हमलों के दोषी आतंकवादी अजमल कसाब को सुबह फांसी दिए जाने की खबर फैलते ही यरवदा केंद्रीय कारागार के आसपास बड़ी संख्या में लोग एकत्र होने लगे। कसाब को फांसी के ब्यौरे के बारे में जेल अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। यरवदा जेल के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। यहां एकत्र शिवसेना कार्यकर्ताओं के एक समूह ने कसाब को फांसी का स्वागत करते हुए ‘वन्दे मातरम’ के नारे लगाए और संसद हमला मामले में दोषी ठहराए गए अफजल गुरु को भी फांसी दिए जाने की मांग की। महाराष्ट्र के कारागार महानिरीक्षक मीरन बोरवानकर ने इस मुद्दे पर मीडिया के सवालों के जवाब देने से इन्कार कर दिया। |
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आईटीबीपी का दस्ता वापस बुलाया जाएगा
मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद, मुंबई हमला मामले के दोषी पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब की निगरानी कर रही आईटीबीपी की टुकड़ी को जल्द ही वापस बुला लिया जाएगा। प्रक्रिया के अनुसार, केंद्रीय बल के एक विशेष दस्ते को सौंपा गया विशेष कार्य जब पूरा हो जाता है तब केंद्रीय गृह मंत्रालय उस टुकड़ी को कार्य मुक्त करने के लिए बल के मुख्यालय को एक आदेश जारी करता है। अर्द्धसैनिक बल के सूत्रों ने बताया ‘दस्ते को कसाब की निगरानी का कार्य सौंपा गया था और अब उसे कार्यमुक्त कर वापस बुला लिया जाएगा। पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब को जब से मुंबई की विशेष जेल ‘आर्थर रोड जेल’ में बंद किया गया था तब से ही वहां भारत तिब्बत सीमा पुलिस के 300 जवानों की टुकड़ी तैनात थी। आईटीबीपी का यह दस्ता पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब की निगरानी के लिए राज्य सरकार के अनुरोध पर भेजा गया था। कसाब की सुरक्षा के लिए तैनात इस दस्ते के पास अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर तथा अन्य आधुनिक हथियार तथा गोलाबारूद था, ताकि आर्थर रोड जेल परिसर की कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। आईटीबीपी चीन-भारत सीमाई इलाकों की निगरानी करती है। |
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मुंबई हमले का अधूरा अध्याय खत्म हुआ: अमेरिकी पीड़ित
मुंबई हमले में अपने पति और बेटी को गंवाने वाली एक अमेरिकी महिला ने कहा है कि कसाब को फांसी देने से मुंबई अब शांति में आगे बढ़ सकेगी। नवंबर, 2008 में हुए इस हमले में किया स्चेयर के पति एलन और उनकी बेटी नाओमी मारी गई थीं। एलन को सिर के पिछले हिस्से में गोली लगी और तत्काल उनकी मौत हो गई, जबकि 13 साल की नाओमी को कई गोलियां लगीं और उसने कुछ देर बाद दम तोड़ा था। बीते दो वर्षों के दौरान मुंबई को अपना दूसरा घर बना लेने वाली स्चेयर ने कहा कि इस मामले को देखते हुए यह अंजाम बिल्कुल ठीक है। अब हम दुनिया में शांति की उम्मीद करते हैं। सच्चा इंसाफ उसी वक्त होता है जब हम शांति और स्नेह के साथ मिलकर रहें। अब मुंबई से ऐसा व्यक्ति खत्म हो गया है जो लोगों के लिए एक खीज था। मुंबई हमले की त्रासदी का अधूरा अध्याय खत्म हो गया है। |
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मृतकों के परिजनों ने कहा, कसाब को फांसी सच्ची श्रद्धांजलि
फांसी का आदर्श तरीका : उन्नीकृष्णन ताज होटल में आतंकवादियों से लोहा लेते शहीद हुए एनएसजी कमांडो के. उन्नीकृष्णन के पिता उन्नीकृष्णन ने कहा कि जिस तरह कसाब को फांसी दी गई वह एक आदर्श तरीका है। उन्होंने कहा कि दया याचिका खारिज किए जाने पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त कर पाता, इससे पहले ही सब कुछ हो गया। मैं इसकी सराहना करता हूं। इसरो के सेवानिवृत्त अधिकारी उन्नीकृष्णन ने कहा, निश्चित रूप से समाप्ति की भावना के लिए रास्ता बहुत लंबा है। कसाब को फांसी तो केवल एक अध्याय है। षड्यंत्रकारी अब भी पाकिस्तान में हैं और वहां भारत विरोधी सोच प्रबल है, जिसमें कमी आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक मामले में आखिरकार न्याय हुआ। हमें सिर्फ यही सोच कर नहीं ठहर जाना चाहिए कि हमने एक दोषी को फांसी दे दी। यह समापन नहीं है। |
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मेरे पति को श्रद्धांजलि : स्मिता सालस्कर
मुंबई हमले के दौरान आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए दिवंगत मुठभेड़ विशेषज्ञ विजय सालस्कर की पत्नी स्मिता सालस्कर ने अजमल कसाब की फांसी को उनके पति को श्रद्धांजलि बताया। स्मिता ने कहा कि इस फांसी के साथ मेरे पति को श्रद्धांजलि दी गई, लेकिन असली श्रद्धांजलि पाकिस्तान में छिपे अन्य आरोपियों की दोषसिद्धि से होगी। कसाब की दया याचिका खारिज करने पर राष्टñपति प्रणव मुखर्जी को धन्यवाद देते हुए स्मिता ने कहा कि पूरा परिवार यह खबर सुनकर खुश है कि हमले की चौथी बरसी से पहले कसाब को फांसी दी गई। स्मिता ने कहा कि यह फांसी निश्चित रूप से दुनिया भर में यह संदेश देगी कि भारत किसी आतंकी हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा। हालांकि उन्होंने फांसी को देर से किया गया फैसला बताया। |
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हमें न्याय मिला : रागिनी
नरसंहार में मारे गए रेलवे के टिकट संग्रहकर्ता एस. के. शर्मा की पत्नी रागिनी ने कसाब को फांसी दिए जाने पर कहा कि मेरे दिमाग में सबसे पहले जो बात आई वह यह कि जो हुआ, अच्छा हुआ। हम खुश हैं कि हमें न्याय मिला। रागिनी ने कहा ‘मैं राष्ट्रपति को धन्यवाद देना चाहती हूं। देर से ही सही, हमें न्याय मिल ही गया। मैं खुश हूं कि कसाब को फांसी पर लटकाने का काम चुपचाप किया गया वरना मानवाधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले कुछ लोग इसका विरोध करते। |
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खुलेआम फांसी देनी चाहिए थी : ओंबले
अजमल कसाब को फांसी पर लटकाए जाने पर संतोष प्रकट करते हुए एकनाथ ओंबले ने कहा कि उसे खुले आम फांसी पर लटकाया जाना चाहिए था। एकनाथ ओंबले सहायक पुलिस उप निरीक्षक तुकाराम ओंबले के भाई हैं, जिन्होंने आतंकवादी को पकड़ने की कोशिश में अपनी जान गंवा दी। एकनाथ ने कहा कि मैं गौरवान्वित और खुश हूं कि मेरे भाई के प्रयास काम आए। हम बहुत खुश और संतुष्ट हैं। कसाब को खुलेआम फांसी पर लटकाया जाना चाहिए था, लेकिन मैं जानता हूं कि कानून इसकी इजाजत नहीं देता। एकनाथ ने कहा कि गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अपना वादा निभाया कि वह ऐसा फैसला करेंगे, जिससे भारतीयों को संतोष होगा। उन्होंने इसके लिए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को भी धन्यवाद दिया। |
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सोचा नहीं था जो हुआ : विष्णु
आतंकवादियों का कहर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर भी टूटा था। इस रेलवे स्टेशन के उद्घोषक विष्णु जेन्डे ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि इस तरह की खबर मुझे सुनने को मिलेगी।’ झेन्डे ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं कि उसे फांसी पर लटकाया गया। उसे फांसी पर लटका कर, हमले में मारे गए सभी लोगों को श्रद्धांजलि दी गई है। स्टेशन पर हमले के बारे में जेन्डे ने ‘पब्लिक एड्रेस सिस्टम’ पर लगातार उद्घोषणा कर कई लोगों की जान बचाई थी। |
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सरकार ने दिया नए साल का उपहार : मुकेश
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353540471 ताज होटल में कहर बरपाया था तो उनकी गोलीबारी में जीवित बचे मुकेश अग्रवाल ने कहा कि कसाब को चार साल पहले ही फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए था। मुकेश ने कहा ‘लेकिन आज जो कुछ हुआ, वह बहुत अच्छा है। हमले में अपनी जान गंवाने वालों के परिवारों के लिए यह बहुत अच्छा उपहार है। सरकार ने नए साल का उपहार दिया है। |
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कसाब का शव लाने के लिए परिजनों की ओर से कोई अनुरोध नहीं मिला : पाक
पाकिस्तान ने आज कहा कि वर्ष 2008 में मुंबई के आतंकी हमले में शामिल अजमल कसाब को आज भारत में फांसी पर चढाये जाने के बाद उसके परिजनों की ओर से शव को वापस स्वदेश लाने के बारे में कोई अनुरोध नहीं मिला है। गृह मंत्री रहमान मलिक ने इस्लामाबाद में संवाददाताओं से कहा कि कसाब के परिवार की ओर से आने वाले किसी अनुरोध पर पाकिस्तानी कानून के अनुसार कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा, ‘कसाब के परिवार में किसी सदस्य या संबंध ने सरकार से अनुरोध नहीं किया है (शव लाने के लिए)। जब परिवार का कोई सदस्य अनुरोध करेगा तो हम भारत सरकार के समक्ष उसे रखेंगे।’ मलिक ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि आतंकवादी कृत्य में शामिल किसी भी व्यक्ति को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया जाना चाहिए। पाक गृह मंत्री मलिक ने कहा, ‘जहां तक फांसी की बात है आप पाकिस्तान का संकल्प और आतंकवाद के खिलाफ हमारे स्पष्ट रूख को जानते हैं। यदि कोई आतंकवादी है और यदि किसी ने आतंकवादी कृत्य को अंजाम दिया है तो मेरा मानना है कि आतंकवादी को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया जाना चाहिए।’ मीडिया में विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोअज्जम खान के हवाले से कहा गया कि कसाब के शव को वापस लाने के मुद्दे को उसके परिवार की इच्छाओं के अनुरूप निपटाया जायेगा। एक अन्य संबद्ध घटनाक्रम में प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता अंसार बर्नी ने पेशकश की कि यदि कसाब का परिवार उनके संगठन से इस संबंध में संपर्क करता है तो वह शव को वापस लाने में मदद केंगे। बर्नी ने कहा कि उन्हें कसाब से कोई सहानुभूति नहीं है लेकिन परिवार को इस्लामी परंपराओं के अनुसार शव को दफन करने का अधिकार है। कसाब को पुणे के यरवदा जेल में आज सुबह साढे सात बजे फांसी पर चढा दिया गया। इस फांसी के बारे में पाकिस्तान सरकार को सारी जानकारी दी गयी थी। |
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पाक चैनलों के मुख्य समाचार में शामिल नहीं है कसाब की फांसी
भारत में अजमल कसाब को फांसी मिलने के कुछ ही घंटों बाद यह खबर पाकिस्तान के समाचार चैनलों के मुख्य समाचारों की सूची से हट गई है । इसकी जगह गाजा में चल रहे घटनाक्रम और घरेलू घटनाक्रमों ने ले लिया है । हालांकि सुबह पाकिस्तान के सरकारी रेडियो चैनल और जिओ न्यूज जैसे निजी समाचार चैनलों पर कसाब की फांसी पहली खबर थी लेकिन बाद में वह सूची से गायब हो गई । मुंबई में वर्ष 2008 में हुए आतंकवादी हमलों के एकलौते जीवित आरोपी 25 वर्षीय अजमल कसाब की फांसी के बारे में खबरें देते वक्त समाचार चैनलों ने काफी एहतियात बरती । ज्यादातर समाचार चैनलों, वेबसाइटों और डॉन तथा द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने इस घटना पर बिना किसी टिप्पणी और विचार के खबरें दी हैं । कसाब का पाकिस्तान का नागरिक होना शुरू से ही संवेदनशील मुद्दा रहा है और पूरे मुकदमे की सुनवायी के दौरान या फिर इससे जुड़ी घटनाओं की रिपोर्टिंग में पाकिस्तानी मीडिया ने काफी संयम दिखाया है। द फ्राइडे टाइम्स के संपादक रजा रूमी का कहना है, ‘एक सामान्य धारणा थी कि अफजल गुरू की भांति, कसाब को भी फांसी नहीं दी जाएगी, लेकिन इस घटना वास्तव में पाकिस्तान को झटका दिया है ।’ रूमी ने कहा, ‘ज्यादातर पाकिस्तानियों ने मुंबई हमलों की निंदा की है और सबूतों को देखते हुए कोई भी फांसी के खिलाफ नहीं बोलेगा । हालांकि सबसे बड़ा सवाल अभी भी यही है कि दोनों पक्ष आतकंवाद से कैसे निपटते हैं ।’ |
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सुरक्षाकर्मियों ने संवाददाताओं को कसाब के गांव जाने से रोका
पाकिस्तानी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने आज संवाददाताओं और टेलीविजन कैमरामैन को अजमल कसाब के पैतृक गांव में प्रवेश करने से रोक दिया। कसाब का गांव पंजाब प्रांत में है। मुंबई आतंकी हमलों में अभियुक्त कसाब को आज सुबह पुणे के एक जेल में फांसी दी गयी। सादे कपड़ों में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने पत्रकारों को पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर से करीब 150 किलोमीटर दूर स्थित फरीदकोट गांव में जाने से रोक दिया। सुरक्षाकर्मियों ने टीवी न्यूज चैनल के कैमरामैन से उनके कैमरे छीनने का भी प्रयास किया। उन मीडियाकर्मियों के साथ बदसलूकी भी की गयी जो कसाब के पडोसियों का साक्षात्कार लेने गए थे। एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक के संवाददाता ने नाम उजागर नहीं करने के अनुरोध पर बताया कि सुरक्षा एजेंसियों के लोग ग्रामीणों के वेष में थे। कसाब के गांव जाने वाली सड़क पर उन्हें तैनात किया गया था। उन लोगों ने पत्रकारों से वापस जाने और पाकिस्तान को बदनाम नहीं करने को कहा। |
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इस शख्स से डरता था कसाब, देखते ही छिपने भागा...
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353543398 26/11 को देश पर हुए आतंकी हमले को सोचकर हर किसी की रूह कांप जाती होगी। मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन पर उस दिन आतंकी कसाब और उसके साथियों के गोलियों से मानों लहूलुहान हो चुका था। तभी आतंकी कसाब पर किसी ने कुर्सी खीच कर मारी और आतंकियों के कदम पीछे हट गए। सेफ पोजीशन से आतंकी कसाब ने हमला करने वाले व्यक्ति पर AK 47 से 15 राउंड गोलियां झोंक दीं। मौका मिलते ही इस अंजान व्यक्ति ने एक बार फिर से एक सिपाही की गन छीन खतरनाक आतंकी कसाब पर 2 फायर कर दिए, तो मजबूरन कसाब को वहां से भागना पड़ा। अजमल कसाब से को खदेड़ना वाला कोई और नहीं बल्कि वाराणसी के मोहाव गांव का आरपीएफ़ ज़वान झिल्लू यादव हैं। आरपीएफ़ ज़वान झिल्लू यादव के मुताबिक वह उस वक्त छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन पर ही तैनात थे। उस दिन अचानक पूरे माहौल में सिर्फ गोलियों की आवाज और लोगों की चीत्कार सुनाई दे रही थी। झिल्लू यादव ने बताया कि कसाब के हाथों में AK 47 थी, जिससे वो लगातर गोलियां चला रहा था। झिल्लू यादव के पास अपने साथी से छीनी हुई 303 बोर की रायफल थी। झिल्लू का कहना है कि उनका साथी डर गया था, इसलिए उन्होंने उसकी बंदूक ले ली। झिल्लू यादव ने बताया कि रायफल छीनने से पहले उन्होंने कसाब को कुर्सी खींचकर मारी, ताकि वो पीछे हट जाये। जांबाज़ झिल्लू यादव का कहना है कि दिल में मलाल रह गया कि अजमल मेरी गोली से बच गया। झिल्लू आज बहुत खुश हैं। अजमल कसाब की फांसी की खबर जैसे ही उन्हें मिली, मानों दिल की हर तमन्ना पूरी हो गयी। झिल्लू यादव को अदम्य साहस के लिए राष्ट्रपति की ओर से पुरस्कार भी दिया गया है। झिल्लू यादव का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार अब 2007 में हुए वाराणसी ब्लास्ट के मुख्य आरोपी आतंकी वसीउल्लाह और शमीम के ऊपर मुकदमे को वापस लेने की तैयारी में है, ऐसे में देश के अंदर आतंकी वारदात कैसे रुक पाएगी। इन आतंकियों को सिर्फ फांसी होनी चाहिए। |
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जानिए, कसाब के नाम में छिपा एक खतरनाक सच
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1353544064 पूरा नाम : मोहम्मद अजमल आमिर कसाब जन्म : 13 सितंबर 1987, फरीदकोट, जि. ओकारा, पंजाब (पाकिस्तान) क़ स्साब के नाम में ही मार-काट छिपी है। क़स्साब बना है अरबी की क़स्ब धातु से जिसमें काटना, आघात करना, जिबह करना, खोखला करना, पृथक करना, आंत, बांस इन सभी अर्थों पर गौर करें तो क़स्ब में खोखला, रिक्त या खाली स्थान का भाव उभरता है। जानवरों को जिबह करने के बाद उनके आंतरिक अंगों को निकालने के बाद सिर्फ खाल की खोखल ही बचती है जिसमें भूसा भरकर मृत जीवों के वास्तविक मॉडल बनाए जाते थे। पुराने ज़माने में पशुओं की खाल से तम्बू, शामियाने बनाए जाते थे। कसाब शब्द के मूल में ही मार-काट जैसे भाव हैं। काटने, आघात करने जैसे भावों का विस्तार जिबह करने में हुआ। उर्दू का क़साई शब्द इसी मूल से निकला है। |
Re: कसाब को फांसी से मनी दूसरी दिवाली
शहीद हुये कर्मचारी के पिता ने संतोष व्यक्त किया
मुम्बई आतंकी हमले में आतंकियों की गोली का शिकार होकर शहीद हुए फरीदाबाद के युवा गौतम गोसाईं के पिता देवसिंह गोसाईं ने आतंकी अजमल कसाब को फांसी दिए जाने के बाद संतोष व्यक्त किया है । गौतम के पिता ने कहा कि यदि कसाब के साथ संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरू को भी फांसी दी जाती तो उन्हें बहुत सुकून मिलता । हमले के दौरान गौतम गोसाई होटल ताज में शेफ की ट्रेनिंग कर रहा था । देवसिंह गोसाई ने बताया कि सुबह 7.30 बजे वह अपने घर से कम्पनी के लिए निकले थे तो रास्ते में ही उन्हें मोबाइल फोन पर उनके सहकर्मी मित्र राजेन्द्र से संदेश मिला कि अजमल कसाब को फांसी दे दी गई है । देवसिंह गोसाई ने कहा कि उन्हें पुत्र की शहादत पर फक्र है लेकिन अजमल कसाब को फांसी दिए जाने में सरकार की तरफ से देरी को लेकर बेहद दुख था । कसाब को फांसी देकर देश ने आतंकवाद के मुहं पर करारा तमाचा जड़ा है । देवसिंह गोसाई ने अपनी इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि यदि अजमल कसाब के साथ ही संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरू को भी फांसी दी जाती तो बहुत ज्यादा सुकून मिलता । परिजन कालोनी का नाम बदलना चाहते हैं मुंबई हमले में शहीद हुये गौतम गोसाई के परिजन फरीदाबाद के सेक्टर 48 का नाम परिवर्तित करके गौतम गोसाई एंक्लेव रखवाना चाहते हैं । गौतम के परिजनों सहित क्षेत्र के अन्य लोग भी वर्ष 2009 से यह मांग करते आ रहे हैं । नगर निगम सदन में इसका प्रस्ताव पारित हो चुका है और यह मामला सरकार के पास लंबित है । |
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कसाब को तेजी से फांसी देने का देश में दूसरा उदाहरण
पाकिस्तानी आतंकवादी आमिर अजमल कसाब को फांसी देने की प्रकिया जिस तेजी से निपटायी गयी, वह अपने आप में एक उदाहरण है । इससे पूर्व बांसवाड़ा स्थित रामचंद्र उर्फ रावजी के मामले को इस कदर तेजी से निपटाया गया था। रावजी को अपने परिवार की हत्या करने के तीन साल के बाद ही फांसी दे दी गयी थी। सूचना का अधिकार कानून के तहत आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल द्वारा जुटाए गए दस्तावेजों से पता चला है कि रावजी को छह मई, 1993 को अपनी गर्भवती पत्नी और तीन बच्चों समेत पांच लोगों की हत्या करने के तीन साल बाद चार मई, 1996 को फांसी दे दी गयी थी। रावजी को मौत की सजा सत्र न्यायालय ने पांच दिसंबर, 1994 को सुनायी थी जिसे उच्चतम न्यायालय ने पांच दिसंबर, 1996 के अपने फैसले में बरकरार रखा था। इसके बाद रावजी ने तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के समक्ष दया याचिका दायर की जिसे राष्ट्रपति ने छह दिनों के अंदर ही खारिज कर दिया। राष्ट्रपति ने 19 मार्च, 1996 को उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उसे चार मई, 1996 को फांसी दे दी गयी। अग्रवाल द्वारा जुटाए गयी दया याचिकाओं से संबंधित जानकारियों से पता चला है कि रावजी के मामले में अपनायी गयी फांसी की प्रक्रिया सबसे तेज थी। रावजी के मामले से तुलना करने पर पता चलता है कि कसाब को फांसी देने की प्रक्रिया दूसरी सबसे तेज रही। कसाब को 26/11 मुंबई हमलों में शामिल होने के लगभग चार साल बाद फांसी दी गयी। अग्रवाल ने कहा, ‘कसाब की दया याचिका सबसे कम समय में निपटाए गए मामलों में दूसरे स्थान पर रही।’ |
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कसाब की फांसी पर बरती गोपनीयता पर उमर ने की
केंद्र, महाराष्ट्र सरकार की तारीफ पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब को फांसी देने के मामले में सफलतापूर्वक बरती गयी गोपनीयता पर जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की तारीफ की। उमर ने आज ट्वीट किया और कसाब को फांसी की खबर सबसे पहले देने का दावा करने को लेकर समाचार चैनलों पर भी चुटकी ली। उमर ने ट्विटर पर लिखा कि केंद्र और महाराष्ट्र की सरकारों ने बड़े परिपक्व तरीके से इस मामले को संभाला जो दिखाता है कि हमें अगर जरूरी हो तो गोपनीयता रख सकते हैं। मीडिया के संदर्भ में उमर ने लिखा, ‘अब हम सभी चैनलों को यह दावा करते देखेंगे कि उन्होंने फांसी की खबर सबसे पहले दी है।’ उमर ने कसाब को ‘बंदूकधारी’ कहने पर अमेरिकी मीडिया पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा, ‘हमास आतंकवादी हैं, लेकिन कसाब बंदूकधारी है। वाह, अमेरिकी मीडिया। आप उसे जो है, वह बुला सकते हैं।’ |
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