चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
मित्रो, कांग्रेस उपाध्यक्ष पद की नई जिम्मेदारी संभालने के बाद राहुल गांधी ने गत रविवार को जयपुर (राजस्थान) में आयोजित एआईसीसी की बैठक में अपना पहला भाषण दिया। वे पहले काफी देर अंग्रेज़ी में बोले, फिर हिन्दी में और फिर अंत में काफी देर एक बार फिर अंग्रेज़ी में। इसे अनूदित करते हुए कुछ विशेष शब्द मैंने मूल अंग्रेज़ी में ही छोड़ दिए हैं, क्योंकि बात का प्रभाव उन्हीं से है। मैं यहां इसे इसलिए पेश कर रहा हूं कि राहुल गांधी द्वारा दिया गया यह भाषण इस रूप में यादगार बना रहेगा कि आमजनों, कांग्रेसजनों, विशेष रूप से छात्र-छात्राओं और युवाओं को इससे उन्हें समझने में मदद मिलेगी। आपने इसके अंश इधर-उधर समाचारों के रूप में अवश्य देखे-पढ़े होंगे, लेकिन सम्पूर्ण रूप में यह अब तक नेट पर कहीं नहीं है, कांग्रेस की वेबसाइट पर भी नहीं, अतः इंटरनेट पर पहली प्रस्तुति का गौरव अपनी फोरम के नाम करने पर मुझे अतीव प्रसन्नता है। उम्मीद है, आप सभी को यह भाषण पठनीय और उपयोगी लगेगा। धन्यवाद। |
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Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
मैं आप सभी का स्वागत करता हूं और मुझे दिए गए समर्थन के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। हमारे बहुत से कार्यकर्ता ऐसे हैं जो आज यहां उपस्थित नहीं है। मैं उन्हें भी उनके कार्य के लिए तथा पार्टी के लिए वे जो खून-पसीना बहाते हैं उसके लिए धन्यवाद देता हूं।
प्रारम्भ करने से पूर्व मैं यह कहना चाहूंगा कि यह मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है। पिछले 8 वर्षों में इस पार्टी ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। मैंने पार्टी के वरिष्ठ लोगों से एवं युवा सदस्यों से बहुत सीखा है। इसलिए मैं सभी को तहेदिल से उनकी मदद तथा मुझे जो दिशा दी गई है उसके लिए धन्यवाद देता हूं। दक्षिण भारत के लोग चाहेंगे कि मैं अंग्रेजी में बोलूं और उत्तर भारत के लोग चाहेंगे कि मैं हिन्दी में बोलूं। अत: मैं पार्टी की परम्परा के अनुसार अंग्रेजी में बोलूंगा और फिर हिन्दी में। वर्ष 1947 में भारत को हथियारों द्वारा आजादी नहीं मिली थी बल्कि लोगों की आवाज बुलंद होने के कारण मिली। अन्य देशों में हिंसक लड़ाईयां हुई, हथियारों से लड़ाईयां हुई और मौतें भी हुई। भारत में अहिंसा से लड़ाई हुई और लोगों की आवाज से लड़ाई हुई। |
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प्रत्येक व्यक्ति ने हमें बताया कि यह किया जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति ने कहा कि यदि आप ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्त होना चाहते हैं तो आपको हिंसा का सहारा लेना होगा किन्तु कांग्रेस पार्टी ने कहा कि हम हिंसा का सहारा नहीं लेंगे। इस प्रकार हमने बिना हिंसा के भी उस समय के सबसे बड़े साम्राज्य को हरा दिया और अंग्रेजों को घर भेज दिया। आजादी के आन्दोलन के पीछे लाखों-करोड़ों लोगों की आवाज की ऊर्जा थी। गांधी जी के उत्तराधिकारियों,जिनका नेतृत्व जवाहरलाल नेहरू ने किया, उन्होंने प्रत्येक भारतीय की आवाज को आजादी दी और यह सुनिश्चित किया कि लोकतंत्र ही हमारे संविधान की आधारशीला बने। प्रत्येक भारतीय की आवाज का अथक प्रतिनिधित्व करना कांग्रेस का हमेशा ही सार तत्व रहेगा। मैं किसी एक जाति अथवा धर्म के भारतीय की बात नहीं कर रहा हूं। मैं दोहराना चाहूंगा कि कांग्रेस पार्टी प्रत्येक भारतीय का सहयोग करेगी चाहे वह कहीं भी हो और कोई भी हो। यदि वह भारतीय है तो हम उसके लिए काम करेंगे।
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आइए, हम पिछले 60 वर्षों की भारत की सफलता पर नजर डालते हैं। यह सभी सफलताएं हमें इसलिए मिली हैं क्योंकि हमने हमारे लोगों को आवाज दी। हरित क्रांति ने किसानों की आवाज को पुन: स्थापित किया। बैंकों के राष्ट्रीयकरण ने गरीब की आवाज को पुन: स्थापित किया और आज उसे बाजार में उधार पैसा मिलने लगा है। सूचना तकनीकी और टेलीकॉम क्रान्तियों ने भी लोगों को आवाज दी है, लाखों-करोड़ों लोगों को आवाज दी हैं। यह उसी क्रांति का परिणाम हैं कि आज आपकी जेब में मोबाइल फोन है। यह हमारे लिए सम्मान की बात है कि श्री मनमोहन सिंह जी हमारे बीच बैठे हैं क्योंकि उन्होंने ही एक अन्य क्रांति का नेतृत्व किया। वर्ष 1991 में उद्यमिता के क्षेत्र के हजारों लोगों को सिंह ने आवाज दी और इस देश की सूरत को हमेशा के लिए बदल दिया।
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यूपीए सरकार ने गांधीजी के मॉडल को अपनाया है। सरकार ने उन लोगों को मंच उपलब्ध कराया है जिनकी आवाज को देश की राजनीतिक व्यवस्था में नकारा गया है। देश के इतिहास में पहली बार लोगों को मूलभूत अधिकारों-सामाजिक और आर्थिक अधिकारों- की गारंटी मिली है। खाद्य सुरक्षा बिल यह सुनिश्चित करेगा की कोई भी मां अपने बच्चे को रात में भूखा सोते हुए नहीं देखे। आरटीआई के माध्यम से प्रत्येक भारतीय व्यक्तिगत तौर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ सकता है। महानरेगा ने देश के लाखों-करोड़ों लोगों को अपने कार्य के प्रति गर्व का भाव दिया है। शिक्षा का अधिकार प्रत्येक बच्चे को महान बनने की आकांक्षा के योग्य बनाएगा। यह सभी क्रांतिकारी नवाचार कांग्रेस तथा यूपीए द्वारा जो विकास किया गया है,उसके कारण संभव हो सके हैं।
किन्तु हमारे सामने आगे अनेक चुनौतियां हैं। आज लाखों-करोड़ों भारतीयों की आवाजें हमें यह कह रही है कि वे सरकार, राजनीति और प्रशासन में भागीदारी चाहते हैं। यह आवाजे हमें यह कह रही है कि उनके जीवन की दिशा बन्द कमरों में बैठे मुट्ठी भर लोगों द्वारा तय नहीं की जा सकती क्योंकि यह मुट्ठी भर लोग स्वयं के प्रति भी पूर्ण रूप से जवाबदेही नहीं है। यह आवाजें हमें कह रही हैं कि भारत का सरकारी तंत्र भूतकाल में ही अटका और फंसा पड़ा है। सरकारी तंत्र एक ऐसा तंत्र बन गया है जो लोगों से उनकी आवाज को छीन लेता है और लोगों को सशक्त करने की बजाय उनके अधिकार छीन रहा है। |
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हम ऐसी स्थिति में क्यों है? मैं आप से पूछता हूं कि ऐसा क्यों है कि हमारे मंत्रालय पंचायतों में काम करें? सुप्रीम कोर्ट भी निचले स्तर के न्यायालयों के कार्यभार को क्यों हैण्डल करे? मुख्यमंत्री को एक शिक्षक को नियुक्त करने की क्यों जरूरत है? वाइस चांसलर्स की नियुक्ति ऐसे लोगों द्वारा क्यों की जाती है जिनका शिक्षण व्यवस्था से दूर-दूर तक लेना-देना नहीं है। आप चाहे किसी भी राज्य को देख लें, किसी भी राजनीतिक पार्टी को देख लें, ऐसा क्यों है कि केवल मुट्ठी भर लोग ही इस पूरी पार्टी पर नियंत्रण रखते हैं? हमारे देश में सत्ता का घोर केन्द्र्रीकरण हो गया है। हम व्यवस्था के शीर्ष पर बैठे लोगों को ही सशक्त बनाते हैं। हम नीचे तक के सभी लोगों को सशक्त करने में विश्वास नहीं करते।
मैं प्रतिदिन ऐसे लोगों से मिलता हूं जिनमें अपार सोच होती है, जिनमें गहरी अर्न्तदृष्टि होती है किन्तु जिन्हें कोई आवाज नहीं मिलती। हम सभी ऐसे लोगों से मिलते हैं। ऐसे लोग सभी जगह होते हैं किन्तु प्राय: हमेशा ही ऐसे लोगों को व्यवस्था से बाहर रखा जाता है। कोई भी उनकी आवाज नहीं सुन सकता है। वे चाहे बोलने का कितना भी प्रयास कर लें किन्तु उनकी बात को कोई नहीं सुनता। मैं ऐसे लोगों से भी मिलता हूं जो उच्च पदों पर होते हैं और जिनकी ऊंची आवाज भी होती है किन्तु ज्वलंत मुद्दों के प्रति उनकी कोई सोच अथवा समझ नहीं होती। |
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ऐसा क्यों होता है? ऐसा इसलिए होता क्योंकि हम ज्ञान का सम्मान नहीं करते। हम पद का सम्मान करते हैं। यदि आपके पास चाहे कितना भी ज्ञान हो किन्तु यदि आपके पास कोई पद नहीं है तो आपको कोई भी नहीं पूछेगा, आपका कोई मतलब नहीं रहेगा, आप कुछ भी नहीं है। यही भारत की त्रासदी है।
आज हमारा युवा आक्रोशित क्यों है? आज युवा सड़कों पर क्यों आ रहे हैं? युवा इसलिए आक्रोशित है क्योंकि वह अलग-थलग पड़ गया है और उसे राजनीतिक वर्ग से बाहर कर दिया गया है। जब शक्तिशाली लोग लाल बत्तियों की गाड़ियों में घूमते हैं तो देश का युवा किनारे खड़ा होकर उन्हें देखता है। महिलाएं क्यों पीड़ित है? महिलाएं इसलिए पीड़ित है क्योंकि उनकी आवाज को वह लोग कुचल देते हैं जो उनके जीवन पर एक तरफा अधिकार रखते हैं। गरीब आज भी गरीबी और शक्तिहीनता तक क्यों सीमित है? क्योंकि उनके जीवन के बारे में निर्णय तथा उन्हें जिन सेवाओं की आवश्यकता है उनके बारे में निर्णय ऐसे लोगों द्वारा लिए जाते हैं जो गरीबों के प्रति जवाबदेही से कोसों दूर है। |
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इस देश में हम तब तक कुछ भी परिवर्तन नहीं कर सकते हैं जब तक हम लोगों के ज्ञान और समझ का सम्मान नहीं करेंगे और उन्हें सशक्त नहीं करेंगे। हमारी सभी सार्वजनिक व्यवस्थाएं-प्रशासन, न्याय, शिक्षा, राजनीतिक व्यवस्था- ये सभी इस प्रकार बनाई गई ताकि ज्ञानवान लोग व्यवस्था से बाहर हो जाएं। ये सभी व्यवस्थाएं बन्द कमरों की तरह हैं। इन व्यवस्थाओं के चलते कम ज्ञानवान लोग प्रमोट हो जाते हैं तथा निर्णयों पर भी कम ज्ञानवान लोग हावी रहते हैं। अर्न्तज्ञान और अच्छी सोच रखने वाली आवाजें उन लोगों द्वारा कुचल दी जाती है जिनके पास न तो समझ है और न ही करूणाभाव है।
इन व्यवस्थाओं के चलते सफलता लोगों को ज्ञानवान बनाकर प्राप्त नहीं की जाती बल्कि उन्हें बाहर निकालकर प्राप्त की जाती है। ऐसी व्यवस्था में सफलता लोगों को आगे बढ़ाकर नहीं बल्कि उन्हें पीछे धकेल कर प्राप्त की जाती है। प्रत्येक दिन यथास्थिति बनाए रखने के लिए प्रयासों की हत्या कर दी जाती है। हम हमारे सहयोगियों की तारीफ नहीं करते हैं और न ही उनकी अच्छाइयों को देखते हैं। हम सभी, हम में से प्रत्येक, ऐसा ही करता है। हम दूसरे लोगों की तारीफ नहीं करते हैं। हम लोगों से पूछते हैं कि भैया तुम्हारी कमजोरी क्या है? हम उन्हें बेअसर करने के तरीकों पर देखने लग जाते हैं। प्रतिदिन हम में से सभी को व्यवस्था के इस पाखंड का सामना करना पड़ता है। यह हम सभी देखते हैं। इसके बावजूद भी हम यह बहाना बनाते हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं है। जो लोग भ्रष्ट हैं वे सीना तानकर चलते हैं और भ्रष्टाचार को मिटाने की बात करते हैं। इसी प्रकार जो लोग प्रतिदिन महिलाओं का अपमान करते हैं वे ही लोग महिलाओं के अधिकारों की बातें करते हैं। |
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इसलिए जब तक हम लोगों के ज्ञान और उनकी सोच का सम्मान नहीं करेंगे, उन्हें सशक्त नहीं करेंगे तब तक हम देश को बदल नहीं सकते। हमें आम आदमी की राजनीति में भागीदारिता की आवश्यकता है। आज जब यह बात मैं आप से कह रहा है तो इस समय भी आम आदमी के भविष्य का निर्णय बन्द कमरों में लिया जा रहा है। आज का भारत युवा और अधीर है और यह भारत देश के भविष्य में अपनी अधिक भागीदारिता की मांग कर रहा है। मैं यह बात आपको बता देना चाहता हूं कि आम आदमी अब सब कुछ चुपचाप देखने वाला नहीं है। हमारी प्राथमिकताएं स्पष्ट है।
समय आ गया है जब केन्द्रीकृत, गैर-जवाबदेही निर्णय प्रक्रिया, प्रशासन, और राजनीति पर प्रश्न उठाए जाएं। इन प्रश्नों का जवाब यह नहीं है कि लोग यह कहते है कि हमें व्यवस्था को बेहतर तरीके से चलाने की आवश्यकता है। व्यवस्था को बेहतर तरीके से चलाना इन प्रश्नों का जवाब नहीं है। इन प्रश्नों का जवाब है कि हम व्यवस्था को अमूलचूल तरीके से बदले। |
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हां, मैं आशावादी हूं। मैं आशावादी हूं क्योंकि मैंने क्रांति के निर्माणकारी घटकों को सही स्थान देना शुरू कर दिया है। इसके लिए मैं कांग्रेस अध्यक्ष, प्रधानमंत्री और कांग्रेस पार्टी को धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं आपको यह भी बताना चाहता हूं कि ये निर्माणकारी घटक क्या हैं? प्रथम, आज देश के लोग पहले से कहीं ज्यादा एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। आज हमारे पास सड़कों, सूचनाओं, दूरसंचार, लोगों का एक बड़ा नेटवर्क है। आज नए विचारों के साथ मीडिया उभर रहा है, विकसित हो रहा है तथा उड़ने के लिए तैयार है। जिस नए विचार का समय आ गया है उस नए विचार को सीमित रखना अब संभव नहीं है। आधार योजना प्रत्येक भारतीय की आकांक्षाओं को पहचानने हेतु हमें एक अभूतपूर्व माध्यम प्रदान करती है, चाहे वह भारतीय कहीं भी रह रहा है। डायरेक्ट केस ट्रांसफर योजना हमें भारतीयों के सपनों को पूरा करने का मौका देती है और डिलिवरी व्यवस्था को सशक्त करने का मौका देती है। मेरे पिताजी कहा करते थे कि लोगों के पास 1 रुपये में से केवल 15 पैसे ही पहुंचते हैं और आज हम एक ऐसी व्यवस्था तैयार करने जा रहे हैं जो इस प्रश्न का जवाब देगी। अब लोगों का 99 प्रतिशत पैसा उन तक पहुंच सकता है। यह एक ऐसी क्रांति है जो किसी भी देश में नहीं हुई है। हम उस क्रांति की तैयारी कर रहे हैं। हम क्रांति की तैयारी कर रहे हैं और हमारे विरोधी कहते हैं कि हम देश को रिश्वत दे रहे हैं। लोगों को उनका हक देने की बात को देश को रिश्वत देना बताया जा रहा है। हमारे विपक्षी ऐसी बात इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वे डरे हुए हैं। वे जानते हैं कि आधार योजना क्या कर सकती है। वे जानते है कि केस ट्रांसफर क्या कर सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे विपक्षी जानते हैं कि कांग्रेस के लोग क्या कर सकते हैं और कांग्रेस की सोच क्या कर सकती है। पंचायत राज तथा महिलाओं के स्वयं सहायता समूह आन्दोलन ने लोकतंत्र को बदलने का प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया है। राष्ट्रीय निर्णय प्रक्रिया का संतुलन दिल्ली तथा राज्यों की राजधानियों से शिफ्ट होकर अन्तिम पंचायत और नगर पालिका के वार्ड तक जाना चाहिए। महिलाओं, दलितों, अल्पसंख्यकों तथा ट्राइबल लोगों के साथ हो रहे भेदभाव और सामाजिक पूर्वाग्रहों को दूर करने के लिए कांग्रेस पार्टी को अपनी लड़ाई को निरन्तर जारी रखना चाहिए।
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मैं इन्हीं निर्माणकारी घटकों के कारण आशावादी हूं। मैं इसलिए भी आशावादी और रोमांचित हूं क्योकि मैं हमारे युवाओं की क्षमता, उत्कंठा, ऊर्जा को देख रहा हूं। हमें रोजगार की उनकी मांग को अब पूरा करना होगा। हमारी शिक्षण और प्रशिक्षण संस्थाओं को प्राथमिकता के आधार पर युवाओं को विश्व के श्रेष्ठतम रोजगार प्राप्त करने के लिए तैयार करना होगा। इसी प्रकार रोजगार सृजन के सम्बन्ध में निर्णयों को अतार्किक लाल फीताशाही एवं पुराने कानूनों से मुक्त करना होगा ताकि देश की युवाओं की अपार ऊर्जा खुलकर सामने आ सके।
अब मैं थोड़ा हिन्दी में, संगठन के बारे में बोलना चाहता हूं। आपने मुझे बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी है, और ये एक पार्टी कहलाती है मगर सचमुच में ये एक परिवार है। इस बात को आप मानते हैं की ये हिन्दुस्तान का, शायद दुनिया का सबसे बड़ा परिवार है। और इसमें हिन्दुस्तान के सब लोग अन्दर आ सकते है। आपको क्या लगता है? बदलाव की जरूरत है या नही? है, तेजी से बदलाव की जरूरत है, मगर सोच समझ कर बदलाव की जरूरत है। और सबको एक साथ लेकर बदलाव की बात करनी है, और बदलाव लाना है। सोच समझ के करना है, और आप सबकी आवाज को सुनकर करना है। मैं पहले यूथ कांग्रेस का जनरल सेक्रेट्री हुआ करता था, एनएसयूआई का जनरल सेक्रेट्री हुआ करता था, अब मैं कांग्रेस पार्टी में वाइस प्रेसीडेन्ट हूं। आपको ये नहीं लगना चाहिए कि राहुल गांधी सिर्फ युवाओं की बात करता है। राहुल गांधी का परिवार यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई, कांग्रेस पार्टी, महिला कांग्रेस सब हैं और आज से राहुल गांधी सबके लिए काम करेगा। और सबको, मैं एक वायदा करता हूं कि सबको मैं एक ही आंख से देखूंगा। चाहे वो यूथ कांग्रेस में से हो, चाहे वो बुजुर्ग हो, चाहे इनएक्सपीरियंस्ड हो, एक्सपीरियंस्ड हो, चाहे वो महिला हो, जो भी हो, जो आप कहेंगे मैं उसे सुनूंगा और समझने की कोशिश करूंगा। राजनीति में, मैं अब 8-9 साल से हूं और मैं एक बात समझा हूं, काम करना है, सोच समझ के करना है, गहराई से करना है, और जल्दी से नहीं करना है। बदलाव हो तो लम्बे तौर पर हो और गहराई से हो। |
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एक दो चीजें मैं आप से कहना चाहता हूं, बदलाव की बात आपने कही, नियम और कानून की बात मैं कहना चाहता हूं। कांग्रेस पार्टी एक ऐसा संगठन है, दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन है, मगर इसमें नियम और कानून नहीं चलते। शायद एक भी नियम और कानून इस पार्टी में नहीं है। हम हर दो मिनट में नए नियम बनाते हैं और पुराने नियम को दबा देते हैं, और यहां शायद किसी को भी नहीं मालूम कि कांग्रेस पार्टी के नए नियम क्या हैं? मजेदार संगठन है। कभी कभी मैं पूछता हूं अपने आप से, कि भैया ये चलता कैसे है, ये इलेक्शन कैसे जीतता है? ये बाकी पार्टियों को खत्म कैसे कर देता है? समझ नहीं आती है बात। मगर इलेक्शन के बाद, धड़ाक से कांग्रेस पार्टी जीत जाती है। वर्कर खड़ा हो गया, नेता खड़े हो गये। शीलाजी मुझसे कह रही थी कि भैया पता नहीं क्या होता है, इलेक्शन के पहले सब खड़े हो जाते हैं और धड़ाके से लग जाते हैं। ये गांधीजी का संगठन हैं, इसमें हिन्दुस्तान का डीएनए भरा हुआ है। बाकी संगठन और जो हमारे विपक्ष के है वो समझते नहीं है इस बात को, वो देखते हैं और कहते हैं भैया ये हो क्या रहा है? ये क्या कह रहे है लोग? कोई कहता है, भैया मैं किसी एक जात की पार्टी हूँ, कोई कहता मैं किसी एक धर्म की पार्टी हूँ और कांग्रेस पार्टी कहती है, भैया हमारा तो डीएनए हिन्दुस्तान का है। हम ना तो जात पहचानते हैं, ना धर्म पहचानते हैं, सिर्फ हिन्दुस्तान का डीएनए पहचानते हैं। सब के सब हैं इसमें। तो नियम और कानून की जरूरत है, पहली बात।
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दूसरी बात, हम लीडरशिप डवलपमेन्ट पर फोकस नहीं करते। आज से पांच-छह साल बाद ऐसी बात होनी चाहिए। अगर किसी स्टेट में हमें चीफ मिनिस्टर की जरूरत हो, तो जैसे पहले फोटो हुआ करती थी कांग्रेस पार्टी की, चालीस फोटो हुआ करती थी। नेहरू, पटेल, आज़ाद जैसे हुआ करते थे, दिग्गज होते थे, उनमें से कोई भी देश का पीएम बन सकता था। उनमें से कोई भी देश को चला सकता था। सिर्फ प्रदेश को नहीं, देश को चला सकें , ऐसे 40-50 नेता तैयार करने हैं। हर प्रदेश में हमारे पांच, छह, सात, दस ऐसे नेता हों जो चीफ मिनिस्टर बन सकें। और हर डिस्ट्रिक में, हर डिस्ट्रिक में ये बात हो, ब्लॉक में ये बात हो। और अगर कोई हमसे पूछे, भैया कांग्रेस पार्टी क्या करती है, कांग्रेस पार्टी हिन्दुस्तान के भविष्य के लिए नेता तैयार करती है। कांग्रेस पार्टी सेक्यूलर नेता, ऐसे नेता जो गहराई से हिन्दुस्तान को समझते हैं। जो जनता से जुड़े हुए, वैसे नेता तैयार करती है। ऐसे नेता तैयार करती है, जिनको हिन्दुस्तान के सब लोग देख कर कहते है भैया हम इनके पीछे खड़े होना चाहते हैं। तो लीडरशिप डवलपमेन्ट की जरूरत है और इसके लिए ढांचे की जरूरत है, सिस्टम की जरूरत है, इन्फॉर्मेशन की जरूरत है। क्योंकि यहां पर, जो नहीं होता है, इसलिए नहीं होता है कि कोई चाहता नहीं। इसलिए नहीं होता है क्योंकि सिस्टम नहीं है, और सिस्टम बनाया जा सकता है और इस सिस्टम को आप लोग बनाओगे और आप लोग चलाओगे।
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हम टिकट की बात करते हैं। जमीन पर हमारा कार्यकर्ता काम करता है, यहां हमारे डिस्ट्रिक प्रेसीडेन्ट बैठे हैं, हैं, ब्लॉक प्रेसीडेन्ट हैं, ब्लॉक कमेटी हैं, डिस्ट्रिक कमेटी हैं, उनसे पूछा नहीं जाता है। यहां डिस्ट्रिक प्रेसीडेन्ट हैं? टिकट के समय उनसे नहीं पूछा जाता, संगठन से नहीं पूछा जाता, ऊपर से डिसीजन लिया जाता है भैया, इसको टिकट मिलना चाहिए। होता क्या है? दूसरे दल के लोग आ जाते हैं, चुनाव के पहले आ जाते हैं, चुनाव हार जाते हैं और फिर चले जाते हैं, और हमारा कार्यकर्ता कहता है भैया, वो ऊपर देखता है, चुनाव से पहले पैराशूट गिरता है, धड़ाक, नेता आता है, दूसरी पार्टी से आता है, चुनाव लड़ता है, फिर हवाईजहाज में उड़कर चला जाता है, ये बदलना है। सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता की इज्जत होनी चाहिए। सिर्फ और सिर्फ कार्यकर्ता की इज्जत नहीं, नेताओं की इज्जत। नेताओं की इज्जत का मतलब क्या है कि अगर नेताओं ने अच्छा काम किया है, अगर नेता जनता के लिए काम कर रहा है, चाहे वो जूनियर हो या सीनियर नेता हो, जितना भी छोटा हो, जितना भी बड़ा हो अगर वो काम कर रहा है तो उसे आगे बढ़ाना चाहिए। अगर वो काम नहीं कर रहा है, तो उसको कहना चाहिए भैया आप काम नहीं कर रहे हो, और दो-तीन बार कहने के बाद काम नहीं करें तो दूसरे को चांस देना चाहिए।
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और अंत में, जो हमारे ही लोग हमारे खिलाफ खड़े हो जाते हैं। चुनाव के समय इंडिपेंडेंट खडे हो जाते हैं, जो इंडिपेंडेंट्स को खड़ा कर देते हैं, उनके खिलाफ एक्शन लेने की जरूरत है। आप सभी ये चीजें जानते हैं। मैं भी जानता हूं। सब लोग जानते हैं। कमी इम्प्लीमेंटेशन में है, और हम इम्प्लीमेंटेशन मिलके करेंगे। यहां पर ज्ञान है, जानकारी है, हम ये काम कर सकते हैं। और जिस दिन हमने ये काम कर दिया, हमारे सामने कोई नहीं खड़ा रह पाएगा। जिस दिन जनता की आवाज कांग्रेस पार्टी के अन्दर गूंजने लगी, आज गूंजती है, बाकियों से ज्यादा गूंजती है, मगर जिस दिन गहराई से गूंजने लगेगी, जिस दिन पंचायत, वार्ड के लोग यहां आ कर बैठ जाएंगे, उस दिन हमें कोई नहीं हरा पाएगा। आज हमारे अन्दर कभी-कभी गुस्सा आता है, दु:ख होता है, फ्रस्टेशन आती है, वो भी कम हो जाएगी। मुस्कराहट आ जाएगी, लोग कहेंगे भैया मज़ा आ रहा है, अब जाते हैं विपक्षी पार्टियों को हराते हैं। मजे से लडेंगे, मजे से जीतेंगे।
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मैं पिछले आठ साल से यहां काम कर रहा हूं। और मैंने आपसे कहा कि आपने मुझे सिखाया। सीनियर नेता बैठे है। कल मैंने, ओलाजी का भाषण सुना, कितनी गहरी बात बोली उन्होंने और युवा भी बैठे थे, उन्होंने भी गहरी बात बोली। चिदम्बरमजी थे, एन्टनीजी थे, उन्होंने गहरी बात बोली, यहां पर कैपेबिलिटी की कोई कमी नहीं है। गहराई की कोई कमी नहीं है। जिस प्रकार ये पार्टी सोचती है, जितनी डेप्थ इस पार्टी में है, कहीं और नहीं है, पार्लियामेन्ट में दिखता है, सब जगह दिखता है। और मैं आपको ये बताना चाहता हूं कि मैं सब कुछ नहीं जानता हूं। दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो सब कुछ जानता है। कांग्रेस पार्टी में करोड़ों लोग हैं, कहीं न कहीं जानकारी जरूर है, मैं आपसे ये कहना चाहता हूं कि मैं उस जानकारी को ढूढूंगा। सीनियर नेताओ से पूछूंगा, शीलाजी बैठी हैं, गहलोतजी बैठे हैं, अल्वीजी बैठे हैं, बहुत सारे लोग हैं, सबके नाम नहीं ले सकता हूं, मगर मैं आपसे पूछूंगा, आपसे सीखूंगा, क्योंकि इस पार्टी का इतिहास, आपके अंदर है। इस पार्टी की सोच, आपके अंदर है। और मैं सिर्फ आपकी आवाज को आगे बढ़ाऊंगा। जो सुनाई देगा वो मैं आगे बढ़ाऊंगा, और फेयरनेस की बात होती है, कल मैंने मीटिंग में कहा, हर कचहरी में दो लोग होते हैं, लॉयर होता हैं, जज होता है, मैं जज का काम करूंगा, लॉयर का काम नहीं करूंगा। अब मैं वापस अंग्रेजी में बोलना चाहता हूं तो थोड़ा मैं आपको, अब इमोशनल बात कहना चाहता हूं, दिल की बात कहना चाहता हूं।
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Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
आज सुबह मैं 4 बजे उठा और बालकनी में गया। मैंने सोचा कि अब मेरे सामने एक बड़ी जिम्मेदारी है और लोग मेरे पीछे खड़े हैं, लोग मेरे साथ खड़े हैं। सुबह अन्धेरा था और सर्दी भी थी। मैंने निर्णय लिया कि मैं वह बात नहीं कहूंगा, जो आप मेरे से सुनना चाहते हैं। मैंने निर्णय लिया कि मैं वही बात कहूंगा, जो मैं महसूस करता हूं। मैं आपको आशा और सत्ता के बारे में बताना चाहता हूं।
बचपन में बैडमिंटन से बहुत प्यार था, क्योंकि इस खेल ने मुझे इस पेचीदा दुनिया में सन्तुलन सिखाया। मैंने मेरी दादी के घर उन दो पुलिसकर्मियों से बैडमिंटन खेलना सीखा जो मेरी दादी की सुरक्षा में तैनात थे। वे मेरे दोस्त भी थे। फिर एक दिन उन्होंने मेरी दादी की हत्या कर दी और मेरे जीवन में सन्तुलन को मुझसे छीन लिया। मुझे बहुत दु:ख हुआ। ऐसा दु:ख पहले कभी नहीं हुआ। मेरे पिताजी बंगाल में थे और वह लौट आए थे। अस्पताल में बहुत अन्धेरा और गंदगी थी। जब मैंने अस्पताल में प्रवेश किया, उस वक्त बाहर बहुत बड़ी भीड़ थी। मैंने मेरे जीवन में पहली बार मेरे पिताजी को रोते हुए देखा। मेरे पिताजी बहुत बहादुर थे, किन्तु मैंने उन्हें रोते हुए देखा। मैंने देखा कि वह भी टूट चुके थे। |
Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
उन दिनों हमारा देश ऐसा नहीं था, जैसा आज है। दुनिया की नजरों में हमारे पास कुछ नहीं था। हमें फालतू माना जाता था। हमारे पास पैसा नहीं था, कारें नहीं थी। प्रत्येक व्यक्ति कहता था कि हम गरीब राष्ट्र हैं। हमारे बारे में किसी ने नहीं सोचा।
उस दिन शाम को मेरे पिताजी ने टेलीविजन पर राष्ट्र को सम्बोधित किया। मैं जानता था कि वह भी मेरी तरह अन्दर से टूटे हुए थे। हमारे सामने जो चीज थी, उससे वह भी मेरी तरह भयभीत हो गए थे, किन्तु जब उस दिन काली रात को मेरे पिताजी बोलने लगे तो मैंने महसूस किया कि उनमें आशा की एक छोटी किरण थी। ऐसा लगा मानो अन्धेरे आकाश में रोशनी की एक छोटी किरण थी। मुझे उस समय की सभी बातें आज भी याद हैं। अगले दिन मैंने महसूस किया कि अनेक लोगों ने भी उस किरण को देखा था। आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मेरे पास 8 वर्ष का राजनीतिक जीवन है और आज मेरी आयु 42 वर्ष है। मैं यह देख सकता हूं कि उस दिन की आशा की उस छोटी किरण ने भारत को भी बदलने में मदद की है। आज एक नया भारत है। आशा के बिना आप कुछ भी हासिल नहीं कर सकते। आपके पास विचार हैं, किन्तु यदि आशा नहीं है तो आप बदलाव नहीं ला सकते, आप भारत जैसे विशाल देश में बदलाव नहीं ला सकते। |
Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
अब मैं आपको सत्ता (पावर) के बारे में बताना चाहता हूं।
पिछली रात सभी लोगों ने मुझे बधाई दी। आपने मुझे गले लगाया और बधाई दी। किन्तु पिछली रात मेरी मां मेरे कमरे में आई, मेरे पास बैठी और रोने लगी। वह क्यों रोई? वह इसलिए रोई, क्योंकि वह जानती है कि जिस सत्ता को बहुत लोग प्राप्त करना चाहते है, वह वास्तव में जहर है। मेरी मां यह बात देख सकती है, क्योंकि वह पावर से जुड़ी हुई नहीं है। इस जहर का तोड़ यही है कि हम इसे इसके वास्तविक रूप में देखें और इसके साथ अटैच नहीं हों। हमें सत्ता के पीछे इसके घटकों के कारण नहीं दौड़ना चाहिए, बल्कि हमें इसका उपयोग उन लोगों को सशक्त करने के लिए करना चाहिए, जिनके पास आवाज नहीं है। यह मेरी मां का पूरे जीवन का अनुभव है, यह मेरे 8 वर्षों का अनुभव है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप में से जितने भी लोगों के पास प्रतिदिन सत्ता रहती है, वे मेरी बात को समझेंगे और सत्ता के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का अहसास करेंगे। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि नकारात्मक पहलू भी हैं और आपको सत्ता का उपयोग करते समय इस बारे में सावधान रहना चाहिए। |
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आज का भारत वर्ष 1984 के भारत जैसा नहीं है। आज हमें कोई भी फालतू नहीं मानता है। आज पूरा विश्व हमें प्रणय निवेदन करता है। आज हम ही भविष्य हैं। जैसा कि मैंने पूर्व में भी कहा कि राष्ट्रों का निर्माण योजनाओं के आधार पर नहीं किया जाता है। राष्ट्रों का निर्माण तो आशा की नींव पर किया जाता है। मैं यह मानता हूं कि कांग्रेस इस आशा का प्रतीक है और उसमें इस आशा को अंगीकार करने की क्षमता है। मैं अपनी बात यह कह कर समाप्त करना चाहता हूं कि कांग्रेस ही मेरा जीवन है। भारत के लोग मेरा जीवन हैं। मैं भारत के लोगों और कांग्रेस पार्टी के लिए लड़ूंगा। मैं उस प्रत्येक चीज के सहयोग से लड़ूंगा जो मेरे पास है। मैं आप सभी को इस लड़ाई के लिए खड़ा होने और इसे प्रारम्भ करने के लिए आमंत्रित करता हूं। धन्यवाद।
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Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
मीडिया, कांग्रेसी और कांग्रेस पार्टी के चाहने वाले हमेशा कहते रहते हैं की राहुल गाँधी युवाओं के नेता हैं, और अगर कांग्रेस को 2014 में फिर से वापिस आना है तो राहुल गांधी के कंधो पर ही सवार होना पड़ेगा। मैं भी एक युवा हूँ और मैं यहाँ कहना चाहता हूँ, की क्यों मैं राहुल गाँधी को अपना नेता नहीं मानता और मुझे राहुल गाँधी क्यों नहीं पसंद हैं।
1. अंग्रेजी में एक कहावत है बोर्न विथ सिल्वर स्पून, अपने राहुल जी ऐसे ही हैं, इसके कारण मेरे मन में उनके प्रति श्रद्दा कम है, या कहिये नहीं ही है। जब आप राज परिवार में पैदा हो ही गए तो राजा बनने से आपको कौन रोक सकता है। ऐसे में आपने कौन सा बड़ा तीर मार लिया। अगर गांधी surname नहीं होता तो आप शायद नगरपालिका चुनाव में भी नहीं जीत पातें। 2. नेता ऐसा होना चाहिए जो की जनता के साथ सीधे सीधे संवाद स्थापित कर सके। ऐसा भाषण दे की जनता मंत्रमुघ्ध हो कर सुनती रह जाए। राहुल गांधी इस मामले में पुरे फिसड्डी हैं। रात में उनके माँ ने उन्हें रोते हुए क्या बोला यह भी उन्हें कागज़ पर लिख कर लाना पड़ा। 3. आज 24/7 मीडिया का ज़माना है, ऐसे में नेताओं को मीडिया से नहीं घबराना चाहिए और हर मुद्दे पर अपनी राय मीडिया के द्वारा जनता के सामने रखनी चाहिए। मीडिया को देख कर राहुल गाँधी ऐसे भागते है की जैसे पानी देख कर बिल्ली। 10 साल से राजनीति में हैं, लेकिन आज तक एक भी इंटरव्यू नहीं दे पाए। 4. आप युवा नेता है तो आपको सोशल मीडिया पर होना ही चाहिए ताकि आप सीधे सीधे आज के युवाओं से बात कर सके और उनके विचार और राय से भी अवगत हो सके। मगर अफ़्सोश राहुल जी सोशल मीडिया पर भी नहीं हैं। दिल्ली में गैंग रेप के बाद कितना हंगामा हुआ था, लेकिन इस बीच राहुल गाँधी कहाँ थे, किसी को भी नहीं पता चला। 5. इस समय 2013 चल रहा है, राजीव गाँधी तो सेंटी पटक कर 1984 में सत्ता पर काबिज़ हो गए थे, लेकिन आज वैसा नहीं चलने वाला, जनता को कुछ ठोस करके दिखाना होगा, मगर अभी तक राहुल गाँधी में कुछ भी ऐसा नहीं किया जिसकी खुले दिल से तारीफ़ हो सके। |
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