टार्च
टार्च
बात उन दिनों की है जब मैं सातवीं या आठवीं में पढ़ता था। मेरे गाँव के बगल से एक बारात गयी थी, बारातियों में मैं भी शामिल था। उस समय बारातों के एक से अधिक दिन रुकने का चलन था, जिसे हम गाँव की भाषा में 'मरजाद' कहते हैं। वह बारात भी तीन दिन रुकी थी मुझे याद है, और याद है उसी दौरान घटी एक घटना भी। बारात के तीन दिवसीय पड़ाव के दूसरे दिन शाम को एक मेरा परिचित व्यक्ति जो मजबूत कद-काठी, व उम्र में मुझसे लगभग दो गुना बड़ा था, मुझसे सैर-सपाटे का आग्रह किया। हम दोनों निकल पड़े। अभी कुछ ही दूर निकले थे कि ताड़ के पेड़ दिखाई दिए उस व्यक्ति ने कहा 'चलो ताड़ी पीते हैं।' मैंने कहा 'मैं नहीं पीता, पर वहाँ तक चल जरूर सकता हूँ।' उसने छककर ताड़ी पी, फिर हम लोग और आगे बढ़ चले। शाम का अंधेरा बढ़ने लगा था। एक ओर से एक महिला के रोने की आवाज़ आ रही थी, उसके हाँथ में एक टार्च था जिससे तीव्र रोशनी आ रही थी। महिला करीब पहुँची और हमसे अपने मायके पहुँचाने की गुहार करने लगी। मेरे पूछने पर उसने बताया कि उसके ससुराल वालों ने उसे मार-पीट कर घर से निकल दिया है। टार्च की रोशनी में उसके नाक से निकलता खून देखकर दिल दहल गया। मैंने साथी व्यक्ति से कहा "चाचा! चलिए इसकी मदद करते हैं, इसे इसके मायके पहुँचा कर आते हैं।" उसने पहले तो इनकार किया फिर बहुत आग्रह करने पर हामी भरी। अभी महिला के साथ हम लोग कुछ ही दूर चले थे कि एक सवारी गाड़ी आ गयी। हमने उसे गाड़ी में बैठाया और ड्राइवर से प्रार्थना की कि वह उसे सही गन्तव्य तक छोड़ दे। गाड़ी के जाते ही मेरा माथा घूम गया। महिला का वो चमकता हुआ टार्च मेरे साथी के हाँथ में था, वह बेहद खुश नज़र आ रहा था। मैंने गाड़ी वाले को आवाज़ लगानी चाही मगर वह दूर जा चुका था। पुनः मैंने उस व्यक्ति से कहा 'चाचा जी! उसका टार्च वापस करना बहुत जरूरी है वरना वह हमारे बारे में क्या सोचेगी?' इतना सुनते ही उसने मुझे जोर का धक्का दे दिया। यह घटना जब भी याद आती है, मन उदास हो जाता है। - आकाश महेशपुरी दिनांक- 31/01/2020 |
Re: टार्च
अच्छी आपबीती है.रोचक भी है रहस्यमय भी.
|
All times are GMT +5. The time now is 06:33 PM. |
Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.