Re: Cricket's Hall of Fame
Cricket's Hall of Fame
लाला अमरनाथ / Lala Amarnath http://st2.cricketcountry.com/wp-con...0911111431.jpg सन 1933 में इंग्लैंड के खिलाफ भारत के पहले मैच में कप्तान सी.के. नायडू के साथ जिमखाना ग्राउंड पर आते लाला अमरनाथ. अमरनाथ ने अपने पहले ही मैच में सेंचुरी बनाई. |
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लाला अमरनाथ / Lala Amarnath अब हम बता रहे है ऐसा ही एक घटना जब पूर्व भारतीय खिलाड़ी ने पाकिस्तान के एक खिलाड़ी को फिक्सिंग करने की कोशिश में रंगे हाथ पकडा था. अमरनाथ भाइयों में से सबसे छोटे भाई रजिंदर ने अपने पिताजी लाला अमरनाथ के बारे में एक किस्सा सुनाया है. ये बात 1954 के भारत के पाकिस्तान दौरे की है, तब पाकिस्तान के कप्तान अब्दुल हफीज करदार ने भारत के उस समय के टीम मैनेजर लाला अमरनाथ को अपने घर चाय पर बुलाया था. सोफे पर बैठे हुए लाला जी की पीठ दरवाजे की ओर थी. तब ये दोनों बात कर रहे थे तब मैच का अंपायर इदरीस बेग उस रुम में आया और कप्तान से पूछने लगा कि कल के मैच के लिए क्या हिदायत है? तब लाला ने पूछा ‘क्या हिदायत है, मतलब?' तब वो अंपायर लाला को देखकर भाग गया. तब लाला ने पीसीबी को बताया की अगर उन्होंने अंपायर बदला नहीं तो हम (कराची का फाइनल) टेस्ट मैच नहीं खेलेंगे. उस समय कोई अंपायर नहीं था तो उस समय पाकिस्तान के सेलेक्टर मसूद सलाउद्दीन अंपायर बने थे. क्रिकेट के इतिहास में पहली बार कोई सिलेक्टर अंपायर बना था. उस मैच में सलाउद्दीन ने पाकिस्तान टीम के कप्तान करदार को स्टंप आऊट दिया था, तब वे 7 रन से अपने शतक से दूर थे. उसके बाद लाला ने कहा की अगर कोई दूसरा पाकिस्तानी अंपायर होता तो ये आऊट नहीं देता. |
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वीरेन्द्र सहवाग द्वारा क्रिकेट को अलविदा
VIRENDER SEHWAG BIDS FAREWELL TO CRICKET http://www.newsx.com/sites/default/f...?itok=ed58ouJk अपने 37वें जन्मदिन पर सहवाग द्वारा क्रिकेट से संन्यास की घोषणा विस्फोटक बल्लेबाज सहवाग ने ' रिकॉर्ड तोड़ने के लिए ही बनाए जाते हैं' कहावत को पूरी शिद्दत से माना. टेस्ट क्रिकेट को जो लोग बोरिंग खेल समझते थे, उन्हें मैदान या टीवी पर खींच लाने का दम रखते थे सहवाग. सफ़ेद कपड़ों में टी-20 सी बल्लेबाज़ी...और रंगीन कपड़ों में बिजली से शॉट्स. डिफेंस करना तो वीरू ने सीखा ही नहीं. क्रिकेट को एक खेल से एंटरटेनमेंट तक ले जाने में वीरू का योगदान कोई नहीं भूल सकता. ना तो कभी दर्शकों को निराश किया और ना ही कभी अपनी टीम को. लोअर मिडिल ऑर्डर से ओपनर तक का सफ़र तय करते हुए वीरू ने क्रिकेट को ऐसा बहुत कुछ दिया जो उन्हें हमेशा सिर ऊंचा रखने की प्रेरणा देता रहा. भारतीय क्रिकेट के आधुनिक काल की चर्चा जब भी होगी तो तेंदुलकर, द्रविड़, लक्ष्मण और गांगुली के साथ-साथ सहवाग का नाम भी ज़रूर आएगा. |
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वीरेन्द्र सहवाग द्वारा क्रिकेट को अलविदा
http://www.indiatrendingnow.com/wp-c...er-Sehwag1.jpg टीम इंडिया के लिए खेलते हुए ऐसे कई मुकाम आए जब वीरू की पारियां इतिहास में दर्ज हो गईं. टेस्ट में मुल्तान और चेन्नई के तिहरे शतक हों या वन-डे में इंदौर का दोहरा शतक, वीरू के पास रिकॉर्ड्स की हमेशा भरमार रही, लेकिन रिकॉर्ड्स के लिए उन्होंने कभी कोई खास कोशिश नहीं की. शतक के करीब पहुंचकर भी गेंद को बाउंड्री पार उड़ाने की उनकी आदत पर लोग हैरान भी होते थे और दाद भी देते थे. लेकिन वीरू सिर्फ बल्ले से ही बेबाक नहीं थे, मुंह से भी थे. 2010 में बांग्लादेश में दो टेस्ट मैचों की सीरीज़ का पहला टेस्ट चटगांव में खेला जाना था. वीरू भारत के कप्तान थे. मैच से पहले दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के समय दोनों देशों के मीडियाकर्मी कप्तान का इंतज़ार कर रहे थे. वीरू आए तो बांग्लादेशी रिपोर्टर ने पूछा, बांग्लादेश की गेंदबाज़ी को कैसे आंकते हैं. वीरू बोले, ‘ज़्यादा अच्छी नहीं है, हमारे 20 विकेट कभी नहीं ले पाएंगे’. रिपोर्टर हैरान रह गया. इसके बाद बांग्लादेशी मीडिया ने कुछ और सवाल पूछे, वीरू ने एक-एक लाइन में सबके जवाब दिए और पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस सिर्फ दो मिनट में खत्म करके चलते बने. वीरू को सिर्फ क्रिकेटर समझने वाले भूल करते हैं क्योंकि वो सही मायने वो एंटरटेनर थे. |
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वीरेन्द्र सहवाग द्वारा क्रिकेट को अलविदा
http://images.iimg.in/c/54410cb3e3ee...oto.img?crop=1^http://1.bp.blogspot.com/-yV3MxKpBTR...52828%2529.jpg (1) अपनी माता के साथ बालक वीरेंदर (2) किशोर वीरू वीरू की कामयाबी में कई लोगों का हाथ रहा. बचपन से लेकर आजतक उनके खेल को संवारते आए कोच एएन शर्मा हों या फिर उनमें विश्वास दिखाकर उन्हें मौका देने वाले सौरव गांगुली. सचिन तेंदुलकर ने भी वीरू को बड़े कद का बल्लेबाज़ माना और हमेशा उनका हौसला बढ़ाते रहे. नजफगढ़ की गलियों से निकला छोटा वीरू कैसे क्रिकेट का बादशाह और विज्ञापन की दुनिया का राजा बना ये एक ऐसी कहानी है जिसे सिर्फ वही लोग जानते हैं जिन्होंने सहवाग को करीब से देखा है. वीरू की बल्लेबाज़ी देखने और उनके किस्से सुनने में जितना मज़ा आता है, उतना ही दुख उनकी मौजूदा स्थिति पर भी होता है. वीरू के जिस हैंड-आई कोर्डिनेशन के लोग कसीदे पढ़ते थे, उसी की बुराईयां करने वालों ने उनके क्रिकेट खेलने पर सवाल भी खड़े किए. कुछ ने तो उनकी आंखों की कमज़ोरी को उनकी खराब फॉर्म का ज़िम्मेदार मान लिया. ये सच था या नहीं ये तो वीरू ही जानते हैं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 17 हज़ार से ज़्यादा रन बनाने वाले एक बड़े क्रिकेटर की टीम से विदाई कुछ सम्मानजनक तो हो ही सकती थी. |
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http://drop.ndtv.com/albums/ENTERTAI...ngs/sehwag.jpg http://www.images99.com/i99/03/81516/81516.jpg Virendra Sehwag with his wife Arti and son लेकिन वीरू की रिटायरमेंट में एक टीस है. टीस इस बात की कि भारतीय क्रिकेट का ये सितारा मैदान से रिटायर नहीं हुआ. नजफ़गढ़ का नवाब, मुल्तान का सुल्तान और न जाने ऐसे कितने ही और नाम सहवाग ने अपने करियर में कमाए और उनकी ये पूंजी उनसे कोई नहीं छीन सकता. अलविदा वीरू! क्रिकेट को आपकी ज़रूरत हमेशा रहेगी. शुक्रिया वीरू ^ |
Re: Cricket's Hall of Fame
Just saw this thread today
Very interesting. Please continue. Regards GV |
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