Cricket's Hall of Fame
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------------------------ इस सूत्र में हम क्रिकेट जगत से जुड़े बीते हुए कल के तथा वर्तमान समय के जाने-माने खिलाडियों व उनकी उपलब्धियों की बात करेंगे. ये वो खिलाड़ी हैं जिनके बिना क्रिकेट के इतिहास की कल्पना भी नहीं की जा सकती और ऐसा करना बिलकुल बेमानी होगा. इनमे से बहुत से लोग अपने जीवन काल में ही किंवदंती बन गए. सौभाग्य से इन देशी विदेशी खिलाड़ियों में से बहुत से खिलाड़ी आज भी हमारे बीच उपस्थित हैं मगर कुछ अब दिवंगत हो चुके हैं. इन सभी खिलाड़ियों ने न सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धियाँ हासिल की बल्कि खिलाड़ियों की तत्कालीन, अनुवर्ती तथा वर्तमान पीढ़ी के लिए भी प्रेरणा पुंज बने रहे. यहाँ हम उनके जीवन एवं कृतित्व पर संक्षेप में रौशनी डालेगे. आशा है आपको हमारा यह प्रयास पसंद आएगा. |
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------------------------ सर डॉन ब्रेडमैन (ऑस्ट्रेलिया) जन्म: 27 अगस्त 1908 मृत्यु: 25 फरवरी 2001 http://cdn.24.co.za/files/Cms/Genera...0a1a6d71e9.jpg^http://st2.cricketcountry.com/wp-con...0727202940.jpg विश्व क्रिकेट इतिहास में किसी खिलाड़ी ने इतना प्रभाव नहीं छोडा होगाजितना बीसवीं सदी के महानतम क्रिकेटर सर डॉन ब्रेडमैन ने छोड़ा था. डॉन के नाम से जाना जाने वाला यह व्यक्ति क्रिकेट के इतिहास का एक चमचमाता सितारा है जो तब तक इस धरती पर जिंदा रहेगा, जब तक क्रिकेट का खेल रहेगा व क्रिकेट खेलने वाले रहेंगे। |
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सर डॉन ब्रेडमैन ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के बल्लेबाज थे, लेकिन उन्हें विश्व क्रिकेट में अब तक का सबसे महान बल्लेबाज माना जाता है। उनका टेस्ट क्रिकेट में 99.94 का औसत टेस्ट क्रिकेट में किसी भी बल्लेबाज का सर्वश्रेष्ठ औसत है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1946 में उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई कप्तान के रूप में फिर क्रिकेट में वापसी की और उनकी टीम को इंग्लैंड के रिकॉर्ड तोड़ दौरे के बाद 'द इनविजिबल' के नाम से पहचाना जाने लगा। उनकी महानता इस बात से भी सिद्ध होती है कि उनकी तस्वीर वाले सिक्के और स्टाम्प भी ऑस्ट्रेलिया सरकार द्वारा जारी किये गए तथा डोनाल्ड (डॉन) ब्रेडमैन ऑस्ट्रेलिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिनके जीवनकाल में ही उन्हें समर्पित एक संग्रहालय बनाया गया। |
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सर डॉन ब्रेडमैन के क्रिकेट-आंकड़ों पर एक नज़र सर ब्रेडमैन के नाम रिकॉर्ड की कोई कमी नहीं है। जैसे एसएनजी मैदान पर एक ही दिन में 300 से ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड, उसके अलावा प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 452 रन बनाने का विश्व रिकॉर्ड, प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 100 शतक पूरे करने का रिकॉर्ड प्रमुख है। यह शतक उन्होंने भारत के विरुद्ध खेलते हुए बनाया था। प्रथम श्रेणी: मैच: 234, पारी: 338, नाबाद: 43, रन: 28067, सर्वाधिक रन: 452 नाबाद, औसत: 95.14, शतक: 117, अर्द्धशतक: 69 टेस्ट: मैच: 52, पारी: 80, नाबाद: 10, रन: 6996, सर्वाधिक रन: 334, औसत: 99.94, शतक: 29, अर्द्धशतक: 13 |
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कर्नल सी. के. नायडू (भारतीय क्रिकेट टीम के प्रथम टेस्ट कप्तान) Col. C. K. Nayudu (First Test Captain of Indian Cricket Team) जन्म: 31 अक्टूबर, सन 1895 मृत्यु: 14 नवंबर सन 1967 |
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कर्नल सी.के.नायडू सी. के. नायडू का जन्म 31 अक्टूबर, सन 1895 ई. में नागपुर में हुआ था। उनका पूरा नाम कोट्टारी कंकय्या नायडू था। सी. के. नायडू टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम के पहले कप्तान थे। सन 1932 ई. में बतौर कप्तान और क्रिकेटर के रूप अपने पहले इंग्लैंड दौरे के दौरान वह अपनी ज़ोरदार हिटिंग के कारण काफी प्रसिद्ध हो गए थे. इस दौरान उन्होंने बल्लेबाजी करते हुए 6 शतकों के साथ कुल 1618 रन बनाए तथा गेंदबाज़ी करते हुए कुल 65 विकेट हासिल किये थे। क्रिकेट की बाइबिल कही जाने वाली प्रसिद्ध पत्रिका "विजडन" ने उन्हें वर्ष 1933 में अपनी वर्ष की पाँच सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों की सूची में शामिल किया था, इसी के साथ सी. के. नायडू "विजडन" में स्थान पाने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए। 1932 में सी. के. नायडू ने कमाल का खेल दिखाते हुए 32 छक्के लगाए थे। यद्यपि सी. के. नायडू का अंतरराष्ट्रीय कैरियर बहुत छोटा रहा। उन्होंने मात्र 7 टैस्ट मैच खेले, लेकिन भारतीय क्रिकेट जगत में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया। |
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कर्नल सी.के.नायडू सन 1936 ई. में इंग्लैंड के अपने अंतिम दौरे में उन्होंने 1102 रन बनाए तथा 51 विकेट भी लिए। 1945 - 46 के सत्र में 51 वर्ष की आयु में रणजी ट्रॉफी के मैचों में होल्कर की तरफ से खेलते हुए उन्होंने बड़ोदरा के विरूद्ध 200 रन की बेहतरीन पारी खेली थी। सी. के. नायडू की योग्यता को देखते हुए होल्कर महाराज ने उन्हें अपनी सेना में कर्नल बना दिया, इसी के साथ इनका नाम कर्नल सी. के. नायडू हो गया। सी. के. नायडू ने होल्कर के अलावा आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश की टीमों की ओर से भी रणजी मैच खेले हैं। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद सी. के. नायडू भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के उपाध्यक्ष तथा चयन समिति के अध्यक्ष भी रहे। क्रिकेट जगत में इनके अतुलनीय योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने इन्हें सन 1955 ई. में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान "पद्मभूषण" से सम्मानित किया, वे भारत के पहले क्रिकेटर थे जिन्हें भारत सरकार से सम्मान प्राप्त हुआ था। कर्नल सी. के. नायडू का देहांत 14 नवंबर सन 1967 ई. में इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। |
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कर्नल सी.के.नायडू सन 1932 ई. में इंग्लैंड दौरे पर जाने वाली टेस्ट मैच की प्रथम भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य खिलाड़ी। दूसरी पंक्ति में बाएं से दूसरे बैठे हुए कर्नल सी. के. नायडू |
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कर्नल सी.के.नायडू सी. के. नायडू के बारे में कुछ दिलचस्प बातें:- पूरा नाम - कोट्टारी कंकय्या नायडू लोकप्रिय उपनाम या संबोधन - कर्नल खेल शैली - ऑलराउंडर, दाएं हाथ के बल्लेबाज एवं ऑफ स्पिन गेंदबाज़ पसंदीदा खिलाड़ी - विजय मर्चेंट, अमरसिंह, विजय हजारे तथा वीनू मांकड़ (क्रिकेट के अलावा) पसंदीदा खेल - हॉकी, बिलियडर्स, एथलेटिक्स अंतिम प्रथम श्रेणी मैच - 1956 - 1957 के सत्र में सी. के. नायडू ने इस मैच में 62 वर्ष कि आयु में मुंबई के विरूद्ध रणजी ट्रॉफी में 52 रन बनाए. |
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कर्नल सी.के.नायडू http://img.wikinut.com/img/-7-duzbyz...y-uniform.jpeg^http://www.mumbaimirror.com/photo/15896800.cms http://www.istampgallery.com/wp-cont...s-of-India.jpg कर्नल सी.के.नायडू सैनिक अधिकारी की यूनिफार्म में, टैस्ट खिलाड़ी के रूप में तथा भारत सरकार द्वारा जारी डाक टिकट में |
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जन्मदिन (11 सितम्बर) पर विशेष लाला अमरनाथ Lala Amarnath मूल नाम: नानिक अमरनाथ भारद्वाज जन्म: 11 सितम्बर 1911 मृत्यु: 5 अगस्त 2000 |
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लाला अमरनाथ Lala Amarnath भारत के महान बल्लेबाज़ और पूर्व क्रिकेट कप्तान लाला अमरनाथ का आज (11 सितम्बर) जन्मदिन है। लाला अमरनाथ का जन्म 11 सितम्बर 1911 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था। लाला अमरनाथ स्वतन्त्र भारत के पहले टेस्ट कप्तान थे। वे दाएं हाथ के बल्लेबाज और मध्यम गति के तेज गेंदबाज थे। उन्होंने अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट कॅरियर की शुरुआत 1929-30 में की। लाला ने 184 प्रथम श्रेणी मैचों में 41.37 के औसत से 10,426 रन बनाए, जिनमें 31 शतक और 59 अर्धशतक शामिल है। प्रथम श्रेणी मैचों में उनका उच्चतम स्कोर 262 रन रहा, उन्होने (लाला अमरनाथ ने) 1933 में इंग्लैंड के खिलाफ बॉम्बे जिमखाना क्लब में भारत की तरफ से टेस्ट में पदार्पण किया था। अपने पहले ही टेस्ट में शतक बनाकर वो पहले टेस्ट में शतक बनाने वाले पहले भारतीय खिलाडी बने। लाला अमरनाथ बल्लेबाज़ी के साथ गेंदबाज़ी में भी अच्छे खिलाडी थे। उन्होंने पहली बार डोनाल्ड ब्रैडमैन को हिट विकेट आउट किया था. उन्होने प्रथम श्रेणी मैचों में 463 और टेस्ट मैचों में 45 विकेट लिये जिसमे 96 रन के एवज़ में 5 विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था, वर्ष 1946 में इंग्लैंड सीरीज के दौरान उन्होंने टेस्ट मैच की दोनों पारियों में पांच-पांच खिलाड़ियों को आउट किया था। |
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लाला अमरनाथ / Lala Amarnath वर्ष 1936 के इंग्लैंड दौरे पर उन्हें अनुशासन हीनता के कारण भारत के तब के कप्तान विजय नगर के महाराज कुमार ने स्वदेश वापस भेज दिया था। लेकिन इस दौरे पर महाराज कुमार की काफी आलोचना हुई थी साथ ही टीम के साथी खिलाड़ियों ने भी टीम के प्रदर्शन और उनके प्रदर्शन पर जमकर आलोचना की थी। बाद में इन्हीं महाराज कुमार ने लाला जी को दोबारा चुना और खेलने का मौका दिया। भारत के आजाद होने के बाद वर्ष 1947-1948 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वो भारत के पहले टेस्ट कप्तान चुने गए। उन्होंने वर्ष 1952 में पाकिस्तान के खिलाफ दिल्ली में खेली गई टेस्ट सीरीज में भारत को 2-1 से पहली टेस्ट सीरीज में जीत दिलाई! उसके बाद वो 1954-55 के पाकिस्तान दौरे पर भारतीय टीम के मैनेजर भी रहे। लाला अमरनाथ ने भारत के 24 टेस्ट खेले जिसमे उन्होंने 24.38 की औसत से भारत के लिए 878 रन बनाये! उन्होंने गेंदबाजी में भी हाथ आजमाते हुए प्रथम श्रेणी मैचों में 463 और टेस्ट मैचों में 45 विकेट लेने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने भारत के लिए एकमात्र शतक और चार अर्धशतक भी लगाये और 118 रन उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। |
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लाला अमरनाथ / Lala Amarnath http://www.thehindu.com/2004/09/26/i...2608351801.jpg 1946-47 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान एक रिसेप्शन में दलीपसिंह जी, डॉन ब्रेडमैन और लाला अमरनाथ |
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लाला अमरनाथ / Lala Amarnath लाला अमरनाथ के दो बेटे मोहिन्दर अमरनाथ और सुरेंदर अमरनाथ ने भी भारत के लिए क्रिकेट खेला था। मोहिन्दर अमरनाथ 1983 में वर्ल्डकप विजेता टीम की सदस्य भी रहे। आप जब राजधानी दिल्ली में स्थित पंचकुईया रोड पर पहुंचते हैं तब मेन रोड पर आपकोकुछ टूटे-फूटे घर और दूसरी इमारतें दिखाई देती हैं। ये सब रेलवे की हैं।कभी यहां के 54 नंबर के बंगले में एक साथ तीन टेस्ट प्लेयर रहते हैं। हम बात कर रहे हैं लाला अमरनाथ के घर की। उन्हें लोग लाला जी भी कहतेथे। उन्हें 1950 के आसपास यहां पर बंगला मिला था। वे रेलवे में नौकरी करतेथे। बंगला मेन रोड पर था। इधर ही उन्होंने क्रिकेट खेलना सिखाया अपने तीनोंपुत्रों सुरेन्द्र, मोहिन्दर और राजेन्द्र अमरनाथ को। बंगले के बाहर बड़ासा मैदान था। वहां पर लाला जी की पाठशाला चलती थी। |
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लाला अमरनाथ / Lala Amarnath https://encrypted-tbn0.gstatic.com/i...H1Z-PdzjpL-Q9Q^http://www.tribuneindia.com/2011/20110910/spr-trib1.jpg^http://2.bp.blogspot.com/-vFwRDdD7WM...0/surender.JPG लाला अमरनाथ (बीच में) पुत्र मोहिंदर अमरनाथ (बायें) और सुरिंदर अमरनाथ (दायें) |
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लाला अमरनाथ / Lala Amarnath http://st2.cricketcountry.com/wp-con...0911111431.jpg सन 1933 में इंग्लैंड के खिलाफ भारत के पहले मैच में कप्तान सी.के. नायडू के साथ जिमखाना ग्राउंड पर आते लाला अमरनाथ. अमरनाथ ने अपने पहले ही मैच में सेंचुरी बनाई. |
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लाला अमरनाथ / Lala Amarnath अब हम बता रहे है ऐसा ही एक घटना जब पूर्व भारतीय खिलाड़ी ने पाकिस्तान के एक खिलाड़ी को फिक्सिंग करने की कोशिश में रंगे हाथ पकडा था. अमरनाथ भाइयों में से सबसे छोटे भाई रजिंदर ने अपने पिताजी लाला अमरनाथ के बारे में एक किस्सा सुनाया है. ये बात 1954 के भारत के पाकिस्तान दौरे की है, तब पाकिस्तान के कप्तान अब्दुल हफीज करदार ने भारत के उस समय के टीम मैनेजर लाला अमरनाथ को अपने घर चाय पर बुलाया था. सोफे पर बैठे हुए लाला जी की पीठ दरवाजे की ओर थी. तब ये दोनों बात कर रहे थे तब मैच का अंपायर इदरीस बेग उस रुम में आया और कप्तान से पूछने लगा कि कल के मैच के लिए क्या हिदायत है? तब लाला ने पूछा ‘क्या हिदायत है, मतलब?' तब वो अंपायर लाला को देखकर भाग गया. तब लाला ने पीसीबी को बताया की अगर उन्होंने अंपायर बदला नहीं तो हम (कराची का फाइनल) टेस्ट मैच नहीं खेलेंगे. उस समय कोई अंपायर नहीं था तो उस समय पाकिस्तान के सेलेक्टर मसूद सलाउद्दीन अंपायर बने थे. क्रिकेट के इतिहास में पहली बार कोई सिलेक्टर अंपायर बना था. उस मैच में सलाउद्दीन ने पाकिस्तान टीम के कप्तान करदार को स्टंप आऊट दिया था, तब वे 7 रन से अपने शतक से दूर थे. उसके बाद लाला ने कहा की अगर कोई दूसरा पाकिस्तानी अंपायर होता तो ये आऊट नहीं देता. |
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वीरेन्द्र सहवाग द्वारा क्रिकेट को अलविदा
VIRENDER SEHWAG BIDS FAREWELL TO CRICKET http://www.newsx.com/sites/default/f...?itok=ed58ouJk अपने 37वें जन्मदिन पर सहवाग द्वारा क्रिकेट से संन्यास की घोषणा विस्फोटक बल्लेबाज सहवाग ने ' रिकॉर्ड तोड़ने के लिए ही बनाए जाते हैं' कहावत को पूरी शिद्दत से माना. टेस्ट क्रिकेट को जो लोग बोरिंग खेल समझते थे, उन्हें मैदान या टीवी पर खींच लाने का दम रखते थे सहवाग. सफ़ेद कपड़ों में टी-20 सी बल्लेबाज़ी...और रंगीन कपड़ों में बिजली से शॉट्स. डिफेंस करना तो वीरू ने सीखा ही नहीं. क्रिकेट को एक खेल से एंटरटेनमेंट तक ले जाने में वीरू का योगदान कोई नहीं भूल सकता. ना तो कभी दर्शकों को निराश किया और ना ही कभी अपनी टीम को. लोअर मिडिल ऑर्डर से ओपनर तक का सफ़र तय करते हुए वीरू ने क्रिकेट को ऐसा बहुत कुछ दिया जो उन्हें हमेशा सिर ऊंचा रखने की प्रेरणा देता रहा. भारतीय क्रिकेट के आधुनिक काल की चर्चा जब भी होगी तो तेंदुलकर, द्रविड़, लक्ष्मण और गांगुली के साथ-साथ सहवाग का नाम भी ज़रूर आएगा. |
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वीरेन्द्र सहवाग द्वारा क्रिकेट को अलविदा
http://www.indiatrendingnow.com/wp-c...er-Sehwag1.jpg टीम इंडिया के लिए खेलते हुए ऐसे कई मुकाम आए जब वीरू की पारियां इतिहास में दर्ज हो गईं. टेस्ट में मुल्तान और चेन्नई के तिहरे शतक हों या वन-डे में इंदौर का दोहरा शतक, वीरू के पास रिकॉर्ड्स की हमेशा भरमार रही, लेकिन रिकॉर्ड्स के लिए उन्होंने कभी कोई खास कोशिश नहीं की. शतक के करीब पहुंचकर भी गेंद को बाउंड्री पार उड़ाने की उनकी आदत पर लोग हैरान भी होते थे और दाद भी देते थे. लेकिन वीरू सिर्फ बल्ले से ही बेबाक नहीं थे, मुंह से भी थे. 2010 में बांग्लादेश में दो टेस्ट मैचों की सीरीज़ का पहला टेस्ट चटगांव में खेला जाना था. वीरू भारत के कप्तान थे. मैच से पहले दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के समय दोनों देशों के मीडियाकर्मी कप्तान का इंतज़ार कर रहे थे. वीरू आए तो बांग्लादेशी रिपोर्टर ने पूछा, बांग्लादेश की गेंदबाज़ी को कैसे आंकते हैं. वीरू बोले, ‘ज़्यादा अच्छी नहीं है, हमारे 20 विकेट कभी नहीं ले पाएंगे’. रिपोर्टर हैरान रह गया. इसके बाद बांग्लादेशी मीडिया ने कुछ और सवाल पूछे, वीरू ने एक-एक लाइन में सबके जवाब दिए और पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस सिर्फ दो मिनट में खत्म करके चलते बने. वीरू को सिर्फ क्रिकेटर समझने वाले भूल करते हैं क्योंकि वो सही मायने वो एंटरटेनर थे. |
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वीरेन्द्र सहवाग द्वारा क्रिकेट को अलविदा
http://images.iimg.in/c/54410cb3e3ee...oto.img?crop=1^http://1.bp.blogspot.com/-yV3MxKpBTR...52828%2529.jpg (1) अपनी माता के साथ बालक वीरेंदर (2) किशोर वीरू वीरू की कामयाबी में कई लोगों का हाथ रहा. बचपन से लेकर आजतक उनके खेल को संवारते आए कोच एएन शर्मा हों या फिर उनमें विश्वास दिखाकर उन्हें मौका देने वाले सौरव गांगुली. सचिन तेंदुलकर ने भी वीरू को बड़े कद का बल्लेबाज़ माना और हमेशा उनका हौसला बढ़ाते रहे. नजफगढ़ की गलियों से निकला छोटा वीरू कैसे क्रिकेट का बादशाह और विज्ञापन की दुनिया का राजा बना ये एक ऐसी कहानी है जिसे सिर्फ वही लोग जानते हैं जिन्होंने सहवाग को करीब से देखा है. वीरू की बल्लेबाज़ी देखने और उनके किस्से सुनने में जितना मज़ा आता है, उतना ही दुख उनकी मौजूदा स्थिति पर भी होता है. वीरू के जिस हैंड-आई कोर्डिनेशन के लोग कसीदे पढ़ते थे, उसी की बुराईयां करने वालों ने उनके क्रिकेट खेलने पर सवाल भी खड़े किए. कुछ ने तो उनकी आंखों की कमज़ोरी को उनकी खराब फॉर्म का ज़िम्मेदार मान लिया. ये सच था या नहीं ये तो वीरू ही जानते हैं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 17 हज़ार से ज़्यादा रन बनाने वाले एक बड़े क्रिकेटर की टीम से विदाई कुछ सम्मानजनक तो हो ही सकती थी. |
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http://drop.ndtv.com/albums/ENTERTAI...ngs/sehwag.jpg http://www.images99.com/i99/03/81516/81516.jpg Virendra Sehwag with his wife Arti and son लेकिन वीरू की रिटायरमेंट में एक टीस है. टीस इस बात की कि भारतीय क्रिकेट का ये सितारा मैदान से रिटायर नहीं हुआ. नजफ़गढ़ का नवाब, मुल्तान का सुल्तान और न जाने ऐसे कितने ही और नाम सहवाग ने अपने करियर में कमाए और उनकी ये पूंजी उनसे कोई नहीं छीन सकता. अलविदा वीरू! क्रिकेट को आपकी ज़रूरत हमेशा रहेगी. शुक्रिया वीरू ^ |
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Just saw this thread today
Very interesting. Please continue. Regards GV |
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