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-   -   'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान' (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=14258)

Deep_ 26-11-2014 11:43 PM

'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
 
http://images.medicaldaily.com/sites...?itok=P2CQGBY-

जरा सोचिए की आपकी नौकरी केवल छः - सात घंटो की हो जाए तो? आपको हर चीज आज के बाजारी किंमतो से आधी किंमत पर मिलने लगे तो? अपना देश महासत्ता बन जाए तो? यह एक असंभव सी बात लगती है ना? एसा भला कैसे हो सकता है?

क्यों? पहेले एसा नहिं था? भारत सोने की चिडिया माना जाता था, सम्राट अशोक भी चक्रवर्ती कहलाने लगे थे। गणित, आयुर्वेद, विज्ञान पढने लोग विदेश से यहां आते थे! भारत महासत्ता बन चूका था।

लेकिन आज यह क्या हो गया?

मै अपने विचार शायद ठीक से लिख/समझा न पाउं, लेकिन मै टुकडो में प्रयास करुंगा। मेरा मुख्य मुद्दा 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान' ही है! जिसमें प्राईवेट छोटी मोटी नौकरीयों के कहे सुने अनुभवो के बारे मे मै लिखना चाहुंगा! आप भी अपनी भड़ास यहां निकाल सकते है!

Deep_ 26-11-2014 11:46 PM

पैसे क्युं?
 
http://www.vashtireedus.com/wp-conte...bing_money.jpg

ईन्सान जितना होशियार और अकलमंद है उतना ही स्वार्थी भी है! वह जितना चालाक होता है अपने उपर दंभ की उतनी ही परते लगा कर रखता है। उस दंभी ईन्सान को समजते समजते बहोत वक्त निकल जाता है। सारी परतें जब एक के बाद एक उतरती है, अंदर से वही अदना सा ईन्सान निकलता है, जिसकी चींटी और मेंढको जैसी तुच्छ ख्वाहिशे होती है! किसी को भी पुछो, भाई आपको क्या चाहिए? वह तोते की तरह एक ही बात रटेगा...पैसा, रुपिया, धन और दौलत!

Deep_ 26-11-2014 11:49 PM

पैसा कितना?
 
http://midlifemomentsdotme.files.wor...oney-woman.jpg


एक और बात जो अचंबित करती है...आपको पता है दुनिया के सबसे अमीर ईन्सान की ख्वाहिश क्या होती है? ओर ज्यादा अमीर बनना!
एक बात समझने जैसी है की कोई ईन्सान (अंबाणी, अदाणी, टाटा, बिरला को छोड कर) अपने जीवन में लाख कोशिश कर ले...एक मुकाम से आगे नहीं पहुंच सकता। अगर १५० करोड में से ८-१० हजार लोग अमीर बन गए तो यह कोई भी बडी बात नही हुई। अपने लिए तो जानवर भी जीते है, महेनत करते है! तो फिर हमारा मक्सद कुछ ओर बहेतर, योग्य नहीं होना चाहीए?

Deep_ 26-11-2014 11:50 PM

Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
 
http://www.freedom5one.com/sites/def...ney-down_0.jpg

आप जानते है धन को कोन ज्यादा प्राधान्य नही देता? जिसके पास वह कम होता है!

Deep_ 26-11-2014 11:57 PM

Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
 
http://www.citizenthought.net/images...dsonsHorse.jpg


पुराने भारत में सदैव धन से अधिक प्राधान्य गुण को दिया गया। ईस कारण यहां ईतना धन जमा हो गया की भारत को सोने की चिडीया कहा गया। अंग्रेजो को ईसे लुटनेमें भी १०० साल लगे! आज हम वही विदेशी गुणो से प्रभावित हो चूके है! हम धोती-कुर्ता छोड चुके है। अपनी भाषा पर पकड गवा रहे है। बच्चे ईग्लिश मिडीयम में पढने लगे है!

कोई अच्छे कपडे पहन कर आ गया तो हम उससे ईम्प्रेस हो जाते है। हमारे दिमाग में बेंक बेलेन्स, मोबाईल, कार, मकान, बंगला जैसे मीटर है जिससे हम ईन्सानो को नापते तोलते है। अगर यह सब वस्तु हमारे पास नही होती तो हम शर्माते है, झुठ बोलते है।

Deep_ 27-11-2014 12:03 AM

Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
 
http://www.citizenthought.net/images...IndianArmy.jpg

अपने कुछ कमीने राजा अपना अपना अहं, अपना अपना प्रदेश बचाने के चक्कर में भारत को गुलाम कर गए! कुछ मुठी भर विदेशीयों को यहां ईतने चमचे, सेवर और वफादार (या गद्दार) सैनिक मील गए....के उनकी मदद से वे पुरा देश जीत गए!

हाला की अंग्रेजो ने ट्रेन, डाक सेवा यहां शुरु की....लेकिन अपने फायदे के लिए ही।

Deep_ 27-11-2014 12:16 AM

हम एसे ही है!
 
आप देखते होंगे...लोग जब रस्ते पर टकरा जाते है, वे एक दुसरे को गालीयां देते है, मारपीट करते है, या फिर फोन निकाल कर जोर जोर से किसी को बुलाते रहते है। हम एसे ही है!


http://elvortex.com/wp-content/uploa...toon-fight.jpg
एक औरत खडी रहेगी लेकिन कोई गधा उठ कर उसे जगह नही देगा। अगर कभी वह गधा अपनी मोटी गधी के साथ जा रहा है तो यहां वहां बेठने के लिए कोशिश करेगा। लाखो की बाते करेगा, चवन्नीयां बचाया करेगा। उस गधे की पर्सनालिटी को देख कुछ और भी उस जैसे गधे बनना चाहेंगे! खेर, मेरी ट्रेन शायद ओफ दी ट्रेक जा रही है! लेकिन यकीन मानीए....हम एसे ही है!

Deep_ 27-11-2014 12:22 AM

तो ईससे नौकरी का क्या लेना देना?
 
!?!:thinking:?!?

Deep_ 27-11-2014 12:24 AM

आपका सुत्र जारी है.....एक ब्रेक के बाद!
 
http://whatmyfriendsthinkido.net/wp-.../01/office.jpg

:D

Deep_ 27-11-2014 12:38 AM

Re: 'नोकरी से परेशान...एक मिडल क्लास ईन्सान'
 
http://uncommonmusings.com/wp-conten.../Hard-work.png

कोई ईतना बलशाली नही होता! ईरादे बुलंद हो, होंसले मजबुत हो...एसी कहावते सिर्फ कामदारों के लिये ही होतीं है। ईससे अच्छा यह क्यों नहीं कहेते...जोर लगा कर...हैया! :giggle:

अगर बोस महेनत करता है तो उनको अधिक काम करने के अधिक रुपये (लाखों में) मिलते है। अपनी तरह चिल्लर नहि! :laughing:


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