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rajnish manga 09-06-2013 12:28 AM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
द पैशन ऑफ़ जोन ऑफ़ आर्क
(La Passion De Jeanne D’ Arc)
फ्रांस में पहला प्रदर्शन: 21 अप्रेल 1928
निर्देशक: कार्ल थियोडोर द्रेय’र (या ‘द्रेये’)
कलाकार:
रेनी जीन फेल्कोनेती (जोन ऑफ़ आर्क)
एन्तोनिन अरतौड़ (जीन मेसियु)
माइकल सिमोन (जीन लामात्रे)

कार्ल द्रेये द्वारा मूक फिल्म ‘द पैशन ऑफ़ आर्क’ की शूटिंग 1927 में कर ली थी और 1928 में इसे प्रदर्शित किया गया. इसमें फ्रांस की प्रसिद्ध क्रांतिकारी युवती जोन ऑफ़ आर्क (जो एक सामान्य पृष्ठभूमि से उठ कर फ्रांस की क्रांतिदूत बन गयी थी) की गिरफ्तारी के बाद चलाये गये मुकदमे को चित्रित किया गया था. यह नाटकीय प्रसंग उस समय के प्राप्त वास्तविक अभिलेखों के आधार पर तैयार किया गया था. इसमें पुरातनपंथी न्याय व्यवस्था व पुराने दकियानूसी विचारों वाले न्यायाधीशों द्वारा मुकदमे की सुनवाई और निर्णय का यथार्थ चित्रण दिखाया गया है. हालांकि, उस समय फिल्मों में ध्वनि अंकन का कान अपनी आरम्भिक अवस्था में शुरू हो चुका था जैसे कि अमरीका में बनी फिल्म ‘द जाज़ सिंगर’ की दस में से चार रीलें ध्वनि अंकित की गयी थी. यूं तो यह एक मूक फिल्म थी, लेकिन फिल्मांकन इतना ज़बरदस्त किया गया था कि बिले गये शब्दों को कानों के बजाय ह्रदय से स्पष्ट अनुभव किया जा सकता था व सुना जा सकता था. फिल्म में केथोलिक धर्माधिकारियों के न्यायालय में जोन आर्क से की जाने वाली पूछताछ को ध्वनि की जरुरत भी नहीं है. धर्माधिकारियों की क्रूरता और पाखण्ड और जोन अर्क की असहाय स्थिति और मन की दृढ़ता बिना किसी ध्वनि की सहायता के भी दर्शक के मन-मस्तिष्क में उतर जाते हैं. इस फिल्म की दूसरी बड़ी विशेषता है इसमें दिखाए जा रहे चेहरों की स्टडी जो क्लोज-अप या क्लोज-मिड शॉट दृश्यों में पूरी तरह उभर कर आती है. यही वजह है कि चेहरे के हाव भाव देखने से ही कहानी का प्रवाह दिखाई दे जाता था. इस शैली का प्रयोग परवर्ती फिल्मकारों यथा रोज़ेलेनी, बर्गमैन और सत्यजित रॉय द्वारा भी किया गया है. एक शॉट के बाद दूसरे शॉट में ऐसी लयात्मकता दिखाई देती है कि दर्शक इसे देखते हुये जैसे किसी संगीतकार की अद्वितीय सिम्फ़नी के आनंदलोक में पहुँच जाता है.


rajnish manga 09-06-2013 12:37 AM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
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Originally Posted by rajnish manga (Post 299844)
द पैशन ऑफ़ जोन ऑफ़ आर्क

(La Passion De Jeanne D’ Arc)

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rajnish manga 18-06-2013 12:05 AM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
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rajnish manga 18-06-2013 12:07 AM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
गॉन विद द विंड
मुख्य कलाकार:
वीवियन ली = स्कारलेट ओ’हारा
क्लार्क गाबल = रह’ट बटलर
ओलिविया डी हेविलैंड = मिलेनी हेमिल्टन
हेटी मेक डेनियल = मैमी
अन्य
निर्माता = डेविड ओ सेल्ज़निक
डायरेक्टर = विक्टर फ्लेमिंग (और जॉर्ज सुकोर व सैम वुड जिन्हें बीच में ही हट जाना पड़ा)
कहानी = मार्गरेट मिशेल

‘गॉन विद द विंड’ मार्गरेट मिशेल लिखित इसी नाम के नॉवेल (1936 में जिसे पुलित्ज़र पुरस्कार से नवाजा गया) पर आधारित फिल्म है जिसमें अमरीकी गृह युद्ध के दौरान अमरीका के दक्षिण क्षेत्रों के उथल-पुथल भरे जीवन का सजीव चित्रण किया गया है. विक्टर फ्लेमिंग द्वारा निर्देशित यह फिल्म 1939 में रिलीज़ की गई थी (एटलांटा, अमरीका में फिल्म 15 दिसम्बर 1939 में प्रदर्शित की गयी). इस फिल्म की अवधि साढ़े तीन घंटे से अधिक है. लेकिन मानव ह्रदय को छू लेने वाली प्रभावशाली कहानी, उत्कृष्ट निर्देशन, कसी हुई एडिटिंग और अद्वितीय अभिनय के बल पर आज भी इसे दुनिया भर में लोग (मूल अंग्रेजी में अथवा अपनी भाषा में डब किये गये संस्करण) बार बार देखना पसंद करते हैं.

यह फिल्म एक महान फिल्म है जिसमे कई ह्रदय-विदारक दृश्य दिखाई देते हैं. इनमे आग लगने का एक ऐसा दृश्य भी है जो उस समय तक कभी फिल्माया नहीं गया था. इसमें बहुत से सर्वथा नवीन डिज़ाईन किये गये सेट बनवाये गये थे. अभिनेत्री विवियन ली हॉलीवुड की अपनी पहली फिल्म के बल पर ही लोकप्रियता के शिखर पर पहुँच गयी थी. इसके हीरो थे क्लार्क गाबल जो उस समय खूब लोकप्रिय थे. वे उस समय एम.जी.एम. के साथ अनुबंध में थे. अतः सेल्ज़निक कलार्क गाबल के एवज में फिल्म को एम.जी.एम. के बैनर में रिलीज़ करने तथा प्रॉफिट शेयर करने के लिए तैयार हो गये.

इस फिल्म ने सन 1939 में संपन्न हुये 12 वें एकेडमी एवार्ड्स में 8 ऑस्कर पुरस्कार जीते थे जो उस समय जीत का नया रिकॉर्ड था. इस फिल्म के लिये बेस्ट पिक्चर, बेस्ट ऐक्ट्रेस (विवियन ली), बेस्ट सपोर्टिंग ऐक्ट्रेस (हेटी मेक डेनियल), बेस्ट स्क्रीनप्ले, बेस्ट डायरेक्टर आदि एवार्ड और लगातार निर्माण का उच्च स्तर बनाये रखने के लिए निर्माता सेल्ज़निक को इरविंग थेल्बर्ग मेमोरियल एवार्ड प्राप्त हुये.

मार्गरेट मिशेल की पहली (और आख़िरी) औपन्यासिक कृति को पूर्ण होने में 10 वर्ष का समय लगा जिसे 1937 में पुलित्ज़र पुरस्कार मिला और फिर तो पुस्तक को दुनिया की सभी प्रमुख भाषाओं में अनूदित किया गया. यह पुस्तक आज भी ‘बेस्ट सैलर’ ही मानी जाती है. सेल्ज़निक ने जुलाई 1936 में इसके फिल्म अधिकार 50000 डॉलर में खरीदे जो उस समय के हिसाब से किसी भी लेखक के पहले उपन्यास के लिए बहुत अधिक था. इसके बाद नायिका की तलाश आरम्भ हो गई. सेल्ज़निक ने सैंकड़ों नई पुरानी अभिनेत्रियों के बारे में विचार किया लेकिन तकरीबन ढाई वर्ष की खोज और 50000 के खर्च के बाद विवियन ली के रूप में स्कारलेट ओ’हारा मिली जो उसी की तरह 25 वर्षीय, हरी आँखों वाली, फ्रेंच और आयरिश रक्त लिये हुये थी. दूसरी बात यह थी कि उसने अब तक 8-10 छोटी ब्रिटिश फिल्मों में काम किया था. अमरीका में अधिकतर लोग उसके नाम से परिचित नहीं थे. फिल्म का निर्माण कार्य तो पहले ही शुरू हो चुका था.

कहते हैं कि फिल्म निर्माण के दौरान विवियन अपने साथ उपन्यास की एक प्रति हमेशा रखती थी. जहां कहीं उसे लगता कि फिल्म सही नहीं जा रही, वह डायरेक्टर को टोक देती थी और उपन्यास का चैप्टर और लाइन तक बता देती थी. इससे डायरेक्टर फ्लेमिंग का तनाव बढ़ जाया करता. लेकिन उसे इस बात का संतोष था कि उसने विवियन में ‘फिडल डी डी’ वाली आग जगा दी थी ठीक स्कारलेट के, “मुझे कोई परवाह नहीं !” वाले अंदाज़ में. इसी अंदाज़ के चलते, स्कारलेट का पात्र में निखार आता चला गया.

rajnish manga 02-07-2013 09:50 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
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Bicycle Thieves (बाईसिकल चोर)


rajnish manga 02-07-2013 09:57 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
Bicycle Thieves

Basics:
Italy/ 1948/ 89 minutes/ Black and White/ 1.33:1/ Italian/

Background:

Hailed around the world as one of the greatest movies ever made, the Academy Award–winning Bicycle Thieves, directed by Vittorio De Sica, defined an era in cinema. In poverty-stricken postwar Rome, a man is on his first day of a new job that offers hope of salvation for his desperate family when his bicycle, which he needs for his work, is stolen. With his young son in tow, he sets off to track down the thief. Simple in construction and profoundly rich in human insight, Bicycle Thieves embodies the greatest strengths of the Italian neorealist movement: emotional clarity, social rectitude, and brutal honesty.
A man and his son search for a stolen bicycle vital for his job.
Director:

Vitorio De Sica

Writers:

Luigi Bartolini (novel), Cezare Zayattini

Stars:

Lamberto Maggiorani, Enzo Staiola, Lianelle, Carell

Storyline


Ricci, an unemployed man in the depressed post-WWII economy of Italy, gets at last a good job - for which he needs a bike - hanging up posters. But soon his bicycle is stolen. He and his son walk the streets of Rome, looking for the bicycle. Ricci finally manages to locate the thief but with no proof, he has to abandon his cause. But he and his son know perfectly well that without a bike, Ricci won't be able to keep his job.

rajnish manga 02-07-2013 09:57 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
Review: Powerful and dramatic
It is post-war Rome and much of the city's residents are impoverished and desperate for work. One man named Ricci who haunts the job lines day after day to provide for his wife and two children, when suddenly his name is called for a well-paying city job. The only catch is that he needs a bicycle for the job, and he has just pawned his bicycle in order to feed his family. Thus begins `The Bicycle Thief', Vittorio de Sica's gritty study in realism. Ricci and his wife sell the sheets off of their beds to get the bicycle back, only to have the bicycle stolen on his first day on the job. In order to keep the job, he and his young son walk around Rome, desperate to find the thief, and more importantly, the bicycle before his next day of work.

de Sica chose non-actors to portray the characters in the film, favoring a further realistic vision by casting amateurs. The result is remarkable, because the pain and emotions conveyed are so true. The relationship between father and son is also compelling and endearing, in that for the most part, Ricci treats his son as an equal, letting him in on his innermost thoughts and fears, until the end, when a particular event causes him to be ashamed, and the roles become defined once again.

`The Bicycle Thief' personifies the refreshing fact that European cinema was more daring and also true in their reaction to post-war life. While America was trying to paint a heavy coat of rosy paint on the times by churning out the saccharine MGM musicals by the dozen, Europe was showing that the effects of a war fought on their home turf did not inspire moments of spontaneously breaking into song, or a choreographed dance number, rather life pretty much sucked, but survival, as difficult and ugly as it can be, is most important. `The Bicycle Thief' has been a critical favorite for decades, and for good reason. It is a must-see film for all lovers of quality cinema in the world.


rajnish manga 02-07-2013 09:59 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
‘बाइसिकल चोर’ फिल्म के बारे में हमारे अपने सत्यजित राय क्या कहते हैं, आइये उनके अपने ही शब्दों में जानते हैं:

“उन दिनों मैं लंदन में था और एक विज्ञापन एजेंसी में आर्ट डायरेक्टर के तौर पर काम करता था. मैं वहां छः महीने रहा और इस दौरान लगभग हर रोज ही फिल्म देखा करता था. एक दिन मैंने डी सिक्का की फिल्म ‘बाइसिकल चोर’ देखी. उन दिनों में ‘पाथेर पांचाली’ बनाने के बारे में सोचने लगा था लेकिन यह निश्चय नहीं कर पा रहा था कि फिल्म में गैर-पेशेवर अभिनेताओं और अन्य व्यक्तियों से काम ले सकूंगा या नहीं. लेकिन ‘बाईसिकल चोर’ देखने के बाद मेरे बहुत से विचार बदल गये, और हिन्दुस्तान लौटते हए जहाज में मैंने ‘पाथेर पांचाली’ की पटकथा का पहला ड्राफ्ट तैयार कर लिया. ..... लेकिन मैं था कि सब कुछ अपनी मन-मर्जी के मुताबिक करना चाहता था. सो, मुझे गैर पेशेवर व्यक्तियों की अपनी अलग टोली बनानी पड़ी."

rajnish manga 20-09-2013 11:42 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
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rajnish manga 20-09-2013 11:43 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
सिटिज़न केन

‘सिटिज़न केन’ एक अमेरिकन फिल्म है जिसे 1941 में प्रदर्शित किया गया. ऐसा विश्वास किया जाता है कि एक बहुत बड़े प्रकाशक के उत्थान और पतन की यह युगान्तकारी कथा समाचार पत्र जगत की एक वास्तविक हस्ती पर आधारित है.

ओर्सन वेल्स द्वारा निर्मित और निर्देशित इस फिल्म में उसने मुख्या किरदार का रोल भी निभाया था. फिल्म उसके करियर की सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली कृति साबित हुयी विशेष रूप से फिल्मांकन के क्षेत्र में.

फिल्म सिटिज़न केन पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रख्यात माने जाने वाले चार्लज़ फ़ॉस्टर केन के जीवन पर आधारित एक काल्पनिक जीवनी कथा है जिसे उसकी मृत्यु के बाद उसके बैंकर- जायदाद संरक्षक, उसके व्यापार प्रबंधक, एक समय के उसके सबसे अच्छे मित्र, उसकी पूर्व पत्नि और उसके बट्लर द्वारा याद किया जाता है.

इस फिल्म को ओरिजिनल स्क्रीनप्ले का ऑस्कर पुरस्कार भी प्राप्त हुआ. वैसे इस फिल्म को 9 केटेगरी में नामांकित किया गया. विश्व भर में हुये अनेकों सर्वे और पोल्स में ‘सिटिज़न केन को अब तक की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का खिताब मिला है.


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