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rajnish manga 05-06-2013 10:20 PM

Great Films of World Cinema (विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में)
 
Great Films of World Cinema
विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में

पृष्ठभूमि
यूं तो लुमिएर बंधुओं ने 1895 में पहली फिल्म बनायी थी, परन्तु वे सभी एक-एक शॉट की फ़िल्में थीं. जॉर्ज मोलिये ने पहली बार दो शॉट को मिलाने वाली तकनीक का प्रयोग किया. एडिसन ने सब से पहले एक ऐसी फिल्म बनायी जिसमें एक कथा को आधार बनाया गया था. यह फिल्म थी – दी ग्रेट ट्रेन रॉबरी.
संसार भर में सौ वर्ष से अधिक समय से सिनेमा और फ़िल्में हमारे समाज और संस्कृति का अभिन्न अंग बन कर अपना व्यापक योगदान दे रही हैं. अपने इतिहास के विभिन्न पड़ावों पर सिनेमा ने नये नये बदलावों को आत्मसात करते हुये एक बड़े उद्योग का रूप ले लिया है. इस क्षेत्र ने तकनीक के स्तर पर और इसके अतिरिक्त अभिनय, दिग्दर्शन, स्क्रिप्ट लेखन, डायलाग, नृत्य, गीत, संगीत आदि के क्षेत्र में भी एक से बढ़ कर एक युगान्तकारी विभूतियों को हम से रु-बी-रू करवाया. आज जब हम विश्व की सर्वश्रेष्ठ तथा कालजयी फिल्मों की बात करते हैं तो सवाल उठता है कि हम कालजयी और सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में किसे कहेंगे? इस परिभाषा पर खरा उतरने के लिए किसी फिल्म में कलात्मक मूल्यों के आधार पर उत्कृष्ट होने के साथ साथ कथावस्तु और कथ्य के स्तर पर भी वैश्विक अपील का होना भी एक अनिवार्य शर्त मानी जायेगी. बल्कि उसे अपने अपने वक्त की सीमाओं से बाहर आकर सार्वकालिक तथा सर्व-ग्राह्य होना भी आवश्यक है. अपने समय के सभी बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड तोड़ने वाली फिल्म कालजयी भी हो, यह जरूरी नहीं. लेकिन जो फ़िल्में अपने निर्माण के 25-30-50 या 60 वर्ष या उसके बाद भी अपनी श्रेष्ठता के बूते पर इतिहास में यादगार स्थान बना पाती हैं, उन्हें ही कालजयी होने का खिताब दिया जा सकता है. इसी मूल्यांकन को आधार बना कर देखने से कुछ फ़िल्में सहज ही हमारे सम्मुख आ खड़ी होती हैं. विश्व-सिनेमा की अमूल्य धरोहर बन चुकी ऐसी ही कुछ फिल्मों की हम क्रमानुसार चर्चा करेंगे.

rajnish manga 05-06-2013 10:45 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
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बर्थ ऑफ़ ए नेशन
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1370454257 http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1370454387

dipu 05-06-2013 10:49 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
nice .......... start

rajnish manga 05-06-2013 10:50 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
बर्थ ऑफ़ ए नेशन
डी. डब्ल्यू. ग्रिफिथ ने सन 1908 से फ़िल्में बनाना शुरू कर दिया था. अपनी फिल्म ‘एडवेंचर्स ऑफ़ डॉली’ में पहली बार किसी अभिनेता ने काम किया और शूटिंग से पहले अभिनेताओं से रिहर्सल भी करवाई गयी. इसी प्रकार अपनी आगामी फिल्मों ‘एनक ओर्दन’ ‘रामोना’ और ‘दी लोनडील ओपरेटर’ में अलग अलग प्रयोग किये. पर ये सभी एक रील की फ़िल्में थी. पहली बार उसने दो रील की एक फिल्म बनायी ‘मेन्स जेनेसिस’. 1914 में जब ‘बर्थ ऑफ़ ए नेशन’ फिल्म बनायी तो इसे सिनेमा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम माना गया. यह कुल 13 रील की पूरी लम्बाई की पहली फिल्म थी. इससे पहले न तो इतनी लम्बी फिल्म बनाने का साहस किसी ने किया था और न किसी को यह विश्वास था कि दर्शक धैर्यपूर्वक इतनी लम्बी फिल्म देखेंगे. 8 फरवरी 1915 को प्रदर्शित इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी तहलका मचा दिया था. तकनीकी दृष्टि से भी कोई पहलू ऐसा न था जिसका प्रयोग ग्रिफिथ न इसमें न किया हो. इस फिल्म में अमरीकी गृह युद्ध की विभीषिका और उसके बाद के पुनर्निर्माण को दर्शाया गया है. एल्फ्रेड हिचकॉक यह मानते थे कि आज जो चीजें हम एक फिल्म में देखते हैं, उसकी शुरुआत ग्रिफिथ ने ही की थी.

rajnish manga 05-06-2013 10:56 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
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बैटलशिप पोटेमकिन

http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1370454820 http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1370454820

rajnish manga 05-06-2013 10:57 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
बैटलशिप पोटेमकिन
यह फिल्म ‘बर्थ ऑफ़ ए नेशन’ से लगभग दस वर्ष बाद यानि सन 1924 में रूस में बनी सर्गेई आजेंस्ताइन की फिल्म ‘बेटलशिप पोटेमकिन’ मूक फिल्मों के युग की एक असाधारण कृति है. यह फिल्म 1905 में ओडेसा की नौसैनिक क्रान्ति के विषय पर आधारित थी.वास्तव में यह उस घटना का सिर्फ फिल्मांकन ही नहीं है बल्कि यह पूरे संघर्ष की जीवंत कथा है. इसके हर फ्रेम में दर्शक को एक लयात्मकता देखने को मिलती है. कहते हैं कि यह फिल्म- इतिहास की पहली कलाकृति है. यहां पर तकनीक, संरचना और कथावस्तु का इतना अच्छा समन्वय इसे जीवन्तता प्रदान करते हैं. मूक होते हए भी इस फिल्म में सैनिकों द्वारा चलाई गयी गोलियों की आवाज को हम सुन सकते हैं और लोगों की चीख पुकार को महसूस कर सकते हैं. इसमें हम उस औरत की चीख को नहीं भुला सकते जिसके पुत्र को गोली लगी है. कुछ लोग भव्य दृश्य-संयोजन के लिए आर्जेस्ताइन की सवाक (बोलती) फिल्म ‘इवान द टेरीबल’ को उनकी बेहतर फिल्म के रूप में याद करते हैं. लेकिन जिस प्रकार से विद्रोह की पूरी प्रक्रिया को व्यक्ति से समूह, समूह से जनमानस तक फैलने की अन्तर्निहित गतिशीलता को आर्जेस्ताइन ने ‘बेटलशिप पोटेमकिन’ में चित्रित किया है वही इस फिल्म का प्रबलतम पक्ष है और इसे कालजयी बना देता है.

Dark Saint Alaick 06-06-2013 06:43 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
बेहतरीन सूत्र। फिल्मों के इतिहास में रूचि रखने वालों के लिए अमृत के समान। इसके लिए आपको अनगिन धन्यवाद, रजनीशजी। :hello:

sushants 08-06-2013 02:49 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
बैटमैन डार्क नाइट सर्वश्रेष्ठ फिल्म है|

rajnish manga 09-06-2013 12:24 AM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
Quote:

Originally Posted by sushants (Post 299326)
बैटमैन डार्क नाइट सर्वश्रेष्ठ फिल्म है|

सुशांत जी, आपकी प्रतिक्रिया हेतु मैं आपका आभार प्रकट करता हूँ. मैंने सर्वश्रेष्ठ फिल्मों के किसी भी वर्गीकरण में उक्त फिल्म का ज़िक्र नहीं देखा है. यदि आप के पास इस बारे में आवश्यक सामग्री है तो आप इस सूत्र में सबसे शेयर कर सकते हैं. आपका स्वागत है, मित्र.

rajnish manga 09-06-2013 12:27 AM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
द पैशन ऑफ़ जोन आर्क
(La Passion De Jeanne D’ Arc)
जोन ऑफ़ आर्क / एक परिचय

ऐसा माना जाता है कि बेबी जोन का जन्म 6 जनवरी सन 1412 में एक सर्द रात को पूर्वी फ्रांस के लोरेन नामक क्षेत्र के पास दोमरीनी
गाँव में हुआ था. जोन के पिता का नाम याक़ डार्क (Jacques Darc) और माता का नाम इसाबेल था. उसका पारिवारिक नाम डार्क (Darc) था किन्तु लिखने और पढ़ते समय गलती से इसे Joan d’Arc के रूप में रखा गया जिसका अर्थ हो गया Joan of Arc (आर्क की रहने वाली)

जोन एक गंभीर स्वाभाव की बुद्धिमान लड़की थी जिसमें नेतृत्व करने की अद्भुत क्षमता थी. वह हर काम में आगे बढ़ कर भाग लेती थी और कठिन से कठिन कार्य को करने से भी पीछे नहीं हटती थी. उन दिनों इंग्लैण्ड और फ्रांस के बीच सौ साल का युद्ध (1337 से 1453 तक जो वास्तव में 115 वर्ष का था) चल रहा था जो वास्तव में कई छोटे छोटे युद्धों की लम्बी कड़ी थी. यद्यपि ये युद्ध इंग्लैण्ड और फ्रांस के मध्य लड़े गये थे किन्तु लड़े हमेशा फ्रांस की धरती पर ही. उन दिनों तरक्की करने के लिए दो बातों का होना जरूरी था – 1. पुरुष होना और 2. धनवान होना (जोन ने पहली कमीं को तो पुरुषों की पोशाक पहन कर पूरा किया जिसे वह अंत तक पहनती रही थी). जोन में ये दोनों ही बातें नहीं थीं. फिर भी उसने अपने देश के इतिहास को एक नई दिशा देने का काम किया और अपने समय की सार्वाधिक प्रसिद्ध एवम् सफलतम सैन्य लीडर होने का गौरव हासिल किया, वह भी तब जब कि उसकी उम्र 17 वर्ष से भी कम थी. वह नरेश, ड्यूक तथा अन्य महत्वपूर्ण लोगों को पत्र लिख कर भेजती रहती थी और उन्हें परिस्थितियों में सुधार के लिए सकारात्मक सुझाव देती थी. वह इतने से ही नहीं मानती थी बल्कि वह तब तक कोशिश जारी रखती जब तक वह अपनी बात मनवा न लेती थी.

जोन का अंतिम समय बहुत कष्टपूर्ण रहा. 24 मई, 1430 को उसे गिरफ्तार कर लिया गया और उसके ऊपर मुक़दमा चलाया गया. यह एक दिखावे का मुक़दमा था. उसके विरुद्ध कोई चार्जशीट नहीं दाखिल की गई (कई दिनों की पूछताछ के बाद उन्हीं जजों द्वारा 70 आरोपों की चार्जशीट दी गई). जोन ने यह कह कर इन आरोपों का उत्तर देने से मना कर दिया कि वह इन सभी प्रश्नों का उत्तर दे चुकी है.

मुकदमें के बाद उसे सजाए मौत दी गयी. निर्णय के मुताबिक उसे सन 30 मई, 1431 के दिन उसे जिंदा जला दिया गया. इस प्रकार यह वीर बाला अपने देश पर शहीद हो गयी.

(सन 1920 में जोन ऑफ़ आर्क को चर्च द्वारा एक सेंट या संत के रूप में मान्यता दी गई)

rajnish manga 09-06-2013 12:28 AM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
द पैशन ऑफ़ जोन ऑफ़ आर्क
(La Passion De Jeanne D’ Arc)
फ्रांस में पहला प्रदर्शन: 21 अप्रेल 1928
निर्देशक: कार्ल थियोडोर द्रेय’र (या ‘द्रेये’)
कलाकार:
रेनी जीन फेल्कोनेती (जोन ऑफ़ आर्क)
एन्तोनिन अरतौड़ (जीन मेसियु)
माइकल सिमोन (जीन लामात्रे)

कार्ल द्रेये द्वारा मूक फिल्म ‘द पैशन ऑफ़ आर्क’ की शूटिंग 1927 में कर ली थी और 1928 में इसे प्रदर्शित किया गया. इसमें फ्रांस की प्रसिद्ध क्रांतिकारी युवती जोन ऑफ़ आर्क (जो एक सामान्य पृष्ठभूमि से उठ कर फ्रांस की क्रांतिदूत बन गयी थी) की गिरफ्तारी के बाद चलाये गये मुकदमे को चित्रित किया गया था. यह नाटकीय प्रसंग उस समय के प्राप्त वास्तविक अभिलेखों के आधार पर तैयार किया गया था. इसमें पुरातनपंथी न्याय व्यवस्था व पुराने दकियानूसी विचारों वाले न्यायाधीशों द्वारा मुकदमे की सुनवाई और निर्णय का यथार्थ चित्रण दिखाया गया है. हालांकि, उस समय फिल्मों में ध्वनि अंकन का कान अपनी आरम्भिक अवस्था में शुरू हो चुका था जैसे कि अमरीका में बनी फिल्म ‘द जाज़ सिंगर’ की दस में से चार रीलें ध्वनि अंकित की गयी थी. यूं तो यह एक मूक फिल्म थी, लेकिन फिल्मांकन इतना ज़बरदस्त किया गया था कि बिले गये शब्दों को कानों के बजाय ह्रदय से स्पष्ट अनुभव किया जा सकता था व सुना जा सकता था. फिल्म में केथोलिक धर्माधिकारियों के न्यायालय में जोन आर्क से की जाने वाली पूछताछ को ध्वनि की जरुरत भी नहीं है. धर्माधिकारियों की क्रूरता और पाखण्ड और जोन अर्क की असहाय स्थिति और मन की दृढ़ता बिना किसी ध्वनि की सहायता के भी दर्शक के मन-मस्तिष्क में उतर जाते हैं. इस फिल्म की दूसरी बड़ी विशेषता है इसमें दिखाए जा रहे चेहरों की स्टडी जो क्लोज-अप या क्लोज-मिड शॉट दृश्यों में पूरी तरह उभर कर आती है. यही वजह है कि चेहरे के हाव भाव देखने से ही कहानी का प्रवाह दिखाई दे जाता था. इस शैली का प्रयोग परवर्ती फिल्मकारों यथा रोज़ेलेनी, बर्गमैन और सत्यजित रॉय द्वारा भी किया गया है. एक शॉट के बाद दूसरे शॉट में ऐसी लयात्मकता दिखाई देती है कि दर्शक इसे देखते हुये जैसे किसी संगीतकार की अद्वितीय सिम्फ़नी के आनंदलोक में पहुँच जाता है.


rajnish manga 09-06-2013 12:37 AM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
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Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 299844)
द पैशन ऑफ़ जोन ऑफ़ आर्क

(La Passion De Jeanne D’ Arc)

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rajnish manga 18-06-2013 12:05 AM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
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rajnish manga 18-06-2013 12:07 AM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
गॉन विद द विंड
मुख्य कलाकार:
वीवियन ली = स्कारलेट ओ’हारा
क्लार्क गाबल = रह’ट बटलर
ओलिविया डी हेविलैंड = मिलेनी हेमिल्टन
हेटी मेक डेनियल = मैमी
अन्य
निर्माता = डेविड ओ सेल्ज़निक
डायरेक्टर = विक्टर फ्लेमिंग (और जॉर्ज सुकोर व सैम वुड जिन्हें बीच में ही हट जाना पड़ा)
कहानी = मार्गरेट मिशेल

‘गॉन विद द विंड’ मार्गरेट मिशेल लिखित इसी नाम के नॉवेल (1936 में जिसे पुलित्ज़र पुरस्कार से नवाजा गया) पर आधारित फिल्म है जिसमें अमरीकी गृह युद्ध के दौरान अमरीका के दक्षिण क्षेत्रों के उथल-पुथल भरे जीवन का सजीव चित्रण किया गया है. विक्टर फ्लेमिंग द्वारा निर्देशित यह फिल्म 1939 में रिलीज़ की गई थी (एटलांटा, अमरीका में फिल्म 15 दिसम्बर 1939 में प्रदर्शित की गयी). इस फिल्म की अवधि साढ़े तीन घंटे से अधिक है. लेकिन मानव ह्रदय को छू लेने वाली प्रभावशाली कहानी, उत्कृष्ट निर्देशन, कसी हुई एडिटिंग और अद्वितीय अभिनय के बल पर आज भी इसे दुनिया भर में लोग (मूल अंग्रेजी में अथवा अपनी भाषा में डब किये गये संस्करण) बार बार देखना पसंद करते हैं.

यह फिल्म एक महान फिल्म है जिसमे कई ह्रदय-विदारक दृश्य दिखाई देते हैं. इनमे आग लगने का एक ऐसा दृश्य भी है जो उस समय तक कभी फिल्माया नहीं गया था. इसमें बहुत से सर्वथा नवीन डिज़ाईन किये गये सेट बनवाये गये थे. अभिनेत्री विवियन ली हॉलीवुड की अपनी पहली फिल्म के बल पर ही लोकप्रियता के शिखर पर पहुँच गयी थी. इसके हीरो थे क्लार्क गाबल जो उस समय खूब लोकप्रिय थे. वे उस समय एम.जी.एम. के साथ अनुबंध में थे. अतः सेल्ज़निक कलार्क गाबल के एवज में फिल्म को एम.जी.एम. के बैनर में रिलीज़ करने तथा प्रॉफिट शेयर करने के लिए तैयार हो गये.

इस फिल्म ने सन 1939 में संपन्न हुये 12 वें एकेडमी एवार्ड्स में 8 ऑस्कर पुरस्कार जीते थे जो उस समय जीत का नया रिकॉर्ड था. इस फिल्म के लिये बेस्ट पिक्चर, बेस्ट ऐक्ट्रेस (विवियन ली), बेस्ट सपोर्टिंग ऐक्ट्रेस (हेटी मेक डेनियल), बेस्ट स्क्रीनप्ले, बेस्ट डायरेक्टर आदि एवार्ड और लगातार निर्माण का उच्च स्तर बनाये रखने के लिए निर्माता सेल्ज़निक को इरविंग थेल्बर्ग मेमोरियल एवार्ड प्राप्त हुये.

मार्गरेट मिशेल की पहली (और आख़िरी) औपन्यासिक कृति को पूर्ण होने में 10 वर्ष का समय लगा जिसे 1937 में पुलित्ज़र पुरस्कार मिला और फिर तो पुस्तक को दुनिया की सभी प्रमुख भाषाओं में अनूदित किया गया. यह पुस्तक आज भी ‘बेस्ट सैलर’ ही मानी जाती है. सेल्ज़निक ने जुलाई 1936 में इसके फिल्म अधिकार 50000 डॉलर में खरीदे जो उस समय के हिसाब से किसी भी लेखक के पहले उपन्यास के लिए बहुत अधिक था. इसके बाद नायिका की तलाश आरम्भ हो गई. सेल्ज़निक ने सैंकड़ों नई पुरानी अभिनेत्रियों के बारे में विचार किया लेकिन तकरीबन ढाई वर्ष की खोज और 50000 के खर्च के बाद विवियन ली के रूप में स्कारलेट ओ’हारा मिली जो उसी की तरह 25 वर्षीय, हरी आँखों वाली, फ्रेंच और आयरिश रक्त लिये हुये थी. दूसरी बात यह थी कि उसने अब तक 8-10 छोटी ब्रिटिश फिल्मों में काम किया था. अमरीका में अधिकतर लोग उसके नाम से परिचित नहीं थे. फिल्म का निर्माण कार्य तो पहले ही शुरू हो चुका था.

कहते हैं कि फिल्म निर्माण के दौरान विवियन अपने साथ उपन्यास की एक प्रति हमेशा रखती थी. जहां कहीं उसे लगता कि फिल्म सही नहीं जा रही, वह डायरेक्टर को टोक देती थी और उपन्यास का चैप्टर और लाइन तक बता देती थी. इससे डायरेक्टर फ्लेमिंग का तनाव बढ़ जाया करता. लेकिन उसे इस बात का संतोष था कि उसने विवियन में ‘फिडल डी डी’ वाली आग जगा दी थी ठीक स्कारलेट के, “मुझे कोई परवाह नहीं !” वाले अंदाज़ में. इसी अंदाज़ के चलते, स्कारलेट का पात्र में निखार आता चला गया.

rajnish manga 02-07-2013 09:50 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
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Bicycle Thieves (बाईसिकल चोर)


rajnish manga 02-07-2013 09:57 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
Bicycle Thieves

Basics:
Italy/ 1948/ 89 minutes/ Black and White/ 1.33:1/ Italian/

Background:

Hailed around the world as one of the greatest movies ever made, the Academy Award–winning Bicycle Thieves, directed by Vittorio De Sica, defined an era in cinema. In poverty-stricken postwar Rome, a man is on his first day of a new job that offers hope of salvation for his desperate family when his bicycle, which he needs for his work, is stolen. With his young son in tow, he sets off to track down the thief. Simple in construction and profoundly rich in human insight, Bicycle Thieves embodies the greatest strengths of the Italian neorealist movement: emotional clarity, social rectitude, and brutal honesty.
A man and his son search for a stolen bicycle vital for his job.
Director:

Vitorio De Sica

Writers:

Luigi Bartolini (novel), Cezare Zayattini

Stars:

Lamberto Maggiorani, Enzo Staiola, Lianelle, Carell

Storyline


Ricci, an unemployed man in the depressed post-WWII economy of Italy, gets at last a good job - for which he needs a bike - hanging up posters. But soon his bicycle is stolen. He and his son walk the streets of Rome, looking for the bicycle. Ricci finally manages to locate the thief but with no proof, he has to abandon his cause. But he and his son know perfectly well that without a bike, Ricci won't be able to keep his job.

rajnish manga 02-07-2013 09:57 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
Review: Powerful and dramatic
It is post-war Rome and much of the city's residents are impoverished and desperate for work. One man named Ricci who haunts the job lines day after day to provide for his wife and two children, when suddenly his name is called for a well-paying city job. The only catch is that he needs a bicycle for the job, and he has just pawned his bicycle in order to feed his family. Thus begins `The Bicycle Thief', Vittorio de Sica's gritty study in realism. Ricci and his wife sell the sheets off of their beds to get the bicycle back, only to have the bicycle stolen on his first day on the job. In order to keep the job, he and his young son walk around Rome, desperate to find the thief, and more importantly, the bicycle before his next day of work.

de Sica chose non-actors to portray the characters in the film, favoring a further realistic vision by casting amateurs. The result is remarkable, because the pain and emotions conveyed are so true. The relationship between father and son is also compelling and endearing, in that for the most part, Ricci treats his son as an equal, letting him in on his innermost thoughts and fears, until the end, when a particular event causes him to be ashamed, and the roles become defined once again.

`The Bicycle Thief' personifies the refreshing fact that European cinema was more daring and also true in their reaction to post-war life. While America was trying to paint a heavy coat of rosy paint on the times by churning out the saccharine MGM musicals by the dozen, Europe was showing that the effects of a war fought on their home turf did not inspire moments of spontaneously breaking into song, or a choreographed dance number, rather life pretty much sucked, but survival, as difficult and ugly as it can be, is most important. `The Bicycle Thief' has been a critical favorite for decades, and for good reason. It is a must-see film for all lovers of quality cinema in the world.


rajnish manga 02-07-2013 09:59 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
‘बाइसिकल चोर’ फिल्म के बारे में हमारे अपने सत्यजित राय क्या कहते हैं, आइये उनके अपने ही शब्दों में जानते हैं:

“उन दिनों मैं लंदन में था और एक विज्ञापन एजेंसी में आर्ट डायरेक्टर के तौर पर काम करता था. मैं वहां छः महीने रहा और इस दौरान लगभग हर रोज ही फिल्म देखा करता था. एक दिन मैंने डी सिक्का की फिल्म ‘बाइसिकल चोर’ देखी. उन दिनों में ‘पाथेर पांचाली’ बनाने के बारे में सोचने लगा था लेकिन यह निश्चय नहीं कर पा रहा था कि फिल्म में गैर-पेशेवर अभिनेताओं और अन्य व्यक्तियों से काम ले सकूंगा या नहीं. लेकिन ‘बाईसिकल चोर’ देखने के बाद मेरे बहुत से विचार बदल गये, और हिन्दुस्तान लौटते हए जहाज में मैंने ‘पाथेर पांचाली’ की पटकथा का पहला ड्राफ्ट तैयार कर लिया. ..... लेकिन मैं था कि सब कुछ अपनी मन-मर्जी के मुताबिक करना चाहता था. सो, मुझे गैर पेशेवर व्यक्तियों की अपनी अलग टोली बनानी पड़ी."

rajnish manga 20-09-2013 11:42 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
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rajnish manga 20-09-2013 11:43 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
सिटिज़न केन

‘सिटिज़न केन’ एक अमेरिकन फिल्म है जिसे 1941 में प्रदर्शित किया गया. ऐसा विश्वास किया जाता है कि एक बहुत बड़े प्रकाशक के उत्थान और पतन की यह युगान्तकारी कथा समाचार पत्र जगत की एक वास्तविक हस्ती पर आधारित है.

ओर्सन वेल्स द्वारा निर्मित और निर्देशित इस फिल्म में उसने मुख्या किरदार का रोल भी निभाया था. फिल्म उसके करियर की सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली कृति साबित हुयी विशेष रूप से फिल्मांकन के क्षेत्र में.

फिल्म सिटिज़न केन पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रख्यात माने जाने वाले चार्लज़ फ़ॉस्टर केन के जीवन पर आधारित एक काल्पनिक जीवनी कथा है जिसे उसकी मृत्यु के बाद उसके बैंकर- जायदाद संरक्षक, उसके व्यापार प्रबंधक, एक समय के उसके सबसे अच्छे मित्र, उसकी पूर्व पत्नि और उसके बट्लर द्वारा याद किया जाता है.

इस फिल्म को ओरिजिनल स्क्रीनप्ले का ऑस्कर पुरस्कार भी प्राप्त हुआ. वैसे इस फिल्म को 9 केटेगरी में नामांकित किया गया. विश्व भर में हुये अनेकों सर्वे और पोल्स में ‘सिटिज़न केन को अब तक की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का खिताब मिला है.

rajnish manga 20-09-2013 11:45 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 

rajnish manga 20-09-2013 11:49 PM

Re: विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में
 
सिटिज़न केन
(अमिताभ बच्चन का ब्लॉग – 25 अगस्त 2006)

अपने दिल का दर्द किसी और को कहना कमजोरी है। इसलिए हम अपने दिल का दर्द किसी को नहीं कहते। दुनिया के लिए तो हम बस पैसे वाले,सफल इंसान हैं, जो बहुत खुश है। लेकिन किसी का दिल किसने देखा है और किसी के दिल की बात किसने सुनी है, और सुनी भी है तो कहाँ पहचानी है। सिटिजन केन नाम की एक फिल्म है जिसमें एक बहुत सफल, बहुत अमीर इंसान की कहानी है। उसे बचपन में अपने घर से ले जाया जाता है और फिर पाला पोसा जाता है अमीरी में, माता पिता से दूर। जिस समय उसे ले जाया गया वह कुछ स्कीइंग कर रहा होता है, और स्की का नाम था रोजबड। वह उससे छीन ली जाती है क्योंकि उसे ले जाना था या ऐसा ही कुछ। एकदम अमीरी में मरते वक्त वह एक ही शब्द कहता है, रोजबड। उस समय यह समझने वाला उसके आस पास कोई नहीं था जिसे पता होता कि रोजबड है क्या चीज। कहानी थोड़ी गलत हो सकती है, लेकिन दुखभरी कहानी थी। अपने चेहरे पर रोज मुस्कान ला पाना एक बहुत बड़ी बात है। मुस्कान आ गई तो जीवन सफल है।

rajnish manga 06-11-2015 02:51 PM

विश्व सिनेमा के शाहकार
 
विश्व सिनेमा के शाहकार

इस सूत्र में हम विश्व सिनेमा की धरोहर समझी जाने वाली कुछ फिल्मों की चर्चा करेंगे जिनमे रोमांस भी है, युद्ध भी हैं और देश विदेश की सामाजिक व्यवस्था का विश्लेषण भी है. दुनिया भर में बनने वाली और प्रेम तथा स्त्री पुरूष के रिश्तों को विभिन्न स्तरों और दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने वाली यह फ़िल्में सिनेमा जगत में उल्लेखनीय स्थान रखती हैं. इन्हीं फिल्मों में से कुछ बेहतरीन शाहकार हम यहाँ प्रस्तुत करेंगे. आशा है आपको यह प्रयास अच्छा लगेगा. धन्यवाद.

rajnish manga 06-11-2015 02:55 PM

Re: विश्व सिनेमा के शाहकार
 
विश्व सिनेमा के शाहकार
मलेना (Malena)



यह फिल्म कॉमेडी, ड्रामा, रोमांस तथा युद्ध की विभीषिका को बखूबी दर्शाती है. सन 2000 में प्रदर्शित यह फिल्म लुसिआनो विन्सेजोनी की एक कहानी पर आधारित है. फिल्म की पटकथा व निर्देशन ग्युसेप टोरनेटोर द्वारा किया गया. 1940 के आसपास बुनी गयी इस कहानी के अनुसार मेलेना इटली के सिसली राज्य में रहने वाली एक खूबसूरत महिला है. वह अपनी खूबसूरती के कारण अपने कस्बे में रहने वाले दिलफेंक नवयुवकों के दिलों पर राज करती है और उनकी कल्पनाओं में रहती है. युवक तो युवक, किशोरों और वृद्धों में भी उसके प्रति आकर्षण देखा जा सकता था. इसमें एक बारह वर्ष का किशोर रेनाटो भी शामिल है. फिल्म की कहानी में युद्ध के वातावरण का बड़ा यथार्थ चित्रण किया गया है. फ़िल्मकार ने ऐसे समय समाज में पल रही यौन कुंठाओं का भी बहुत यथार्थ चित्रण किया है. अचानक समाचार मिलता है कि मलेना का पति युद्ध में दुश्मनों से लड़ते लड़ते शहीद हो गया है. यह खबर फैलते ही शहर के खाते पीते घरों के लोग सहानुभूति दर्शाने के बहाने मलेना से मिलने आते और उसे अपने वश में करने की कोशिश करते हैं. ऐसे में उसकी सुंदरता ही उसकी दुश्मन हो जाती है.


rajnish manga 06-11-2015 03:01 PM

Re: विश्व सिनेमा के शाहकार
 
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विश्व सिनेमा के शाहकार
मलेना (Malena)

फिल्म मलेना का एक पोस्टर तथा मलेना की भूमिका में मोनिका बेलुक्सी

rajnish manga 06-11-2015 03:03 PM

Re: विश्व सिनेमा के शाहकार
 
विश्व सिनेमा के शाहकार
मलेना (Malena)


वह 12 वर्षीय किशोर रेनाटो भी यह सब कुछ देखता है और अपने समाज का यह हाल देख कर परेशानी महसूस करता है. उसके मन में मलेना के प्रति प्रेम भी है और वह उसके प्रति स्वाभाविक रूप से यौन आसक्ति भी रखता है. लेकिन उसमे एक विशेष बात है जो उसे अन्य सभी पुरुषों से अलग करती है. वह यह कि मलेना के प्रति उसके मन में सम्मान की भावना है और उसमे संवेदनशीलता भी नज़र आती है. यही वो चीज है जो उस किशोर रेनाटो को इस फिल्म का हीरो बना देती है. इस फिल्म में युद्ध, सेक्सुएलिटी और प्रेम के साथ साथ युद्धरत फ़ासिस्ट समाजों में महिलाओं की हालत का भी यथार्थ चित्रण किया गया है.

rajnish manga 07-11-2015 06:33 PM

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विश्व सिनेमा के शाहकार
गॉन विद द विंड Gone With The Wind




1936 में मारग्रेट मिशेल के उपन्यास ‘गॉन विद द विंड’ ने खूब धूम मचाई थी. विक्टर लेमिंग ने इस उपन्यास पर इसी नाम से एक फिल्म का निर्देशन किया जो 1939 में सिनेमा के परदे पर प्रदर्शित की गयी. कहानी में 1861 के आसपास के दिनों में अमरीका के दक्षिणी राज्य जॉर्जिया में चलने वाले गृहयुद्ध की पृष्ठभूमि को बड़ी खूबसूरती के साथ उकेरा गया है. इस सब के बीच एक प्रेमकथा भी चलती है जो वक़्त के उतार-चढ़ाव व उहापोह में से होती हुयी आगे बढ़ती है. वर्ष 1939 के लिए इस फिल्म ने पांच ऑस्कर जीते थे जो उस समय तक सबसे अधिक थे. सर्वश्रेष्ठ फिल्म के पुरस्कार के अलावा, इस फिल्म को अन्य पुरस्कार इसके निर्देशन, नायिका, सहायक अभिनेता व सहायक अभिनेत्री, रंगीन फिल्मांकन व एडिटिंग के लिए दिए गए. इस फिल्म की सफलता में विवियन ली और क्लार्क गाबल के शानदार अभिनय का बड़ा भारी योगदान था.

rajnish manga 07-11-2015 06:48 PM

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कैमिली / Camill
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इस फिल्म में एक रोमांटिक ड्रामा दिखाया गया है. जॉर्ज कुकोर द्वारा निर्देशित यह फिल्म 1936 में प्रदर्शित की गई थी. यह फिल्म 1852 में छपे फ्रांसीसी उपन्यास “ला डेम आउक्स कैमिलियास” की कहानी पर आधारित थी. फिल्म में एक गरीब लड़की की कहानी दिखाई गई है जो एक अमीर बेरॉन से शादी करने के बाद अमीरी के जीवन का आनंद लेने लगती है. लेकिन कुछ समय बाद उसके जीवन में अरमोंड नामक एक युवक आता है तो वह उसकी ओर आकर्षित हो जाती है और उससे प्रेम करने लगती है. प्रेम की इस स्थिति में वह जीवन में प्राप्त होने वाली सभी सुख सुविधाओं का त्याग कर के जीवन के सुखों का आनंद लेने की ओर अग्रसर हो जाती है. ग्रेटा गार्बो और रोबर्ट टेलर का अभिनय सराहनीय रहा.




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rajnish manga 08-11-2015 03:53 PM

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कासाब्लेंका Casablanca


सन 1942 में बनाई गई इस फिल्म को माइकल क्रुटिज़ ने निर्देशित किया था. दूसरे विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि में बनाई गई इस फिल्म में हम देखते हैं कि किस तरह एक आदमी और एक प्रेमी प्रेम और नैतिकता के भंवर में डूबता उतराता है. यहाँ तक कि वह अपनी प्रेमिका के लापता पति की तलाश में पूरे जी जान से कोशिश करता है. 16 वें अकादमी (ऑस्कर) पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ फिल्म के पुरस्कार के साथ साथ इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ निर्देशन, मुख्य अभिनेता, सहायक अभिनेता, पटकथा, फोटोग्राफी, एडिटिंग और संगीत के लिए भी ऑस्कर पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

rajnish manga 09-11-2015 06:16 PM

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अन्ना केरेनिना (Anna Karenina)
1873 से 1877 तक रूस की पत्रिका ‘द रशियन मेसेंजर’ में लियो टॉलस्टॉय के धारावाहिक छपे उपन्यास “अन्ना केरेनिना” ने उस ज़माने में ज़बरदस्त धूम मचा दी थी. दुनिया भर में इस थीम पर ढेरों फिल्मे बन चुकी हैं. 1935 में क्लोरेंस ब्राउन द्वारा निर्देशित इसी नाम की फिल्म को बहुत सराहा गया था. इसकी मुख्य भूमिका में ग्रेट गार्बो थी. इसके बाद 1948 में जुलियन डूविलियर ने इस कहानी पर एक और फिल्म बनाई. इसके बाद सन 1967 में अलेक्सांद्र जार्खी ने मूल रूसी भाषा में हे इस फिल्म का निर्माण किया. फिल्म की कहानी अन्ना केरेनिना के आसपास घूमती है जिसका पति राजनीति में इस कदर मशगूल है कि अपनी पत्नी की भावनात्मक जरूरतों का भी उसे ध्यान नहीं रहता. कई मोड़ों से होती हुयी यह कहानी उसके जीवन के अनेकों पहलुओं का चित्रण करती चलती हैं.


rajnish manga 11-11-2015 08:00 AM

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डॉक्टर ज़िवागो (
Doctor Zhivago)



नोबेल पुरस्कार विजेता रुसी लेखक बोरिस पास्तरनाक के उपन्यास ‘डॉक्टर ज़िवागो’ की कहानी पर आधारित यह फिल्म 1965 में प्रदर्शित की गयी थी. फिल्म एंग्लो अमेरिकन सहयोग से निर्मित की गई थी. वैसे तो इस में प्रथम विश्वयुद्ध, रूसी क्रान्ति, रूसी गृह युद्ध एवम् वहाँ के निरंकुश शासक ज़ार का तख्ता पलट देने की कहानी के साथ साथ सोवियत रूस के वजूद में आने के दौरान पुंनी व्यवस्था किस प्रकार टूट रही है, यह बहुत प्रभावशाली अंदाज़ में दिखाया गया है. फिल्म में युद्धरत रूस, बदलती राजनैतिक स्थितियाँ, समाज में बदल रहे आर्थिक ढाँचे के साथ ही प्रेम के विभिन्न रूपों को समझने की भी अच्छी कोशिश की गई है. ‘डॉक्टर ज़िवागो’ को पाँच ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त हुए. इनमे सर्वोत्तम कला निर्देशन, अद्वितीय छायांकन व सर्वश्रेष्ठ संगीत का पुरस्कार शामिल हैं.

rajnish manga 12-11-2015 02:50 PM

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एन अफेयर टु रिमेम्बर (An Affair to Remember)




सन 1957 में बनी इस फिल्म को लियो मैक्केरेय ने निर्देशित किया था. प्रमुख किरदार के अभिनय की ज़िम्मेदारी केरी ग्रांट (निक्की के रोल में) डोबराह कर (टेरी के रोल में) ने निभाई है. इस फिल्म की कहानी के अनुसार एक क्रूज़ शिप के ज़रिये यूरोप से न्यूयॉर्क जाते हुए एक युवक और एक युवती में प्यार हो जाता है यद्यपि उन दोनों के पहले से भी अफेयर चल रहे हैं. वे दोनों वादा करते हैं कि यदि वे अपने पहले के अफेयर से मुक्त हो गए तो छः माह बाद वे न्यूयॉर्क स्थित एम्पायर स्टेट बिल्डिंग की सबसे ऊपरी फ्लोर पर आ कर मिलेंगे. इस बीच युवती का एक्सीडेंट हो जाता है. दरअसल, युवती पहुँचने की जल्दी में सड़क पार करते हुए सड़क एक्सीडेंट का शिकार हो जाती है और अस्पताल पहुँच जाती है. इधर इंतज़ार करते करते जब युवक थक जाता है तो सोचता है कि उसने या तो शादी कर ली है या अब वह उससे मिलना नहीं चाहती. युवती एक्सीडेंट के बाद अपंग हो जाती है और युवक से नहीं मिलना चाहती. बाद में वे मिलते हैं लेकिन युवक को ग़लतफ़हमी होती है कि वह किसी और को चाहती है. युवक लड़की का पता मालूम करता है और उसके घर जा पहुँचता है. तब उसे व्हील चेयर देख कर और लड़की को काउच से न उठते हुए देख कर वास्तविकता पूछता है तो उसे सच का पता चलता है. वे दोनों एक दूसरे को गले लगा लेते है.

rajnish manga 12-11-2015 02:58 PM

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एन अफेयर टु रिमेम्बर (An Affair to Remember)

कई समीक्षक यह मानते हैं कि प्रेम कहानियों पर आधारित अब तक बनी फिल्मों में यह फिल्म सर्वश्रेष्ठ है. यह फिल्म 1939 में बनी फिल्म “लव अफेयर” का रीमेक है. हिंदी में भी कुछ फ़िल्में ऐसी हैं जिनके ऊपर इस फिल्म का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है जैसे- आरज़ू (1965 / राजेन्द्र कुमार व साधना), भीगी रात (1965 / अशोक कुमार, मीना कुमारी व प्रदीप कुमार अभिनीत) तथा मन (1999 / आमिर खान, मनीषा कोईराला अभिनीत). ‘मन’ तो काफी हद तक कॉपी की गयी है. इस फिल्म का हीरो कला पारखी होने के साथ साथ एक प्ले ब्वाय किस्म का लड़का है. जिसकी ज़िन्दगी वास्तविक हालात में प्यार के बाद बिलकुल बदल जाती है.

rajnish manga 13-11-2015 04:55 PM

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द रीडर (The Reader)


rajnish manga 13-11-2015 05:03 PM

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द रीडर (The Reader)

सन 2008 में प्रदर्शित यह फिल्म ‘द रीडर’ 1955 में छपे इसी नाम के एक जर्मन उपन्यास की कहानी पर आधारित है जिसके लेखक हैं बर्नहार्ड स्लींक. फिल्म के निर्देशक हैं- स्टीफ़न डाल्ड्री है. कहानी के अनुसार माइकल नाम के एक किशोर को हेन्ना से जो एक ट्रंप कंडक्टर है, से प्यार हो जाता है. हेन्ना माइकल से उम्र में लगभग दोगुनी है. फिर भी इन दोनों का यह रिश्ता उम्र भर कायम रहता है. बाद के दिनों में हेन्ना नाज़ी जर्मनी के कंसेन्ट्रेशन कैम्पों में किये अपने अपराधों की सजा पाती है और जेल में भेज दी जाती है. माइकल बड़ा हो कर वकील बन जाता है लेकिन इन दोनों का परस्पर प्रेम व आकर्षण पहले के समान ही बना रहता है. उधर माइकल बहुत सी किताबें टेप रिकॉर्डर में रिकॉर्ड कर के हेन्ना के पास जेल में भेजता रहता है. यह भी उनके रोमांस का ही एक रूप था. फिल्म में कैट विंसलेट ने हेन्ना का, डेविड क्रॉस और राल्फ फियेंस ने माइकल का (क्रमशः किशोर अवस्था तथा युवावस्था का) किरदार अत्यंत उत्कृष्टता से निभाया है. कैट को इस फिल्म में उनके अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का ऑस्कर पुरस्कार मिला.


rajnish manga 19-11-2015 12:34 PM

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बरान (Baran)



2001 में बनी इस ईरानी फिल्म की पटकथा को फिल्मों से जुड़े महान व्यक्तित्व माजिद मजीदी ने तैयार किया है. इसका निर्देशन भी स्वयं उन्हीं का है. आम लोगों के जीवन और मूल्यों पर शानदार फ़िल्में बनाने में माहिर माजिद विश्वभर में विख्यात हैं. मोटे तौर पर इस फिल्म की कहानी में मकान बनाने वाले मजदूरों का जीवन दिखाया गया है. लेकिन फिल्म में उन लोगों की तकलीफों और परेशानियों को दर्शाया गया है जो गैर कानूनी तरीके से अफ़गानिस्तान से ईरान में दाखिल हुए हैं. साथ ही एक प्रेमकथा को भी फिल्म में पिरोया गया है. कहानी के मुताबिक़ लतीफ़ नाम का एक मजदूर रहमान नाम के एक अन्य मजदूर से खफ़ा हो जाता है. इसका कारण यह है कि रहमान के आने से लतीफ़ के हाथ से चाय बनाने जैसा आसां काम छिन जाता है. अब उसे ज्यादा अधिक काम करना पड़ता है. लेकिन जब लतीफ़ को पता चलता है कि रहमान वास्तव में लड़का नहीं लड़की है तो उसके मन में उसके (रहमान बनी लड़की के) प्रति प्रेम उत्पन्न हो जाता है.

rajnish manga 20-11-2015 02:41 PM

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सैलफ़ोन
(Cellphone)
https://image.tmdb.org/t/p/w92/ivHN6...dMSipm21c6.jpg^http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1448016270

यह हास्य विनोद से भरपूर चीनी फिल्म सन 2003 में प्रदर्शित की गई जिसके निर्देशक थे फेंग जियागांग. इस फिल्म को दुनिया भर के दर्शकों द्वारा सराहा गया. फिल्म का मुख्य विषय विवाहेतर संबंध पर केंद्रित है. इसमें यह दर्शाने का प्रयास किया गया है कि हमारे समाज में सैलफोन किस प्रकार प्रेम संबंधों को प्रभावित करते हैं.

rajnish manga 22-11-2015 04:18 PM

Re: विश्व सिनेमा के शाहकार
 
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वर्टिगो (
vertigo)



http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1448194575^http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1448194575


एल्फ्रेड हिचकॉक के नाम से शायद ही कोई अपरिचित होगा. उन्होंने मनोवैज्ञानिक विषयों पर एक से बढ़ एक सफल फ़िल्में बनाई हैं जिन्हें विश्व भर में सराहा गया. उनकी मशहूर फिल्मों में से एक है ‘वर्टिगो’ जो 1958 में प्रदर्शित की गई थी. यह फिल्म एक सेवा निवृत्त जासूस की प्रेमकथा पर आधारित है. यह जासूस ऊची जगह जाने से डरता है. यह एक मनोरोग या फोबिया है जिसे अंग्रेजी में acrophobia या hypsophobia कहते हैं. फिल्म
इंसानी रिश्तों की बहुत करीब से पड़ताल भी करती है. इसी से मिलती जुलती सिचुएशन आपको गोविंदा व अक्षय कुमार अभिनीत हिंदी फिल्म ‘भागम भाग’ में भी देखने को मिली होगी.




rajnish manga 23-11-2015 05:19 PM

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खामोश पानी (Khaamosh Paani or Silent Water)



पंजाबी में बनी यह फिल्म तीन देशों के सहयोग से बनाई गई थी. ये देश थे- पाकिस्तान, फ्रांस और जर्मनी. इसका प्रदर्शन सन 2003 में किया गया. इस फिल्म में एक ऐसी विधवा स्त्री की कहानी है जिसका जन्म तो सिख परिवार में हुआ था लेकिन बटवारे के समय, जबकि लोग अपनी बेटियों की इज्ज़त बचाने के लिए उनको कुओं में डुबो कर मार रहे थे, वह वहाँ से भाग जाती है और फिर उसकी शादी वहीँ एक मुसलमान से हो जाती है. फिल्म के अनुसार बड़ा हो कर उनका 18 वर्षीय लड़का संगीत में रूचि लेने लगता है और उन्मुक्त विचारों वाली एक लड़की से प्रेम करने लगता है. यह सन 70 का दशक है. इसी बीच वह युवक कट्टरता व धार्मिक उन्माद में लिप्त हो जाता है और अपनी प्रेमिका से नफरत करने लगता है.

everdeenkatniss257 04-12-2015 10:06 AM

Re: विश्व सिनेमा के शाहकार
 
Nice work....


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