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नई दिल्ली. दिल्*ली में भाजपा की सीएम पद की उम्*मीदवार किरण बेदी और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को नामांकन दाखिल कर दिया। नई दिल्*ली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे केजरीवाल के पास करीब दो करोड़ रुपए की संपत्ति है, जबकि कृष्*णा नगर से चुनाव लड़ रहीं बेदी के पास करीब तीन करोड़ रुपए का केवल बैंक बैलेंस/निवेश ही है।संपत्ति घटी, मुकदमे बढ़े
सात महीने पहले लोकसभा चुनाव में दी गई जानकारी के मुकाबले इस बार केजरीवाल की संपति का मूल्*य थोड़ा सा घटा है। हालांकि उनके खिलाफ अदालती मामले बढ़ कर सात से दस हो गए हैं। इस बार हलफनामे में उन्होंने बताया है कि इंदिरापुरम में 57 लाख का फ्लैट है और पत्नी के नाम 40 लाख रुपए का लोन है। जबकि, किरण बेदी ने करीब 61 लाख रुपए का लोन किसी को दे रखा है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के पहले केजरीवाल के खिलाफ केस की तादाद में इजाफा हुआ है। उनके खिलाफ अदालत में दर्ज मामलों की संख्या सात से बढ़ कर 10 हो गई है। (यह भी पढ़ें: किरण बेदी ने भरा पर्चा, रोड शो में लाला लाजपत की मूर्ति को मफलर पहनाने पर विवाद) लोकसभा चुनाव के दौरान 2.14 करोड़ रुपये थी संपत्ति वाराणसी में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ने वाले आप के संयोजक के पास उस वक्त कुल दो करोड़ 14 लाख रुपये की संपत्ति थी। उस दौरान दिए गए हलफनामे में केजरीवाल ने जानकारी दी थी उनके खिलाफ विभिन्न अदालतों में कुल 7 मामले लंबित हैं। उस दौरान उन्होंने गाजियाबाद के इंदिरापुरम और हरियाणा के शिवानी में अपने नाम दो फ्लैट होने की बात कही थी। इंदिरापुरम वाले फ्लैट की कीमत तब 55 लाख थी और अब उसकी कीमत 57 बताई गई है। केजरीवाल की पत्नी सुनीता के पास गुड़गांव में 2244 वर्ग फीट का फ्लैट है जिसकी कीमत 1 करोड़ है। |
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मोदी ने गले लगाकर दी सईद को सीएम बनने की बधाई, लोन भी बने मंत्री
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी के गठबंधन वाली सरकार में पीडीपी संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद ने रविवार को सीएम पद की शपथ ली। कार्यक्रम में शामिल होने पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा पार्टी के नेता राम माधव, मुरली मनोहर जोशी, लालकृष्ण आडवाणी पहुंचे। बता दें कि सईद दूसरी बार राज्य के सीएम बने। इसके पहले साल 2002 में वह पीडीपी-कांग्रेस की गठबंधन सरकार में तीन साल तक सीएम रहे थे। पीडीपी के 13 तथा बीजेपी के 12 विधायकों के मंत्री बनने की संभावना है। पूर्व अलगाववादी नेता और पीपुल्स कांफ्रेंस प्रमुख सज्जाद गनी लोन का भी मंत्री बनना तय माना जा रहा है। सईद छह वर्षो तक मुख्यमंत्री रहेंगे, जबकि भाजपा के निर्मल सिंह उपमुख्यमंत्री होंगे। शपथ ग्रहण समारोह जम्मू विश्वविद्यालय के जनरल जोरावर सिंह ऑडिटोरियम में हाे रहा है। 11.59 am बीजेपी की प्रिया सेठी ने ली शपथ 11.57 am बीजेपी के अब्दुल गनी कोहली ने ली शपथ 11.55 am पीडीपी के मोहम्मद अशरफ मीर ने ली शपथ 11.53 am बीजेपी के सुनील शर्मा ने ली मंत्री पद की शपथ 11.51 am पीडीपी के अब्दुल मजीद पद्देर ने ली मंत्री पद की शपथ 11.49 am बीजेपी के शेरिंग दोर्जे ने ली मंत्री पद की शपथ 11.47 am पीडीपी के नईम अख्तर ने ली शपथ 11.45 am पीडीपी के इमरान रजा अंसारी ने ली शपथ 11.43 am पीडीपी के सईद मोहम्मद अलताफ बुखारी ने ली शपथ 11.41 am पीडीपी के गुलाम नबी लोन ने ली मंत्री पद की शपथ 11.39 am पीडीपी के हसीब द्राबू ने ली मंत्री पद की शपथ 11.37 am पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अब्दुल गनी लोन ने ली शपथ 11.35 am पीडीपी के चौधरी जुल्फिकार अली ने ली शपथ 11.33 am बीजेपी के सुखनंदन कुमार ने ली मंत्री पद की शपथ 11.31 am पीडीपी नेता सैयद बशारत अहमद बुखारी ने ली शपथ 11.29 am बीजेपी नेता बाली भगत ने ली मंत्री पद की शपथ 11.27 am पीडीपी के अब्दुल हक खान ने ली मंत्री पद की शपथ 11.25 am बीजेपी के लाल सिंह ने ली मंत्री पद की शपथ 11.23 am पीडीपी के जावेद मुस्तफा मीर ने ली मंत्री पद की शपथ 11.21 am बीजेपी के चंद्रप्रकाश ने ली मंत्री पद की शपथ 11.19 am पीडीपी के अब्दुल रहमान बट ने ली मंत्री पद की शपथ 11.17 am बीजेपी के निर्मल सिंह ने ली मंत्री पद की शपथ 11.15 am मुफ्ती मोहम्मद सईद ने ली सीएम पद की शपथ 11.09 am पीएम मोदी शपथ ग्रहण कार्यक्रम में पहुंचे 11.00 am जम्मू-कश्मीर सरकार का शपथग्रहण कार्यक्रम शुरू |
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नई दिल्ली: आप नेता योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के पार्टी में भविष्य पर फैसला लेने के लिए बुधवार को होने वाली अहम बैठक से ऐन पहले अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर संयोजक पद छोड़ने की पेशकश की। सूत्रों के मुताबिक, केजरीवाल ने अपना इस्तीफा आप के नेशनल एग्जीक्यूटिव को बुधवार सुबह यह कहते हुए भेजा कि वह दिल्ली के सीएम के तौर पर काम के बोझ से दबे हुए हैं। इस वजह से वह दोनों भूमिकाओं के साथ न्याय नहीं कर सकते। केजरीवाल द्वारा यह एक हफ्ते में भेजा गया यह दूसरा इस्तीफा है। इससे पहले, उन्होंने 26 फरवरी को इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन वो नामंजूर हो गया था। बता दें कि केजरीवाल अपनी तबीयत की वजह से बुधवार को होने वाली मीटिंग में अनुपस्थित रहेंगे। केजरीवाल के ताजे इस्तीफे की पेशकश के भी नामंजूर होने की उम्मीद है।
हो सकता है समझौता मीटिंग में योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी से बाहर निकाले जाने की अटकलों के बीच समझौता हो जाने के भी आसार हैं। ऐसा भी हो सकता है कि प्रो. आनंद कुमार जैसे वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप से दोनों पक्ष शांत हो जाएं और कोई बीच का रास्ता निकल जाए। ऐसे में, हो सकता है कि योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी में कुछ और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाए। केजरीवाल पक्ष के नॉर्मल होने की अटकलों को उस वक्त भी बल मिला, जब भूषण परिवार पर सार्वजनिक तौर पर निशाना साधने वाले आप के वरिष्ठ प्रवक्ता आशीष खेतान ने बुधवार को नरमी के संकेत दिए। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''मुझे भूषण परिवार के बारे में खुलेआम ऐसा नहीं बोलना चाहिए था। आशा है कि आगे भी हम एक टीम के रूप में काम करते रहेंगे।'' |
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114 साल में पहली बार नोबेल शांति पुरस्कार समिति के अध्यक्ष का डिमोशन
ओस्लो। नोबेल शांति पुरस्कार समिति के 114 साल के इतिहास में पहली बार उसके अध्यक्ष का डिमोशन (पदावनति) कर दिया गया है। यह स्थिति, समिति में अध्यक्ष का बहुमत खत्म होने और उनके विरोधियों का बहुमत हो जाने के कारण पैदा हुई है। नार्वे के भूतपूर्व प्रधानमंत्री थोरेबजोर्न जगलंद 2009 से पांच सदस्यीय नोबेल पुरस्कार समिति के अध्यक्ष थे। लेकिन अब वह समिति के केवल सदस्य रह जाएंगे। नार्वे की सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी के भूतपूर्व विपक्षी नेता कसी कुलमान अब नोबेल समिति के नए अध्यक्ष होंगे। समिति में 2 के खिलाफ उनका 3 मतों से बहुमत है। |
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दिल्ली में केजरीवाल दौड़ाएंगे 10 हजार प्राइवेट बसें!
केजरीवाल जब तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज नहीं हुए थे, तब तक सरकार नाम की संस्था सबसे ऊपर थी और निजी कंपनियां लुटेरी। अब जब अरविंद केजरीवाल खुद सरकार बन गए हैं तो निजीकरण की ताल पर ता था थैया करने में गुरेज़ नहीं। डीटीसी के बेड़े में हज़ार बसें जोड़ने का सवाल खड़ा हुआ तो आइडिया का बल्ब चमक उठा और रोशनी निजीकरण की निकली। केजरीवाल ने कहा था कि सरकार का काम नियम बनाना है, हमारा काम बसें चलाना नहीं होना चाहिए। बयान उद्योगपतियों के बीच बैठकर दिया गया, सो उसके सियासी और आर्थिक मायने समझने में कोई पेच नहीं है। सब सीधा सपाट है। यानी निजीकरण अब केजरीवाल के लिए वो गली नहीं रही जिसमें दाख़िल होना मना हो। मुख्यमंत्री यहीं नहीं रुके, उन्होंने साफ किया कि इस बारे में मुख्य सचिव को प्रस्ताव तैयार करने की ताकीद दे दी गई है। केजरीवाल ने कहा कि चीफ सेक्रेटरी प्रस्ताव बना रहे हैं। एक साथ 10 हजार बसें आ सकती है। अब निजीकरण होगा तो किरायों पर कैसे लगाम लगेगी, बसें कमाऊ रूट पर ही चलेंगी या फिर पूरी दिल्ली का ख्याल रखा जाएगा, ऐसे सवालों पर सिर्फ चुप्पी ही है। यानी, कल तक जो सरकार हर मसले पर आम आदमी की रायशुमारी की बात करती थी, उसने बसों में सफर करने वाली आधी दिल्ली को ही नजरअंदाज कर दिया। इस मसले पर कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक केजरीवाल को छोड़ने के मूड में नहीं। एक तरफ निजीकरण की आहट है तो दूसरी तरफ है अपने वोटबैंक को मजबूत करके बाकी दिल्लीवासियों की अनदेखी की कवायद। सरकार के नए नियमों के मुताबिक अब दिल्ली पुलिस यातायात नियमों के कुछ उल्लंघन होने पर भी ऑटो का चालान नहीं कर पाएगी। सरकार ने पुलिस से ये अधिकार छीन लिया है। यातायात पुलिस को नियमों के मामूली उल्लंघन पर अब ऑटो जब्त करने का अधिकार सरकार ने छीन लिया है। ये एक तीर से दो निशाने की कोशिश है। वोटबैंक की मजबूती और केंद्र सरकार से कानून के मुद्दे पर टकराव। इस मुद्दे पर भी सियासी बयानबाजी तेज़ होने लगी है। केंद्र से टकराव का एक और रास्ता सरकार ने खोज निकाला है। सरकार ने पुलिस कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर कई मुद्दे उठाए हैं। इसमें पुलिस से संबंधित कई मामलों की जानकारी मांगी गई है। महिलाओं के लिहाज से असुरक्षित जगह कौन सी हैं, उन जगहों पर लगाए जाएंगे सीसीटीवी कैमरे, सभी थानों में लगाए जाएं सीसीटीवी, सीसीटीवी पुलिस लगाए, खर्चा सरकार देगी, सभी बीट कॉन्सटेबल की जानकारी वेबसाइट पर डालें। ये बिना शक पुलिस और कानून व्यवस्था को कुछ हद तक दिल्ली के दायरे में लाने की कोशिश है। लेकिन उससे भी अहम बात ये कि सीधे केन्द्र से टकराने की कोशिश भी है। क्योंकि पुलिस को लेकर केन्द्र और दिल्ली पहले भी आमने सामने आ चुके हैं। ज़ाहिर है मुख्यमंत्री केजरीवाल धीरे-धीरे तमाम मुद्दों पर सरकार का रुख़ साफ कर रहे हैं। |
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