Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
शुक्र है कि हम इन आदतों में नहीं पडे।
हम अच्छी सामग्री पढने और लिखने में "नशा" पाते हैं। समय का पता भी नहीं चलता। अपनी समस्याएं भूल जाता हूँ स्वास्थ्य पर भी कोई बुरा असर नहीं होता शुभकामनाएं जी विश्वनाथ |
Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
कार्ल बेन हेमबेल्ट: जर्मन कवि कार्ल बेन हेमबेल्ट को लिखने की प्रेरणा संगीत से मिलती थी. उन्होंने अपनी पसंद के गीत टेप किये हए थे. जब वे लिखना चाहते थे तो ऊंची आवाज में टेप रिकार्डर चला देते थे. ऐसा करने से वे निरन्तर लिख सकते थे. उन्होंने अपने लेखन में 45 वर्ष इसी प्रकार संगीत के साथ जुगलबन्दी की. |
Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
2 Attachment(s)
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1383388716http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1383388716 विलियम वर्ड्सवर्थ: अंग्रेजी के महान कवि और प्रकृति के महान शब्द-चित्रकार विलियम वर्ड्सवर्थ प्रकृति से बहुत गहरे जुड़े हए थे. लिखने के लिए वो जंगल में चले जाते थे जहां नाचते हुये मोर के देख कर और फूलों, पेड़ों, पत्तियों को निहारते हुये उनका लिखने का मूड बनता था. वन्य पशु-पक्षियों की आवाज भी उन्हें लिखने के लिये प्रेरित करती थी. एक विचित्र बात उनमे और थी. उनकी कलम का ऊपरी भाग सुगन्धित इत्र से भीगा रहता था. वे कलम को सूँघत जाते थे और लिखते जाते थे. |
Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
1 Attachment(s)
ज्यां पॉल सात्र:
लेखक ज्यां पॉल सात्र की लिखने की बड़ी विचित्र शैली थी. जब वह हाथ से लिखते लिखते थक जाते थे तो पैरों से लिखने लग जाते थे.इसके लिये उन्होंने एक विशेष प्रकार की आराम कुर्सी बनवा रखी थी. जिसके पायदान पर चिकनी लकड़ी का एक तख्ता लगा था. इस तख्ते में कागज लगा दिया जाता था.वे आराम से इस कुर्सी पर अधलेटे से दाहिने पैर की उँगलियों में पेंसिल पकड़े पकड़े लिखते रहते थे. लिखने का यह ढंग बड़ा निराला था. |
Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
2 Attachment(s)
ट्र्युमैन केपोटे (Truman Capote): प्रसिद्ध अमरीकी लेखक, कथाकार, नाटककार व निबंधकार
|
Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
1 Attachment(s)
ट्र्युमैन केपोटे की अजीब लेखन शैली माना जाता है कि केपोटे पीठ के बल लेट कर लिखते थे, अपने एक हाथ में शैरी (एक प्रकार की शराब) और दूसरे हाथ में पेंसिल ले कर. ‘पेरिस रिव्यू’ को 1957 में दिये गये एक इंटरव्यू में केपोटे ने बताया, “मैं पूरी तरह से एक क्षैतिज लेखक हूँ. तब तक मेरा दिमाग काम नहीं करता जब तक कि मैं लेट न जाऊं – चाहे बिस्तर पर चाहे सोफे पर- सिगरेट व कॉफ़ी समेत. लगातार सिगरेट के कश लगाना और कॉफ़ी पीना मुझे अच्छा लगता है. जब शाम ढलने लगती है तो कॉफ़ी की जगह मिंट चाय आ जाती है. फिर शैरी और अंत में मार्टिनी. न .. न मैं टाइपराईटर का इस्तेमाल नहीं करता. पहले भी नहीं करता था. मैं अपना पहला लेखन हाथ में पकड़ी पेंसिल से करता हूँ. उसके बाद मैं पूरा का पूरा आलेख दोबारा हाथ से तैयार करता हूँ." |
Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
1 Attachment(s)
फ्रान्सिन प्रोज़ (Francine Prose)
ब्ल्यू एंजेल नामक पुस्तक की चर्चित अमरीकी लेखिका, जो पैन अमेरिकन सेंटर की अध्यक्ष भी हैं, ने एक इंटरव्यू में बताया था कि लिखते वक़्त वे अपने पति की लाल व काले चैकों वाली फलालेन की पजामा-पैंट और टी-शर्ट पहने रखती हैं.1998 में ‘दी एटलान्टिक’ की केट बोलिक को एक इंटरव्यू के दौरान प्रोज़ ने बताया, “सौभाग्य या दुर्भाग्य से, हम एक अजीब से मकान में रहते हैं जिसमे एक ही खिड़की है जो बीस फुट ऊंची है और जिसे खोलते ही हमारी दृष्टि ईंट की दीवार, जो करीब डेढ़ फुट दूर होगी, से टकरा जाती है. खिड़की से कोई और दृष्य नहीं दिखाई पड़ता. इस तरह जब मैं अपनी लिखने की डेस्क पर होती हूँ तो मुझे लगता है कि मैं यहां बिना किसी बाधा व परेशानी के काम कर सकती हूँ. ठीक ऐसे जैसे कि मैं अपने देहात में महसूस करती हूँ. दीवार की ओर मुंह करके लिखना, प्रसंगवश, मुझे लेखक होने का ही एहसास दिलाता है. |
Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
2 Attachment(s)
अर्नेस्ट हेमिंग्वे
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1386571095 http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1386571095 हेमिंग्वे बहुधा कहते थे कि वे प्रतिदिन 500 शब्द लिखते हैं, और वो भी सुबह के समय, गर्मी से बचने के लिए. यद्यपि वे खूब लिखने वाले लेखक थे लेकिन उन्हें पता रहता था कि कब रुकना है. सन 1934 में एफ. स्कॉट फिट्सजीराल्ड को भेजे एक पत्र में उन्होंने लिखा, “मेरे द्वारा लिखे जाने वाले 100 पृष्ठों में मास्टरपीस लेखन तो एक पृष्ठ का मिलेगा. बाकी के 99 पृष्ठ तो लीद के समान होता है जिसे मैं रद्दी की टोकरी में फेंकने की कोशिश करता हूँ. |
Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
1 Attachment(s)
John Cheever – American Writer जॉन शीवर (अमरीकी लेखक) |
Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1386607811
जॉन शीवर जॉन शीवर ने 1978 में ‘न्यूज़वीक’ में प्रकाशित एक लेख में बताया था कि अपनी उम्र के सातवें दशक में महत्वपूर्ण कहानियों की पुस्तक का प्रकाशित होना एक अमेरिकन लेखक होने के नाते मेरे लिये परम्परागत रूप से हर्ष व प्रतिष्ठा की बात है. इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला कि इनमे से बहुत सी कहानियाँ मैंने केवल अंडरवियर पहने हुये लिखी थीं. “दी वैपशॉट क्रॉनिकल” के लेखक के पास उन दिनों एक ही सूट हुआ करता था. सो उसे बार बार पहन कर उस पर झुर्रियां और शिकन फैला कर उसे खराब करने का क्या फायदा यदि यही काम आप अपनी स्कीवी में कर सकते हों? इस तर्क में उस व्यक्ति की समझदारी दिखाई देती है जिसे एक समय साहित्य जगत में “बस्तियों का चेख़व (Chekhov of the suburbs)” कहा जाता था. |
All times are GMT +5. The time now is 07:28 PM. |
Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.