Respected Father
जो दुखों की बारिश में
छतरी बन तनते हैं घर के दरवाजे पर नजरबट्टू बन टंगते हैं समेट लेते हैं सबका अँधियारा भीतर खुद आंगन में एक दीपक बन जलते हैं ऐसे होते हैं पिता |
Re: Respected Father
बेशक पिता लोरी नहीं सुनाते
माँ की तरह आंसू नहीं बहातें पर दिन भर की थकान के बावजूद रात का पहरा बन जाते हैं और जब निकलते हैं सुबह तिनको की खोज में किसी के खिलौने किसी की किताबें किसी की मिठाई किसी की दवाई परवाज पर होते हैं घर भर के सपने पिता कब होते हैं खुद के अपने ? |
Re: Respected Father
दरअसल
भय, हया, संस्कार का बोलबाला हैं पिता मुहल्ले भर की जुबान का ताला हैं पिता |
Re: Respected Father
सच हैं
माँ संवेदना हैं पिता कथा माँ आँसू हैं पिता व्यथा माँ प्यार हैं पिता संस्कार माँ दुलार हैं पिता व्यवहार दरअसल पिता वो - वो हैं जो - जो माँ नही हैं माँ जमीं तो पिता आसमान ये बात कितनी सही हैं पिता बच्चों की तुतलाती आवाज में भी एक सुरक्षित भविष्य हैं |
Re: Respected Father
सच हैं
माँ संवेदना हैं पिता कथा माँ आँसू हैं पिता व्यथा माँ प्यार हैं पिता संस्कार माँ दुलार हैं पिता व्यवहार दरअसल पिता वो - वो हैं जो - जो माँ नही हैं माँ जमीं तो पिता आसमान ये बात कितनी सही हैं पिता बच्चों की तुतलाती आवाज में भी एक सुरक्षित भविष्य हैं |
Re: Respected Father
काश कभी आते मुझे गोद मे ले के लोरी सुनाते...
फिर मुझे पुच्कारते, और फिर प्यार से सुलाते... कभी मन मे छिपे प्यार की गुल्लक भी फोड़ते... कुछ सपनों की सुनेहरी डोर, इन पलकों से जोड़ते... कभी किसी शैतानी पे मुझसे यूँही रूठ भी जाते... कुछ प्यार मे सने चावल अपने हान्थो से खिलाते... कभी मैं धूल मे गिर रोता तो तुम भी रो पड़ते... कभी मेरे सवालों के कुछ काँटे तुम्हे भी गडते... कभी यूँही घर मे तुम्हे अपने पीछे दौड़ा थाकाता... कभी तुम्हारे प्यार के साए मे थक के सो जाता... कभी धूल से सना लौटने पर मुझे डाँट लगाते... फिर अपने हान्थो से रगड़ रगड़ मुझे नहलाते... पर तुम तो हमेशा बाहर से सख़्त ही बने रहे... मैं जब भी गिरा मुझे थामा नही बस तने रहे... फिर बेटे से दोस्त बना लिया जब कुछ बड़ा हुआ... हमेशा लगा की प्यार तो रह गया बस छुपा हुआ... अब जब दूर हूँ तो जब भी मेरा हाल पून्छ्ते हो... तब समझ पाता हूँ मेरे लिए कितना सोचते हो... मेरे सोते सोते मेरा जीवन था प्यार से भर दिया... और जब जागा तो हमेशा माँ को आगे कर दिया... ममता की अति मे तुम्हारा प्यार तो बस दबा रहा... माँ की प्रेम गंगा मे तुम्हारा भी तो था जल बहा... कभी कह देते कितना प्यार करते हो सामने होके... अब सोचता हूँ बाबा कि, काश तुम भी माँ से होते...>>>>>>>>>>>>>>>>>>>> |
Re: Respected Father
सुंदर......... |
Re: Respected Father
Father's Day bonanza in the form of these beautiful poems.
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Re: Respected Father
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