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dipu 15-06-2014 11:12 AM

Respected Father
 
जो दुखों की बारिश में
छतरी बन तनते हैं
घर के दरवाजे पर
नजरबट्टू बन टंगते हैं
समेट लेते हैं सबका अँधियारा भीतर
खुद आंगन में एक दीपक बन जलते हैं
ऐसे होते हैं पिता

dipu 15-06-2014 11:13 AM

Re: Respected Father
 
बेशक पिता लोरी नहीं सुनाते
माँ की तरह आंसू नहीं बहातें
पर दिन भर की थकान के बावजूद
रात का पहरा बन जाते हैं
और जब निकलते हैं सुबह
तिनको की खोज में
किसी के खिलौने
किसी की किताबें
किसी की मिठाई
किसी की दवाई
परवाज पर होते हैं घर भर के सपने
पिता कब होते हैं खुद के अपने ?

dipu 15-06-2014 11:14 AM

Re: Respected Father
 
दरअसल
भय, हया, संस्कार का बोलबाला हैं पिता
मुहल्ले भर की जुबान का ताला हैं पिता

dipu 15-06-2014 11:15 AM

Re: Respected Father
 
सच हैं
माँ संवेदना हैं पिता कथा
माँ आँसू हैं पिता व्यथा
माँ प्यार हैं पिता संस्कार
माँ दुलार हैं पिता व्यवहार
दरअसल पिता वो - वो हैं
जो - जो माँ नही हैं
माँ जमीं तो पिता आसमान
ये बात कितनी सही हैं
पिता बच्चों की तुतलाती आवाज में भी
एक सुरक्षित भविष्य हैं

dipu 15-06-2014 11:15 AM

Re: Respected Father
 
सच हैं
माँ संवेदना हैं पिता कथा
माँ आँसू हैं पिता व्यथा
माँ प्यार हैं पिता संस्कार
माँ दुलार हैं पिता व्यवहार
दरअसल पिता वो - वो हैं
जो - जो माँ नही हैं
माँ जमीं तो पिता आसमान
ये बात कितनी सही हैं
पिता बच्चों की तुतलाती आवाज में भी
एक सुरक्षित भविष्य हैं

dipu 15-06-2014 11:20 AM

Re: Respected Father
 
काश कभी आते मुझे गोद मे ले के लोरी सुनाते...

फिर मुझे पुच्कारते, और फिर प्यार से सुलाते...

कभी मन मे छिपे प्यार की गुल्लक भी फोड़ते...

कुछ सपनों की सुनेहरी डोर, इन पलकों से जोड़ते...



कभी किसी शैतानी पे मुझसे यूँही रूठ भी जाते...

कुछ प्यार मे सने चावल अपने हान्थो से खिलाते...

कभी मैं धूल मे गिर रोता तो तुम भी रो पड़ते...

कभी मेरे सवालों के कुछ काँटे तुम्हे भी गडते...



कभी यूँही घर मे तुम्हे अपने पीछे दौड़ा थाकाता...

कभी तुम्हारे प्यार के साए मे थक के सो जाता...

कभी धूल से सना लौटने पर मुझे डाँट लगाते...

फिर अपने हान्थो से रगड़ रगड़ मुझे नहलाते...



पर तुम तो हमेशा बाहर से सख़्त ही बने रहे...

मैं जब भी गिरा मुझे थामा नही बस तने रहे...

फिर बेटे से दोस्त बना लिया जब कुछ बड़ा हुआ...

हमेशा लगा की प्यार तो रह गया बस छुपा हुआ...



अब जब दूर हूँ तो जब भी मेरा हाल पून्छ्ते हो...

तब समझ पाता हूँ मेरे लिए कितना सोचते हो...

मेरे सोते सोते मेरा जीवन था प्यार से भर दिया...

और जब जागा तो हमेशा माँ को आगे कर दिया...



ममता की अति मे तुम्हारा प्यार तो बस दबा रहा...

माँ की प्रेम गंगा मे तुम्हारा भी तो था जल बहा...

कभी कह देते कितना प्यार करते हो सामने होके...

अब सोचता हूँ बाबा कि, काश तुम भी माँ से होते...>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>

Dr.Shree Vijay 15-06-2014 04:40 PM

Re: Respected Father
 

सुंदर.........


rajnish manga 16-06-2014 12:01 PM

Re: Respected Father
 
Father's Day bonanza in the form of these beautiful poems.

rafik 17-06-2014 09:40 AM

Re: Respected Father
 
http://2.bp.blogspot.com/-unbLexZbwl...28Large%29.jpg


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