Re: चाचा चौधरी बनाम प्राण :.........
चाचा चौधरी बनाम प्राण : कंप्यूटर से भी तेज चाचा चौधरी का दिमाग चलता है...! : चाचा चौधरी का साथी है साबू, जो जूपिटर ग्रह का निवासी है और जिसका शरीर दैत्याकार है। साबू को एक तरह से चाचा जी का बेटा कहा जा सकता है। चाचा चौधरी का एक कुत्ता भी है, 'राकेट' नाम का। इसके बारे में कॉमिक-सीरीज में लिखा गया है की "चाचा चौधरी का कुत्ता स्लर्प स्लर्प दूध पीता है"। ये कुत्ता किसी ख़ास नस्ल का नहीं है, पर फिर भी कई बार चाचा चौधरी के काम आया है। कई बार चाचा जी की पगड़ी भी कमाल दिखा देती है। इनके प्रमुख दुश्मन पात्र हैं गोबर सिंह, राका आदि :......... |
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चाचा चौधरी बनाम प्राण : जब प्राण साहब ने कहा...हमें अपने वक्त से आगे चलना होगा...! : एक गलत धारणा बन गई है कि कॉमिक्स की दुनिया सिमट रही है। हालात इसके ठीक उलट, बल्कि बेहतर हैं। मैंने 1960 से कॉमिक्स की दुनिया को बहुत करीब से देखा है। उन अनुभवों के आधार पर कह सकता हूं कि कॉमिक्स की दुनिया अपने सबसे बेहतर वक्त में जाने वाली है। मैंने जब इस फील्ड में कदम रखा था तब देश में सिर्फ एक ही प्रकाशक हुआ करता था। आज इनकी संख्या 20 से अधिक है। हां, बीच में एक ऐसा वक्त जरूर आया, जब ऐसा लगा कि कॉमिक्स की दुनिया सिमट रही है। बच्चे इससे दूर हो रहे हैं। यह वक्त था ग्लोबल तकनीक और टीवी के प्रवेश का :......... |
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चाचा चौधरी बनाम प्राण : जब प्राण साहब ने कहा...हमें अपने वक्त से आगे चलना होगा...! : इधर कॉमिक्स की दुनिया स्थिरता के दौर से गुजर रही थी। नए प्रयोग नहीं हो रहे थे। बदलते वक्त के मुताबिक कॉमिक्स की दुनिया नहीं बदल रही थी। लेकिन जैसे ही वक्त की नब्ज को पकड़कर आगे बढ़ने की कोशिशें शुरू हुईं, अच्छे नतीजे सामने आने लगे। दरअसल, कॉमिक्स की 'नॉस्टैल्जिया वैल्यू' इतनी मजबूत है कि इसकी हस्ती मिटाना आसान नहीं होगा। मैं 2006 में अमेरिका गया था- वर्ल्ड कार्टून सोसायटी ऑफ अमेरिका में भाग लेने। वहां आम राय बनी कि हमें टीवी की शक्ति को स्वीकार कर उससे होड़ लगाने की बजाय एक दूसरे के पूरक सहयोगी के रूप में खुद को ढालना होगा :......... |
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चाचा चौधरी बनाम प्राण : जब प्राण साहब ने कहा...हमें अपने वक्त से आगे चलना होगा...! : पुराने कॉमिक किरदारों पर टीवी सीरियल बन रहे हैं। और मेरे चर्चित किरदार चाचा चौधरी सहित तमाम कॉमिक किरदारों पर बने सीरियल न सिर्फ टीवी के लिए हिट रहे, बल्कि इनका असर इधर भी हुआ और कॉमिक्स की बिक्री बढ़ी। लोगों तक कॉमिक्स पहुंचने के पहले दो ही जरिये थे - प्रकाशक और विक्रेता। लेकिन अब कॉमिक्स के बाजार में आने के कई माध्यम हैं :......... |
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चाचा चौधरी बनाम प्राण : जब प्राण साहब ने कहा...हमें अपने वक्त से आगे चलना होगा...! : तकनीक के जरिए ऑनलाइन कॉमिक्स लाई गईं और डिजिटल कॉमिक्स की मांग बढ़ी। चूंकि आज के बच्चे ज्यादा स्मार्ट हैं, इसलिए हमारा जोर कॉमिक्स के कंटेंट को भी स्मार्ट बनाने का है। कॉमिक्स के कंटेंट को वक्त के साथ नहीं, उससे आगे रखना होता है। 'चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से तेज चलता है' जैसी पंचलाइन एक दौर में इसलिए हिट हुई, क्योंकि यह उस वक्त से आगे थी। लेकिन आज के वक्त में इस पंचलाइन का कोई असर नहीं रह गया है। इससे यही बात साफ होती है कि हमें परंपरागत शैली को छोड़ना होगा :......... |
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चाचा चौधरी बनाम प्राण : जब प्राण साहब ने कहा...हमें अपने वक्त से आगे चलना होगा...! : इसके अलावा एक बात और अहम है। वह यह कि कॉमिक किरदारों से पढ़ने वाले खुद को कनेक्ट रखें, इसके लिए वरायटी पर भी जोर देना चाहिए। आप देखिए कुछेक सुपरपावर के किरदार को छोड़ हर देश, हर संस्कृति से ताल्लुक रखने वाला किरदार ही उस देश में हिट होता है। मसलन, अभी हमने आईपीएल पर आधारित एक कॉमिक्स निकाली। यह अपने देश में हिट हो सकती है, क्योंकि क्रिकेट यहां जुनून है, लेकिन दूसरे देश में शायद इससे लोग खुद को जोड़ न पाएं। मुझे पक्का यकीन है कि कॉमिक्स की दुनिया बड़ी शिद्दत के साथ इन बदलावों को जारी रखेगी :......... |
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चाचा चौधरी बनाम प्राण : जानिए दुनिया के कई देशों में क्या है कॉमिक्स की शैली...! : कॉमिक्स के दुनिया में कई प्रशंसक हैं। कई उसके किरदारों से प्यार करते हैं, तो कई उसकी कलाकारी से प्रभावित होते हैं। कई लोगों के लिए यह तस्वीरों के माध्यम से कहानी बताने की एक कला है। कॉमिक्स की सहजता और रूह पूरी दुनिया में एक जैसी है। इसके पन्नों में विविधता देखने को मिलती है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि वो किस देश में बनी है। 'द असेंशियल गाईड टू वर्ल्ड कॉमिक्स' के लेखक और कॉमिक बुक अलायंस के चेयरमैन टिम पिलचर कहते हैं कि इनमें कई तरह की शैली और विषय होते हैं। इनकी वजह से कॉमिकों में विभिन्नता आती है। भारत में कॉमिक का इतिहास काफी पुराना है। अमर चित्र कथा भारत के गौरव ग्रंथों पर आधारित है। विशाल गाथाएं कॉमिक के रूप में प्रकाशित की गई हैं :......... |
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बहुत ही बढीया व रोचक जानकारी !
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चाचा चौधरी बनाम प्राण : जानिए दुनिया के कई देशों में क्या है कॉमिक्स की शैली...! : कार्टूनिस्ट प्राण कुमार के चाचा चौधरी भी भारतीयों में काफी प्रचलित हैं। एक होशियार बजुर्ग, चाचा अपनी सूझबूझ से अपने दुश्मनों पर काबू पाते हैं। उनकी कहानियों में क्रिकेट मैच और रोटी खाने जैसे चीजें शामिल होती हैं। प्राण कहते थे कि मैं कुछ ऐसा बनाना चाहता था, जो भारतीय हो, जिसमें ऐसे विषय शामिल हों, जो भारत से संबंधित हो। इसलिए मैंने 1960 के दशक में कॉमिक बनानी शुरु की, लेकिन सभी पश्चिमी कॉमिक पढ़ते थे। मैंने सोचा क्यों न कुछ अपना बनाया जाए जो स्थानीय विषयों पर आधारित हो :......... |
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चाचा चौधरी बनाम प्राण : क्या कहती है इन देशों की कॉमिक्स...! : ब्रिटेन : बिएनो को अपने हंसी मजाक के लिए पसंद किया जाता है। इनमें शरारत और नटखट बच्चों पर निशाना लगाया जाता है। अमेरिका : यहां पर मार्वल कॉमिक और उसका सुपरहीरो मशहूर हैं। आइरन मैन, थोर, कैप्टन अमरीका और स्पाइडर मैन मुख्य कलाकार हैं। वे बहुत ताकतवर हैं और दुनिया को बचाने के लिए निकलते हैं। जापान : मांगा कॉमिक, जो व्यस्कों और बच्चों में प्रचलित है। विषय स्कूल के रोमांस से लेकर प्राचीन उच्च साहित्य शामिल होता है। भारत : चाचा चौधरी एक सूझवान बुजुर्ग हैं, जिनका दिमाग कंप्यूटर से तेज चलता है। ताकत साबू से मिलती है, जो 100 रोटियां खाता है, लेकिन लड़कियों से शर्माता है। फ्रांस और बेलजियम : दोनों बड़े कॉमिक देश हैं और उनके तरीके भी मिलते जुलते हैं। टिनटिन और एस्टेरिक्स सबसे अधिक जाने जाते हैं। मिस्र : मध्य पूर्वी हीरो में अंधेरे की राजकुमारी, एक समय फेरो और अरब के तलवार चलाने वाले प्रचलित हैं :......... |
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