संवर जायेंगे ये हालात शायद
संवर जायेंगे ये हालात शायद
संवर जायेंगे ये हालात शायद बदल जायेंगे दिन औ’ रात शायद समझ लेते हैं वो तकलीफ़ मेरी मुक़र्रर सुनते हैं जब बात शायद नए क़ानून से वाकिफ़ नहीं हैं सुधर जायेंगे ये आलात शायद शब्दार्थ: मुक़र्रर = दोबारा / आलात = औजार, उपादान (रजनीश मंगा) |
Re: संवर जायेंगे ये हालात शायद
bahot badhiya.....rajnishji
|
Re: संवर जायेंगे ये हालात शायद
समझ लेते हैं वो तकलीफ़ मेरी
मुक़र्रर सुनते हैं जब बात शायद बहुत खूब.....यकीनन एक और उम्दा रचना......:bravo::bravo: |
Re: संवर जायेंगे ये हालात शायद
संवर जायेंगे ये हालात शायद,..
उम्मीद के दामन को संभाले सुन्दर शब्दों से सजी प्रेरणा दायक रचना . अति सुन्दर ... धन्यवाद भाई ... |
Re: संवर जायेंगे ये हालात शायद
:bravo::bravo:
|
Re: संवर जायेंगे ये हालात शायद
उक्त कविता की प्रशंसा करने तथा मेरा उत्साहवर्धन करने के लिये शिखा जी, पवित्रा जी, पुष्पा सोनी जी तथा रफ़ीक जी का हार्दिक धन्यवाद.
|
All times are GMT +5. The time now is 08:30 AM. |
Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.