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इंटरनेट पर किसके क्रेडिट कार्ड की डिटेल जानना आसान : http://img.amarujala.com/2013/12/19/...b673_exlst.jpg आपके क्रेडिट कार्ड पर किसकी है नजर : इंटरनेट के जाल में आप कितना फंसते जा रहे हैं इसका शायद आपको अंदाज़ा भी नहीं हैं। हर दिन आप या तो इंटरनेट पर कुछ खरीदते हैं या फिर रेल और हवाई यात्रा के लिए टिकट आरक्षित कराते हैं। ऐसा करते वक्त आप अपनी क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड की जानकारी भी वहाँ डालते हैं। पर ये कितना सुरक्षित है। लूसिडस टेक के सह संस्थापक साकेत मोदी ने बताया कि भारत में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जाने वाली ट्रैवल वेब साइट (जिसका नाम उन्होंने नहीं लिया) के प्राधिकारियों ने उन्हें जब अपनी वेब साइट के निरीक्षण के लिए बुलाया तो साकेत और उनकी टीम ने इस वेब साइट को नैतिक रूप से हैक करके कुछ कमियाँ ढूंढ निकाली। इस निरीक्षण के दौरान करीब 21 लाख लोगों के क्रेडिट कार्ड की जानकारी उनके सीवीवी नंबर सहित आसानी से निकाल ली गई थी। इस समस्या को अगले तीन दिनों के अंदर ठीक कर दिया गया था लेकिन इससे ये बात साफ़ हो जाती है कि इंटरनेट पर सुरक्षित रहने के लिए पहले असुरक्षा के बारे में पता करना अनिवार्य है। अमर उजाला के सौजन्य से :......... |
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इंटरनेट पर किसके क्रेडिट कार्ड की डिटेल जानना आसान : http://img.amarujala.com/2014/04/15/...036e_exlst.jpg हैकिंग और एथिकल हैकिंग : किसी भी वेब साइट या कम्प्यूटर को हैक करने का मतलब है उसमें अनाधिकृत प्रवेश करना और जो व्यक्ति ये काम करता है वो हैकर कहलाता है। साकेत से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, “जिस तरह से पुलिस और चोर के बीच हुनर का फ़र्क नहीं होता, सिर्फ़ वर्दी और नीयत का फ़र्क होता है, ठीक उसी तरह हैकर और एथिकल हैकर के बीच भी यही अंतर है”। जब भी कोई शख़्स अपनी वेब साइट की खामियों के बारे में जानने के लिए किसी व्यक्ति को अपनी वेब साइट हैक करने का अधिकार देता है और फिर वह व्यक्ति उस वेब साइट को उसके सुरक्षा साधनों की कमियों के बारे में पता करने के लिए उसे हैक करता है, तो प्रक्रिया को एथिकल हैकिंग कहते हैं। साकेत के हिसाब से हैकिंग अपने आप ग़लत नहीं है, लेकिन अगर इसका दुरुपयोग किया जाए तो ये एक गुनाह में बदल जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई शख्स अधिकारिक तरीके से किसी ई-कॉमर्स वेब साइट को हैक करके उसकी ख़ामियाँ निकालने में सक्षम है तो वो एथिकल हैकिंग है। अमर उजाला के सौजन्य से :......... |
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इंटरनेट पर किसके क्रेडिट कार्ड की डिटेल जानना आसान : http://img.amarujala.com/2014/04/15/...6619_exlst.jpg बच्चों को हैकिंग में दिलचस्पी क्यों : प्रियांशु कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के विद्यार्थी हैं और पढ़ाई के अलावा एथिकल हैकिंग का प्रशिक्षण ले रहे हैं। एथिकल हैकिंग से ये “सेफ़ और सिक्योर कोडिंग” करना सीख रहे हैं। इनका मानना है कि आगे चलकर सॉफ्टवेयर डेवेलप्मेंट की नौकरी में से सहायक होगा। बी।टेक। के छात्र आदित्य एथिकल हैकिंग इसलिए सीख रहे हैं क्योंकि वो मानते हैं कि बाकि क्षेत्रों में पहले से ही काफ़ी भीड़ है मगर इस क्षेत्र के बारे में लोगों को अभी ज़्यादा जानकारी नहीं है और एथिकल हैकिंग के क्षेत्र में में वो अपना भविष्य उज्जवल मानते हैं। सितंबर 2013 में “फ़ोर्ब्स” नामक मैगज़ीन ने अपने एक लेख में भविष्य की 6 सबसे कमाऊ नौकरियों की बात की थी जिसमें एथिकल हैकिंग को दूसरा स्थान दिया गया है। इसके अलावा जुलाई 2013 में भारत ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति जारी की थी जिसके मुताबिक आने वाले 5 सालों में 500,000 एथिकल हैकर्स तैयार करने की बात की गई है। साकेत मोदी बताते हैं कि इस वक्त भारत में “क्लीन” एथिकल हैकर्स की संख्या 5000 भी नहीं है। साकेत ने क्लीन पर ज़ोर देते हुए कहा कि हैकिंग सीखने के बाद अपने लालच पर काबू पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है क्योंकि इस क्षेत्र में जिसे काम आता है वो ग़लत तरीके से काफ़ी पैसे कमा सकता है। इस पतली रेखा को लांघने से जो बच जाता है वही एथिकल हैकर बनने में कामयाब होता है। अमर उजाला के सौजन्य से :......... |
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इंटरनेट पर किसके क्रेडिट कार्ड की डिटेल जानना आसान : http://img.amarujala.com/2014/04/15/...1dc4_exlst.jpg कहाँ चाहिए हैकर्स : कोई भी आदमी या कोई भी कम्पनी जो कम्प्यूटर के माध्यम से किसी वेब साइट या किसी क्रेडिट कार्ड से जुड़ी हुई है, उसे हैक होने का खतरा होता है। ज़रूरी नहीं है कि हैक करने वाला आपका कोई दुश्मन या प्रतिद्वंदी हो, वो आपके दोस्त, माता-पिता, भाई-बहिन कोई भी हो सकते हैं। आज के ज़माने में जहाँ लगभग हर घर में और कार्य-स्थल पर इंटरनेट की सुविधा है, ऐसे में हैक होने की संभावना बढ़ गई है। और इसीलिए एथिकल हैकर्स की मांग ज़्यादा हो रही है। इंटरनेट एक ऐसा खज़ाना है जो हर पल कई गुना बढ़ रहा है, लेकिन इसके पहरेदारों का भी उसी रफ़्तार से बढ़ना ज़रूरी है। इस बात को जितनी जल्दी समझ लिया जाएगा उतना ही खज़ाने को बचाया जा सकेगा। अमर उजाला के सौजन्य से :......... |
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बिना इंटरनेट के भी आप करें 'वॉट्सऐप' पर चैटिंग : http://img.amarujala.com/2014/02/21/...1714_exlst.jpg मोबाइल का सिग्नल बंद लेकिन चैट चालू रहेगी : इंटरनेट की आज़ादी को लेकर पूरी दुनिया में बहुत बड़ी बहस छिड़ी हुई है। विभिन्न सरकारों के इंटरनेट पर निगरानी रखने को लेकर जनता के बीच गुस्सा काफ़ी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में एक ऐसी तकनीक आ गई है जिसे मोबाइल की दुनिया में दूसरी क्रांति कहा जा रहा है। इस तकनीक का नाम है 'मेश नेटवर्क' है। इसमें वो सारी ख़ूबियां हैं जो मोबाइल फ़ोन की दुनिया में दूसरी क्रांति ला सकती है। 'मेश नेटवर्क' तकनीक की सहायता से संचार की दुनिया में लोगों को इंटरनेट की मुख्यधारा के प्रयोग के बिना ही आपस में जोड़ा जा सकता है। अक्सर ऐसा होता है कि भूमिगत रेलों में, जंगलों में या गांवों में जाने से मोबाइल नेटवर्क ग़ायब हो जाता है। कभी किसी स्थान पर आधिकारिक रूप से नेटवर्क ब्लॉक भी कर दिया जाता है। ऐसे में चैटिंग कर पाना या मैसेज भेज पाना नामुमकिन हो जाता है। 'मेश नेटवर्क' इस समस्या को बहुत आसानी से हल कर सकता है :......... अमर उजाला के सौजन्य से :......... |
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बिना इंटरनेट के भी आप करें 'वॉट्सऐप' पर चैटिंग : http://img.amarujala.com/2014/04/17/...c1f8_exlst.jpg क्या है यह तकनीक? : अक्सर अंडरग्राउंड मेट्रो में मोबाइल सिग्नल टूट जाते हैं। 'मेश नेटवर्क' इंटरनेट की मुख्यधारा से इतर 'ऑफ-द-ग्रिड' संचार का आदान-प्रदान करता है। इसकी क्षमता भी बहुत ज़्यादा है। इसका इस्तेमाल आपदा राहत प्रयासों में, जहां नेटवर्क बहुत ख़राब हो या सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान एक दूसरे से जुड़े रहने के लिए किया जा सकता है। इसकी तकनीक को सरल अर्थ में कह सकते हैं कि यह एक साइकिल के पहिए की तरह काम करता है। जिसकी हर डंडी एक केंद्रीय बिंदु से जुड़ी होती है। फिर वह केंद्रीय बिंदु मोबाइल फ़ोन नेटवर्क, इंटरनेट नेटवर्क या कंप्यूटर सर्वर ही क्यों न हो। अगर आप के फ़ोन में नेटवर्क नहीं आ रहा तो भी आप 'मेश नेटवर्क' के जरिए रेंज में आने वाले दूसरे मोबाइल फ़ोन को मैसेज भेज सकते हैं। 'मेश नेटवर्क' का अपना कोई सेंट्रल कनेक्शन बिंदु नहीं होता। इसके बावजूद नेटर्वक की प्रत्येक डंडी अपने आप में 'वेब्ड नोड' की तरह काम करती है और बड़ी ही कुशलता से नेटवर्क के रेंज में आने वाले दूसरे मोबाइल से कनेक्ट कर लेती है। इसका मतलब है कि बिना किसी मुख्यधारा की नेटवर्क के भी किसी भी मैसेज को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जा सकता है :......... अमर उजाला के सौजन्य से :......... |
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बिना इंटरनेट के भी आप करें 'वॉट्सऐप' पर चैटिंग : http://img.amarujala.com/2014/03/31/...1b1c_exlst.jpg ये ऐप करता है ऐसा ही काम : फ़ायरचैट नाम का एक ऐप कुछ इस तरह का ही काम कर रहा है। फ़ायरचैट को मार्च में ही लॉन्च किया गया था लेकिन इसे दुनिया भर में लाखों लोगों ने डाउनलोड किया है। कुल मिलाकर ये ऐप यूज़र्स को मैसेज, फ़ोटो और वीडियो भेजने देता है, ये तब तक संभव है जब तक कि आसपास ऐसी डिवाइस हों जो सिग्नल को आगे बढ़ा सकें। इस ऐप को हाल ही में एंड्रॉयड पर भी जारी किया गया :......... अमर उजाला के सौजन्य से :......... |
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मोबाइल और कंप्यूटर के लिए नए फीचर्स के साथ ब्राउजर : http://img.amarujala.com/2014/05/01/...73eb_exlst.jpg मोजिला फायरफॉक्स 29 : अगर आप मोजिला फायरफॉक्स वेब ब्राउजर इस्तेमाल कर रहे हैं तो अब इसको अपग्रेड करने का समय आ चुका है। मोजिला फायरफॉक्स वेब ब्राउजर का नया वर्जन आ गया है। मोजिला फायरफॉक्स 29 डेस्कटॉप विंडोज, मैक, लाइनेक्स और एंड्रॉयड मोबाइल यूजर्स के लिए जारी किया गया है। नए मोजिला फॉयरफॉक्स मोबाइल ब्राउजर में कुछ ही नए फीचर शामिल किए गए हैं, जबकि कंप्यूटर वर्जन में कई नए बदलाव किए गए है जिसके चलते नए ब्राउजर का लुक पूरी तरह बदल नजर आता है :......... अमर उजाला के सौजन्य से :......... |
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मोबाइल और कंप्यूटर के लिए नए फीचर्स के साथ ब्राउजर : http://img.amarujala.com/2014/05/01/...9847_exlst.jpg नए टैब और मॉर्डन लुक : मोजिला के डेस्कटॉप वर्जन में डिजाइन को बदला गया है और मैन्यू को कस्टामाइजेबल बनाया गया है जो दाएं ओर ओपेन होता है। एड्रेस बार और सर्च बार अलग-अलग रखा है। क्रोम की तरह दाएं ओर सेटिंग का बटन दिया है। लेकिन क्रोम में सेटिंग्स की लिस्ट दिखती है, जबकि फायरफॉक्स में आइकन्स के साथ सेटिंग ऑप्शंस दिखते हैं। यहां यूजर्स आसानी के साथ मैन्यू के जरिए फायरफॉक्स एडऑन का इस्तेमाल भी कर सकते हैं :......... अमर उजाला के सौजन्य से :......... |
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