My Hindi Forum

My Hindi Forum (http://myhindiforum.com/index.php)
-   Mehfil (http://myhindiforum.com/forumdisplay.php?f=17)
-   -   अहसास (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=2727)

dipu 09-05-2011 08:49 AM

अहसास
 
माँ में समर्पण है
माँ परिवार का दर्पण है
माँ हैं अनुभूति है
माँ संस्कारों कि विभूति है
माँ है तो श्रद्धा विशवास है
मै बस सुख का अहसास है
माँ जग्दात्री दुर्गा कल्याणी है
माँ करती जो उसने ठानी है
माँ प्रेम त्याग कि मूर्ति है
माँ हर क्षति कि पूर्ति है
माँ सिखाती स्वाभिमान से रहना
माँ जानती हर दुःख सुख सहना
माँ बचपन कि एक याद है
माँ प्रार्थना फरियाद है
ममता है माँ मै समता है
सब सुन लेने कि क्षमता है
माँ एक सुनहरी धूप है
माँ से ही मेरा स्वरूप है
माँ से मेरी पहचान है
माँ से ही कबीर ,रसखान है
माँ है तो काशी काबा क्या
माँ खुद गंगा का घाट है
माँ से ही चिंतन मनन है मेरा
माँ तो सपनो का हाट है
क्या कहूँ क्या है मेरी माँ
माँ है तो मेरी सांस है

dipu 09-05-2011 06:22 PM

Re: अहसास
 
तुझे पाक सिपारा कहूँ, या कहूँ मैं वज़ू का पानी.
तेरा मकाम सब से आला, है आला तेरी कहानी
कभी माँ बन के तूने,मुझे आँचल मे है छुपाया
कभी रो पड़ी थी तुम भी,किया मैने जब नादानी
मेरे इफलास के दिन मे,तूने मेरा हौसलो को सिंचा
तू बहन बन के देती रही, नई रोशनियो की रवानी
मैं जब भी हुआ तन्हा सा, तूने मुझे गले लगाकर
माशूकबन के मेरी, किया तूने ज़िंदगी को रूमानी
बिखेरी आँगन मे खुशिया और बुजुरगी का सहारा
आई बन के मेरी बेटी, जैसे खुदा की हो मेहरबानी
ये औरत तू मेरे लिए क्या है मैं कैसे बयां करूँ
तू उन आयतो सी हैं,जो खुदा से जोड़े हैं रिश्ता रूहानी

dipu 11-05-2011 09:50 AM

Re: अहसास
 
http://img294.imageshack.us/img294/3851/gskj.jpg

न जाने तेरी याद क्यों फिर से आने लगी है,
दिल को बेवक्त बेवजह फिर से सताने लगी है,

खुश हो जाता है दिल मेरा अब ये सोच कर,
की तू मुझे और मेरी यादो को भुलाने लगी है,

शायद ये यादे मेरी तुजे बुहत सताने लगी है,
इसी लिए तू मेरा नाम अपने दिल से मिटाने लगी है,

अपने आपको हर-पल मुझसे छुपाने लगी है,
आहिस्ता-आहिस्ता मुझे गैर बनाने लगी है,

तुजसे बिचाद ने का गम नहीं है अब मुझे,
तन्हाई मुझे अब इस कदर बहाने लगी है. .


dipu 11-05-2011 09:52 AM

Re: अहसास
 
http://img40.imageshack.us/img40/8028/1412232a.jpg


तन्हाई भी अब दामन छुडाने लगी है
फिर से तुजे मेरे पास बुलाने लगी है

मेरे दिल पर इस कदर छाने लगी है
तस्वीर तेरी चारो और नज़र आने लगी है

मुझे उन लम्हों की याद दिलाने लगी है
दूरिय चुभन बनकर सताने लगी है

ख्वाबो की दुनिया जगह बनाने लगी है
हकीक़त से अब नजरे चुराने लगी है

ज़िन्दगी तू मेरी बनी है जबसे
ज़िन्दगी की खूबसूरती नज़र आने लगी है….

dipu 11-05-2011 09:53 AM

Re: अहसास
 
स्वप्न झरे फूल से,
मीत चुभे शूल से,
लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से,
और हम खड़ेखड़े बहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे!

नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई,
पाँव जब तलक उठे कि ज़िन्दगी फिसल गई,
पातपात झर गये कि शाख़शाख़ जल गई,
चाह तो निकल सकी न, पर उमर निकल गई,
गीत अश्क बन गए,
छंद हो दफन गए,
साथ के सभी दिऐ धुआँधुआँ पहन गये,
और हम झुकेझुके,
मोड़ पर रुकेरुके
उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे।

क्या शबाब था कि फूलफूल प्यार कर उठा,
क्या सुरूप था कि देख आइना मचल उठा
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा,
एक दिन मगर यहाँ,
ऐसी कुछ हवा चली,
लुट गयी कलीकली कि घुट गयी गलीगली,
और हम लुटेलुटे,
वक्त से पिटेपिटे,
साँस की शराब का खुमार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे।

हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की सँवार दूँ,
होठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूँ,
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ,
और साँस यूँ कि स्वर्ग भूमी पर उतार दूँ,
हो सका न कुछ मगर,
शाम बन गई सहर,
वह उठी लहर कि दह गये किले बिखरबिखर,
और हम डरेडरे,
नीर नयन में भरे,
ओढ़कर कफ़न, पड़े मज़ार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे!

माँग भर चली कि एक, जब नई नई किरन,
ढोलकें धुमुक उठीं, ठुमक उठे चरनचरन,
शोर मच गया कि लो चली दुल्हन, चली दुल्हन,
गाँव सब उमड़ पड़ा, बहक उठे नयननयन,
पर तभी ज़हर भरी,
गाज एक वह गिरी,
पुँछ गया सिंदूर तारतार हुई चूनरी,
और हम अजानसे,
दूर के मकान से,
पालकी लिये हुए कहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे।



dipu 11-05-2011 10:02 AM

Re: अहसास
 
पर काट दिए जिनके तुमने , छलनी कर डाली है छाती ,
सूरज को हसरत से तकते , फुटपाथों पर वे संपाती |

आवो इस नंगे मौसम कि , नंगे कि नब्ज टटोलेंगे ,
बारिश को झेलेंगे तन पर , क्यों ओढ़ रहे हो बरसाती |

मेरे कदमो को आवारा , होना हि था सों हो बैठे ,
अब समझाऊ कैसे तुमको , हर राह नहीं घर जाती |

मै पूछ रहा हू तुझसे ही , ऐ मेरे दौर बता मुझको ,
कितनी गर्मी से पिघलेगी , तेरी संगीने इस्पाती |

ये लोग बड़े है , होठो पर इनके है शब्द बड़े , लेकिन ,
कुछ अर्थ नहीं इनमे चाहे , ढूंढ़ो लेकर दिया -बाती |


dipu 11-05-2011 10:03 AM

Re: अहसास
 
आज रात मुझसे बोले
आसमा के सारे सितारे
की “कहाँ है वो?
जिसके लिए हर रात
निकलते हैं हम
वो हमें रात्रि के अन्धकार मे भी देख ले,
यही सोंचकर तो चमकते हैं हम”।

मैंने कहा “वो आज नहीं आया
वादा तो था पर
शायद इस रात
हमारी आखिरी मुलाक़ात होती
क्यूंकि तुम सब तो उसे देख ही लोगे
किसी और के साथ
पर मैं नहीं देख पाऊँगा
उसके नवीन जीवन की
वह नवीन रात…

मरने के बाद शायद
मैं भी बन जाऊं सितारा
पर चमकूंगा सबसे कम…
की जान जाए मेरा सनम…
की आज भी मेरी आँखें हैं नम”।

Bholu 11-05-2011 01:49 PM

Re: अहसास
 
अहसास प्यार का एक अनोखा लव्ज

dipu 11-05-2011 09:06 PM

Re: अहसास
 
Quote:

Originally Posted by the bholu (Post 85001)
अहसास प्यार का एक अनोखा लव्ज

जी बिलकुल .....

Bholu 11-05-2011 11:05 PM

Re: अहसास
 
Quote:

Originally Posted by dipu (Post 85183)
जी बिलकुल .....

लगता है जनाब आपको भी प्यार का जुखाम हुआ है


All times are GMT +5. The time now is 05:05 PM.

Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.