मेरा गम - संजीव
हमने उसे खुदा बनाया "संजीव" उसके
प्यार के लिए , और वो बोले खुदा कभी किसी एक का नही हुआ "संजीव" |
Re: मेरा गम - संजीव
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Re: मेरा गम - संजीव
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Re: मेरा गम - संजीव
:bravo: आगे की लाइन्स कहाँ हैं बंधू।
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Re: मेरा गम - संजीव
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सुन्दर प्रयास है आपका. एक शे'र मुलाहिजा करें संजीव जी: दुनियां तेरे वजूद को करती रही तलाश हमने तेरे ख़याल को यज़दां बना दिया (यज़दां = खुदा) |
दो लाइन शायरी 'मेरा गम' -संजीव
एहसान नही जिंदगी तेरा मुझ पर,
मैने हर सांस की कीमत दी है यहां "संजीव" |
Re: दो लाइन शायरी 'मेरा गम' -संजीव
बहुत बढ़िया संजीवजी। यह तो बानगी थी, कुछ और भी पेश करें, तभी पता चलेगा कि सूत्र कहां तक जाएगा।
अगर काव्यात्मक भाषा में कहूं, तो - लिफाफा सौंप कर खो गया कहीं कासिद कोरे कागज़ को पढने में मशगूल हैं हम। :hello: |
Re: दो लाइन शायरी 'मेरा गम' -संजीव
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मेरा गम शेयरी- संजीव
उडाओ न मजाक मेरा ऐसे दोस्तो,
कही मोहब्बत तुमे भी मुझसा पागल न करदे "संजीव" |
Re: दो लाइन शायरी 'मेरा गम' -संजीव
यूँ न देख मेरे कब्र की तरफ,
तेरे आँखों में अश्क मुझसे देखे नहीं जाते.... |
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