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-   -   कश्मीर / Kashmir (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=17191)

rajnish manga 06-10-2017 10:59 AM

कश्मीर / Kashmir
 
कश्मीर / Kashmir
(साभार: आलोक श्रीवास्तव)

पहाड़ों के जिस्मों पे बर्फ़ों की चादर
चिनारों के पत्तों पे शबनम के बिस्तर
हसीं वादियों में महकती है केसर
कहीं झिलमिलाते हैं झीलों के ज़ेवर
ये कश्मीर क्या है
है जन्नत का मंज़र

यहाँ के बशर हैं फ़रिश्तों की मूरत (बशर = इंसान)
यहाँ की ज़बां है बड़ी ख़ूबसूरत
यहाँ की फ़िज़ा में घुली है मुहब्बत
यहाँ की हवाएं भी ख़ुशबू से हैं तर
ये कश्मीर क्या है
है जन्नत का मंज़र

ये झीलों से लिपटे हुए हैं शिकारे
ये वादी में बिखरे हुए फूल सारे
यक़ीनों से आगे हसीं ये नज़ारे
फ़रिश्ते उतर आए जैसे ज़मीं पर
ये कश्मीर क्या है
है जन्नत का मंज़र

सुख़न सूफ़ियाना, हुनर का ख़ज़ाना
अज़ानों से भजनों का रिश्ता पुराना
ये पीरों फ़कीरों का है आशियाना
यहां सर झुकाती है क़ुदरत भी आकर
ये कश्मीर क्या है
है जन्नत का मंज़र

soni pushpa 11-10-2017 01:26 AM

Re: कश्मीर / Kashmir
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 561775)
कश्मीर / Kashmir
(साभार: आलोक श्रीवास्तव)

पहाड़ों के जिस्मों पे बर्फ़ों की चादर
चिनारों के पत्तों पे शबनम के बिस्तर
हसीं वादियों में महकती है केसर
कहीं झिलमिलाते हैं झीलों के ज़ेवर
ये कश्मीर क्या है
है जन्नत का मंज़र

यहाँ के बशर हैं फ़रिश्तों की मूरत (बशर = इंसान)
यहाँ की ज़बां है बड़ी ख़ूबसूरत
यहाँ की फ़िज़ा में घुली है मुहब्बत
यहाँ की हवाएं भी ख़ुशबू से हैं तर
ये कश्मीर क्या है
है जन्नत का मंज़र

ये झीलों से लिपटे हुए हैं शिकारे
ये वादी में बिखरे हुए फूल सारे
यक़ीनों से आगे हसीं ये नज़ारे
फ़रिश्ते उतर आए जैसे ज़मीं पर
ये कश्मीर क्या है
है जन्नत का मंज़र

सुख़न सूफ़ियाना, हुनर का ख़ज़ाना
अज़ानों से भजनों का रिश्ता पुराना
ये पीरों फ़कीरों का है आशियाना
यहां सर झुकाती है क़ुदरत भी आकर
ये कश्मीर क्या है
है जन्नत का मंज़र



behad sundarta ke sath kashmeer ka varnan kiya hai is kavita me bhai hamse sheyar karne ke liye bahut bahut dhanywad bhai

rajnish manga 12-10-2017 11:53 AM

Re: कश्मीर / Kashmir
 
Quote:

Originally Posted by soni pushpa (Post 561809)
behad sundarta ke sath kashmeer ka varnan kiya hai is kavita me bhai hamse sheyar karne ke liye bahut bahut dhanywad bhai

जी बहुत बहुत धन्यवाद. यह कविता मुझे इन्टरनेट पर मिली जिसे श्री जगजीत सिंह ने अपनी खुबसूरत आवाज़ में भी गाया है.


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