अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
सारा जगत स्वतंत्रता के लिए लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है।
- श्री अरविंद |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
· सत्याग्रहकीलड़ाईहमेशादोप्रकारकीहोतीहै।एकज़ुल्मोंकेखिलाफ़औरदूसरीस्वयंकीदुर्बलताकेविरुद्ध।
- सरदारपटेल |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
· कष्टहीतोवहप्रेरकशक्तिहैजोमनुष्यकोकसौटीपरपरखतीहैऔरआगेबढ़ातीहै।
- सावरकर |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
तपहीपरमकल्याणकासाधनहै।दूसरेसारेसुखतोअज्ञानमात्रहैं।
- वाल्मीकि |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
· संयमसंस्कृतिकामूलहै।विलासितानिर्बलताऔरचाटुकारिताकेवातावरणमेंनतोसंस्कृतिकाउद्भवहोताहैऔरनविकास।
- काकाकालेलकर |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
जो सत्य विषय हैं वे तो सब में एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होताहै।
-सत्यार्थप्रकाश |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
:giggle: जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे कुल का दरिद्र दूर कर देता है
- कहावत |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
· सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है।
- कथा सरित्सागर |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
· चाहेगुरुपरहोयाईश्वरपर, श्रद्धाअवश्यरखनीचाहिए।क्योंकिबिनाश्रद्धाकेसबबातेंव्यर्थहोतीहैं।
- समर्थरामदास |
Re: अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
· यदिअसंतोषकीभावनाकोलगनवधैर्यसेरचनात्मकशक्तिमेंनबदलाजाएतोवहख़तरनाकभीहोसकतीहै।
- इंदिरागांधी |
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