Dahej Pratha / दहेज-प्रथा
Dahej Pratha / दहेज-प्रथा आये दिन आज भी दहेज़ प्रथा के किस्से अखबारों के ज़रिये पढ़े व सुने जाते हैं जिसमे दहेज़ के कारण आज भी कई लड़कियों को ज़िंदा जलाया जाता है, उसे बहुत टार्चर किया जाता है, उनका जीना मुहाल कर दिया जाता है और ये सब मेरी बरदाश्त से बाहर है., बहुत गुस्सा आता है मुझे. आखिर लड़कियों को भी जीने का उतना ही अधिकार है जितना कि लड़को को. तो फिर क्यों उन्हें शांति और सुकून से नहीं जीने नहीं दिया जाता. मै भी एक लड़की हूँ और मै भी इन हालातो से गुजर चुकी हूँ पर उस वक़्त मुझमे इतनी हिम्मत नहीं थी कि समाज के सामने लड़ सकूँ लेकिन आज कलम के ज़रिये मै एक लड़की की हालत को सबके दिलो तक पहुँचाना चाहती हूँ. ये दहेज प्रथा तो उन लालची इंसानों ने उत्पन्न की है जो पैसे के लिये लड़की के माता पिता का शोषण करते हैं जिसके कारण कितनी ही लड़कियां अपने जीवन से हाथ धो बैठती है मेरे मित्रो, ध्यान रहे मै समाज के बने नीति-नियमो की बात नहीं कर रही. सचतो ये है कि दहेज-प्रथा, खास करके अमीर लोग, को बढ़ावा देते हैं. वे अपनी बेटीको आशीर्वाद के नाम पे ढेर सारी धन-संपत्ति व कीमती सामग्री देते है.पर वे ये नहीं जानते कीइसके कारण समाज का माहौल खराब होता है. सीमित आय वाले लोग भी दहेज के दुष्चक्र के शिकार हो जाते हैं. इस सबके परिणाम स्वरूप कितनी लड़कियों की जान जा रही है.अभी कुछ महीने पहले की ही धटनाहै. माता-पिता ने एक बेटी की बहुत धूमधाम से शादी की. वो अपने ससुराल गयी. कितनेअरमान, कितने सपने सजाए होंगेउस दुल्हन ने पर वो ख़ुशी ज्यादा देर तक नहीं टिकी. ससुरालमें कदम रखते ही ससुराल वालो ने कुछ और चीज़ो की मांग की. पर उस लड़की नेअपने माता-पिता को कुछ नहीं बताया और एक ही वीक में उसके जीवन का करूण अंतहुआ. जी हा, उसके ससुराल वालोंने उसे एक रात ज़िंदा जला दिया और इस प्रकार उस लड़की कीकहानी का दुखद अंत हो गया. कहा जाकर रुकेगी ये दहेज-प्रथा की भयानक तस्वीरें. बसकरो अब बहुत हुआ हुआ . इसके लिये समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से आज की पीढ़ी से, हमारा नम्रनिवेदन है कि इस स्थिति की भयानकता को समझें और दहेज-प्रथा रूपी इस लानत को जड़मूल से समाप्त करने की दिशा में कारगर क़दम उठायें तथा बेटे और बेटियों के बीच किये जाने वाले भेद-भाव को खत्म करने की दिशा में अपने प्रयत्न तब तक जारी रखे जब तक कि इस समस्या समूल नष्ट नहीं हो जाती. शिखा |
Re: Dahejpratha
Rajnishji.....kuch galtiya huyi hai typing mai jise thik kaise kare ye nahi samj aa raha plz aap help kare ...or galtiyo ko thik karde.
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Re: Dahejpratha
शिखा जी, सबसे पहले तो मैं आपको दहेज-प्रथा रूपी कुरीति के बारे में अपने विचार इतने संतुलित लेकिन जोदार तरीके से रखने के लिये आपको धन्यवाद देता हूँ. यह हम सभी की सामूहिक ज़िम्मेदारी बनती है कि इस दिशा में missionary भावना से काम करते हुये अपने समाज को इस समस्या से निजात दिलायें. बहुत बहुत धन्यवाद.
आपके कहे अनुसार आलेख में टाइप की त्रुटियों को दूर कर दिया गया है. कई स्थानों पर आवश्यकतानुसार कुछ शब्द या वाक्यांश जोड़े गए हैं. |
Re: Dahejpratha
Quote:
Bahot Bahot shukriya rajnishji Hume pata tha ki Bahot galtiya thi par use sahi kaise Kare vo samaj nahi aaya us waqt...isiliye humne aapko gujarish ki. Ye dahej ek aisi kupratha hai Jiske chalte is duniya Mai Kai logo ka jeena mushkil ho Gaya hai Jisse Hume bhi Bahot taklif hoti hai. |
Re: Dahej Pratha / दहेज-प्रथा
आजकल लोग दहेज को अपनी प्रतिष्ठा से जोड कर देखने लगे हैं , यानि जिसे जितना अधिक दहेज मिला उसकी उतनी ही ज्यादा हैसियत समझी जाती है । लोग सोचते हैं कि यदि वे धनवान हैं या उनका बेटा बहुत ऊँचे ओहदे पर है तो उन्हें ज्यादा दहेज मिलना चहिये , कई लोग तो दहेज को अपनी मजबूरी भी बता कर खुद की वकालत करते हैं जैसे- हमने अपने बेटे की पढाई पर बहुत खर्चा किया है , उसको प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में या बहुत बडे संस्थान/विदेश से पढाने में ्हमारा बहुत खर्चा हुआ है इसलिये बस हम कुछ सहायता लडकी के घरवालों से चाहते हैं..... दरअसल वे ये नहीं समझते कि यदि वास्तव में ही वे बहुत सक्षम हैं तब तो उन्हें बिल्कुल भी दहेज नहीं लेना चाहिये क्योंकि लेने वाला हमेशा छोटा होता है , दिया उसी को जाता है जो इस काबिल नहीं कि खुद अपने बूते अपने लिये चीजें खरीद सके या कमा सके।
वास्तव में देखा जाये तो दहेज प्रथा में वर पक्ष से ज्यादा गलती वधू पक्ष की होती है । लोग एक तो अपनी बेटियों को बोझ समझते हैं , ज्यादा शिक्षित नहीं करते और जब उन्हें कोइ उच्च पदस्थ या धनवान लड्का मिलता है तो वे चाहते हैं कि किसी भी तरह उनकी बेटी की शादी उससे करवा दी जाये और इसके लिये वे कोई भी कीमत अदा करने को तैयार होते हैं । फिर शुरु होता है अधिक बोली लगाने का दुश्चक्र ,जिस प्रकार से एक सेल्स मैन अपना सामन बेचता है तरह तरह के आकर्षक प्रलोभन देकर उसी प्रकार वर पक्ष को भी तरह तरह के प्रलोभन दिये जाते हैं । अब जिस व्यक्ति के पास इतने अधिक विकल्प होंगे वो भी आकर्षक प्रलोभनों के साथ तो जाहिर है वह खुद को राजा से कम तो नहीं ही समझेगा । यदि वधू पक्ष के लोग अपने में सुधार लायें तो निश्चित ही इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है , यदि लडकियों को शिक्षित किया जाये , और आत्मनिर्भर बनाया जाये तो उनमें व उनके परिवार में आत्मविश्वास जाग्रत होगा और उन्हें किसी के आगे गिडगिडाने और प्रलोभन देने की आवश्यकता कभी नहीं पडेगी । |
Re: Dahej Pratha / दहेज-प्रथा
sundar satik aalekh shikha ji .. atm samman ki ahmiyat dhan ke aage kam ho gai hai .. or sabse badi bat lalach insaan se kya nahi karwati? muft me dhanwan ban jane ki bhavna rakhne wale log dusaro ki mushkile nahi samj sakte ..
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