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rajnish manga 26-03-2016 09:46 AM

आत्मा है अनंत, अजन्मी, अमर
 
आत्मा है अनंत, अजन्मी, अमर
साभार: श्री राकेश अग्रवाल

दक्षिण में एक संन्यासी था ब्रह्मयोगी। उसने ऑक्सफोर्ड, सन और कलकत्ता विश्वविद्यालय में तीन बार एक बहुत अदभुत प्रयोग किया। उसने मरने का प्रयोग किया।

कलकत्ता युनिवर्सिटी में जब उसने प्रयोग किया, तो दस बड़े चिकित्सक मौजूद थे। जब ब्रह्मयोगी दस मिनट के लिए मर गया, तो उन दसों ने दस्तखत किए हैं सर्टिफिकेट पर कि यह आदमी मर गया है, इसकी हम गवाही देते हैं। सांस खो गई, हृदय की धड़कनें खो गईं, खून की गति खो गई, मरने की सारी की सारी लक्षण पूरी हो गई।

दस मिनट बाद वह आदमी वापस लौट आया, और उस आदमी ने कहा कि अगर यह तुम्हारा सर्टिफिकेट सही है, तो मैं वापस नहीं लौट सकता। और अगर मैं वापस लौट आया हूं तो तुमने अब तक जितने मृत्यु के सर्टिफिकेट दिए, सब झूठे थे। क्योंकि इन दो के सिवाय और क्या मतलब होगा?

और उन दस डाक्टरों ने दूसरी बात भी लिख कर दी है और वह लिख कर यह दी है कि जहां तक हम समझते हैं और जहां तक हमारा विज्ञान जानता है, हम समझते हैं कि यह आदमी मर गया था। लेकिन हम अपनी आंखों को तो झूठा नहीं कह सकते, और यह आदमी फिर जिंदा है।

और इस घटना ने सारी दुनिया के चिकित्सकों को चिंता में डाल दिया था। क्योंकि इसका मतलब क्या होता है? जिसको हम मृत्यु कहते हैं, वह कुछ कामों का बंद हो जाना है -- श्वास नहीं चलती, खून नहीं बहता, हृदय नहीं धड़कता। अगर जिंदगी इन्हीं चीजों का जोड़ है, तो जरूर मौत इनके बंद हो जाने से घटित हो जाती। लेकिन किसने कहा कि जिंदगी इनका जोड़ है? जिंदगी इससे बहुत बड़ी बात है। जन्म पर जो शुरू होता है, मौत पर बंद हो जाता है। लेकिन न तो जन्म पर जिंदगी शुरू होती है और न मौत पर जिंदगी समाप्त होती है।

लेकिन हम तो अपने शरीर की धड़कन, खून की गति, नाड़ी का चलना, इनको ही अपना होना समझते हैं। इससे बड़ी जटिलता पैदा हो जाती है। इसलिए दो झूठ के बीच हम जीते हैं -- एक जन्म का झूठ और एक मृत्यु का झूठ। पृथ्वी पर इनसे बड़े झूठ नहीं हैं। लेकिन ये सबसे बड़े सत्य मालूम पड़ते हैं।

Pavitra 22-04-2016 09:24 PM

Re: आत्मा है अनंत, अजन्मी, अमर
 
दो झूठ के बीच हम[/font] जीते हैं -- एक जन्म का झूठ और एक मृत्यु का झूठ। पृथ्वी पर इनसे बड़े झूठ नहीं हैं। लेकिन ये सबसे बड़े सत्य मालूम पड़ते हैं।[/size][/QUOTE]


We are more than just a body ....पर हम में से अधिकतर लोग इस सत्य को समझ सकने का सामर्थ्य नहीं रखते , और ये वही लोग होते हैं जो जीवन आनंद में नहीं मजे(enjoyment) में व्यतीत करने के लिये खुद को खर्च करते रहते हैं.....

soni pushpa 28-05-2016 12:17 PM

Re: आत्मा है अनंत, अजन्मी, अमर
 
जीवन मृत्यु के बारे में कितने शोधकार्य हो रहें है भाई .. पर अब तक इस विषय पर कोई परिणाम नहीं मिला और ये ही इश्वर के अस्तित्व की महत्ता को बताता है इश्वरिय शक्ति से हमें अवगत करता है भाई हम विज्ञान के सहारे भले ही कितना भी आगे न बढ जाएँ पर इश्वर से ऊँचे नहीं हो सकते ये बात सिद्ध इसी से होती है भाई ..

सुन्दर आलेख के लिए धन्यवाद भाई


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