खास और विचित्र खबरे :.........
दुनिया बड़ी विचित्र है , इससे भी ज्यादा विचित्र है , इसमें होने वाली घटनाएं :......... http://3.bp.blogspot.com/-iJPUV_TJRi...imagescccc.jpg |
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मां की ममता, जानवरों में भी होता है बच्चों के लिए मर मिटने का जज्बा :......... http://i8.dainikbhaskar.com/thumbnai...85_634x456.jpg मां के दर्जे को हर मजहब और हर वर्ग में सबसे ऊंचा बताया गया है और मां पूजनीय होती होती है, इसमें कोई दो राय नहीं। बच्चे के जन्म से लेकर तो जीवन भर वे उसे अपना स्नेह देती रहती है फिर चाहे औलाद उसके लिए कैसी ही हो। गौर करने लायक बात तो यह है कि सिर्फ इंसानों में ही नहीं, बल्कि जानवरों में भी यह जज्बा कूट-कूट कर भरा होता है और अपने बच्चों के लिए वे मर मिटने के लिए भी तैयार रहते हैं। एक फोटोग्राफर ने अपने कैमरे में ऐसे ही एक ममतामयी दृश्य को कैद किया, जिसमें एक हिप्पो मां एक अन्य पगलाए हुए हाथी से अपने बच्चे की रक्षा कर रही है। वो उससे चोट खा रही है, ताकि बच्चा सुरक्षित भाग जाए। यह विचित्र घटना इरिंडी प्राइवेट गेम रिजर्व, विंढोएक, नामीबिया में घटित हुई और इसे वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर रियान वेन शेल्विक ने अपने कैमरे में कैद किया :......... |
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अंडरवियर की गलती खली फिल्म में एस्ट्रोनॉट को, कहा यहीं कर गए गलती :......... http://i9.dainikbhaskar.com/thumbnai...25_634x343.jpg इन दिनों हॉलीवुड ब्लॉक बस्टर फिल्म ग्रेविटी की प्रशंसा के बीच इस फिल्म में नुस्ख निकाला है केनेडियन एस्ट्रोनॉट क्रिस हेडफील्ड ने। हालांकि, उन्होंने फिल्म की प्रशंसा की, लेकिन एक दृश्य पर उन्हें फिल्म में बड़ी गलती लग रही है। फिल्म के एक सीन में कलाकारा सांदरा बुलक को स्पेस में अंडरवियर पहने दिखाया गया है। इसी बात पर हेडफील्ड का कहना है कि इसी दृश्य में गड़बड़ हो गई। उनके मुताबिक स्पेस ऐसी जगह है, जहां कोई भी अंतरिक्ष यात्री अंडरवियर मॉडल के रूप में नजर नहीं आता। इस विशेषज्ञ का कहना है कि वहां की असल परिस्थितियों में अंडरवियर नहीं पहनी जाती बल्कि विशेष प्रकार की नेपीज होती हैं, जो नमी को सोखने में सक्षम होती हैं। यदि इस दृश्य में सांदरा को वही नेपी पहनाई जाती तो सीन रियलिस्टिक लगता, लेकिन हुआ यह कि वे उस दृश्य में अपने अंडरवियर के कारण फिल्म की रियलिटी को किल कर रही हैं। एस्ट्रोनॉट्स वहां जो पेंट पहनते हैं उसे पुल अप नेपीज कहा जाता है :......... |
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हाथी जब गया पानी पीने और उसे मिला एक खतरनाक दोस्त की हुआ कुछ ऐसा :......... http://i6.dainikbhaskar.com/thumbnai...7_964x1254.jpg जाम्बिया के साउथ लुआंगवा नेशनल पार्क में फोटोग्राफर ने एक अजीब ही घटना कैद की और यह घटना आज नेट पर लोगों के लिए उत्सुकता का विषय बनी हुई है। दरअसल यहां एक यंग एलिफेंट पानी के तालाब में अपनी प्यास बुझाने के लिए गया। उसने पानी में अपनी सूंड डुबोई ही थी कि वो हो गया, जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की होगी। जैसे ही इस हाथी ने पानी पीने के लिए अपनी सूंड तालाब में डाली वहां पहले से ही मौजूद एक मगरमच्छ ने हाथी की सूंड को अपने खतरनाक दांतों में जकड़ लिया और यह युवा हाथी हक्का-बक्का रह गया। फोटोग्राफर ईयान सेलिसबरी इत्तेफाक से वहां मौजूद थे अपने कैमरे के साथ और उन्होंने इस पिक्चर को इतनी जल्दी अपने कैमरे में कैद कर लिया कि लोगों को लग सकता है कि सबकुछ प्रीप्लांड था, लेकिन यह सब हुआ है अचानक। ये तस्वीर वाकई रूडयार्ड किपलिंग की कहानी जंगल बुक की याद दिलाती है :......... |
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एयरलाइन ने भी कर दिया इनकार, इनके वजन के कारण परिवार की मुसीबत :......... http://i5.dainikbhaskar.com/thumbnai...00_634x668.jpg 22 साल का केविच चेनाइस इन दिनों एक ऐसे दुश्मन से जूझ रहा है, जो उसके अपने बदन में मौजूद है। मतलब वो परेशान है अपने मोटापे से और इसके कारण उसे और उसके पूरे परिवार को शिकागो एयरपोर्ट पर भारी मुसीबत का सामना करना पड़ा। कारण, ब्रिटिश एयरलाइन ने इसके भारी भरकम शरीर के कारण इसे प्लेन में बैठाने से मना कर दिया। यह परिवार अमेरिका में इसके इलाज के लिए आया था। ये लड़का करीब 227 किलोग्राम वजन का है। ये परिवार फ्रांस से यहां आया है और बताया जा रहा है कि इस बच्चे को इसके परिवार के साथ फिलहाल शिकागो एयरपोर्ट के पास ही एक होटल में रुकना पड़ रहा है :......... |
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अजीब बीमारी के साथ, भारत में पैदा हुई ये बच्ची :......... http://i8.dainikbhaskar.com/thumbnai...57_634x679.jpg 22 दिन की है अभी ये बच्ची भारत के माधवनगर में हुआ है इसका जन्म और जन्म से ही इस बच्ची के पूरे शरीर पर बाल ही बाल हैं। 26 साल की मां सवीता राउत अपनी इस बच्ची के जन्म से खुश तो हैं, लेकिन इस तरह की बीमारी के कारण उन्हें अपनी संतान के भविष्य को लेकर चिंताएं भी हैं। इस बच्ची के जन्म की तस्वीरें नेट पर आते ही लोगों में इस अजीब प्रकार की बीमारी के प्रति कौतुहल बना हुआ है। बताया जा रहा है कि एक अति दुर्लभ जीन Werewolf Syndrome gene के कारण इस बच्ची को ये बीमारी हो गई है। लेकिन सवीता का कहना है कि वह अपनी बच्ची के प्रति अपने प्यार में इसके बावजूद भी किसी प्रकार की कमी नहीं आने देगी :......... |
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लाइव शो में एंकर के साथ हुआ कुछ ऐसा कि मच गया हड़कंप :......... http://i10.dainikbhaskar.com/thumbna...38_634x330.jpg न्यू मैक्सिको-बेस्ड केआरक्यूई न्यूज के एक शो में हुई घटना ने पहले तो एंकर को अचंभित कर दिया और उसके बाद यह घटना वेब पर भी चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल इस शो में जेसिका गारेट उस समय एंकरिंग कर रही थीं और उन्होंने सोचा भी नहीं था कि इस दौरान उनके साथ कुछ कॉमेडी हो जाएगी। वे सेम सेक्स मैरिज पर रिपोर्टिंग कर रहीं थीं और उसी दौरान एक मोहतरमा सामने आईं और धड़ाम से गिर गईं। वे समझ ही नहीं पाईं कि आखिर हुआ क्या है और अचानक यह सबकुछ घटित हो गया। एंकर ने इस घटना के बाद हड़बड़ाहट से काम न लेते हुए आराम से स्थिति को टेकल किया और ज्यादा कुछ बिगडऩे नहीं दिया, क्योंकि यह लाइव शो था :......... |
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हजारों फोड़ों ने नर्क बना दी है इस शख्स की ज़िंदगी :......... http://i8.dainikbhaskar.com/thumbnai...3961_tumor.jpg पूर्वी जावा : इंडोनेशिया के पूर्वी जावा क्षेत्र में रहने वाले स्लामित की ज़िंदगी किसी अभिशाप से कम नहीं हैं। 59 वर्षीय स्लामित न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस से पीड़ित हैं और उनके शरीर पर हजारों ट्यूमर हैं। इस आनुवांशिक बीमारी से जूझ रहे स्लामित ने मदद के लिए लोगों से अपील की है। उनके भाई सुवादी के मुताबिक, 1991 में सर्जरी के दौरान स्लामित की कमर से एक ट्यूमर हटाया गया था। लेकिन इसके 6 महीने बाद ही उनके चेहरे सहित पूरे शरीर पर हजारों की संख्या में ट्यूमर निकल आए। कुछ सालों बाद ही स्थित इतनी भयावह हो गई कि उनके पूरे शरीर में असहनीय पीड़ा रहने लगी। तेजी से बड़े हो रहे इन ट्यूमर्स की वजह से अब स्लामित को सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी है। वे अब रोजमर्रा की जिंदगी का कोई भी काम नहीं कर पाते। न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस से पीड़ित ज्यादा लोगों को यह बीमारी अपने परिजनों से होती है, लेकिन 50 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जिन्हें आनुवांशिक बीमारी नहीं होती। इस बीमारी में शरीर के सेल्स तेजी से विकास करते हैं और उनमें सूजन आ जाती है। इस स्थिति को न्यूरोफाइब्रोमस भी कहते हैं। यह छुआछूत की बीमारी नहीं है। पूर्वी जावा के मैगेटन के गुंटोरोनदी में रहने वाले स्लामित के दयालु पड़ोसियों ने उनकी मदद के लिए एक फेसबुक मुहिम शुरू की है ताकि उनके इलाज करवाया जा सके। गौरतलब है कि नवंबर में इसी बीमारी से पीड़ित एक अन्य व्यक्ति विन्सियो रीवा की तस्वीर इंटरनेट पर काफी शेयर की गई थी, जिसमें पोप फ्रांसिस उन्हें चूमते हुए दिख रहे हैं। :......... |
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गुस्सैल भैंसे ने शेर को उठा-उठाकर पटका :......... http://i3.dainikbhaskar.com/thumbnai...8039_fight.jpg जाम्बिया : जरूरी नहीं कि प्रेम का प्रदर्शन सबके सामने किया जाए। एक शेर को शेरनी के साथ प्रेम का खुला प्रदर्शन भारी पड़ गया। घटना जाम्बिया के साउथ लाउंगवा नेशनल पार्क की है। दरअसल यहां एक शेर और शेरनी सेक्स करने में बिजी थे। इस दौरान उनके सामने एक भैंसों का झुंड भी खड़ा था। शेर-शेरनी की यह हरकत झुंड में शामिल एक भैंसे को नागवार गुजरी और गुस्से में आग-बबूला होकर उसने शेर को उठा-उठाकर पटका। इस पूरी घटना को 64 वर्षीय फोटोग्राफर रॉबर्ट ब्रूक्स ने अपने कैमरे में कैद कर लिया। रॉबर्ट नेशनल पार्क में सफारी के दौरान वहां से गुजर रहे थे, इस वाकये के बारे में ब्रूक्स कहते हैं, "शुरुआत में दोनों ही पक्ष शांत थे लेकिन कुछ ही देर में दोनों तरफ घमासान मुठभेड़ शुरू हो गई।" कुछ मिनट तक चली इस लड़ाई में ताकतवर भैंसे के सामने शेर टिक नहीं पाया :......... |
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रायपुर : भिलाई के शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज के मैकेनिकल विभाग के एक दल ने कोल्हू तकनीक से विद्युत उत्पादन इकाई तैयार कर ग्रामीण भारत के लिए एक उपयोगी यंत्र उपलब्ध कराया है। यह पशुचालित विद्युत उत्पादक यंत्र न केवल सस्ता है, बल्कि इसके प्रयोग से विद्युत विहीन ग्रामीण क्षेत्रों में भी सफलतापूर्वक काम किए जा सकता है। शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज के मेकेनिकल विभाग के प्रवक्ता शरद कुमार चंद्राकर, एमई के छात्र धनंजय कुमार यादव, ललित कुमार साहू और धीरज लाल सोनी ने तीन महीने की मेहनत के बाद इस सस्ते यंत्र को विकसित किया। उल्लेखनीय है कि दल के सभी सदस्य कृषक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं। उन्होंने किसानों की विद्युत समस्या को ध्यान में रखकर ही इसे विकसित किया है। चंद्राकर ने बताया कि कोल्हू की तर्ज पर बनाए गए इस प्रोजेक्ट में चार जोड़े विभिन्न आकार के गियर, एक जोड़ी पुल्ली और बेयरिंग का इस्तेमाल किया गया है। एक हैंडल को कोल्हू की शक्ल दी गई है, जिसे बैल घुमाते हैं। उन्होंने बताया कि बैलों के घुमाने पर आठो गियर घूमने लगते हैं और उससे पुल्ली के माध्यम से जुड़ा कार का अल्टरनेटर घूमने लगता है। अल्टरनेटर से डीसी वोल्ट पैदा होने लगता है, जो एक बैटरी को चार्ज करता है। बैटरी पूरी तरह चार्ज होने के बाद इनवर्टर के माध्यम से एसी करंट पैदा कर उसे इस्तेमाल में लाया जाता है। इस यंत्र के माध्यम से बैल की एक घंटे की मेहनत से 5 घंटे 40 मिनट की बिजली पैदा की जा सकती है। बैलों के एक चक्कर में अल्टेरनेटर 1500 बार घूमता है। इस तरह बैटरी जल्दी चार्ज हो जाती है। एक घंटे में तैयार हुई बिजली से एक हाफ एचपी पंप को 5.40 मिनट तक चलाया जा सकता है और 14 हजार लीटर पानी निकाला जा सकता है। इसके अलावा इससे उत्पन्न बिजली से अन्य घरेलू कार्य भी संपन्न किए जा सकते हैं। चंद्राकर ने आगे बताया कि इसे बनाने में उतना ही खर्च आ रहा है जितना कि एक किसान का सालभर का बिजली खर्च आता है। चंद्राकर के अनुसार, इस संयंत्र को बनाने में 23 हजार रुपये की लागत आती है। इसके अलावा यह प्रदूषण मुक्त यंत्र भी है :......... स्रोत :......... |
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