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-   -   एक अपदान्त गीतिका/ ग़ज़ल (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=16291)

आकाश महेशपुरी 17-10-2015 10:10 AM

एक अपदान्त गीतिका/ ग़ज़ल
 
एक अपदान्त गीतिका/ग़ज़ल
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जब यहाँ पे झूठ का ही, है महज बाजार,
कर नहीं देते मेरा तुम, क्यों नहीं संहार।

धन अगर जो पास है फिर, झूठ भी है सत्य,
पास जो पैसे नहीं तो, कौन किसका यार।

नारियों को देवियाँ ही, कह रहे कुछ देव,
किन्तु करते जा रहे हैं, रोज अत्याचार।

हक हमारा मारकर वे, कर रहे हैं राज,
राज के मद में दिखे कब, आंसुओं की धार।

धर्म के भी नाम पर तो, हो रहे हैं कत्ल,
कौन कहता है दया ही, है धरम का सार।

आजकल तो है खुदा भी, मौन क्यों 'आकाश',
सत्य का भी साथ देकर, हो रही है हार।

गीतिका- आकाश महेशपुरी
.................................................. ..............
पता-
वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी"
ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, जनपद- कुशीनगर, उत्तर प्रदेश.
दूरभाष- ०९९१९०८०३९९

rajnish manga 17-10-2015 10:38 PM

Re: एक अपदान्त गीतिका/ ग़ज़ल
 
Quote:

Originally Posted by आकाश महेशपुरी (Post 555563)
एक अपदान्त गीतिका/ग़ज़ल
.................................................. ..............
...
धन अगर जो पास है फिर, झूठ भी है सत्य,
पास जो पैसे नहीं तो, कौन किसका यार।

धर्म के ही नाम पर तो, हो रहे हैं कत्ल,
कौन कहता है दया ही, है धरम का सार।

दिल को छू लेने वाली इस हिंदी ग़ज़ल में गहरा व मार्मिक कटाक्ष है जो लाजवाब है. धन्यवाद, आकाश जी.

Deep_ 17-10-2015 11:55 PM

Re: एक अपदान्त गीतिका/ ग़ज़ल
 
Quote:

Originally Posted by आकाश महेशपुरी (Post 555563)

धर्म के ही नाम पर तो, हो रहे हैं कत्ल,
कौन कहता है दया ही, है धरम का सार।

आजकल तो है खुदा भी, मौन क्यों 'आकाश',
सत्य का भी साथ देकर, हो रही है हार।

:bravo:
बहुत अच्छी रजना, धन्यवाद आकाश जी!


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