.जय हिन्द ,,,,,,,,जय हिन्द ,,,,,,,,, जय हिन्द
आज भारत माँ ने पुकारा है आज एक बुलावा आया है
इम्तिहान देना है अब अपने देश प्रेम का इस प्रेम को जतलाने का संदेशा आया है रहें तुझसे दूर ग़र तो भी क्या है बसती तो आत्मा मेरी तुझमे फिर इस दुरी का ग़म ही क्या है ? बरसों से रही हर पल साथ ही साथ. तू मेरे मेरी भारत माता आई जब जब आफ़तें तुझपर मुझसे न सहा जाता देखूं जब जब उन्नति और विकास तेरा गर्व से सर उठता है। ... देख , अपने प्यारे तिरंगे को ,उल्लसित मेरा मन होता है कामना हर पल की रहती तू दुनिया का सरताज बन दुश्मनो को बता दे सबसे आगे को तू बढकर विध्वंशी तत्वो का नाश हो सारे जहाँ में सिर्फ तेरा ही आगाज़ हो सर्व क्षेत्र में विकास सह शांति का निवास हो कामना बस इतनी मेरी , मेरे भारत में सुख शांति का साम्राज्य हो। जय हिन्द जय हिन्द जय हिन्द |
Re: .जय हिन्द ,,,,,,,,जय हिन्द ,,,,,,,,, जय हिन्द
देशभक्ति की भावना से भरी एक सुन्दर काव्य अभिव्यक्ति. यह सच है कि हर दिशा में देश द्वारा की जाने वाली तरक्की को देख कर हर भारतवासी का सिर ऊंचा हो जाता है. इस श्रेष्ठ रचना के लिए धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.
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Re: .जय हिन्द ,,,,,,,,जय हिन्द ,,,,,,,,, जय हिन्द
Quote:
बहुत बहुत धन्यवाद भाई इस रचना को पढ़कर इस पर अपने अमूल्य विचार रखने के लिए। |
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