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-   -   " कबीर के दोहे " (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=2382)

Hamsafar+ 05-04-2011 10:09 AM

" कबीर के दोहे "
 
ठाडे बिटपर निकट कटिपर कर पीतांबर धारी ।
शंख चक्र दो हात बिराजे गोवर्धन गिरिधारी ॥

Hamsafar+ 05-04-2011 10:10 AM

Re: " कबीर के दोहे "
 
मदन मुरत खुब सुरत बनी हे नटनागर ब्रजवासी ।
अतसीकुसुमसम कांति बिराजत मोर मुगुट गला तुलशी

Hamsafar+ 05-04-2011 10:10 AM

Re: " कबीर के दोहे "
 
भीमाके तट निकट पंढरपुर अजब छत्र सुखदाई ।
टाल बिना और मृदंग बजावत संतनकी बादशाही ॥

Hamsafar+ 05-04-2011 10:11 AM

Re: " कबीर के दोहे "
 
भजन पूजन करिकीर्तन निशिदिनी गावत हरिलीला ।
प्रेमसुखकू लंपट बैठकर पुंडलीक मतवाला ॥

Hamsafar+ 05-04-2011 10:11 AM

Re: " कबीर के दोहे "
 
छाडे किया बैकुंठसुख हरी भाव भगतका भूका ।
कहत कबीर हरीसे मीठा लागत तुलशी बुका ॥

abhisays 05-04-2011 10:12 AM

Re: " कबीर के दोहे "
 
हमसफ़र जी कबीर के दोहे तो काफी अच्छे है, share करने के लिए थैंक्स.

Hamsafar+ 05-04-2011 10:12 AM

Re: " कबीर के दोहे "
 
निकट भीमाके तट ठारे कर रखाये कट ।
देखो ऐसा मुरशद मौला करो नामसे लूट ॥

Hamsafar+ 05-04-2011 10:14 AM

Re: " कबीर के दोहे "
 
भगत पुंडलीक उनोदे खातर बैकुंठ छोड आयो ।
भीमा किनारे पग जोगकर ठारा बीटपर रहायो ॥

Hamsafar+ 05-04-2011 10:14 AM

Re: " कबीर के दोहे "
 
गावत नाचत सबही संत नर और नारी ।
परचित देखो समाधी उन्मनी डारे सबसे फेरी ॥

Hamsafar+ 05-04-2011 10:14 AM

Re: " कबीर के दोहे "
 
कहत कबीर सुनो भाई साधु तुलसी और बुका ।
और कुच मांगे नहीं भाव भक्तीसे भूका ॥


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