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rajnish manga 15-05-2016 02:12 PM

शायर व शायरी
 
शायर व शायरी
एक ग़ज़ल
साभार: अभि शर्मा 'मित्र'


सियासतदान करते हैं यहा ईमान का सौदा
बचाया मुल्क को जिसने उसी की जान का सौदा
नदी नाले हवा पानी सभी तो बेच डाले है
बचा है क्या अभी होने को है भगवान का सौदा
बचा लो दोस्तों इस मुल्क की मिट्टी जो प्यारी है
मुझे डर है न कर दें कल ये हिन्दुस्तान का सौदा
वतन को लूटने वाले समन्दर पार जा बैठे
यहा होता रहा सच झूठ के एलान का सौदा
फ़सल ओलों कभी सूखे में जब बर्बाद होती है
किसानों नें किया है देख बेजुबान का सौदा
अगर आज़ाद हैं हम सब बता मजबूरियां क्या है
करें हैं आज भी जो अपने जिस्मों जान का सौदा
कभी सरकार ने लूटा कभी बाज़ार ने लूटा
यहां हर पल हुआ है आपके अरमान का सौदा


(इन्टरनेट से)





rajnish manga 15-05-2016 02:26 PM

Re: शायर व शायरी
 
शायर व शायरी
एक रुबाई
साभार: नेहा सिंह


मुझे उसकी कमी खलने लगी है।
जहन्नुम सी ये जाँ जलने लगी है।
मेरी मेहनत मेरे जज़्बे के आगे,
ये किस्मत हाथ अब मलने लगी है।


rajnish manga 17-05-2016 07:23 AM

Re: शायर व शायरी
 
शायर व शायरी
साभार: मनमोहन सिंह ‘दर्द लखनवी’

सांस थमने लगी , कितने लाचार हैं
बस तेरी इक नज़र के तलबगार हैं

हमसे नज़रे चुराने की कोशिश न कर
प्यार तुझसे जो है क्या ख़तावार हैं

फूल खिलने लगे , दिल मचलने लगा
मेरे मुर्शिद के आने के आसार हैं

प्यार में अब वफ़ा करना मुश्किल बहुत
हम हैं उनसे वो हमसे खबरदार हैं

जिसको चाहें मिटादें बना दे जिसे
अब सियासत है करते ये अखबार हैं

वो इबादत की राहों पे चलते नहीं
कितनी गफलत में हैं जो गुनहगार हैं

दर्द सहना तो है अब ये आदत मेरी
चुभ रहे फूल है याँ चुभे ख़ार हैं




rajnish manga 17-05-2016 08:26 AM

Re: शायर व शायरी
 
शायर व शायरी
साभार:
अभि शर्मा 'मित्र'
कुछ अश'आर
बना कर हमसफ़र अपना सफ़र में छोड़ जाते हैं
भरोसा आजकल जिनपे करो वो तोड़ जाते हैं


मुझे अपना बना लेना बहुत आसान है यारों
मगर तकलीफ़ उनसे है कि जो मुंह मोड़ जाते हैं


किताबों में हमें मिलती रहीं हैं प्यार की बातें
हकीकत में कहां ऐसे जो रिश्ते जोड़ जाते हैं


rajnish manga 19-05-2016 11:41 AM

Re: शायर व शायरी
 
शायर व शायरी
गज़ल
साभार: अभि शर्मा 'मित्र'

सरल शब्दों में हम जब भी दिलों की बात करते हैं
ज़हर पी के भी दुनियां के बयां हालात करते हैं

नही ये काम पल दो पल का यारों आशिकी करना
मुहब्बत में फना खुद को सनम दिन रात करते हैं

कभी जो सोचता हूं मै भूला दूं यार का सपना
मुझे मजबूर मेरे दिल के अब जज्बात करते हैं

नहीं आता जिन्हें शतरंज की बाजी पलट देना
यहां ऐसे भी लोगों से कभी शह मात करते हैं

कभी माना जिसे अपना वही है आज इक सपना
जिसे दिल में बसाते हैं वही आघात करते हैं


soni pushpa 23-05-2016 11:31 AM

Re: शायर व शायरी
 
भाई सभी शायरियां पढ़ी अभी मैंने सब बहुत ही भावुकता से भरी और मानव मन के सही उदगार को बयां किया गया है इनमे ..
बेहद सुन्दर .. हमसे शेयर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद भाई ..

rajnish manga 12-06-2016 01:05 PM

Re: शायर व शायरी
 
पैसे की माया
साभार: तरुणा मिश्रा

सबका तन मन धन है पैसा
कितनो की धड़कन है पैसा ;

फटा हुआ दामन है पैसा...
रोता इक बचपन है पैसा ;

रिश्तों का आधार बना पर ..
ख़ुद कितना निर्धन है पैसा

दावा करता सुलझाने का...
बड़ी अजब उलझन है पैसा ;

प्यार मुहब्बत ऐसे करते...
सपनो का साजन है पैसा ;

अलग अक्स दिखलाता सबको..
कैसा ये दर्पण है पैसा ;

ख़ार बहुत और गुल हैं थोड़े...
ऐसा इक गुलशन है पैसा ;

धूप सरीखा खिला खिला सा...
और कभी सावन है पैसा ;

आँगन में दीवार उठा दे...
बच्चों में अनबन है पैसा ;

'तरुणा' कितने ही लोगों के...
जीवन का दर्शन है पैसा...!!


soni pushpa 13-06-2016 01:53 PM

Re: शायर व शायरी
 
[QUOTE=rajnish manga;558427]शायर व शायरी
एक ग़ज़ल
साभार: अभि शर्मा 'मित्र'


सियासतदान करते हैं यहा ईमान का सौदा
बचाया मुल्क को जिसने उसी की जान का सौदा
नदी नाले हवा पानी सभी तो बेच डाले है
बचा है क्या अभी होने को है भगवान का सौदा
बचा लो दोस्तों इस मुल्क की मिट्टी जो प्यारी है
मुझे डर है कही कल कर न दें हिन्दुस्तान का सौदा
वतन को लूटने वाले समन्दर पार जा बैठे
यहा होता रहा सच झूठ के एलान का सौदा
फ़सल ओलों कभी सूखे में जब बर्बाद होती है
किसानों नें किया है देख बेजुबान का सौदा
अगर आज़ाद हैं हम सब बता मजबूरियां क्या है
करें हैं आज भी जो अपने जिस्मों जान का सौदा
कभी सरकार ने लूटा कभी बाज़ार ने लूटा
यहां हर पल हुआ है आपके अरमान का सौदा


[size=3][font=&quot](इन्टरनेट से)


मुझे डर है कही कल कर न दें हिन्दुस्तान का सौदा.. बहुत खूब लिखा है लिखने वाले ने भाई .. हमसे शेयर करने के लिए शुक्रिया

rajnish manga 14-07-2016 07:12 PM

Re: शायर व शायरी
 
शायर व शायरी
साभार: अभि शर्मा 'मित्र'

चलाकर तीर नज़रों से जिगर पे वार करते हैं
बहुत है खूबसूरत वो जिसे हम प्यार करते हैं
बड़ी ही कश्मकश में हूं समझ आता नही कुछ भी
न वो इंकार करते हैं न वो इजहार करते हैं


(इन्टरनेट से )

rajnish manga 09-01-2017 05:29 PM

Re: शायर व शायरी
 
ग़ज़ल
साभार: गौरव पाण्डेय रूद्र

किसी के साथ इतनी दुश्मनी अच्छी नही लगती।
मिटाने की, तुम्हारी तिश्नगी अच्छी नही लगती।।
दिया ग़र चाहते हो हौसले का जल सके हरदम।
हवा के साथ इतनी ! दोस्ती अच्छी नही लगती।।
बग़ावत पर उतर आया मेरा दिल रात में मुझसे।
समझ आया कि ऐसी आशिक़ी अच्छी नही लगती।।
ग़रीबों के घरों को तोड़ अपना घर बना डाला।
दिखावे की तुम्हारी मुफ़लिसी अच्छी नही लगती।।
तुम्हारा ग़मज़दा होना किसी का दिल जलाता है।
यूँ इतनी आँख में भी अब नमी अच्छी नही लगती।।
ये माना मुद्दतों के बाद पायी है ख़ुशी इतनी।
लबों पर बेपनाह इतनी हँसी अच्छी नही लगती।।
तुम्हारा नाम लेकर जी रहे हैं ज़िन्दगी साहिब।
वगरना रूद्र हमको ज़िन्दगी अच्छी नही लगती।।


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