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ABHAY 15-02-2011 06:09 PM

~!!यदा कदा सर्ब्बदा यमलोक कहानी!!~
 
नेताजी की नरक यात्रा
एक भ्रष्ट नेता जी, (ईमानदार नेता के साथ भगवान् ऐसा कभी ना करे) की कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई ! ( ऐसा अक्सर होता नहीं है ) मृत्यु के बाद उनकी आत्मा को यमराज एक बड़ी सी लिफ्ट में यमलोक लेकर पहुंचे ! आखिर वीआईपी जो ठहरे, अब भैसे पर तो आम आदमी ही बैठता है ! खैर ……यमलोक पहुचे तो नेताजी से पूछा गया की कहाँ रहना पसंद करेंगे नरक में या स्वर्ग में ???? नेताजी जी सोच में डूब गए की कहाँ रहा जाये ??? तभी एक यमदूत ने उन्हें कहा की आपकी सहूलियत के लिए हम आपको एक-एक दिन दोनों जगह रहने देते है उसके बाद आप फैसला लेना कि कहा रहना है ! नेताजी को बात जँच गई और उन्होंने तुरंत हामी भर दी !

उसके बाद नेताजी को पहले नरक दर्शन के लिए ले जाया गया, उसी बड़ी वाली लिफ्ट में ! लिफ्ट ऊपर जाने लगी , और थोड़ी देर में लिफ्ट में ऊपर पहुँच गई ! जैसे ही लिफ्ट का दरवाज़ा खुला सामने नरक था ! नरक को देखते ही नेताजी की आँखे चोंधिया गई ! बाहर एक बड़ा सा गोल्फ कोर्स बना हुआ था जहां कई लोग गोल्फ का आनंद ले रहे थे, थोडा और अन्दर जा कर देखा तो एक बड़ा सा बीअर बार बना हुआ था जहां नेताजी की पसंद के अनुरूप सभी सुविधाए मोजूद थी ! वही नेताजी के सभी यार दोस्त भी बैठे हुए मिल गए ! नेताजी ने सभी के साथ बड़ा आनंद लिया, और इस तरह एक दिन कब बीत गया नेताजी को पता भी नहीं चला !

अगले दिन फिर से वही यमदूत नेताजी को लेने आ गया ! नेताजी फिर से लिफ्ट में सवार हुए और चल पदे स्वर्ग की ओर ! लिफ्ट थोड़ी ही देर में स्वर्ग पहुँच गई ! जैसे ही नेताजी ने स्वर्ग में प्रवेश किया तो वहाँ देखा की चारो तरफ सत्संग चल रहा है ! लोग ध्यान पूजा में मग्न है ! हर कोई ईश्वर भक्ति में मंत्मुघ्द हुआ बैठा है ! ये सब नेताजी को अच्छा तो लगा पर बहुत अच्छा नहीं ! यहाँ तो नेताजी के लिए एक दिन भी बिताना मुश्किल हो गया ! परेशान नेताजी ने जैसे-तैसे एक दिन काटा ! अगली सुबह फिर से वही यमदूत नेताजी को लेने पहुँच गया !

ABHAY 15-02-2011 06:10 PM

Re: ~!!यमलोक!!~
 
नेताजी फिर से उस बड़ी वाली लिफ्ट में सवार हुए ! थोड़ी देर में लिफ्ट यमराज के ऑफिस के बाहर रुकी !

अब नेताजी को एक फॉर्म भरने के लिए दिया गया, जिसमे उनसे पूछा गया की वो नरक में रहना पसंद करेंगे की स्वर्ग में ???

नेताजी ने जवाब में लिखा ” वैसे तो स्वर्ग अच्छा है लेकिन वहाँ मेरी जान पहचान का कोई भी नहीं है ओर नरक में तो अपने सभी यार दोस्त है ही ओर मेरी पसंद की सभी चीज़े भी है वहाँ मौजूद है, तो इस कारण वश मैं नरक में ही रहना चाहूँगा !” ओर ये लिख कर नेताजी ने अपना फॉर्म जमा कर दिया !

नेताजी की इच्छा को माना गया ओर यमराज ने अपने यमदूत से कहा की इन्हें अगले दिन नरक में भेज दिया जाए ! नेताजी ये सुन कर बड़े खुश हुए !

अगले दिन नेताजी को यमदूत ने फिर से लिफ्ट में बैठाया ओर चल दिए नरक की ओर ! लिफ्ट धीरे-धीरे ऊपर जाने लगी ओर नेताजी की ख़ुशी तेजी से बदती गई ! थोड़ी देर बाद नरक आ गया ओर नेताजी को वहाँ छोड़ा गया ! लेकिन ये क्या नेताजी को तो अचानक गुस्सा आ गया ! उन्हें नरक में ना तो वो गोल्फ कोर्स दिखा ओर ना बीअर बार और ना ही अपने वो सभी दोस्त ! बल्कि आज तो नरक में चारो तरफ गंदगी फैली हुई थी ओर वहाँ सभी लोगो की काम ना करने के कारण पिटाई भी लगाई जा रही थी ! ये देख कर नेताजी घबरा गए ! उन्होंने यमदूत से पूछा, ये सब क्या है ???? कल तो यहाँ बढ ही सुन्दर नज़ारा था ओर आज ये सब क्यों ????

तब यमदूत ने बड़े प्यार से बोला “वो क्या है ना नेताजी कल स्वर्ग ओर नरक के इलेक्शन थे ओर हमें आपका वोट चाहिए था, बस इसलिए ही आपको वो सब्जबाग दिखाया गया था ! अब आप यही रहिये !”

भगवान् नेताजी की आत्मा को शांति दे !!!!!!!

ABHAY 15-02-2011 06:33 PM

Re: ~!!यदा कदा सर्ब्बदा यमलोक कहानी!!~
 
यमलोक की फीस
जब मैंने सोलह बरस का सावन देखा
हर कोई मुझसे मैने आया
पास-पड़ोसी और मेरे सारे रिश्तेवाले
हर कोई मुझे बधाई देने आया
कोई मुझे सौ बरस जीने का तोहफा दे जाता
और कोई उपहार सहित मुझे गले लगता
उसी रात सपने में मैंने यमराज को देखा
बोले,“ये तेरा आखिर स्वप्न है सुंदर बाला’’
डरी हुई सूरत में मैं कुछ भय से बोली
“मुझे थोड़ा और इस जहाँ में जी लेने दो
कुछ मोती इन साँसों के सी लेने दो’’
बोले,“ मेरा काम ही सदा बना मजबूरी मेरी
बात मान के कर ले अपनी हर इच्छा पूरी
तुझे तो आज सूचित में करने आया
दो दिन और देख ले इस दुनियाँ की माया
अगली सुबह यमदूत संग मेरे दरबार में आना
क्योंकि मुझे तुझसे है पुराना हिसाब चुकाना।’’
मैंने ये बात किसी से न बोली
लेकिन दो दिन बाद सुबह जब आँखें खोली
तो खुद को मैंने यमलोक में पाया
सर्वप्रथम चित्रगुप्त ने मुझे पास बुलाया
फिर मेरी फ़ाइल उठाकर सिर हिलाया
बोले,“बैठो और एक-आध चाय मंगा दो

ABHAY 15-02-2011 06:35 PM

Re: ~!!यदा कदा सर्ब्बदा यमलोक कहानी!!~
 
ताकि जल्दी से मे तुम्हारा काम करा दूँ ।‘’
मैं बोली,“ मेरे पास तो कुछ नहीं है पैसा
क्या यमलोक में भी होता है धरती जैसा ?’’
बोले,“प्राण–प्राण में फेर बदल क्या काम है थोड़ा ?
बिना रिश्वत कभी किसी ने काम है जोड़ा ?
मैं तो फिर भी पचास प्रतिशत में काम चलाता हूँ
और पचास प्रतिशत साहब को दे आता हूँ
तुमने गर सोलह साल पहले ये समझा होता
तो शायद तुम्हारी फ़ाइल में मार्क ना होता ।’’
‘‘हे चित्रगुप्त मेरे जीवन के बदले क्या है फीस तुम्हारी?
इस छाया के अतिरिक्त कोई दशा ना मेरी।’’
‘‘हे बाला इस सुंदरता ने ही तो तुझे इस लोक में खींचा
सोलह साल तेरे रूप की क्यारी को पल-पल सींचा
चल तू इस काया को ही दे दे मुझको
फिर स्वर्ग में ट्रान्सफर कर दूँगा तुझको ।’’
‘‘चित्रगुप्त तुम ये कैसी बातें करते हो?
पिता-पुत्री के रिश्ते को धूमिल करते हो
ये ख़याल भी तुम्हारे मन में कैसे आया?
तुममें भी क्या धरती का हे पुरुष समाया?’’
बोले,“सुन लड़की स्वर्ग में एक सीट है खाली
तुम्हें भेजना उस लोक में काम है जाली
गर तुम एक रात ;ejkKh बन लो
तो शायद स्वर्गलोक की इच्छा कर लो
नहीं तो दस दिन में तेरी ख़त्म कहानी
बादल जाएगी तेरी छाया बहता पानी
फिर आजीवन तू हरिद्वार में बहना
सदा भटकते हुए मृत्युलोक में रहना।‘’
मैंने इस बात पर मौन स्वीकृति दर्शायी
फिर में स्वर्ग की अप्सरा न बन पायी
और मेरी जगह दूसरी लड़की ने सोर्स लगायी
मैंने कुछ समय बाद हरिद्वार गंगा में जगह बनायी
आज सभी मुझमे सारे पाप हे धोते
सारे झूठे पंडित मेरे तट पर होते
लेकिन फिर भी में अपने इस हाल में खुश हूँ
मुझसे हर व्यक्ति से कोई ना पर्दा
मैं सबकी हमराज़ इस बात से खुश हूँ
लेकिन फिर भी कभी-कभी दुख होता है
क्यों मनुष्य एक-दूजे का दुश्मन बनता है
क्यों नारी है हर जगह कलह का कारण
काश मृत्युलोक में मेरे बहने से पहले
लोगों की तृष्णा व वासना मर जाती
तो शायद इसका असर यमलोक न जाता
और मैं भी बिना रिश्वत अप्सरा बन जाती।

ABHAY 15-02-2011 06:39 PM

Re: ~!!यदा कदा सर्ब्बदा यमलोक कहानी!!~
 
२१ ग्राम की आत्मा (व्यंग्य)

कुछ दिनों पहले अखबार में एक बड़ी रोचक खबर पढ़ने को मिली। फिल्म और खेल पन्ने के बीच में दबे-कुचले से पन्ने में छपी इस खबर पर मेरी नजर अटक गई। कैटरीना की टांगों ने मुझे फिल्म पेज की तरफ आकर्षित करने की कोशिश लेकिन मैं डिगा नहीं. सचिन ने भी बल्ला दिखाकर खेल पेज पढ़ने की पेशकश दी पर मैंने वो भी ठुकरा दी। आखिर में उस खबर को पढ़कर ही मैंने दम लिया। खबर का शीर्षक था- “२१ ग्राम की होती है आत्मा”। खबर पढ़कर मुझे विश्वास नहीं हुआ। आत्मा का वजन मात्र २१ ग्राम। ये कैसे मुमकिन है।

इन प्रयोगधर्मी खुरापाती वैज्ञानिकों ने न जाने किन उल-जुलूल परीक्षणों के आधार पर आत्मा का वजन निकाल लिया। पहले एक इंसान का मरने के पूर्व वजन किया और फिर मरने के उपरांत। दोनों में २१ ग्राम का फर्क आया। बस इसी आधार पर घोषणा कर दी कि आत्मा का वजन २१ ग्राम है। पर मेरा मन अब भी यह स्वीकार करने को तैयार नहीं था।

ABHAY 15-02-2011 06:40 PM

Re: ~!!यदा कदा सर्ब्बदा यमलोक कहानी!!~
 
जरूर जिस व्यक्ति के शरीर को तौलकर आत्मा का वजन निकाला गया होगा वह बहुत सज्जन, ईमानदार और साफ दिल का रहा होगा। वैसे इस प्रजाति के लोग दुनिया में ज्यादा नहीं बचे हैं। जिस तरह बाघों को बचाने अभियान चलाया जा रहा है, इनको बचाने भी अभियान चलाने की जरूर है। खैर मुद्दे की तरफ वापस चलते हैं। वह शख्स जरूर सज्जन किस्म का इसलिए रहा होगा क्योंकि अगर उसने कुछ पाप वगैरह किए होते तो उसकी आत्मा पर बोझ रहता जिससे आत्मा का वजन बढ़ता ना। परंतु आत्मा का वजन मात्र २१ ग्राम निकला यानि उन्होंने कुछ छोटे-मोटे मामूली टाइप के पाप किए होंगे जिस पर उनको रियायत देते हुए भगवान ने उनको स्वर्ग में एंट्री दे ही दी होगी। आशा करते हूं वे वहां मज़े से होंगे और पृथ्वी पर दोबारा आने की गलती कतई नहीं करेंगे।

वैसे अंदर की खबर यह पता चली है कि इस व्यक्ति से पहले भारत के एक अति भ्रष्ट मंत्री की भी आत्मा का वजन लिया गया था। परंतु उनकी आत्मा में इतना मैल था कि उसका वजन उनके शरीर से भी ज्यादा निकल गया। ऊपर से उनके पेट से चिपका ५० किलो का मटका जो उनके द्वारा किए गए बड़े-बड़े घोटालों की बानगी दे रहा था। इनकी आत्मा का वजन निकालने में लगी मशीन ने तो वहीं हाथ-पैर जोड़ लिए और वजन निकालने से तौबा कर ली। वैज्ञानिकों ने भी इस खबर को बाहर जाने नहीं दिया वरना आम जनता तो मरने से भी डरने लगती।

दूसरी तरफ इन मंत्रीजी की भारी-भरकम किसी तरह घिस-घिसटकर स्वर्ग के दरवाजे तक तो पहुंच गई लेकिन इनकी हैवीवेट आत्मा स्वर्ग के छोटे से द्वार से कहां निकल पाती। कभी ये द्वारपाल से जुगाड़ जमाने की कोशिश करते तो कभी चित्रगुप्त से गुप्त रूप से मित्र बनने का प्रयास करते, पर सब व्यर्थ। अंत में चित्रगुप्त ने साफ साफ कह ही दिया कि जाओ डाइटिंग करो थोड़ा वजन

ABHAY 15-02-2011 06:41 PM

Re: ~!!यदा कदा सर्ब्बदा यमलोक कहानी!!~
 
घटाओ, इतने पाप करके आत्मा पर बोझ बढ़ा दिया जाओ बोझ कम करो फिर यहां आओ। अब मंत्रीजी की भारी भरकम आत्मा वापस पृथ्वी पर आकर भटक रही है। और अब वे अपने तरह के भ्रष्ट लोगों की पोल-पट्टी में खोलने में लगे हैं ताकि कुछ तो वजन घटे और स्वर्ग का टिकट कटे। इन दिनों में उन्होंने बहुतों के घोटाले की किताब खोलकर रख दी एक के बाद एक। वैसे आपने तो कुछ पाप-शाप नहीं किए ना। किए भी हैं तो टेंशन नॉट अभी उनका फोकस सिर्फ बड़े मुर्गों पर है पर पता नहीं कब छोटे-मोटे पापियों पर भी नजर रखने लग जाए। संभलकर रहिएगा कहीं वो आपके आसपास न हो, वैसे भी आत्मा दिखाई नहीं देती। म..म..मै… चलता हूं इनकी आत्मा तो मेरे पीछे ही खड़ी है। भागता हूं…. फिर मिलूंगा।

ABHAY 16-02-2011 10:00 AM

Re: ~!!यदा कदा सर्ब्बदा यमलोक कहानी!!~
 
अंधविश्वास कैसे कैसे ?
इस पेज पर आप को बताया जायगा की कैसे कैसे अंधविश्वास हमारे समाज मे प्रचलित है

1.बिल्ली के द्वारा रास्ता काटा जाना|
एक चुटकला
बिल्ली (अपनी बेटी बिल्ली से ):वापिस क्यूँ आ गई ?
छोटी बिल्ली : माँ घर से निकली ही थी एक आदमी रास्ता काट गया |
अब बताये बिल्ली के रास्ता काटने से लोग वापिस घर आ जाते है वापिस आने से काम नहीं होता काम तो तब होगा ना जब काम पर जाया जाएगा |
2. सुबह घर से निकलते ही कोई खाली बर्तन ले जाता दिख जाना |
अब सुबह सवेरे सब दूध लेने जाते है तो वो तो खाली बर्तन ले कर ही जायेंगे |
3.किसी का छींक देना जब कहीं जा रहे हों
अब जनाब आप कही जा रहे है और सड़क पर अनेक लोग और भी तो जा रहे है अब किसी को छींक बता के तो आयेगी नहीं आती छींक को रोका भी तो नहीं जा सकता है |
4.शव यात्रा का दिखाई देना
कही जा रहे हो और शव यात्रा दिखाई दे तो उसे शुभ माना जाता है लो कल्ल लो बात , जिस का कोई मर गया वो तो उस के लिए कभी शुभ नहीं हो सकता , लेकिन उस की शव यात्रा अन्य अनजान लोगो के लिए शुभ हो सकती है वाह रे अन्धविश्वासों
जिसका कोई गया उस से पूछो जरा वो बताएगा शुभ अशुभ क्या होता है |
5. शव दाह करके वापिस आते लोग
शव दाह करके आते लोगो का दिखाई दें अशुभ मना जाता है अब बताओ इन अंध्विश्वासीयों के लिए तो रोज शव यात्रा जाती ही दिखनी चाहिए क्यों ?
6.चारपाई को उल्टा खड़ा देखना |
चारपाई को उल्टा तब खड़ा करते है
जब उस घर मे कोई मौत हो गई हो इसलिए इसे अशुभ मानते है
अब तो चारपाइयां ऐसी आती है
जिस का उल्टा सीधा पता ही नहीं चलता अब तो इस अंधविश्वास से मुक्त हो जाएँ |

7.कुत्ते का रोना सुनाई देना |
अब कुत्ते के पेट मे दर्द है या उसे भूख लगी है तो वो तो रोयेगा ही अपने बच्चे भी तो रोते है | :)
8.चाबियों का गुच्छे को छ्न्कानना (खड़खड़ाना)|
अगर गुच्छे मे अधिक चाबियों है तो आप खड़खड़ाना कैसे रोक सकते है |

sagar - 16-02-2011 10:41 AM

Re: ~!!यमलोक!!~
 
Quote:

Originally Posted by ABHAY (Post 50165)
नेताजी फिर से उस बड़ी वाली लिफ्ट में सवार हुए ! थोड़ी देर में लिफ्ट यमराज के ऑफिस के बाहर रुकी !

अब नेताजी को एक फॉर्म भरने के लिए दिया गया, जिसमे उनसे पूछा गया की वो नरक में रहना पसंद करेंगे की स्वर्ग में ???

नेताजी ने जवाब में लिखा ” वैसे तो स्वर्ग अच्छा है लेकिन वहाँ मेरी जान पहचान का कोई भी नहीं है ओर नरक में तो अपने सभी यार दोस्त है ही ओर मेरी पसंद की सभी चीज़े भी है वहाँ मौजूद है, तो इस कारण वश मैं नरक में ही रहना चाहूँगा !” ओर ये लिख कर नेताजी ने अपना फॉर्म जमा कर दिया !

नेताजी की इच्छा को माना गया ओर यमराज ने अपने यमदूत से कहा की इन्हें अगले दिन नरक में भेज दिया जाए ! नेताजी ये सुन कर बड़े खुश हुए !

अगले दिन नेताजी को यमदूत ने फिर से लिफ्ट में बैठाया ओर चल दिए नरक की ओर ! लिफ्ट धीरे-धीरे ऊपर जाने लगी ओर नेताजी की ख़ुशी तेजी से बदती गई ! थोड़ी देर बाद नरक आ गया ओर नेताजी को वहाँ छोड़ा गया ! लेकिन ये क्या नेताजी को तो अचानक गुस्सा आ गया ! उन्हें नरक में ना तो वो गोल्फ कोर्स दिखा ओर ना बीअर बार और ना ही अपने वो सभी दोस्त ! बल्कि आज तो नरक में चारो तरफ गंदगी फैली हुई थी ओर वहाँ सभी लोगो की काम ना करने के कारण पिटाई भी लगाई जा रही थी ! ये देख कर नेताजी घबरा गए ! उन्होंने यमदूत से पूछा, ये सब क्या है ???? कल तो यहाँ बढ ही सुन्दर नज़ारा था ओर आज ये सब क्यों ????

तब यमदूत ने बड़े प्यार से बोला “वो क्या है ना नेताजी कल स्वर्ग ओर नरक के इलेक्शन थे ओर हमें आपका वोट चाहिए था, बस इसलिए ही आपको वो सब्जबाग दिखाया गया था ! अब आप यही रहिये !”

भगवान् नेताजी की आत्मा को शांति दे !!!!!!!

वाह अभय जी क्या जवाब दिया हे इन नेताओ को उन्ही की भाषा में :bravo:

VIDROHI NAYAK 16-02-2011 01:03 PM

Re: ~!!यमलोक!!~
 
बहुत बढ़िया मित्र !


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