किसी का प्यार जो मिले ...!
पेचो ख़म ज़ुल्फ़ के , जो कोई खोलने निकले ;
बर्फ के बाट से , मेढक को तोलने निकले . जिन्हें खुशफ़हमी थी , खुद के सिकंदर होने की ; इश्क के मोर्चे से , बन के कलंदर निकले . हाले दिल जिनके जरिये , तुमको हम सुनाते थे ; वो ही , मुझसे ही , तुम्हे छीनने वाले निकले . छांव को गेसुओं की , जल्द क्यों समेट लिया ; अभी तो अपने इश्क के , न फ़साने निकले . तू जो लौटा दे , कटे पंख , अगर फिर से मुझे ; परिंदा फिर से ,मेरे इश्क का , उड़ने निकले . किसी का प्यार जो मिले , तो जहाँ स्वर्ग बने ; दिल अगर टूट जाये तो , यही नरक निकले . तू जनाज़े में मेरे , आने का यकीं तो दिला ; देख फिर दम मेरा , किस तरह शान से निकले . रचयिता ~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव लखनऊ (यू .पी. ),इंडिया . (शब्दार्थ ~ पेचो ख़म = उलझाव/घुमाव और ऐठन , कलंदर = फ़कीर / अकेला ) |
Re: किसी का प्यार जो मिले ...!
बहुत बढ़िया राकेश जी... :cheers:
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Re: किसी का प्यार जो मिले ...!
प्रशासक महोदय ,धन्यवाद .
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Re: किसी का प्यार जो मिले ...!
:bravo::bravo::bravo:
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Re: किसी का प्यार जो मिले ...!
सर्वश्री दीपू जी एवं मनीश जी ,
आप दोनों का बहुत -बहुत शुक्रिया . |
Re: किसी का प्यार जो मिले ...!
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Re: किसी का प्यार जो मिले ...!
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जिन्हें खुशफ़हमी थी , खुद के सिकंदर होने की ; इश्क के मोर्चे से , बन के कलंदर निकले . :crazyeyes: |
Re: किसी का प्यार जो मिले ...!
तू जनाज़े में मेरे , आने का यकीं तो दिला ;
देख फिर दम मेरा , किस तरह शान से निकले . very nice what meaning full poetry dr saab i salute to you once again |
Re: किसी का प्यार जो मिले ...!
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Re: किसी का प्यार जो मिले ...!
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