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-   -   दोस्ती के नाम (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=17084)

soni pushpa 21-01-2017 12:43 AM

दोस्ती के नाम
 
हे इश्वर तू इतना भी प्यार न दे मुझे

की तेरे लिखे स्नेह पत्र की आग बुझाने में मेरी असुवन धार भी कम पड जाये

हो जाएगी सारी नींद और थकन पूरी जब तेरे तक पहुचने की राह पकड़ेंगे

मुश्किल से मिले हैं दोस्त मुझे थोडा सा रतजगा करने दे अब
नहीं करना है मुझे हिसाब कोई नफे और नुकसान का

बस दोस्तों से मिली खुशियों को अगणित करने दे
जिन्हें मिलकर भूल जाये अपना अस्तित्व भी हम
एइसे मित्रों में तेरा साक्षात्कार तो तू करने दे

पता नहीं मुझे तेरे दरबार में कैसी होगी जिंदगी की मजा

पर आज जो जमी है रंगत स्वर्ग की जमी पर जरा उसकी मजा मुझे लेने दे

अंत में तो आना ही है तेरी शरण में मुझे हे इश्वर आज दोस्तों संग थोड़ी सी गुफ्तगू कर लेने दे

सुना है बेहद लम्बा सफ़र होता है तुझ तक पहुचने का उस लम्बी राहों पर अपनी ये मीठी यादें सहला लूँ इतना करम तू मुझपर कर ही दे


हूँ अभी मैं मस्ती में गीतों के बोलो में व्यस्त बस ,हु खुश ही खुश दोस्तों संग तब शायद हे इश्वर तुम फोन कर मुझे पूछोगे तब कहूँगी रुको मैं अब भी रस्ते में हूँ दोस्तों संग बिताई यादों में हूँ


और जब अनन्त का लम्बा सफ़र होगा ख़त्म और कहूँगी सबसे पहले तुझे मेरे इश्वर बना लो तुम भी कुछ दोस्त एइसे की दोबारा दुनिया बनाने की जरुरत ही तुमको न पड़े

rajnish manga 21-01-2017 08:24 AM

Re: दोस्ती के नाम
 
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Originally Posted by soni pushpa (Post 560231)
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हूँ अभी मैं मस्ती में गीतों के बोलो में व्यस्त बस ,हु खुश ही खुश दोस्तों संग तब शायद हे इश्वर तुम फोन कर मुझे पूछोगे तब कहूँगी रुको मैं अब भी रस्ते में हूँ दोस्तों संग बिताई यादों में हूँ


और जब अनन्त का लम्बा सफ़र होगा ख़त्म और कहूँगी सबसे पहले तुझे मेरे इश्वर बना लो तुम भी कुछ दोस्त एइसे की दोबारा दुनिया बनाने की जरुरत ही तुमको न पड़े

बहुत सुंदर उद्गार. जीवन में बहुत से मरहले ऐसे भी आते हैं जब उसका चिंतन आध्यात्मिक या दार्शनिक होने लगता है. यह रचना भी उन्हीं क्षणों की देन है. जीवन में जो मिला जैसा मिला उसे ईश्वर की कृपा समझ कर उसका उत्सव मनाना बहुत बड़ी बात है. और उसके ऊपर ईश्वर को दोस्ती का निमंत्रण देना तो बिलकुल अनोखा ख़याल है. एक श्रेष्ठ कविता शेयर करने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद, बहन.

Rajat Vynar 21-01-2017 05:56 PM

Re: दोस्ती के नाम
 
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Originally Posted by soni pushpa (Post 560231)
हे इश्वर तू इतना भी प्यार न दे मुझे

की तेरे लिखे स्नेह पत्र की आग बुझाने में मेरी असुवन धार भी कम पड जाये

हो जाएगी सारी नींद और थकन पूरी जब तेरे तक पहुचने की राह पकड़ेंगे

मुश्किल से मिले हैं दोस्त मुझे थोडा सा रतजगा करने दे अब
नहीं करना है मुझे हिसाब कोई नफे और नुकसान का

बस दोस्तों से मिली खुशियों को अगणित करने दे
जिन्हें मिलकर भूल जाये अपना अस्तित्व भी हम
एइसे मित्रों में तेरा साक्षात्कार तो तू करने दे

पता नहीं मुझे तेरे दरबार में कैसी होगी जिंदगी की मजा

पर आज जो जमी है रंगत स्वर्ग की जमी पर जरा उसकी मजा मुझे लेने दे

अंत में तो आना ही है तेरी शरण में मुझे हे इश्वर आज दोस्तों संग थोड़ी सी गुफ्तगू कर लेने दे

सुना है बेहद लम्बा सफ़र होता है तुझ तक पहुचने का उस लम्बी राहों पर अपनी ये मीठी यादें सहला लूँ इतना करम तू मुझपर कर ही दे


हूँ अभी मैं मस्ती में गीतों के बोलो में व्यस्त बस ,हु खुश ही खुश दोस्तों संग तब शायद हे इश्वर तुम फोन कर मुझे पूछोगे तब कहूँगी रुको मैं अब भी रस्ते में हूँ दोस्तों संग बिताई यादों में हूँ


और जब अनन्त का लम्बा सफ़र होगा ख़त्म और कहूँगी सबसे पहले तुझे मेरे इश्वर बना लो तुम भी कुछ दोस्त एइसे की दोबारा दुनिया बनाने की जरुरत ही तुमको न पड़े

ईश्वर द्वारा मनुष्य को फ़ोन करना कविता को चमत्कारपूर्ण गति प्रदान कर रहा है। अद्भुत कविता।

soni pushpa 22-01-2017 04:25 AM

Re: दोस्ती के नाम
 
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Originally Posted by rajnish manga (Post 560232)
बहुत सुंदर उद्गार. जीवन में बहुत से मरहले ऐसे भी आते हैं जब उसका चिंतन आध्यात्मिक या दार्शनिक होने लगता है. यह रचना भी उन्हीं क्षणों की देन है. जीवन में जो मिला जैसा मिला उसे ईश्वर की कृपा समझ कर उसका उत्सव मनाना बहुत बड़ी बात है. और उसके ऊपर ईश्वर को दोस्ती का निमंत्रण देना तो बिलकुल अनोखा ख़याल है. एक श्रेष्ठ कविता शेयर करने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद, बहन.

बहुत बहुत आभारी हूँ भाई आपसे इतनी प्रसंशा मिलने से आगे लिखने का प्रोत्साहन मिला है मुझे
कविता के मर्म को आपने सही पहचाना है . किन्ही कारण वश शब्द कहीं कहीं जमे नहीं इसलिए अपनी इस त्रुटी के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ . बहुत धन्यवाद .

soni pushpa 22-01-2017 04:28 AM

Re: दोस्ती के नाम
 
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Originally Posted by rajat vynar (Post 560234)
ईश्वर द्वारा मनुष्य को फ़ोन करना कविता को चमत्कारपूर्ण गति प्रदान कर रहा है। अद्भुत कविता।

बहुत बहुत धन्यवाद रजत जी ,.. कविता लिखते समय मन कहीं की भी उड़ान लिए चला जाता है बस कुछ एइसा ही हुआ जब कविता लिखीथी .. आपके कमेंट्स के लिए आभारी हूँ

rafik 14-05-2017 07:08 AM

Re: दोस्ती के नाम
 
:bravo::bravo::hello:

soni pushpa 16-05-2017 09:38 PM

Re: दोस्ती के नाम
 
Quote:

Originally Posted by rafik (Post 560800)
:bravo::bravo::hello:

बहुत बहुत धन्यवाद भाई ..


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