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jalwa 03-11-2010 11:10 AM

दिल्ली की सैर
 
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1288765170

( यह सूत्र "दिल्ली सरकार टूरिज्म विभाग" को समर्पित है. )

दोस्तों, आइये इस सूत्र के माध्यम से हम दिल्ली की सैर करते हैं . और दिल्ली के विषय में वो सब कुछ जानने का प्रयास करते हैं जो हमें नहीं पता.
सबसे पहले हम बात करते हैं दिल्ली के इतिहास की.

दिल्ली को भारतीय महाकाव्य महाभारत में प्राचीन इन्द्रप्रस्थ, की राजधानी के रूप में जाना जाता है। उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ तक दिल्ली में इंद्रप्रस्थ नामक गाँव हुआ करता था।
अभी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में कराये गये खुदाई में जो भित्तिचित्र मिले हैं उनसे इसकी आयु ईसा से एक हजार वर्ष पूर्व का लगाया जा रहा है, जिसे महाभारत के समय से जोड़ा जाता है, लेकिन उस समय के जनसन्ख्या के कोई प्रमाण अभी नहीं मिले हैं। कुछ इतिहासकार इन्द्रप्रस्थ को पुराने क़िले के आस-पास मानते हैं।
पुरातात्विक रूप से जो पहले प्रमाण मिलते हैं उन्हें मौर्य-काल (ईसा पूर्व 300) से जोड़ा जाता है। तब से निरन्तर यहाँ ्जनसन्ख्या के होने के प्रमाण उपलब्ध हैं। 1966 में प्राप्त अशोक का एक शिलालेख(273 - 300 ई पू) दिल्ली में श्रीनिवासपुरी में पाया गया। यह शिलालेख जो प्रसिद्ध लौह-स्तंभ के रूप में जाना जाता है अब क़ुतुब-मीनार में देखा जा सकता है। इस स्तंभ को अनुमानत: गुप्तकाल (सन 400-600) में बनाया गया था और बाद में दसवीं सदी में दिल्ली लाया गया। अशोक के दो अन्य शिलालेख बाद में फ़िरोजशाह तुग़लक़ द्वारा दिल्ली लाया गया।
चंदरबरदाई की रचना पृथवीराज रासो में राजपूत राजा अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि उसने ही 'लाल-कोट' का निर्माण करवाया था और लौह-स्तंभ दिल्ली लाया था। दिल्ली में राजपूतो का शासनकाल 900-1200 इसवी तक माना जाता है। 'दिल्ली' या 'दिल्लिका' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम उदयपुर में प्राप्त शिलालेखों पर पाया गया, जिसका समय 1170 इसवी निर्धारित किया गया। शायद 1316 इसवी तक यह हरियाणा की राजधानी बन चुकी थी। 1206 इसवी के बाद दिल्ली सल्तनत की राजधानी बनी जिसमें खिलज़ी वंश, तुगलक़ वंश, सैयद वंश और लोधी वंश समते कुछ अन्य वंशों ने शासन किया।

jalwa 03-11-2010 11:11 AM

ऐसा माना जाता है कि आज का आधुनिक दिल्ली बनने से पहले दिल्ली सात बार उजड़ी और बसी है जिनके कुछ अवशेष अब भी देखे जा सकते हैं।
लालकोट, सीरी का किला एवं किला राय पिथौरा : राजपूतों के सबसे प्राचीन क़िले लाल कोट के समीप क़ुतुबुद्दीन ऐबक़ द्वारा अंतरण किया गया
सिरी का क़िला, 1३03 में अलाउद्दीन ख़िलज़ी द्वारा निर्मित
तुग़लक़ाबाद, गयासुद्दीन तुग़लक़ (1321-1325) द्वारा निर्मित
जहाँपनाह क़िला, मुहम्मद बिन तुग़लक़ (1325-1351) द्वारा निर्मित
कोटला फ़िरोज़ शाह, फ़िरोजशाह तुग़लक़ (1351-1388) द्वारा निर्मित
पुराना क़िला (शेरशाह सूरी) और दीनपनाह (हुमायूँ; दोनों उसी स्थान पर हैं जहाँ पौराणिक इंद्रप्रस्थ होने की बात की जाती है। (1538-1545)
शाहजहानाबाद, शाहजहाँ (1638-1649) द्वारा निर्मित; इसी में लाल क़िला और चाँदनी चौक भी शामिल हैं।
सत्रहवीं सदी के मध्य में मुग़ल सम्राट शाहजहाँ (1628-1658) ने सातवीं बार दिल्ली बसायी जिसे शाहजहानाबाद के नाम से भी पुकारा जाता है। आजकल इसके कुछ भाग पुरानी दिल्ली के रूप मे सुरक्षित हैं। इस नगर में इतिहास के धरोहर अब भी सुरक्षित बचे हुये हैं जिनमें लाल क़िला सबसे प्रसिद्ध है। जबतक शाहजहाँ ने अपनी राजधानी आगरा में नहीं स्थानांतरित की पुरानी दिल्ली 1638 के बाद के मुग़ल सम्राटो की राजधानी रही। औरंगजेब (1658-1707) ने शाहजहाँ को गद्दी से हटाकर खुद को शालीमार बाग़ में सम्राट घोषित किया। 1857 के आंदोलन को पूरी तरह दबाने के बाद, अंग्रेजों ने जब बहादुरशाह ज़फ़र को रंगून भेज दिया उसके बाद भारत पूरी तरह से अंग्रेजो के अधीन हुआ। प्रारंभ में उन्होंने कलकत्ते (आजकल कोलकाता) से शासन संभाला परंतु 1911 में औपनिवेशिक राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया। बड़े स्तर पर महानगर के पुर्ननिर्माण की प्रक्रिया में पुराने नगर के कुछ भागो को ढहा दिया गया है।

jalwa 03-11-2010 11:12 AM

महाभारत काल (1400 ई.पू.) से दिल्ली पांडवों की प्रिय नगरी इन्द्रप्रस्थ के रूप में जानी जाती रही है। कुरूक्षेत्र के युध्द के बाद जब हस्तिनापुर पर जब पांडवों का शासन हुआ तो बडे भाई युधिष्ठिर ने भाईयों को खंडवाप्रस्थ का शासक बनाया जिसकी भूमि बहुत ही बियाबान और बेकार थी, तब मदद के लिये श्रीक्रष्ण नें इन्द्र को बुलावा भेजा, खुद युधिष्ठिर की मदद के लिये इन्द्र नें विश्वकर्मा को भेजा.विश्वकर्मा नें अपने अथक प्रयासों से इस नगर को बनाया और इसे इन्द्रप्रस्थ यानी (इन्द्र का शहर) नाम दिया.
दिल्ली का नाम राजा ढिल्लू के "दिल्हीका"(800 ई.पू.) के नाम से माना गया है,जो मध्यकाल का पहला बसाया हुआ शहर था,जो दक्षिण-पश्चिम बॉर्डर के पास स्थित था.जो वर्तमान में महरौली के पास है.यह शहर मध्यकाल के सात शहरों में सबसे पहला था.इसे योगिनीपुरा के नाम से भी जाना जाता है,जो योगिनी(एक् प्राचीन देवी) के शासन काल में था.
लेकिन इसको महत्व तब मिला जब 12वीं शताब्दी मे राजा अनंगपाल तोमर ने अपना तोमर राजवंश लालकोट से चलाया, जिसे बाद में अजमेर के चौहान राजा ने जीतकर इसका नाम किला राय पिथौरा रखा.

jalwa 03-11-2010 11:13 AM

http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=12887654581192 में जब प्रथ्वीराज चौहान मुहम्मद गौरी से पराजित हो गये थे, 1206 से दिल्ली सल्तनत दास राजवंश के नीचे चलने लगी थी. इन सुल्तानों मे पहले सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक जिसने शासन तंत्र चलाया इस दौरान उसने कुतुब मीनर बनवाना शुरू किया जिसे एक उस शासन काल का प्रतीक माना गया है, इसके बाद उसने कुव्वत-ए-इस्लाम नामक मस्जिद भी बनाई जो शायद सबसे पहली भी थी.
अब शासन किया खिलजी राजवंश(पश्तून) ने जो दूसरे मुस्लिम शासक थे जिन्होने दिल्ली की सल्तनत पर हुकुमत चलायी,इख्तियार उद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी और मुमलक राजवंश चलाने वाले जलाल उद्दीन फ़िरुज खिलजी ने 1290 से 1320 तक खिलजी राजवंश चलाया.
1321 से एक और राजवंश चला जो तुगलक राजवंश के नाम से जाना जाता है,जो मुस्लिम समुदाय तुर्क से मानी जाती है उसमें गियाथ अल बिन तुगलक और उसके बेटे ने जो कामयाब शासक भी था जिसका नाम मुहम्मद बिन तुगलक था ने सफ़लता से शासन किया,उसके बाद उसके भतीजे फ़िरोज शाह तुगलक ने भी राज किया लेकिन 1388 में उसकी म्रत्यु के बाद तुगलक राजवंश का पतन होने लगा.
उसके बाद 1414 से 1451 तक सैयद राजवंश भी चला फ़िर उसके बाद 1451 से लोधी राजवंश चला जो क्रमशः बाहलुल लोधी,सिकंदर लोधी और इब्राहिम लोधी ने सन 1526 तक दिल्ली सल्तनत पर राज किया,
दौलत खान लोधी के बुलावे पर बाबर जो एक मुगल था उसने हिन्दुस्तान पर चढाई कर दी और लोधी वंश का पतन सन 1526 पानीपत की लडाई में कर दिया था. 1526 बाबर(जहीरूद्दीन मोहम्मद) के बाद 1530 में हुमांयु (नसीरुद्दीन अहमद) ने बाहडोर संभाली.

jalwa 03-11-2010 11:15 AM

ब्रिटिश काल

आखिरी मुगल बहादुर शाह जफ़र के बाद सन 1857 मे ब्रिटिश शासन के हुकुमत में शासन चने लगा, 1857 में ही कलकत्ता को ब्रिटिश भारत की राज धानी घोषित कर दिया गया लेकिन 1911 में फ़िर से दिल्ली को ब्रिटिश भारत की राजधानी बनाया गया.इस दौरान नयी दिल्ली क्षेत्र भी बनाया गया.
1947 में भारत की आजादी के बाद इसे अधिकारिक रूप में भारत की राजधानी घोषित कर दिया गया.
स्वतंत्र भारत की दिल्ली


१९४७ में भारत के स्वतंत्र होने के बाद दिल्ली ने विकास के अनेक चरणों को प्राप्त किया।


(दिल्ली की आजादी के बाद की तरक्की के बारे में हम आगे चर्चा करेंगे)

Sikandar_Khan 03-11-2010 11:20 AM

सूत्र के लिए बधाई
 
मित्र जलवा जी
अति महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए आपका
हार्दिक आभार

VIDROHI NAYAK 12-12-2010 12:38 AM

Re: दिल्ली की सैर
 
नमस्कार जलवा जी...प्रसन्नता हुई पुराने मित्रों को देखकर ! उम्मीद करता हूँ की सारे यहीं पर मिल जायेंगे !


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