.........अश्क ना हो .........
मेरे वाचकों से अनुरोध है ... अगली बार पूरी कविता हिंदी में लिखूंगी किन्ही कअरण वश हिंदी में नै लिख पाई सो आप सबसे क्षमा प्रार्थी हूँ ...
Hamne to na todaye kabhi kisi ka dil na chahi kisi se aash koi badhte rahe kadam rahon me tanha youn hi ............. jahan ne socha apno ne socha hi galat hamko ek khuda jane hai hum kya the kya hai kya rahenge na bataya ashkon ka samandar na bataya dukho ka khaanjar khud me simta ke andhero ko hansi ki bauchhar karte rahe , dil chhalani hota raha hum haste rahe dunia ne dekha hasna aapna na dekha gham kisi ne bhi dil rota raha hum to haste hi rahe dil ka nasur na bata sake,kisi ko jamane ne samjha badnuma ek dag ...hamko jub bhi socha sabka achha socha fir bhi kismat ki balihari rahi ye ki har jagah me saamjha gaya julmi or juthaa hamko ... jabki julm sahate rahe hum akele akele is doraangi dunia me aake na paya kabhi karvan aapne sach or pyar ka yaha aake fir bhi dunia ko achha kahte rahe hum to , dile nasur ko bus gahte rahe sahate rahe kabhi sochate rah gaye ,, koi to eisa mil jayega jo samjhe sachhe pyar ko , lagatha ek pal ko mil gaya wo manchaha karvan humko par , jub pass aa ke dekha to pata chala mrigjal tha wo to aei dil na kar ab aash kisi se bhi apnepan ki... shayad tujhe ab rah dekhni hai aagle janam ki कर दुआ अब खुदा से अगले जन्म इन अंखियों में अश्क न हो अश्क न हो .... |
Re: .........अश्क ना हो .........
Quote:
|
Re: .........अश्क ना हो .........
देखनी है राह अगले जन्म की
(रचना: पुष्पा सोनी जी) हमने तो न तोड़ा ये कभी किसी का दिल, न चाही किसी से आस कोई बढ़ते रहे कदम राहों में तन्हा यूँ ही जहां ने सोचा अपनों ने सोचा ही गलत हमको इक खुदा जाने है – हम क्या थे, क्या हैं, क्या रहेंगे न बताया अश्कों का समंदर, न बताया दुखों का खंजर खुद में सिमटा के अंधेरों को, हँसी की बौछार करते रहे दिल छलनी होता रहा, हम हँसते रहे. दुनिया ने देखा हँसना अपना, न देखा ग़म किसी ने भी दिल रोता रहा, हम तो हँसते ही रहे, दिल का नासूर न बता (दिखा) सके किसी को ज़माने ने समझा बदनुमां एक दाग़ ... हमको जब भी सोचा सबका अच्छा सोचा फिर भी क़िस्मत की बलिहारी है >>> |
Re: .........अश्क ना हो .........
ये कि हर जगह समझा गया ज़ुल्मी और झूठा हमको जबकि ज़ुल्म सहते रहे हम अकेले-अकेले इस दुखी दुनिया में आके न पाया कभी कारवां अपने सच और प्यार का यहाँ आके फिर भी दुनिया को अच्छा कहते रहे हम तो, दिले-नासूर को बस गहते रहे, सहते रहे कभी सोचते रह गये “कभी तो ऐसा मिल जायेगा जो समझे सच्चे प्यार को” लगता एक पल को मिल गया वो मनचाहा कारवाँ हमको पर जब पास आके देखा तो पता चला मृगजाल था वो तो ऐ दिल न कर अब आस किसी से भी अपनेपन की ... शायद तुझे राह देखनी है अगले जनम की कर दुआ अब खुदा से अगले जनम इन अंखियों में अश्क़ न हों अश्क़ न हों अश्क़ न हों. |
Re: .........अश्क ना हो .........
दर्द की इस तीव्र किन्तु ईमानदार काव्यात्मक अभिव्यक्ति को पढ़ कर मैं अवाक हो गया. कविता बहुत सुन्दर है जिसमे गहरे अर्थ छुपे हुये हैं. मनोभावों के वर्णन के लिये आपके शब्दों का चयन गज़ब का है. सम्पूर्ण कविता का परिवेश पाठक को झकझोर देने वाला है. यह कविता एक नवोदित रचनाकार के भविष्य के प्रति आश्वस्त करती है. मैं आपको इस रचना के लिये बधाई देना चाहता हूँ, पुष्पा सोनी जी.
कविता इतनी सशक्त है कि इसे बार बार पढ़ने का मन करता है. अतः अपनी सुविधा के लिये और अन्य सभी जाने-अनजाने पाठकों की सुविधा के लिये, मैंने उक्त कविता को एक नया शीर्षक देते हुये देवनागरी लिपि में प्रस्तुत कर दिया है. आशा है इसे ठीक पाया जायेगा. आगे भी आपकी रचनाओं का इंतज़ार रहेगा. धन्यवाद. |
Re: .........अश्क ना हो .........
आदर्निय रजनीश जी , बहुत ख़ुशी हुई और बहुत अच्छा भी लगा ये देखकर की आपने हिंदी में लिखा इस कविता को ... किसी के दुखों को देखकर कवि मन भावुक हो जाता है ., और बस कलम अपने आप चलने लगती है ., और साथ ही आप सबका दिया प्रोत्साहन भी है ... जिससे शब्द आपने आप आ गए इस कविता के रूप में ... बाकि मै कुछ नही ये सब किसी के दुःख की मेहरबानी और आप सबके साथ का नतीजा है बस .... आपने बहु अच्छा किया हिंदी में लिखा जो ..की अब .. सब वाचकअब पढ़ सकेंगे इस मेरी छोटी सी कोशिश को ...
तहे दिल से बहुत बहुत धन्यवाद....... |
Re: .........अश्क ना हो .........
Quote:
Quote:
भाव विभोर करने वाली सशक्त रचना यहाँ पस्तुत करने के लिए श्री पुष्पा जी एवं सुन्दर सहज अनुवाद करने के लिए श्री रजनीश जी, आप दोनों कों हार्दिक धन्यवाद....... |
Re: .........अश्क ना हो .........
डॉ. श्री विजय जी बहुत बहुत धन्यवाद ,... ये हिंदी फोरम सच में एक बड़ा प्यारा सा परिवार है जहाँ न कोई जात-पात का भेद है, न कोई जलन है, न ही कोई किसी की गलती पे हँसते हैं.. बल्कि मेने यहाँ आकार देखा की सभी एकदूजे की बहुत सहायता करते हैं, साथ देते हैं. सराहना करके प्रोत्साहित करते हैं, यहाँ लिखने वालो को, ना की लिखने में हुई भूलो पे कोई ध्यान देते हैं ... ये देखकर सच मुझे बहुत ख़ुशी हुई है...
|
Re: .........अश्क ना हो .........
सोनी पुष्पा जी, आपने हमारे प्रालेख (profile) पर अपने सन्देश के माध्यम से आपके सूत्रों पर हमारे अभिप्राय को समझने की अभिलाषा व्यक्त की जिसके लिए हार्दिक आभार. कम से कम आपने हमें अपने सूत्र पर अभिप्राय देने के योग्य तो समझा, नहीं तो हम इस योग्य कहाँ? हमारे पाठकों को हमेशा हमसे यह शिकायत रही है कि हम गम्भीर विषयों में भी हास्य-व्यंग्य और कटाक्ष करने लगते हैं. तो मैं आपको यह बता दूँ कि मैं वो गधा हूँ जिसे चाहे जितना नहलाया-धुलाया जाए, जहाँ धूल पाया वहाँ लोटने लगता है! लोग कहते हैं कि हँसाना बड़ा कठिन काम है. मेरे विचार में यह बहुत सरल काम है. बस थोड़ा सा शब्दों के हेर-फेर की ज़रूरत पड़ती है. उदहारण के लिए देखिए कि मैंने किस तरह आपकी एक गम्भीर कविता को कुछ शब्दों के हेर-फेर से हास्य-रस की कविता में बदल दिया-
आपने लिखा है- ‘लगता एक पल को मिल गया वो मनचाहा कारवाँ हमको पर जब पास आके देखा तो पता चला मृगजाल था वो तो ऐ दिल न कर अब आस किसी से भी अपनेपन की ... शायद तुझे राह देखनी है अगले जनम की कर दुआ अब खुदा से अगले जनम इन अंखियों में अश्क़ न हों अश्क़ न हों अश्क़ न हों.’ कुछ हेर-फेर के बाद- ‘ऐसा लगा एक पल को मिल गया वो मनचाहा स्टेट बैंक हम को पर जब पास आ के देखा तो पता चला पोस्ट ऑफिस था वो तो ऐ दिल न कर अब आस किसी स्टेट बैंक की ... शायद तुझे राह देखनी है सर्वर ठीक होने की... कर दुआ अब खुदा से अगले जनम इस जेब में ए.टी.एम. कार्ड न हो ए.टी.एम. कार्ड न हो ए.टी.एम. कार्ड न हो’ |
Re: .........अश्क ना हो .........
:bravo:
Quote:
|
All times are GMT +5. The time now is 01:25 AM. |
Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.