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DevRaj80 17-12-2014 07:29 PM

Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
 
वैयक्तिक जीवन में भी आत्मविश्वास ही सम्पूर्ण सफलताओं का आधार है। विश्वास के अभाव में ही श्रेष्ठतम उपलब्धियों से लोग वंचित रह जाते हैं असफलताओं का कारण है- अपनी क्षमता को न पहचान पाना और अपने को अयोग्य समझना। जब तक अपने को अयोग्य, हीन, असमर्थ समझा जायेगा, तब तक सौभाग्य एवं सफलता का द्वार बन्द ही रहेगा।

DevRaj80 17-12-2014 07:29 PM

Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
 
व्यक्ति जब अपने अन्दर छिपी हुई शक्तियों के स्रोत को जान लेता है तो वह भी देव तुल्य बन जाता है। विश्वास के जागृत होने ही आत्मा में छुपी हुई शक्तियाँ प्रस्फुटित हो उठती हैं। हमारे अन्दर के श्रेष्ठ विचार महत्वपूर्ण कार्य के रूप में परिणत हो जाते हैं। इसके विपरीत अपने प्रति अविश्वास से तो शक्ति के स्रोत सूख जाते हैं और लोग भण्डार के होते हुए भी दीन तथा दरिद्र ही बने रहते हैं।

DevRaj80 17-12-2014 07:30 PM

Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
 


दो किरणें चलीं एक जा पड़ी कीचड़ में दूसरी एक पुष्प में। पुष्प वाली किरण ने दूसरी किरण से कहा- देखो! जरा दूर रहना छूकर मुझे भी अपवित्र मत कर देना।

ऐसा न कहो बहिन दूसरी किरण बोली- हम इस कीचड़ को सुखायें और साफ न करें तो इस फूल की रक्षा कैसे हो। दूसरी किरण अपने दम्भ पर बड़ी लज्जित हुई और शर्म के मारे रह गई।

DevRaj80 17-12-2014 07:30 PM

Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
 
अपने विषय में जैसी मान्यता बनायी जाती है, इसके द्वारा भी वैसा ही व्यवहार किया जाता है। जो व्यक्ति अपने को मिट्टी समझता है, अवश्य कुचला जाता है। धूल पर सभी पाँव रखते हैं किन्तु अंगारों पर कोई नहीं रखता। जो व्यक्ति कठिनतम कार्यों को भी अपने करने योग्य समझते हैं, अपनी शक्ति पर विश्वास करते हैं, वे चारों ओर अपने अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न कर लेते हैं। जिस क्षण व्यक्ति दृढ़ता पूर्वक किसी कार्य को सम्पन्न करने का निश्चय कर लेता है तो समझना चाहिए आधा कार्य पहले ही पूर्ण हो गया। दुर्बल प्रकृति के व्यक्ति शेखचिल्ली के समान कोरी कल्पनाएँ मात्र किया करते हैं किन्तु मनस्वी व्यक्ति अपने संकल्पों को कार्य रूप में परिणत कर दिखाते हैं।

DevRaj80 17-12-2014 07:31 PM

Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
 
विराट् वृक्ष की शक्ति छोटे से बीज में छुपी रहती है। यही बीज खेत में पड़कर उपयोगी खाद पानी प्राप्त करके बड़े वृक्ष के रूप में प्रस्फुटित होता है उसी प्रकार मनुष्य के अन्दर भी समस्त सम्भावनाएँ एवं शक्तियाँ बीज रूप में छुपी हुई हैं जिनको विवेक के जल से अभिसिंचित कर तथा श्रेष्ठ विचारों की उर्वरा खाद देकर जागृत किया जा सकता है। यदि व्यक्ति अपने अन्दर की अमूल्य शक्ति एवं सामर्थ्य को जान लेने में सफल हो जाय तो वह सामान्य से असामान्य और असामान्य से महान हो सकता है।

DevRaj80 17-12-2014 07:31 PM

Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
 
मनुष्यों की संगठित शक्ति यदि श्रेष्ठ मार्ग पर चल पड़े तो विश्व का काया-कल्प ही पलट सकती है। शक्ति के उदित होते ही असम्भव समझे जाने वाले कार्य भी सम्भव हो जाते हैं जिनको पूर्ण हुए देखकर आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता।

मानव जीवन ईश्वर का दिया हुआ सर्वोपरि उपहार है। इसका महत्व एवं गरिमा तभी है जब व्यक्ति इन पंगु विचारों को अपने मन में स्थान न दे। उनसे शक्ति का प्रवाह बन्द हो जाता है। ईश्वरीय अनुदान एवं दी हुई शक्ति का महत्व जीवन के सदुपयोग में है। अपने को उठाना तथा दूसरों को भी ऊँचा उठाने में सहयोग करने में ही मानव जीवन की सार्थकता है।

DevRaj80 17-12-2014 07:31 PM

Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
 
जब तक हम किसी कार्य में अपनी समस्त शक्तियाँ लगा नहीं पाते, मन एकाग्र नहीं करते तब तक वह कार्य पूर्ण नहीं हो सकता। कार्य जितना कठिन है उसके लिए उतने ही दृढ़ विश्वास एवं योगी की तरह तन्मय होकर निरन्तर प्रयत्न की आवश्यकता होती है। ईश्वरीय सत्ता भी उन्हीं की सहायता करती है जो स्वयं प्रयत्नशील हैं।

आत्मविश्वास, सतत् परिश्रम एवं दृढ़ निश्चय के समक्ष कुछ भी असम्भव नहीं है। इन्हीं गुणों के प्रकाश में ऐतिहासिक कार्य संसार में सम्पन्न हुए हैं। विद्वानों महापुरुषों धर्म प्रवर्तकों, योद्धाओं, सृजेताओं, शोधकर्ताओं के ज्वलन्त उदाहरण इस बात के साक्षी हैं कि उन्होंने आत्मविश्वास के आधार पर क्या नहीं कर दिखाया?

DevRaj80 17-12-2014 07:32 PM

Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
 
छोटी-छोटी बैटरियों की शक्ति शीघ्र ही समाप्त हो जाती है किन्तु जिन बत्तियों का सम्बन्ध पावर हाउस से होता है वह निरन्तर जलती रहती हैं। आत्मविश्वास वह सम्पर्क माध्यम है जिसके सहारे अकूत शक्ति के भण्डार परमात्मा के साथ सम्बन्ध स्थापित किया जा सकता है। मनुष्य को चाहिए कि वह अपने विचारों को कार्य रूप में परिणति करे। स्वार्थ से दूर रहकर अपनी दृष्टि का विकास करें। सद्गुणों को धारण कर इसी जीवन में गौरवान्वित एवं सम्मानास्पद बना सकता है।

DevRaj80 17-12-2014 07:32 PM

Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
 
श्रेष्ठ मार्ग पर नियोजित व्यक्तियों की शक्तियाँ श्रेयस्कर परिणाम उपस्थित करती हैं, जिसे लोग भाग्य चमत्कार समझते हैं। वास्तव में वे व्यक्ति की दृढ़ निष्ठा एवं आत्मविश्वास का परिणाम ही होती हैं। मनुष्य अपने भाग्य का निर्माण स्वयं कर सकता है। यदि वह अपनी प्रसुप्त शक्तियों को प्रयत्न पूर्वक जगा सके। जिस दिन मनुष्य इस तथ्य को समझ लेगा, वह अनन्त शक्ति का भण्डार बन जायेगा। सुख एवं सफलता का मूल आधार एक ही है- उसका आत्मविश्वास।

DevRaj80 17-12-2014 07:33 PM

Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
 
सफलता का आधार


आत्म-विश्वास


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