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kuki 29-10-2014 05:38 PM

निंदक नियरे राखिये
 
निंदक नियरे राखिये,आँगन कुटी छवाय ,
बिन पानी, साबुन बिना निर्मल करे सुभाय।


kuki 29-10-2014 06:04 PM

Re: निंदक नियरे राखिये
 
कबीर दासजी ने कहा है की जो हमारी निंदा करता है ,उसे हमें अधिकाधिक अपने पास ही रखना चाहिए ,क्योंकि वह तो बिना पानी और साबुन के ही हमारी कमियां बता कर हमारे स्वभाव को साफ़ करता है।
लेकिन क्या आज हम में इतनी सहनशक्ति है की हम अपनी निंदा स्वीकार कर पाएं। अपने आलोचकों को अपने पास रख पाएं ?हम ऐसे लोगों से दूर ही रहना पसंद करते हैं जो हमारी निंदा करते हैं ,क्योंकि हम खुले दिल से अपनी आलोचना स्वीकार नहीं कर पाते। और आज ऐसे आलोचक भी बहुत कम ही होंगे जो वाकई में हमारी कमियों को सही तरीके से बताएं और उन्हें सुधरवाने का प्रयास करें। मैं आप लोगों से आपके विचार इस बारे में जानना चाहती हूँ की आप लोग क्या सोचते हैं?

rajnish manga 30-10-2014 12:11 AM

Re: निंदक नियरे राखिये
 
कुकी जी, विचार विमर्श हेतु उक्त विषय का चनाव करने के लिए धन्यवाद.

कबीर दास जी सीधे साधे व्यक्ति थे, भक्त थे और छल कपट से दूर रहते थे. वह सदा आडम्बर के विरुद्ध आवाज़ उठाते रहे. चाहे इसके लिए उन्हें हिंदु और मुस्लिम कट्टर पंथियों का विरोध भी झेलना पड़ा. वह लोगों की सोच में सुधार लाना चाहते थे. इसी आधार पर वह कहते हैं कि हमें हमारी कमियाँ बताने वाला व्यक्ति हमारा शत्रु नहीं बल्कि मित्र है, वह वास्तव में हमारा शुभचिंतक है.

आज हम किसी भी क्षेत्र को देखें- राजनीति, व्यापार, शिक्षा, नौकरी, रहन सहन हर जगह प्रतिस्पर्धा है. हर व्यक्ति दिखावा करना चाहता है, अच्छे बुरे की परवाह न करके दूसरों से आगे बढ़ना चाहता है. ऐसा करते हुए उसे यह ग़लतफ़हमी रहती है कि वह जो कुछ कर रहा है वह सब ठीक है. हाँ, दूसरे लोगों को वह ऐसा करने पर बुरा भला कहता है. यह हमारी hypocricy है, यानी कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं. यही है 'पर उपदेश कुशल बहुतेरे'.

जीवन में हमें अनेकों साथी, मित्र, नाते-रिश्तेदार, उपदेशक आदि मिलते हैं जो गाहे-ब-गाहे हमें criticize तो करते हैं लेकिन सुधार लाने की क्षमता से महरूम होते हैं. ऐसे में ज़रुरत है एक सच्चे मित्र की, सच्चे गुरू की जो हमें हमारी गलतियों का भान करा सके और हमें उचित मार्ग दिखा सके. यानी वही हमारे दोष बताने वाला निंदक होगा. सच्चा मित्र या सच्चा गुरू ही सच्चा निंदक हो सकता है जो हमारी खिल्ली उड़ाने के स्थान पर genuinely हमें सही रास्ते पर ले जाना चाहता है और जिस पर हमें भी पूरा भरोसा हो.

मुझे ग़ालिब का एक शे'र याद आ रहा है:

ये कहाँ की दोस्ती है के बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारा साज़ होता कोई ग़म गुसार होता

(नासेह = उपदेशक / चारासाज़ = इलाज करने वाला / ग़म गुसार = दुःख बँटाने वाला)

Pavitra 30-10-2014 03:02 PM

Re: निंदक नियरे राखिये
 
मैं कबीर दास जी के इस दोहे से बिल्कुल सहमत हूँ। हमारे आलोचक हमारे सबसे बड़े शुभचिंतक होते हैं। हमें हमारी कमियां बता कर वो न सिर्फ हमें बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं बल्कि हमें प्रेरित करते हैं कि हम कैसे अपना जीवन और सफल बना सकें।

हम सभी में कमियां होती हैं , कोई भी व्यक्ति Perfect नहीं होता। ये जीवन हम सभी को मिला ही इसलिए है कि हम हर रोज़ कुछ नया सीख सकें और Improve कर सकें।

आज के ज़माने में एक अच्छा आलोचक मिलना बहुत कठिन काम है। क्यूंकि आज किसी को भी किसी से ज़्यादा मतलब नहीं , लोग अपने जीवन में इतने मस्त हैं कि उन्हें कोई परवाह ही नहीं कि दूसरे लोग क्या कर रहे हैं या उन्हें क्या करना चाहिए।

criticism में और Insult में एक बारीक रेखा होती है। अक्सर लोग उस रेखा की अवहेलना कर देते हैं। और उनकी आलोचना से सामने वाला व्यक्ति खुद को अपमानित महसूस करने लगता है।

Practically कहूँ तो ऐसा नहीं है कि लोग नहीं चाहते कि कोई दूसरा व्यक्ति आगे बढे। वो चाहते हैं कि दूसरे लोग भी तरक्की करें परन्तु दूसरों की तरक्की उनकी खुद की तरक्की से कम होनी चाहिए।

पर अभी भी ऐसे लोग मौजूद हैं जो आपकी भलाई चाहते हैं , जो चाहते हैं कि आप Life में Improve करें। जिन्हें आपसे कोई स्वार्थ नहीं होता , वो आपसे कुछ चाहते नहीं हैं , बस आपकी सहायता करते हैं जिससे आप सीख सकें और तरक्की कर सकें। ज़रूरत है तो बस ऐसे लोगों को पहचानने की और उन पर भरोसा करने की।

क्यूंकि यही वो लोग होते हैं जो Genuinely आप में इतनी कमियां निकालते हैं कि आपके पास बस खूबियां ही रह जाती हैं।

kuki 30-10-2014 03:47 PM

Re: निंदक नियरे राखिये
 
रजनीश जी ,पवित्रा आप दोनों ने अपने -अपने विचार रखे इस के लिए बहुत धन्यवाद।

kuki 30-10-2014 04:35 PM

Re: निंदक नियरे राखिये
 
पवित्रा,हर चीज़ में अच्छाई देखना तुम्हारी अच्छी आदत है ,ये तुम्हारा आशावादी दृष्टि कोण दर्शाती है। लेकिन दुनिया में सच्चे निंदक मिलना बहुत कठिन है। मेरे हिसाब से निंदक तीन तरह के होते हैं ,पहले वो जो आपके सामने आपकी प्रशंसा करते हैं लेकिन पीठ पीछे आपकी बुराई। दूसरे वो जो आपके सामने भी आपकी बुराई करते हैं और पीठ पीछे भी। तीसरे वो जो सिर्फ आपके सामने ही आपकी कमियां बताते हैं लेकिन पीठ पीछे आपकी प्रशंसा करते हैं या बुराई तो नहीं ही करते। लेकिन जो पहले तरह के निंदक हैं आज सबसे ज़्यादा उसी तरह के लोग मिलते हैं ,ऐसे लोगों को पहचानना भी मुश्किल होता है क्योंकि जब वो हमारी प्रशंसा करते हैं तो हमें अच्छा लगता है और हम सोच नहीं पाते की यही पीठ पीछे हमारी बुराई करेंगे। दूसरी तरह के लोग इनसे बेहतर होते हैं क्योंकि उनके बारे में हमें पता होता है की ये हमारे बारे में क्या सोचते हैं। तीसरी तरह के लोग बेहतरीन होते हैं ,और मैं चाहती हूँ की काश ऐसे लोग सबकी ज़िदगी में हों ताकि सब लोगों को बेहतरीन बनने का मौका मिल सके।

rajnish manga 30-10-2014 11:07 PM

Re: निंदक नियरे राखिये
 
पवित्रा जी और कुकी जी द्वारा विषय पर बहुत सुलझे हुए विचार प्रस्तुत किये गए हैं. मैं यहाँ एक और बात जोड़ना चाहता हूँ. जैसा कि हर चुनावों के बाद होता है. विपक्षी पार्टियों के लोग सत्तारूढ़ पार्टी से यह कहते हैं कि हम सकारात्मक आलोचना (constructive criticism) का दृष्टिकोण रखेंगे ताकि सरकार गलत कदम न उठा पाये. व्यक्ति व्यक्ति के बीच भी यदि यही दृष्टिकोण रहे तो परस्पर सुधार की गुंजाइश बनी रहेगी.

soni pushpa 31-10-2014 11:37 AM

Re: निंदक नियरे राखिये
 
सबसे पहले धन्यवाद kuki जी , आपने बहुत अच्छा विषय रखा है यहाँ ..हम आपके शुक्रगुजार हैं .

जैसे की दोहे का सबसे पहला वाक्य है निंदक नियरे राखिये ..... याने कबीर जी का सबसे पहला वाक्य ही ये कहता है की आप निंदक याने की आपकी आलोचना करने वाले को आपने पास रखिये , भावार्थ में ये ही कहा जा रहा है की यदि हमें खुद के लिए कुछ करना है, आगे बढ़ना है और अपने ज्ञान को ज्यादा विकसित करना है, तो निंदक याने की आलोचक का होना जरुरी है . क्यूंकि आपकी हाँ में हाँ मिलाने वाले , हर वक़्त आपकी प्रसंशा करने वाले आपको उन्नति के मार्ग तक नही ले जा सकते . कुछ तो एइसे लोग होने ही चहिये जो आपकी भूलो को आपके सामने रखे .
कहा जाता है इन्सान भूलो से ज्यादा सीखता है न की हर समय की वाहवाही से .पर हाँ मै कुछ अंश तक ये भी मानती हूँ की इन्सान के जीवन में आगे बढ़ने के लिए थोड़ी शाबाशी थोडा प्रोत्साहन जरुरी है . दूसरी बात ... कई जगह देखने को मिलता है की किसी ने थोड़ी निंदा की तो लोग दिल पर ले लेते हैं और हताश हो जाते हैं .. और उनके मन के टूटने के कारन उनका विकास रुक जाता है एइसे लोग बहुत नाजुक मन के होते हैं इसलिए कबीर जी जेइसे महान साहित्यकारों ने एइसे प्रतिभावान किन्तु नाजुक मन के लोगो को समझाने के लिए एइसे शब्द रचना द्वारा समझाया था की एइसे आलोचक भी अछे हैं जो आपकी भूलो को बताकर आपके किये कार्य को और अच्छा बनना चाहते हैं और सही अर्थो में वो आपके सच्चे शुभचिंतक हैं ...

और रही बात शासन की या सरकार की तो विपक्ष जितना सबल और बड़ा आलोचक होगा तो वो देश उतना ही शक्तिशाली शाली होगा क्यूंकि बड़े ओहदों पर विराजमान राष्ट्रपति हो या प्रधानमंत्री जी हो या मुख्यमंत्री जी हों उन्हें ये आलोचक जगाये रखते हैं , आराम की नींद सोने नही देते ( आलोचनाओ द्वारा ) इस वजह से उनका काम अच्छा होगा और देश उन्नति करेगा ही इस तरह भी कबीर जी के शब्द bahut उपयोगी सिध्द होते हैं

kuki 01-11-2014 09:00 PM

Re: निंदक नियरे राखिये
 
धन्यवाद सोनी पुष्पा जी ,आपको ये विषय पसंद आया और आपने अपने विचार रखे। मैं आपके विचारों से काफी हद तक सहमत हूँ। ये हर व्यक्ति पर अलग -अलग निर्भर करता है की वो अपनी निंदा को किस तरह लेता है ,उसे आगे बढ़ने का जरिया बनाता है या निराशा से घिर जाता है। ये बहुत कुछ हमारी परवरिश और हमारे स्वभाव पर निर्भर करता है। अगर हमें बचपन से ही हमारी गलत बातों और कमियों के बारे में सही ढंग से बताया जाए और सुधरवाया जाये तो हम बड़े होकर भी इसे सकारात्मक रूप में ही लेते हैं।

kuki 09-12-2014 07:55 AM

Re: निंदक नियरे राखिये
 
पोथी पढ़ी -पढ़ी जग मुआ ,पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का ,पढ़े सो पंडित होय।


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